Love Story in Hindi: संगीता जब घर में बता कर गई थी कि वह स्कूल जा रही है तो उस का फोन आने के बाद उस के घर वाले स्कूल में खोजने के बजाय इधरउधर क्यों खोजते रहे? इस में स्कूल मैनेजर और उस का चचेरा भाई तो दोषी है ही, घर वालों की लापरवाही भी है.

संगीता को तैयार होते देख शांति ने पूछा, ‘‘बेटी, कहीं जा रही हो क्या?’’

‘‘हां मां, स्कूल से फोन आया है, शायद कोई जरूरी काम है, इसलिए डेढ़, 2 घंटे के लिए बुलाया है. मैं काम निपटा कर जल्दी ही लौट आऊंगी.’’ तैयार होते हुए संगीता ने कहा. शायद शांति उस के जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं, इसलिए उन्होंने आगे कहा, ‘‘आज तो होलिका दहन है, सभी स्कूलकालेज बंद हैं, फिर तुम्हारा स्कूल कैसे खुला है? जबकि तुम ने महीनों पहले वहां से नौकरी छोड़ दी है. ऐसे में स्कूल वालों को तुम्हें बुलाने की क्या जरूरत है?’’

‘‘मां, मुझे भी पता है कि आज छुट्टी है, लेकिन किस लिए बुलाया है? यह तो स्कूल जाने के बाद ही पता चलेगा न. परेशान होने की कोई बात नहीं है. मैं वहां पहुंच कर फोन कर दूंगी.’’ संगीता ने कहा. उस समय सुबह के साढ़े 9 बज रहे थे. तैयार हो कर संगीता ने नाश्ता किया और गुलौरी गांव स्थित ‘न्यू लिटिल फ्लावर चिल्डै्रन कान्वैंट स्कूल’ के लिए निकल पड़ी. 21 वर्षीया संगीता के पिता परमात्मानंद यादव मूलरूप से बलिया जिला के थाना बैरिया के चांदपुर गांव के रहने वाले थे. उन्हें 1982 में जिला मऊ के रतनपुरा (पहसा) स्थित नेहरू इंटर कालेज में अध्यापक की नौकरी मिली तो वह बलिया से मऊ आ गए. वह हाईस्कूल में गणित और विज्ञान पढ़ाते थे. अध्यापक की नौकरी मिलने के कुछ दिनों बाद ही वह अपनी पत्नी शांति को ले आए और रतनपुरा के बिंदु निवास में किराए का मकान ले कर रहने लगे थे.

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