रचिता वत्स साड़ी कारोबारी मनीष कनौडिया के बेटे कुशाग्र को कई सालों से ट्यूशन पढ़ाती थी. कनौडिया परिवार रचिता को घर के  सदस्य की तरह ही मानता था और समयसमय पर रचिता की आर्थिक सहायता भी करता रहता था. इस के बावजूद रचिता ने अपने प्रेमी प्रभात शुक्ला से कुशाग्र का न सिर्फ किडनैप करा दिया बल्कि प्रभात ने उस की हत्या भी कर दी. आखिर रचिता और प्रभात ने यह क्यों किया?

रचिता वत्स प्रभात शुक्ला व शिवा गुप्ता ने सेंट्रल पार्क में बैठ कर 16 वर्षीय कुशाग्र के अपहरण व हत्या की योजना बनाई. इस के बाद प्रभात व शिवा उस की रेकी करने लगे. वह दिन में 1-2 बार श्री भगवती विला अपार्टमेंट के चक्कर जरूर लगाते. क्योंकि कुशाग्र इसी अपार्टमेंट में रहता था. सोसाइटी के गार्ड राजेंद्र कुमार ने एक बार प्रभात को रेकी करते पकड़ा तो वह बहाना बना कर चला गया. फिर भी गार्ड ने इस की शिकायत कुशाग्र के चाचा सुमित कनौडिया से कर दी थी. उन का मकसद किसी भी तरह कुशाग्र को किडनैप करना था. 30 अक्तूबर को योजना को अंजाम देने के लिए प्रभात शुक्ला व शिवा गुप्ता ने कानपुर के ही दर्शनपुरवा में स्थित एक दुकान से नारियल की रस्सी खरीदी, फिर प्लास्टिक की दुकान से पौलीथिन बैग खरीदे.

शिवा ने चापड़ का इंतजाम भी कर लिया था. प्रभात ने रस्सी अपने घर के स्टोर रूम में रख दी. पौलीथिन बैग व चापड़ प्लास्टिक की एक बोरी में भर कर घर के पास झाडिय़ों में छिपा दिए. इस की जानकारी प्रभात ने अपनी प्रेमिका रचिता को दे दी. इस के बाद प्रभात जरीब चौकी चौराहा पहुंचा और कुशाग्र के आने का इंतजार करने लगा. कुशाग्र अपनी स्कूटी से शाम 4 बजे घर से स्वरूप नगर स्थित मेनन कोचिंग सेंटर जाने को निकला और सवा 4 बजे जरीब चौकी चौराहा पहुंचा. तभी इंतजार कर रहे प्रभात ने उसे रोका और बोला, ''कुशाग्र भैया, मेरी स्कूटी खराब हो गई है. मुझे मेरे घर छोड़ दो.’’

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