MP News: मुकेश रिश्तेनातों को भूल कर अपनी ही सगी बहन पूजा को एकतरफा प्यार करने लगा था. पूजा को उस की हकीकत पता चली तो उसे दुत्कार कर वह उस से कन्नी काटने लगी. उसे क्या पता था कि भाई कसाई भी बन सकता है. एएसआई के.के. दुबे अपनी पत्नी माया व कुछ रिश्तेदारों के साथ शाम लगभग 5 बजे अपने क्वार्टर पहुंचे. उन का क्वार्टर थाना रांझी के प्रांगण में था. दरवाजा खुलवाने के लिए उन्होंने अपनी बेटी पूजा को आवाज दी. लेकिन घर के अंदर से न तो कोई जवाब मिला और न कोई हलचल ही हुई. वह पूजा को अकेली ही छोड़ कर गए थे, इसलिए सोचा कि वह सो रही होगी. उसे जगाने के लिए उन्होंने जोरजोर से दरवाजा पीटा, साथ ही उस का नाम ले कर आवाजें दीं.

क्वार्टर में जाने के लिए एक दरवाजा पीछे से भी था. जब आवाजें देने के बाद भी पूजा ने दरवाजा नहीं खेला तो के.के. दुबे क्वार्टर के पीछे गए. पिछला दरवाजा खुला देख कर उन्हें मामला कुछ गड़बड़ लगा. वह दबे पांव खुले दरवाजे के अंदर घुस कर कमरे में पहुंचे तो फर्श पर पूजा को लहूलुहान अवस्था में देख कर अवाक रह गए. आंखों से आंसू टपकने लगे. जब तक वह कमरे से बाहर निकले, तब तक पत्नी और रिश्तेदार भी पीछे वाले दरवाजे की तरफ आ गए थे. पति की आंखों में आंसू देख कर माया समझ गई कि कुछ न कुछ गड़बड़ है. उन्होंने पति से पूजा के बारे में पूछा तो उन की कुछ भी बताने की हिम्मत नहीं हुई और वह जोरजोर से रोने लगे. यह देख कर माया भी घबरा गई. वह तुरंत कमरे में गई. उस के पीछेपीछे रिश्तेदार भी पहुंच गए.

उन के क्वार्टर से थाने का दफ्तर करीब 100 मीटर दूर था, इसलिए रोने की आवाजें दफ्तर तक पहुंच गईं. रोनेधोने की आवाज सुन कर थानाप्रभारी अनिल सिंह मौर्य के.के. दुबे के क्वार्टर पर पहुंच गए. उन्होंने जब सुना कि दुबे की बेटी की हत्या कर दी गई है तो उन के भी होश उड़ गए. कमरे का मुआयना करने के बाद उन्होंने अपने अधिकारियों को भी घटना से अवगत करा दिया. एएसआई की बेटी की हत्या थाना प्रांगण स्थित उन के क्वार्टर में हुई थी, इसलिए यह खबर हैरान कर देने वाली थी. सूचना पा कर डीएम एस.एन. रूपला, एसपी हरिनारायणचारी मिश्रा, एएसपी अमरेंद्र सिंह, एसपी (सिटी) जे.पी. मिश्रा, एसपी सिटी (ओमती) आजम खान भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने फोरेंसिक और डाग स्क्वायड टीम को भी मौके पर बुला लिया.

पूजा की लाश के पास ही एक टेप कटर और एक ईअर फोन पड़ा था. टेप कटर पर खून के धब्बे लगे थे. फोरेंसिक एक्सपर्ट ने टेप कटर और अन्य सामानों से फिंगर प्रिंट इकट्ठे किए. खोजी कुत्ता लाश सूंघ कर दरवाजे के पास जा कर रुक गया. उस से भी पुलिस को कोई खास सहायता नहीं मिली. बाद में पुलिस ने मौके से सुबूत जब्त कर लिए. पुलिस अधिकारियों ने लाश का मुआयना किया तो उस की गरदन पर 3 घाव थे और उस की दोनों कलाइयों की नसें कटी हुई थी. छानबीन के बाद पुलिस ने मृतका पूजा की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल जबलपुर भेज दी.

श्वांस नली और दोनों कलाइयों की नसें कटी होने की वजह से कुछ पुलिस वाले इसे आत्महत्या का मामला मान रहे थे. जब कोई पढ़ालिखा व्यक्ति आत्महत्या करता है तो वह सुसाइड नोट लिख कर ऐसी जगह रख देता है, जिस पर सभी की नजर पड़े. पुलिस ने पूरा कमरा छान मारा, लेकिन कहीं भी सुसाइड नोट नहीं मिला. थानाप्रभारी अनिल सिंह मौर्य को यह मामला आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का लग रहा था. इस की वजह यह थी कि कोई भी व्यक्ति धारदार हथियार से अपना गला नहीं काट सकता. पूजा के गले पर तो कटने के 3 निशान थे. इस के अलावा उस की कलाइयों की नसें भी काटी थीं.

उन्हें लग रहा था कि हत्यारे ने इस मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की है. घर का कोई सामान भी चोरी नहीं हुआ था. इस से अनुमान लगाया गया कि हत्यारे का मकसद केवल पूजा की हत्या करना था. हत्यारा कौन हो सकता है, इस का पता लगाने के लिए उन्होंने मृतका के पिता एएसआई के.के. दुबे से बात की. के.के. दुबे ने बताया कि उन की 5 बेटियां हैं, जिस में से 4 बेटियों की वह शादी कर चुके हैं. शादी के लिए सब से छोटी बेटी पूजा दुबे ही रह गई थी. वह एमए की पढ़ाई कर रही थी. थाने के सरकारी क्वार्टर में वह पत्नी माया दुबे और छोटी बेटी पूजा के साथ रहते थे. चूंकि पूजा भी शादी योग्य हो चुकी थी.

उस की पढ़ाई भी पूरी होने वाली थी इसलिए उन्होंने उस की शादी पनानगर के एक अच्छे परिवार के लड़के से तय कर दी थी. फरवरी, 2015 में उस की शादी होनी थी. लेकिन इस से पहले ही यह घटना घट गई. बतातेबताते दुबेजी की आंखें भर आईं. थानाप्रभारी ने उन्हें ढांढस बंधाया तो के.के. दुबे ने आगे बताया कि 29 जनवरी, 2015 को उन की सुसराल बूढ़ानगर में तेरहवीं का कार्यक्रम था. उस में भोपाल के रहने वाले उन के साढ़ू मुनेंद्र उपाध्याय को भी शामिल होना था. इसलिए 28 जनवरी को वह अपने बच्चों के साथ हमारे क्वार्टर पर आ गए थे. यहीं से हम सब 29 जनवरी को साढ़े 11 बजे बूढ़ानगर के लिए निकल गए. पूजा से हम ने चलने को कहा तो उस ने पढ़ाई की वजह से जाने से मना कर दिया. क्वार्टर थाने के प्रांगण में था, इसलिए उस के घर रुकने पर वह निश्चिंत थे.

दुबे के अनुसार तेरहवीं का कार्यक्रम खत्म होने के बाद उन्होंने रांझी के लिए वापसी की. शाम करीब 5 बजे वह अपने क्वार्टर पर आए. यहां आ कर दरवाजा खुलवाने के लिए उन्होंने पूजा को कई आवाजें दीं और दरवाजा खटखटाया. लेकिन घर के अंदर से न तो पूजा की कोई आवाज आई और न ही कोई हलचल सुनाई दी. तब वह पीछे के दरवाजे पर पहुंचे. पीछे वाला दरवाजा खुला पड़ा था. उन्होंने कमरे में जा कर देखा तो बैड के करीब फर्श पर पूजा की लहूलुहान लाश पड़ी थी.

के.के. दुबे ने बताया कि पूजा आत्महत्या नहीं कर सकती, क्योंकि वह बहुत हिम्मत वाली लड़की थी. पढ़नेलिखने में भी वह तेज थी. शादी तय हो जाने के बाद से वह काफी खुश थी. जब थानाप्रभारी ने उन से किसी पर शक वगैरह होने की बात पूछी तो उन्होंने अपने साढू मुनेंद्र के बेटे मुकेश उपाध्याय पर हल्का शक जाहिर किया. उन्होंने बताया कि शहपुरा और जबलपुर के थानों में तैनाती के दौरान मुकेश ने उन के यहां कुछ ज्यादा आनाजाना कर दिया था. उस दौरान उस ने पूजा के साथ कुछ ऐसी हरकतें कीं, जो बहनभाई के संबंधों में नहीं होनी चाहिए थीं. पूजा ने जब यह बात उन्हें बताई थी तो वह उस के साथ उपेक्षा भरा बर्ताव कर के उस से बेरुखी से पेश आने लगे. इस के बाद मुकेश पूजा के मोबाइल पर ऐसी बातें करने लगा जो पूजा को पसंद नहीं थीं.

मुकेश के बारबार फोन करने से पूजा परेशान हो उठी. उस ने मुकेश को डांटा और उसे फोन न करने की सख्त हिदायत दी. लेकिन मुकेश ने अपनी हरकतें बंद नहीं कीं. परेशान हो कर अंत में उन्होंने उस के मातापिता से शिकायत की. इस से वह और उग्र हो गया और फोन बदलबदल कर पूजा को धमकियां देने लगा. इसी दौरान दिसंबर, 2014 में उन्होंने पूजा की शादी तय कर दी थी. बाद में जनवरी, 2015 के प्रथम सप्ताह में उन्होंने पूजा की मंगनी भी कर दी थी. जब इस बात की जानकारी मुकेश को हुई तो वह 14 जनवरी को भोपाल से जबलपुर आ गया. वह घर न आ कर सीधे पूजा के कोचिंग सेंटर के बाहर पहुंच गया. जैसे ही वह कोचिंग सेंटर से बाहर निकली तो रास्ते में उस ने पूजा को रोक लिया और उस से विवाह करने की जिद करने लगा.

पूजा ने उसे झिड़क दिया और घर आ कर अपनी मां को मुकेश की हरकतों के बार में बताया. मुकेश की पागलपन की इन हरकतों से वे लोग बेहद परेशान थे, लेकिन लोकलाज के कारण चुप थे. मौसेरे भाई की एकतरफा प्यार की कहानी सुन कर थानाप्रभारी अनिल सिंह मौर्य ने मृतका पूजा व मुकेश के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई और मुकेश के नंबर को सर्विलांस पर लगा कर केस के खुलासे की कोशिश शुरू कर दी. मुकेश की काल डिटेल्स की समीक्षा से पता चला कि घटना के दौरान उस के फोन की लोकेशन जबलपुर और थाना रांझी के टावरों के पास थी. इस से पुलिस का शक मुकेश पर और गहरा गया.

थानाप्रभारी अनिल मौर्य ने दलबल के साथ पहली फरवरी, 2015 को कोहेफिजा, भोपाल स्थित मुकेश के घर छापा मारा. मुकेश घर पर ही मिल गया. तलाशी लेने पर उस के घर में खून लगी जैकेट मिली. वह पुलिस ने बरामद कर ली. पुलिस ने उसी समय उसे हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए थाना रांझी ले आई. थाने में मुकेश से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह पुलिस के सामने ज्यादा देर तक नहीं टिक सका. उस ने स्वीकार कर लिया कि पूजा की हत्या उसी ने की थी. उस ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, इस प्रकार निकली.

मुकेश मध्य प्रदेश के जिला भोपाल के कस्बा कोहेफिजा के रहने वाले मुनेंद्र उपाध्याय का बेटा था. मुनेंद्र उपाध्याय प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. मुकेश गलत साथियों की संगत में पड़ जाने की वजह से इंटरमीडिएट से आगे की पढ़ाई नहीं कर सका. वह दिन भर आवारागर्दी करता. मातापिता ने उसे बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं सुधरा. करीब 7 साल पहले की बात है. मुकेश पहली बार परिवार वालों के साथ पूजा के घर गया था. जब उस ने पहली बार पूजा को देखा तो वह उसे भा गई. उस की सुंदरता के आकर्षण में वह ऐसा डूबा कि उस का दीवाना हो गया. मुकेश चूंकि पूजा का मौसेरा भाई था, इसलिए वह उस से घुलमिल कर बातें करती थी. पूजा के इसी अपनत्व भरे व्यवहार को मुकेश पूजा की चाहत समझ बैठा. इस तरह उस के दिल में पूजा के प्रति एकतरफा प्यार उमड़ने लगा.

इस के बाद वह अकसर कोई न कोई बहाना बना कर भोपाल से जबलपुर स्थित पूजा के घर आनेजाने लगा. बहन का बेटा होने की वजह से पूजा की मां माया उसे बड़े प्यारदुलार से रखती थी. मानसम्मान पा कर मुकेश अकसर पूजा के घर आने लगा. वह वहां कईकई दिन रुकता था. मुकेश की नजरें पूजा पर ही लगी रहती थीं, इसलिए वह जब भी वहां आता, पूजा के आसपास ही मंडराता रहता था. चूंकि मुकेश सगा रिश्तेदार था, इसलिए परिवार वाले उस पर किसी तरह का शक नहीं करते थे. धीरेधीरे वह पूजा के साथ अजीब तरह की हरकतें करने लगा. फिर भी पूजा मुकेश के अटपटे व्यवहार को उस का भोलापन मान कर नजरअंदाज करती रही. इसे मुकेश पूजा के प्यार करने की मूक सहमति समझने लगा.

समय के साथ मुकेश का प्यार विकृत हो कर भयावह होता जा रहा था. वहीं दूसरी ओर पूजा के दिल में मुकेश के प्रति भाई का प्यार पवित्र और सामान्य स्थिति में था. मुकेश एकतरफा प्यार में अंधा होता जा रहा था. इतना ही नहीं, वह गलतफहमी में पूजा को अपना जीवनसाथी बनाने के सतरंगी सपने देखने लगा. समय गुजरता गया. 6 साल कब गुजर गए, पता तक नहीं चल पाया. इधर पूजा एमए कर रही थी. शादी योग्य समझ कर उस के घर वालों ने उस का विवाह तय कर दिया. यह खबर सुन कर मुकेश की स्थिति कटे हुए वृक्ष जैसी हो गई. वह कई बार पूजा के घर बहाना बना कर आया, लेकिन समय न पा कर मुकेश पूजा से अपने दिल की बात नहीं कह पाया.

जब मुकेश को पता चला कि पूजा की मंगनी नए साल के पहले सप्ताह में होने वाली है तो वह विचलित हो उठा. उस ने मोबाइल से फोन कर के पूजा से पहली बार प्यार का इजहार करते हुए कहा, ‘‘पूजा, मैं तुम से बेहद प्यार करता हूं. मैं तुम से विवाह करना चाहता हूं. अगर तुम ने मुझ से विवाह न किया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा.’’

‘‘मुकेश, यह तुम क्या कह रहे हो. लगता है तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है. तुम मेरे मौसेरे भाई हो. आइंदा ऐसी गंदी सोच वाली बात मुझ से न करना.’’ डांटते हुए पूजा बोली.

‘‘पूजा, तुम अच्छी तरह सुन लो कि मैं तुम्हें जान से ज्यादा चाहता हूं और तुम्हें अपना मान चुका हूं. मैं ने तय कर लिया है कि शादी तुम से ही करूंगा. अगर तुम ने मुझे धोखा दिया तो समझ लो परिणाम गंभीर होंगे.’’ चेतावनी देते हुए मुकेश बोला, ‘‘यह याद रखो पूजा, अगर तुम मेरी न हुई तो मैं तुम्हें किसी और की भी नहीं बनने दूंगा. भले ही नतीजा कुछ भी हो.’’

‘‘मुकेश भइया तुम पागल हो चुके हो. कहीं भाईबहन में शादी होती है?’’ कह कर पूजा ने फोन काट दिया.

दूसरी तरफ मुकेश पूजा की बेरुखी को देख कर गहरे तनाव में आ गया. उसे पूरी रात नींद नहीं आई. उस के मनमस्तिष्क में पूजा की ही तस्वीर घूमती रही. सुबह उठा तो उस की आंखें सूजी हुई थीं. तनाव से वह बेहद खामोश एवं गंभीर हो गया. मुकेश की खामोशी को घरपरिवार वाले समझ नहीं पा रहे थे. वह अकसर गुमशुम रहने लगा. उधर मुकेश की बहकीबहकी बातें सुन कर पूजा बहुत परेशान हो उठी. उस ने मुकेश के मोबाइल की काल को रिसीव करना बंद कर दिया, जिस से मुकेश और बेचैन हो गया. पूजा की मंगनी होने की बात सुन कर मुकेश 14 जनवरी, 2015 को भोपाल से जबलपुर आ गया और जब पूजा अपने कोचिंग सेंटर से बाहर निकली तो उस ने पूजा को रोक लिया.

उस ने पूजा के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘पूजा, मैं तुम्हें जान से ज्यादा चाहता हूं. तुम किसी और से विवाह न कर के मुझ से कर लो. हम दोनों के बीच जो भी रोड़े आएंगे, हम उन से निपट लेंगे. लेकिन तुम मेरी चाहत और प्यार को धोखा मत दो.’’

‘‘मुकेश, मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ रही हूं, लेकिन हम दोनों के बीच भाईबहन का पवित्र रिश्ता है. बेहतर यही है कि तुम होश में आ जाओ. अगर तुम मुझे ज्यादा परेशान करोगे तो मैं तुम्हारी शिकायत मौसाजी से कर दूंगी.’’ पूजा उसे सख्त हिदायत देते हुए बोली. घर लौट कर पूजा ने यह बात अपनी मां माया दुबे को बताई तो उन्होंने उसी समय अपनी बहन और बहनोई को फोन कर के उन से मुकेश की शिकायत कर दी. उस ने कहा कि मुकेश को समझाओ. उस की हरकतों से पूजा की शादी में व्यवधान पडे़गा और अगर शादी के बाद किसी तरह यह बात उस के ससुराल वालों को मालूम हो गई तो उस का पारिवारिक जीवन नरक हो जाएगा.

मुकेश के घर वालों ने उसे डांटा. इस से वह आगबबूला हो गया. उस ने पूजा की हत्या करने की ठान ली. संयोग से मुकेश को पता चला कि 29 जनवरी, 2015 को उस के मातापिता मौसामौसी के साथ बूढ़ानगर स्थित ननिहाल में तेरहवीं कार्यक्रम में जाएंगे. पूजा की हत्या करने का उस के लिए यह अच्छा मौका था. 28 जरवरी, 2015 को मुकेश के मातापिता भोपाल से पूजा के घर के लिए चल दिए. मुकेश भी उन्हीं के पीछेपीछे रवाना हो गया. उसी दिन देर रात वे लोग पूजा के घर पहुंच गए. जबकि मुकेश जबलपुर स्टेशन पर पहुंच गया. अपनी योजना के मुताबिक वह पूरी रात स्टेशन पर ही रहा. 29 जनवरी की सुबह 10 बजे मुकेश रांझी पहुंच गया और थाना रांझी से कुछ दूर खड़े हो कर अपने और पूजा के मातापिता के घर से निकलने का इंतजार करने लगा.

वे लोग साढे़ 11 बजे के लगभग थाने के क्वार्टर के बाहर आ गए तो कुछ देर बाद वह पूजा के घर पहुंच गया. उन के जाने के बाद उस ने निश्चिंत हो कर दरवाजा खटखटाया. जैसे ही पूजा ने दरवाजा खोला, वह अंदर घुस गया. फुरती से अंदर घुस कर उस ने दरवाजा बंद कर लिया. फिर वह पूजा को पकड़ कर पीछे वाले कमरे में ले गया और उस से शादी करने के लिए उस पर घर से भाग चलने का दबाव बनाने लगा. पूजा मुकेश पर बिगड़ी और पिता को उस की बातें बताने की धमकी दे कर बैड पर पड़े अपना मोबाइल उठाने के लिए लपकी.

पूजा की हरकत देख कर मुकेश ने जेब से टेप कटर निकाला और पूजा की गरदन को 3 बार रेत दिया. वह लहूलुहान हो कर फर्श पर गिर गई. उस के बाद पूजा की हत्या को आत्महत्या के रूप में दर्शाने के लिए उस ने उस के दोनों हाथों की कलाई की नसों को काट दिया और कमरे में उसे तड़पता छोड़ कर चुपचाप पीछे वाले दरवाजे से निकल गया. उस की जैकेट पर खून के छींटे आ गए थे, इसलिए उस ने जैकेट उतार कर हाथ में पकड़ ली थी. फिर वह अपने घर भोपाल आ गया. मुकेश ने थानाप्रभारी अनिल सिंह मौर्य को बताया कि पहले पूजा भी उसे खूब चाहती थी. जब भी उस से मिलताजुलता था, वह उस से बड़े प्यार से बातें करती थी.

लेकिन शादी तय हो जाने के बाद वह पूरी तरह बदल गई और उस से  नफरत करने लगी थी. उस ने पूजा को अपने साथ शादी करने के लिए बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं मानी तो मजबूर हो कर उस ने उस की हत्या कर डाली. मुकेश से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे भादंवि की धारा 302, 450 के तहत गिरफ्तार कर 2 फरवरी, 2015 को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल जबलपुर भेज दिया. एसपी हरिनारायणचारी मिश्रा ने इस मामले का खुलासा करने वाली टीम को बधाई देते हुए उन्हें पुरस्कृत किया. MP News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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