Hindi Story : वीरता बड़ों की बपौती नहीं होती. जिन बच्चों को अपनी गलती के लिए घर वालों से अकसर डांट खानी पड़ती है, कभीकभी वही नटखट अपनी सूझबूझ और अदम्य साहस से ऐसा कारनामा कर जाते हैं कि बड़े भी दांतों तले अंगुली दबाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. इन 24 बालवीरों ने भी कुछ ऐसे ही कारनामे किए हैं.  दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया बलात्कार कांड के बाद देश भर में आंदोलन हुए. आंदोलनकारियों की एक ही मांग थी कि सरकार बलात्कारियों के खिलाफ ऐसे सख्त कानून बनाए जिस से उन के मन में खौफ पैदा हो. उस समय आंदोलनों की आबोहवा को देखते हुए सरकार को भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने के लिए बाध्य होना पड़ा.

कानून तो सख्त बन गए लेकिन इस के बावजूद महिलाओं पर होने वाले अपराधों में कमी नहीं आई. लड़कियों और महिलाओं के प्रति गलत सोच रखने वालों ने सख्त कानून से भी कोई खौफ नहीं खाया. अगर लोगों के मन में खौफ होता तो लखनऊ निवासी रियाज अहमद की अपनी भांजी रेशम फातमा की तरफ गलत निगाह उठाने की जुर्रत नहीं होती. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कानपुर रोड स्थित सत्यलोक कालोनी में रहने वाले शमशुल हसन की 3 बेटियां और एक बेटा है. पेशे से बिजनैसमैन शमशुल हसन अपने चारों बच्चों को शहर के अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे थे. बिजनैस की वजह से वह सुबह ही अपने घर से निकल जाते थे. उन की पत्नी कौसर जहां ही बच्चों की पढ़ाईलिखाई आदि का ध्यान रखती थीं.

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