रामचंद्र छाबड़ा का गाय भैंस खरीद फरोख्त का कारोबार था. 70 वर्षीय रामचंद्र यह कारोबार पिछले 40 वर्षों से कर रहे थे. उम्र बढ़ने के साथ जब शरीर कमजोर होने लगा तो उन्होंने अपने भतीजे कुलदीप छाबड़ा को अपने कारोबार का साझीदार बना लिया.

दोनों मिल कर यह धंधा करने लगे. रामचंद्र छाबड़ा  जालंधर शहर के न्यू शीतल नगर में रहते थे जबकि उन का भतीजा कुलदीप वहां से कुछ दूर स्थित डीएवी कालेज के सामने स्थित फ्रैंड्स कालोनी में रहता था.

तायाभतीजे दोनों गांवगांव घूम कर अच्छी नस्ल के सस्ते पशु खरीदते थे और फिर उन्हें अपनी डेयरी में कुछ दिन रखने के बाद महंगे दामों पर बेच देते थे. इस काम में उन्हें अच्छाखासा मुनाफा हो जाता था. उन्होंने लिदडा गांव में दूध की एक डेयरी भी बना रखी थी. खरीदा हुआ पशु जब तक बिक नहीं जाता था, उसे डेयरी में अन्य पशुओं के साथ रखा जाता था. रामचंद्र की डेयरी का दूध पूरे शहर में सप्लाई होता था.

पशुओं की खरीदफरोख्त का काम अधिकतर रामचंद्र ही संभालते थे जबकि डेयरी व अन्य लेनदेन के मामले कुलदीप देखा करता था. इन सब कामों के अलावा रामचंद्र ने अपना लाखों रुपया जरूरतमंद लोगों को मामूली ब्याज पर भी दे रखा था, जिस की वसूली के लिए वे गांव गांव जाया करते थे.

4 अक्तूबर, 2018 की सुबह करीब 11 बजे रामचंद्र अपने भतीजे कुलदीप को यह बता कर घर से निकले कि वह पैसों की वसूली के लिए जा रहे हैं और दोपहर तक लौट आएंगे. वह अपनी स्कूटी नंबर पीबी 08 डीएच-3465 पर गए थे. लेकिन वह देर रात तक घर नहीं लौटे. उन का फोन नंबर मिलाया तो वह भी बंद था.

उन की स्कूटी का भी कोई पता नहीं चला. ऐसे में कुलदीप और परिवार के अन्य लोगों का चिंतित होना लाजमी था. कुलदीप और परिवार के लोग उन्हें रात में ही ढूंढने के लिए निकल पड़े. पूरी रात और अगला दिन तलाश करने पर भी रामचंद्र का कहीं कोई पता नहीं चला.

रामचंद्र को कहां ढूंढा जाए, परिजनों के सामने यह बड़ी समस्या थी. रामचंद्र को किस गांव के किस आदमी से पैसे लेने थे, यह बात कुलदीप को भी पता नहीं थी. काफी तलाश करने के बाद भी जब रामचंद्र के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो उन के पोते संजय छाबड़ा ने देर रात थाना डिविजन-1 में रामचंद्र की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करवा दी.

रामचंद्र मिलनसार और समाजसेवी इंसान थे. उन की पुलिस प्रशासन और शहर में काफी इज्जत थी, सो पुलिस बड़ी तत्परता से उन की तलाश में जुट गई. पुलिस के साथसाथ रामचंद्र के भाईभतीजे और पोते भी अपने स्तर पर उन की तलाश में जुटे थे. उधार की डायरी से कुछ लोगों के नाम देख कर उन के गांव जा कर भी पता किया गया, पर कोई सुराग नहीं मिला.

उधार की डायरी में एक नाम रणजीत कौर का भी था, जो पतारा के गांव जोहला की रहने वाली थी. रामचंद्र को रणजीत कौर से करीब 75 हजार रुपए लेने थे, जिन्हें देने में वह आनाकानी कर रही थी.

कुलदीप ने रणजीत कौर के गांव जा कर उस से भी रामचंद्र के बारे में पता किया, पर रणजीत कौर ने साफ कह दिया कि रामचंद्र उस के यहां नहीं आए थे.

कुलदीप को उस की बातें संदेहास्पद लगीं. बहरहाल उस रात कुलदीप और संजय अपने घर वापिस लौट आए. लेकिन अगली सुबह वे दोबारा जोहला गांव गए तो गांव में गुरुद्वारा साहेब के पास एक किराने की दुकान के पास उन्हें रामचंद्र की स्कूटी लावारिस हालत में खड़ी मिल गई. पास में ही रणजीत कौर का मकान था.

अब इस बात में कोई संदेह नहीं रह गया था कि रणजीत कौर ने उन से झूठ बोला था.  रामचंद्र अवश्य ही रणजीत कौर के पास आए थे. उस ने झूठ क्यों बोला इस का पता करने के लिए कुलदीप और संजय उस के घर पहुंचे और रामचंद्र के बारे में पूछा. पर इस बार रणजीत कौर उन के साथ बदतमीजी से पेश आई. रणजीत कौर ने उन से यह भी कहा कि रामचंद्र का उस के पास कोई पैसा नहीं है. उस ने सारे पैसे चुका दिए हैं.

कुलदीप ने जब जोहला गांव के कुछ लोगों से रामचंद्र के बारे में पता किया तो मालूम हुआ कि रामचंद्र को कल दोपहर में रणजीत कौर के घर देखा गया था. उस के बाद उन की स्कूटी गुरुद्वारे के पास खड़ी मिली थी. अब यह बात पक्के तौर पर साबित हो गई थी कि रामचंद्र रणजीत कौर के घर ही अपने पैसे लेने आए थे और वहीं से वह गायब हो गए थे.

जबकि रणजीत कौर इस मामले में कुछ भी बताने को तैयार नहीं थी. अत: कुलदीप ने और देर करना उचित नहीं समझा और जालंधर देहात के थाना पतारा में जा कर एसओ सतपाल सिंह सिद्धू को पूरी बात बताई. साथ ही शंका भी व्यक्त की कि हो न हो रणजीत कौर ने ही रुपयों की खातिर उस के ताया रामचंद्र को कहीं गायब करा दिया हो.

कुलदीप की शिकायत के बाद सतपाल सिंह ने एसआई मेजर सिंह, सुखराज सिंह, हवलदार मनोहर लाल, कांस्टेबल जसपाल सिंह, जोबन, प्रीत सिंह और दीपक कुमार की एक टीम बना कर रामचंद्र की तलाश में भेज दी. वह स्वयं रणजीत कौर से पूछताछ करने के लिए उस के गांव पहुंचे.

हर बार की तरह इस बार भी रणजीत कौर ने यही जवाब दिया कि रामचंद्र उस के घर नहीं आए थे. इस पर एसआई सतपाल सिंह ने रामचंद्र के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर चेक करवाई तो उन की लास्ट लोकेशन जोहला गांव में रणजीत कौर के घर के आसपास की मिली.

पुलिस के सामने यह एक बड़ी समस्या थी कि रणजीत कौर रामचंद्र के वहां आने की बात से साफ इनकार कर रही थी. पुलिस ने रंजीत कौर के घर के पास वाली किराने की दुकान और उस के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवा कर चैक की.

फुटेज में रामचंद्र रणजीत कौर के साथ उस के घर के अंदर जाते हुए साफसाफ दिखाई दे रहे थे. वह घर के अंदर तो गए थे पर बाहर लौट कर नहीं आए थे. अब रणजीत कौर के मुकरने का सवाल ही नहीं था, पर फिर भी वह अपनी इस बात पर डटी रही कि रामचंद्र उस के घर नहीं आए थे.

आखिर मजबूरन पुलिस रणजीत कौर को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. थाने पहुंच कर लेडी हवलदार सुरजीत कौर ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो रणजीत कौर टूट गई. उस ने बताया कि रामचंद्र की हत्या उस ने अपने एक साथी मनजिंदर सिंह के साथ मिल कर की थी.

रामचंद्र की हत्या करने के बाद उस की लाश को जला दिया गया था. ताकि कोई सबूत बाकी ना बचे. रणजीत कौर ने हत्या में साथ देने वाले जिस दूसरे आरोपी का नाम बताया था, वह पंजाब पुलिस का सस्पैंड कांस्टेबल मनजिंदर सिंह था.

मनजिंदर सिंह साल 2012 में बतौर कांस्टेबल पंजाब पुलिस में भरती हुआ था और उस की पोस्टिंग देहात क्षेत्र के थाने में थी. लेकिन कुछ महीने पहले किसी आपराधिक मामले में उस पर केस दर्ज हो जाने की वजह से उसे नौकरी से सस्पैंड कर दिया गया था. तब से वह सस्पैंड ही चल रहा था.

मनजिंदर तरनतारन का रहने वाला था और रणजीत कौर के संपर्क में था. कुछ समय पहले वह उसी के घर के पास किराए पर रह चुका था. अब तक की जांच में यह बात सामने आई थी कि रामचंद्र ने रणजीत कौर को पशु बेचे थे, जिस के 75 हजार रुपए रणजीत कौर पर उधार थे.

काफी दिन बाद भी जब रुपए नहीं मिले तो वह 4 अक्तूबर को रणजीत कौर के घर पहुंचे. उस ने रुपए देने में आनाकानी शुरू कर दी. बाद में रणजीत कौर ने रामचंद्र को अपने घर के अंदर बुला लिया. इस के बाद उस ने अपने पड़ोस में रहने वाले मनजिंदर को बुलाया और दोनों ने मिल कर रामचंद्र की गला दबा कर हत्या कर दी.

हत्या करने के बाद उन के शव को घर की तीसरी मंजिल पर ले जाया गया. वहां शव को एक चारपाई पर रख कर ऊपर से कुछ कपड़े डाले और जला दिया और राख अपने खेतों में बिखेर दी थी. अधजले शव को वहीं छत पर पड़ी हुई ईंटों के पीछे छिपा दिया गया.

रणजीत कौर के अनुसार मनजिंदर सिंह की यह योजना थी कि बाद में मौका देख कर वह शव को वहां से निकाल कर कहीं ले जा कर खुर्दबुर्द कर देंगे. रणजीत कौर की निशानदेही पर पुलिस ने अधजला शव भी बरामद करा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और उस का डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल सुरक्षित रखवा लिए. इस के अलावा पुलिस ने सबूत के तौर पर अधजले कपड़े, अधजली लकडि़यां भी बरामद कर लीं.

रामचंद्र की जेब में उन के कारोबार से संबंधित एक पाकेट डायरी हमेशा रहती थी. वह डायरी पुलिस बरामद नहीं कर पाई थी. रामचंद्र के भतीजे कुलदीप छाबड़ा ने बताया कि उन के ताया ने कभी अपने पास रुपए रखने के लिए पर्स नहीं रखा था. वह अपने कागज और पैसे तक लिफाफे में रखते थे.

रणजीत कौर की निशानदेही पर उसी दिन गांव से मनजिंदर सिंह को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया.

लेकिन मनजिंदर ने खुद को बेकसूर बताया. पुलिस ने रणजीत कौर और मनजिंदर सिंह को रामचंद की हत्या करने और लाश छिपाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जांच की तो रणजीत कौर के घर के पास लगे सीसीटीवी में मनजिंदर की फोटो नहीं दिखी. पुलिस इस बात से हैरान थी कि दूसरा आरोपी मनजिंदर सिंह कैमरे में कैद होने से कैसे बच गया.

इस पर रणजीत कौर ने बताया कि मनजिंदर सिंह को यह बात पता थी कि घर के सामने सीसीटीवी कैमरा लगा है. इसलिए वह कैमरे से बचने के लिए घर के पीछे की दीवार फांद कर उस के घर में दाखिल हुआ था.

इस मामले में नया मोड़ उस समय आया जब मनजिंदर से अकेले में हत्या के बारे में पूछताछ की गई. उस ने बताया कि घटना वाले दिन वह उस गांव से कोसों दूर कहीं और था. पुलिस ने मनजिंदर के बयान को क्रौस चैक किया तो पता चला कि वह सच कह रहा था.

उस के फोन की लोकेशन भी घटनास्थल से मीलों दूर थी. इसीलिए वह सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में भी नहीं आया था. इतना ही नहीं पुलिस ने रणजीत कौर द्वारा बताई गई उस दीवार को भी देखा, रणजीत कौर के अनुसार जिसे फांद कर मनजिंदर रणजीत कौर के घर आया था. छानबीन में उस की यह बात भी गलत साबित हुई.

पुलिस का मार्गदर्शन करते हुए मनजिंदर सिंह ने बताया कि हो सकता है रामचंद्र की हत्या रणजीत कौर और उस के बेटे हरजाप सिंह उर्फ जापा ने की हो. जापा नशे का आदि था. इस नई जानकारी के साथ पुलिस ने जब रणजीत कौर से दोबारा पूछताछ की तो इस बार वह सब सच बोल गई. उस ने रामचंद्र की हत्या में अपने बेटे का नाम उजागर कर दिया.

पुलिस ने रामचंद्र छाबड़ा हत्याकांड की पुन: जांच की तो पाया कि सस्पेंड सिपाही मनजिंदर सिंह का इस हत्याकांड से कोई लेनादेना नहीं था. इसलिए उसे इस केस से निकाल दिया गया. पता चला कि रणजीत कौर इस मामले में मनजिंदर को फंसा कर अपने बेटे हरजाप को बचाना चाहती थी.

पुलिस जांच में यह भी स्पष्ट हो गया है कि रणजीत कौर का 20 वर्षीय बेटा हरजाप सिंह नशे का आदि था. रणजीत कौर के रामचंद्र के साथ नाजायज संबंध थे, इसीलिए वह उसे रुपया उधार दे दिया करता था.

जांच में पता चला कि घटना वाले दिन 4 अक्तूबर, 2018 को रामचंद्र और रणजीत कौर घर में अकेले थे. ऊपर से अचानक रणजीत कौर का बेटा हरजाप घर आ गया और उस ने अपनी मां को रामचंद्र के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया.

गुस्से में आ कर उस ने लोहे की रौड रामचंद्र के सिर पर दे मारी. रौड के एक ही वार से रामचंद्र खून से लथपथ हो कर जमीन पर गिर पड़े. अपने बेटे को इस मामले में फंसते देख कर रणजीत कौर ने रामचंद्र की गला दबा कर हत्या कर दी.

उस के बाद मांबेटे ने मिल कर रामचंद्र की लाश को तीसरी मंजिल पर ले जा कर चारपाई पर रख दिया. फिर पुराने कपड़ों और लकड़ी के पीढ़े आदि को तोड़ कर चारपाई पर डाला और आग लगा दी. उस की अधजली लाश को मांबेटे ने वहीं छत पर पड़ी ईंटों के बीच छिपा दिया था.

रामचंद्र की लाश का जो हिस्सा पूरी तरह से जल गया था उस की राख और हड्डियां मांबेटे ने एक पौलीथिन थैली में डाल कर खेतों में फेंक दी थी.

नई जांच और रणजीत कौर के इस बयान के आधार पर पुलिस ने 7 अक्तूबर को हरजाप को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर के उसे 2 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया. मांबेटे की निशानदेही पर पुलिस ने लोहे की रौड भी बरामद कर ली. मृतक की डायरी जिसे वह अपनी जेब में रखता था और उन का फोन पुलिस को नहीं मिल सके. आरोपियों ने बताया कि फोन और डायरी भी उन्होंने जला दी थी.

लंबी पूछताछ और पुलिस काररवाई पूरी करने के बाद जब रिमांड अवधि समाप्त हो गई तो मांबेटे को पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से अदालत के आदेश पर पुलिस ने उन्हें जिला जेल भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक किसी की भी जमानत नहीं हुई थी. पुलिस ने जांच के बाद केस से सस्पैंड कांस्टेबल मनजिंदर सिंह का नाम हटा दिया था. पुलिस ने जिस अधजली लाश को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा था, उस की जांच से यह बात स्पष्ट हो गई कि वह शव रामचंद्र का ही था.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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