कोई कितना भी करीबी हो, कितना भी ईमानदार लगे, अकेले इंसान को उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए. इंदरजीत कौर से यही गलती हुई, जिस के एवज में उन्हें मौत मिली...

रविवार का दिन था. मुद्दत के बाद सभी भाईबहन अमृतसर में रहने वाली अपनी बड़ी बहन इंदरजीत कौर के घर जमा हुए थे. इंदरजीत कौर के 6 भाईबहन थे. सब से बड़ी जगजीत कौर थीं, जिन की मृत्यु काफी अरसा पहले ही हो चुकी थी. दूसरे नंबर पर स्वयं 68 वर्षीय इंदरजीत कौर थीं. सभी की  शादी हो चुकी थी. भाईबहनों में सब से छोटा था कंवलजीत सिंह, जो अपने बीवीबच्चों के साथ दिल्ली में रहता था. इंदरजीत के घर पर इन सभी भाईबहनों का जमावड़ा कंवलजीत सिंह के दिल्ली से अमृतसर आने की खुशी में हुआ था. चूंकि सभी काफी दिनों बाद मिले थे, इसलिए मिल कर बहुत खुश थे.

इस भागमभाग की जिंदगी में कहां किसी को किसी से मिलने की फुरसत मिलती है. सभी भाईबहन अधेड़ आयु के थे और इस उम्र में भी वे अपने बचपन की खुशियों से यूं वंचित नहीं रहना चाहते थे. सो सब ने मिल कर खूब हंसीमजाक कर बचपन की यादें ताजा कीं. अगले महीने आने वाले रक्षाबंधन की बात चल रही थी कि यह त्यौहार कहां और किस के घर मनाया जाए. इस मुद्दे पर सभी ने अपनीअपनी राय पेश की. अंत में तय हुआ था कि रक्षा बंधन पर सभी बहनभाई कंवलजीत के घर दिल्ली जाएंगे और इसी बहाने दिल्ली भी घूम लेंगे. यह बात 20 जुलाई, 2018 की है. इस के अगले दिन 21 जुलाई को सभी लोग अपनेअपने घर चले गए.

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