जीतो के बयान और नरेश तथा कुलदीप की गवाही के आधार पर पुलिस राज के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर के उसे जेल भिजवा देगी, क्योंकि जीतो के मैडिकल में इस बात की पुष्टि हो जाती कि उस के साथ शारीरिक संबंध बनाया गया है. छेड़छाड़ के आरोप में तुरंत दोनों की जमानत हो जाती, जबकि दुष्कर्म के आरोप में राज को जेल भेज दिया जाता.
इस काम के लिए सुरजीत ने नरेश और कुलदीप को 5-5 हजार रुपए तथा जीतो को 10 हजार रुपए एडवांस भी दिए थे. इतने ही रुपए उन्हें तब और मिलने थे, जब वे रिपोर्ट की कौपी सुरजीत को देते. यह सारी कारगुजारी सुरजीत की बनाई थी.
बहरहाल, मैं ने परमजीत सिंह से उन तीनों के बयान दर्ज कर के जीतो को अस्पताल ले जा कर मैडिकल कराने को कहा. इस के बाद मैं ने थाना मानावाला से हवलदार जसबीर को बुलवा कर पूछा, “यह राज वाला क्या मामला है?”
उस ने सब कुछ सचसच बता दिया. उस ने कहा कि वह न राज को जानता है और न ही उसे उस के द्वारा की गई किसी छेड़छाड़ की बात मालूम है. सुरजीत ने उसे रुपए दे कर राज पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा था. लेकिन बीच में राज के पत्रकार पिता के आ जाने से वह राज पर कोई कार्यवाई नहीं कर सका था.
जसबीर ने यह भी बताया था कि उस के बाद भी सुरजीत उस के पास आया था और कह रहा था कि वह चाहे जितने रुपए ले ले, लेकिन राज पर दुष्कर्म का केस बना कर उसे जेल भिजवा दे. लेकिन उस ने उसे साफ मना कर दिया था. शायद इसीलिए वह उस का थानाक्षेत्र छोड़ कर अपने मंसूबे को पूरे करने के मेरे थानाक्षेत्र में आया था.