मुंबई से करीब 12 सौ किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के शाहपुर के लिए एक प्राइवेट बस चलती है. अमरकंटक एक्सप्रैस नाम की यह लग्जरी बस मुंबई से चलने के बाद पूरे 24 घंटे में शाहपुर पहुंच जाती है. इतनी लंबी यात्रा में ऊब गए यात्रियों के बीच छोटीमोटी कहासुनी तो होती ही रहती है. पर यह थोड़ी देर में शांत हो जाती है.

25 मई, 2023 को बस मुंबई से चल कर राजस्थान के कोटा शहर के नजदीक पहुंची तो 24 साल के युवक ने बस में हडक़ंप मचा दिया. किसी मामूली सी बात को ले कर उस की बगल की सीट पर बैठे यात्री से कहासुनी हो गई थी. इस मामूली सी बात में उस युवक को इतना गुस्सा आया कि बस को रोकवा कर अन्य यात्रियों को बीच में आना पड़ा.

परिस्थिति ऐसी बन गई कि एक ओर अकेला वह युवक था और दूसरी ओर बस के सभी पैसेंजर थे. 24 साल का वह युवक टीवी एक्टर की तरह सुंदर था. पर भयानक गुस्से में होने की वजह से उस का चेहरा विकृत हो गया था. उस की लाललाल आंखें और मुंह से टपकती लार देख कर सारे के सारे यात्री सहम गए थे. वह दांत भींच कर जोरजोर से कुछ बड़बड़ा रहा था. पर उस की ये बातें किसी की समझ में नहीं आ रही थीं.

जानवर की तरह हो गया हिंसक

उस के नजदीक जाने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी. क्योंकि जो भी उस के नजदीक जाने की हिम्मत करता था, वह उसे कुत्ते की तरह काटने को दौड़ता था. एक पैसेंजर ने उसे पकडऩे की हिम्मत दिखाई तो वह युवक एकाएक आक्रामक हो गया और उस ने उस पैसेंजर पह हमला बोल कर उस के हाथ में दांतों से काट लिया. उस पैसेंजर के हाथ से खून बहने लगा.

इस के बाद सभी पैसेंजरों ने ड्राइवर और कंडक्टर से कहा कि इस तरह आक्रामक हो चुके इस युवक को यहीं छोड़ो और बाकी लोगों को ले कर जल्दी निकलो. उस आदमी का विचित्र और आक्रामक व्यवहार ड्राइवर ने भी देखा था, इसलिए उस ने सभी को जल्दी बस में बैठने का इशारा किया.

वह युवक तो जुनून में आ कर गिर पड़ा था और न जाने क्याक्या बक रहा था. उसे उस समय जैसे दुनिया जहान का भान ही नहीं था. इसी का फायदा उठा कर बाकी पैसेंजर बस में चढ़ गए तो ड्राइवर ने बस चला दी. वह युवक चीखते हुए बस के पीछे दौड़ा, पर अंत में थक कर रोड पर ही गिर पड़ा.

25 मई, 2023 दिन शुक्रवार को राजस्थान के जिला पाली के गांव सरधाना की 64 साल की शांतिदेवी पहाड़ियों पर अपनी बकरियां चराने गई थीं. शांतिदेवी के पति नानुलाल खेती का काम कर रहे थे. शाम 4 बजे शांतिदेवी बकरियां ले कर घर आ रही थीं तो गांव के ही प्रताप बहादुर के खेत में सब्जी लेने चली गई. उन्होंने खेत से भिंडी तोड़ कर साड़ी के पल्लू में बांधी और घर की ओर चल पड़ीं.

नोचनोच कर खा गया बुजुर्ग महिला को

रास्ते में वह गुंदियावाड़ी पर पहुंचीं तो सामने से चले आ रहे एक युवक को देख कर उन्हें हैरानी हुई. उस युवक का चेहरा धूप में तप कर लाल हो गया था. वह केवल पैंट पहने था. उस के शरीर के ऊपरी हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं था. उस के मुंह से लार टपक रही थी. उसे हैरानी से देखते हुए शांतिदेवी आगे बढ़ गईं. वह मुश्किल से 5 कदम बढ़ी होंगी कि वह युवक उन के पीछे आया और एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उन के सिर पर दे मारा. यह प्रहार इतना तेज था कि शांतिदेवी जमीन पर गिर पड़ीं और उन की सांस अटक गई.

10 मिनट बाद उधर से जा रहे अमर सिंह ने एक अजीब नजारा देखा. नजदीक जा कर उन्होंने वह नजारा देखा तो उन का कलेजा कांप उठा. शांतिदेवी की लाश को एक युवक कंधे से पकड़ कर उन के चेहरे का मांस नोचनोच कर खा रहा था. शांतिदेवी के चेहरे की अब मात्र हड्डियां ही दिखाई दे रही थीं.

युवक का चेहरा खून से लाल था. उस के मुंह पर मांस के टुकड़े चिपके थे. कचरकचर मांस खाने में तल्लीन उस युवक को लगा कि कोई आया है तो उस ने सिर ऊंचा कर के अमर सिंह की ओर देखा. खून से लथपथ पूरा चेहरा और आंखों में हिंसक पशु जैसी चमक देख कर अमर सिंह डर गया. वह भाग कर प्रताप बहादुर के खेत पर गया और 10-12 लोगों को इकट्ठा कर के घटनास्थल पर पहुंचा.

अब तक शांतिदेवी की मात्र खोपड़ी बची थी. लाठीडंडा ले कर आए लोगों की भीड़ देख कर वह युवक लाश छोड़ कर भागा. उस युवक के भागने की गति इतनी तेज थी कि करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जा कर उन लोगों ने उसे पकड़ा. लेकिन उसे जिस ने भी पकड़ा, उसे उस ने कुत्ते की तरह काटा. लोग उस की पिटाई करने लगे. पर मार खाने के बाद भी उस का जुनून कम नहीं हुआ.

हत्या करने वाले नरभक्षी की बात सुन कर थाना जैतरन के एसएचओ धोलाराम परिहार अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. उस युवक ने पकड़ने आए 3 पुलिस वालों को भी काट लिया. उसे पुलिस वालों ने किसी तरह बांधा. थाने ला कर शांतिदेवी के बेटे वीरम की ओर से उस के खिलाफ हत्या और मानव मांस खाने की रिपोर्ट दर्ज की गई.

पुलिस ने उस की तलाशी ली तो उस की पैंट की जेब से मुंबई से मध्य प्रदेश के शाहपुर की बस की एक टिकट, 22 रुपए, आल इंडिया फिल्म ऐंड टीवी एसोसिएशन, मुंबई का आईडी और उस का आधार कार्ड मिला. मुंबई के पवई में रहने वाले इस 24 वर्षीय युवक का नाम सुरेंद्र ठाकुर था. एसोसिएशन के आईडी कार्ड से पता चला कि सुरेंद्र कुमार फिल्म और टीवी आर्टिस्ट है.

सुरेंद्र को बड़ी मानसिक बीमारी है, यह खयाल आते ही पुलिस उसे तुरंत पाली के बांगर अस्पताल ले गई. पूरी बात जान कर मैडिसिन विभाग के इंचार्ज डा. प्रवीण गर्ग ने बताया कि अगर पेशेंट ने मानव मांस खाया है तो हाइड्रोफोबिया नामक मानसिक बीमारी का शायद अपने देश का यह पहला मामला होगा.

सुरेंद्र ने जिनजिन गांव वालों और पुलिस वालों को काटा था, उन सभी को एंटी रेबीज की वैक्सीन लगवाने के लिए कहा गया. इस के बाद बांगर अस्पताल में सुरेंद्र का इलाज शुरू हुआ. वह अभी भी आक्रामक था, इसलिए डाक्टर कोरोना काल में जो पीपीई किट पहन कर कोरोना रोगियों का इलाज करते थे, वही पीपीई किट पहन कर सुरेंद्र का इलाज कर रहे थे. फिर भी उस ने 2 डाक्टरों को काट लिया.

सुरेंद्र की बिगड़ती हालत देख कर उसे 27 मई, 2023 को पुलिस बंदोबस्त और डाक्टरों की देखभाल में जोधपुर के एम.जी. अस्पताल ले जाया गया, जहां मनोचिकित्सकों और न्यूरोलौजी की टीम ने सुरेंद्र का इलाज शुरू किया. डा. राजश्री बोहरा ने पत्रकारों को बताया कि सुरेंद्र का इलाज अंधेरे कमरे में करना पड़ता है.

पता चला कि सुरेंद्र को हाइड्रोफोबिया हुआ था. इस के रोगी को पानी और रोशनी से डर लगता है. यह बीमारी किसी रेबीज वाले जानवर यानी कि कुत्ता, भेडिय़ा, सियार, लोमड़ी, चमगादड़ आदि के काटने के बाद एंटी रेबीज की वैक्सीन न लेने से होती है. अगर इस का समय से इलाज हो गया यानी वैक्सीन लग गई तब तो ठीक है वरना बाद में बचना मुश्किल हो जाता है.

इस बीमारी वाला आदमी अगर किसी को काट लेता है तो उसे भी वैक्सीन लेनी पड़ती है. इस बीमारी वाला आदमी से डर से कांपता रहता है. इसे इंसेफेलाइटिस या जापानी बुखार भी कहा जाता है. इस में आदमी गुस्से पर काबू नहीं रख पाता.

23 मई, 2023 की सुबह इलाज के दौरान नरभक्षी सुरेंद्र की मौत हो गई थी. पुलिस उस के घर वालों के बारे में पता कर रही है. आधार कार्ड में जो पता लिखा था, वहां उस का कोई नहीं मिला है.

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