शादी हमेशा विपरीत लिंगी यानी लड़का या लड़की के बीच होती है. लेकिन 30 मार्च, 2019 को  अमेरिका के टेक्सास (Texas) प्रांत के किलीन शहर में एक ऐसी अनोखी शादी (Gay Couple Wedding) हुई, जिस की खबर सुन कर लोग आश्चर्यचकित रह गए.

पारंपरिक रूप से हुई इस शादी में बैंडबाजा, बारात, मंडप, नाचनागाना, मस्ती, विदाई, तरहतरह के व्यंजन सब कुछ था, लेकिन नहीं थी तो दुलहन. इस शादी में 2 दूल्हे अलगअलग घोडि़यों पर सवार हो कर आए थे. लग रहा था जैसे 2 बारातें हों, लेकिन हकीकत कुछ और ही थी. हकीकत तब सामने आई जब दोनों दूल्हों ने पारंपरिक रस्मों के बाद अग्नि के 7 फेरे लिए. पता चला दोनों ही एकदूसरे के हसबैंड भी हैं और दुलहन भी.

यह अनोखी शादी करने वाले वैभव और पराग (Vaibhav And Parag) एनआरआई हैं. वैभव एक रिसर्चर हैं और पब्लिक हेल्थ इशूज पर काम कर रहे हैं. जबकि पराग यूएस के प्रेसिडेंट ओबामा की एडमिनिस्ट्रैशन टीम के सदस्य रहे  हैं और वर्तमान में वह मास्टरकार्ड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हैं.

दोनों ही न्यूयार्क में रहते हैं. वैभव और पराग दोनों ही उच्च शिक्षित हैं और अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं. जाहिर है उन्हें शादी के लिए अच्छे परिवारों की लड़कियां मिल सकती थीं. लेकिन ऐसी क्या वजह रही जो दोनों ने लड़कियों के बजाए आपस में ही शादी कर ली.

वैभव दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार में पलाबढ़ा था. यहीं पर उस की पढ़ाई हुई. उस के परिवार में कई चाचाचाची, चचेरे भाईबहन वगैरह थे. वैभव दिखने में तो अन्य लड़कों की तरह सामान्य था लेकिन जब वह बड़ा हुआ तो वह खुद को दूसरे लड़कों से अलग महसूस करने लगा.

उस की चाल और बात करने के तरीके को देख कर क्लास के अन्य लड़के उस की मजाक उड़ाते थे. दूसरे लड़के टोंट कसते तो उसे उन पर गुस्सा आता, लेकिन वह चुप रह जाता था. क्लास में हर साल मौनिटर चुने जाते थे. जिस में एक मौनिटर मेल होता था और एक फीमेल.

उस समय वैभव सिर झुका कर बैठा रहता था क्योंकि जब फीमेल मौनिटर को नामिनेट करने की बारी आती तो क्लास के कुछ बच्चे वैभव का नाम ले कर चिल्लाते थे. तभी क्लास के बाकी बच्चे और टीचर हंसने लगते थे. उस समय वैभव की आंखें आंसुओं से भर जाती थीं. जैसे जैसे वैभव की उम्र बढ़ रही थी, उस की चिंता भी बढ़ती जा रहा थी.

ऐसी मनोस्थिति में वैभव ने अपनी पढ़ाई को डिस्टर्ब नहीं होने दिया. वह जब 12 साल का हुआ तो उस का झुकाव लड़कों की तरफ ज्यादा होने लगा. तभी उसे अहसास हुआ कि वह गे है. उस की यह समस्या ऐसी थी जिस के बारे में वह किसी से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. वह बहुत कंफ्यूजन में था.

उस वक्त वैभव को बहुत ज्यादा जानकारी तो नहीं थी लेकिन वह यह बात अच्छी तरह जानता था कि उस की बात को कोई स्वीकार नहीं कर पाएगा. इसलिए शर्म और झिझक की वजह से वह अपनी समस्या को लोगों से छिपाता रहा. एक तरह से वह दोहरी जिंदगी जीता रहा था.

वह लोगों के सामने खुद को सामान्य लड़का दिखाना चाहता था, इसलिए लड़कियों के साथ न चाहते हुए भी दोस्ती करने लगा. वह उन के साथ चैटिंग भी करता यानी वह दोस्तों के सामने हेट्रोसेक्सुअल होने का दिखावा करता. लेकिन अंदर ही अंदर उसे खुद से नफरत होती थी. इस दौरान वह धार्मिक भी हो गया. मंदिर में जा कर वह खुद को नौरमल बनाने की प्रार्थना करता.

वैभव कालेज की पढ़ाई करने के लिए जब बेंगलुरु गया तो वहां कालेज के दोस्त उस से बात करते तो वह झूठ कह देता कि दिल्ली में उस की गर्लफ्रैंड है. ऐसे ही जब वह दिल्ली आता तो दिल्ली के दोस्तों से कह देता कि बेंगलुरु में उस की गर्लफ्रैंड है.

इस तरह वह दोहरी जिंदगी जी रहा था. लेकिन दोस्तों के इस तरह के सवाल उस का पीछा नहीं छोड़ रहे थे कि तुम क्रिकेट क्यों नहीं खेलते. तुम लड़कियों की तरह क्यों चलते हो? क्या तुम मर्दों की तरह लड़ सकते हो?

हालांकि दोस्तों के द्वारा पूछे गए इन सवालों में सच्चाई थी, लेकिन वह अपने अंदर की सच्चाई अपने मातापिता को भी नहीं बता पा रहा था. इस बात को छिपा कर जीना उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था. वैभव ने पराग को पहली बार एक गे प्राइड परेड में डांस करते देखा था. तभी से वह उस से इम्प्रैस हो गया था. इस के बाद उस ने पराग की फेसबुक पर फ्रैंड रिक्वेस्ट का मैसेज भेजा. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती हो गई. पराग यूएस में रहता था.

पराग भी वैभव की तरह गे था. दोनों में फर्क इतना था कि देश के कल्चर और पारिवारिक संस्कारों को देखते हुए वैभव ने अपने गे होने की बात अपने मांबाप तक से नहीं बताई, जबकि यूएस में पलेबढ़े पराग ने यह बात अपने मांबाप से बता दी थी.

वैसे शुरुआत में पराग ने भी वैभव  की तरह दोहरी जिंदगी जी थी. वह भी अपनी सैक्सुअल ओरिएंटेशन लोगों से छिपाता रहा. लेकिन वह चूंकि यूएस कल्चर में बड़ा हुआ था. धीरेधीरे उसे वहां के कल्चर में घुलीमिली गे पुरुर्षों की कहानियां सामने आने लगी थी.

जल्दी ही पराग को यह जानकारी भी मिल गई कि ऐसे लोगों का एक नाम और कम्युनिटी भी है. जब वह कालेज में पहुंचा तो यूएस में गार्डन गे राइट्स मूवमेंट बढ़ने लगा था. सन 1999 में पराग जब कालेज के फाइनल ईयर में था तब उस ने अपने मातापिता को इस बारे में बता दिया था.

बेटे के मुंह से सच्चाई सुन कर वे दोनों जैसे सदमे में आ गए थे. क्योंकि वे लोग किसी अच्छी लड़की से उस की शादी करने के बारे में सोच रहे थे. लेकिन पिता ने बेटे की खुशी पर अपनी सोच थोपना जरूरी नहीं समझा. इसलिए उन्होंने पराग को तुरंत गले लगा लिया.

इतना ही नहीं, उस का उन्होंने हर कदम पर साथ देने का आश्वासन दिया. उन्होंने अपने परिवार और सभी करीबी लोगों को एक लैटर लिखा, जिस में उन्होंने अपने बेटे का यह सच उजागर किया. साथ ही बताया कि उन्हें अपने बेटे पर फख्र है और वह उसे बहुत प्यार करते हैं, पिता का यह सपोर्ट पा कर पराग भी बेहद खुश था.

इधर सोशल साइट पर पराग और वैभव की दोस्ती बढ़ती जा रही थी. दोनों ही एकदूसरे को गहराई से जानना पहचानना चाहते थे. फलस्वरूप दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे. वैभव ने पराग के साथ डेटिंग शुरू कर दी.

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वैभव की जिंदगी में आया पराग

अब तक की बातचीत से वैभव जान गया था कि पराग अपनी सैक्सुअल ओरिएंटेशन को छिपाता नहीं है. अगर उसे पराग के साथ रिश्ता रखना है तो वह छिप कर नहीं रहेगा. वैभव सोशल मीडिया के माध्यम से पराग को अपनी फोटो भी भेज चुका था.

इसी बीच किसी तरह वैभव के घर वालों को पता चल गया कि वैभव का अपने दोस्त पराग के साथ कुछ चल रहा है. घर वालों ने इस बारे में वैभव से कुछ पूछा तो नहीं था लेकिन उन की बातों से वैभव को कुछ भनक  जरूर मिल गई थी. इस बारे में वैभव ने पराग को बताया तो उस ने कहा कि इस से पहले कि पैरेंट्स को यह जानकारी कहीं और से पता चले, बेहतर होगा वे लोग इस हकीकत को तुम्हारे मुंह से सुनें.

पराग और वैभव की पहली मुलाकात काफी इंट्रैस्टिंग थी. बिलकुल किसी बौलीवुड फिल्म की तरह. दरअसल इस बीच वैभव भी अमेरिका चला गया था. 12 जून, 2012 को दोनों वाशिंगटन डीसी के एक थाई रेस्टोरेंट में पहली बार मिले. हालांकि उस रेस्टोरेंट का खाना उन्हें बहुत खराब लगा, लेकिन उन के बीच बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो 6 घंटे चला. दोनों ही एकदूसरे के दीवाने से हो गए. उस दौरान दोनों ने कुछ बौलीवुड गाने भी गुनगुनाए. इस पहली मुलाकात में ही दोनों जान गए थे कि दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हैं.

चूंकि पराग अपने बारे में 10 साल पहले अपने मातापिता को सब कुछ बता चुका था इसलिए उस ने वैभव को कुछ टिप्स दिए. उस ने कहा कि मातापिता को तब बताओ जब वे तुम्हारे किसी एचीवमेंट पर बहुत खुश हों और प्राउड फील कर रहे हों. इस के बाद वैभव मौके का इंतजर करने लगा. यह बात सन 2013 की है.

वैभव ने तय कर लिया कि वह अपने गे होने की बात सन 2013 की गरमियों की छुट्टियों में मांबाप को जरूर बता देगा. इत्तफाक से वैभव को विश्व स्वास्थ्य संगठन  (डब्ल्यूएचओ) के जेनेवा, स्विट्जरलैंड की फैलोशिप के चुन लिया गया.

वैभव के इस अचीवमेंट पर उस के मातापिता और परिवार के अन्य लोग फूले नहीं समा रहे थे. इतना ही नहीं उस के पैरेट्ंस उस से मिलने के लिए स्विटजरलैंड पहुंच गए. वैभव ने उन्हें वहां खूब घुमाया फिराया. लेकिन इस दौरान भी वह मन की बात पेरेंट्स से नहीं कह सका.

मातापिता के सामने आई बेटे की सच्चाई

20 जुलाई, 2013 को वैभव के पैरेंट्स होटल में जब वापस जाने के लिए तैयारी कर रहे थे तब उन्हें जाते देख कर वैभव इमोशनल हो कर रोने लगा. जवान बेटे को इस तरह देख कर पिता ने उस के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है बेटा, तुम परेशान क्यों हो?’’

‘‘पापा मैं कुछ बताना चाहता हूं.’’ वैभव अपनी हथेलियों से आंसू पोंछते हुए बोला.

‘‘बोलो, क्या बात है?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘पापा बात यह है कि मुझे लड़कियां पसंद नही हैं. मैं शादी नहीं करना चाहता.’’ वैभव ने बताया.

‘‘कोई बात नहीं बेटा, बहुत से लोग हैं जो शादी नहीं करते. लेकिन इस में परेशान होने वाली क्या बात है. मन जब नहीं कर रहा तो मत करना शादी.’’ मां ने कहा.

‘‘बात इतनी सी नहीं है मां, दरअसल मैं गे हूं और मुझे लड़के अच्छे लगते हैं. मैं उन की तरफ ही आकर्षित होता हूं.’’ वैभव के मुंह से इतना सुन कर जैसे दोनों के होश उड़ गए. मां वो बुत ही बन गई.

पिता कुछ देर बाद आए. वह बोले, ‘‘बेटा चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा. हम तुम्हें किसी अच्छे डाक्टर को दिखाएंगे.’’

वैभव के मातापिता की चिंता भी जायज थी, क्योंकि वह उन का होनहार बेटा था. वे उस की शादी के तमाम सपने मन में संजोय हुए थे. बेटे को समझाने के मकसद से उस दिन वे लोग होटल से नहीं गए. रात भर वह वैभव को समझाते रहे लेकिन वैभव ने भी उन से इस तरह बात की जैसे कि उसे किसी डाक्टर की जरूरत नहीं है. उस ने उन्हें अपने मन की बातें सहज रूप से बता दीं. वह रात भर नहीं सोए और इसी टौपिक पर बातें करते रहे.

बातचीत के बाद पिता ने वैभव से कहा, ‘‘बतौर पैरेंट्स हम फेल हो गए बेटा.’’

‘‘मैं गे हूं इसलिए.’’ वैभव ने पूछा.

‘‘नहीं, क्योंकि तुम्हें सच बताने में इतने साल लग गए और तुम सब कुछ अकेले ही झेलते रहे.’’ कह कर पिता ने वैभव को सीने से लगाते हुए कहा, ‘‘बेटा, समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं है. यह कुछ ऐसा है जिस पर किसी का जोर नहीं है और न ही इसे बदला जा सकता है. इसलिए तुम्हारी खुशी में मैं तुम्हारे साथ हूं्.’’

पिता की बातों और प्यार से वैभव के सिर से जैसे बहुत बड़ा बोझ उतर गया था. इस के बाद वह एक बच्चे की तरह चैन की नींद सोया. अगले दिन वैभव ने यह जानकारी पराग को दी तो वह भी बहुत खुश हुआ. इस के बाद दोनों ने मुलाकात करने का कार्यक्रम बनाया.

पराग की योजना

सितंबर, 2016 में पराग का 40वां बर्थडे था. बर्थडे पर दोनों ने न्यू मेक्सिको का एक ट्रिप प्लान किया. लेकिन इस ट्रिप पर पराग ने पहले से ही एक सरप्राइज प्लान कर रखा था, उस की जानकारी वैभव को नहीं थी. वह प्लान था वैभव को प्रपोज करने का.

निश्चित तारीख पर वैभव पराग के साथ न्यू मेक्सिको की ट्रिप पर चला गया. उसी दौरान पराग ने फेसबुक लाइव के साथ वैभव के सामने इंगेजमेंट का प्रपोजल रखा. वैभव ने उस का प्रपोजल स्वीकार कर लिया. फिर क्या था उसी समय दोनों ने एकदूसरे को इंगेजमैंट रिंग पहनाई और जीवन भर साथ रहने का कमिटमेंट किया. फेसबुक लाइव के माध्यम से दुनिया के हजारों लोग इस के गवाह बने.

इंगेजमेंट हो जाने के बाद दोनों का मिलने मिलाने का कार्यक्रम चलता रहा. दोनों के घर वालों को उन की शादी पर कोई ऐतराज नहीं था. इसलिए उन्होंने उन से कह दिया कि वे अपनी लाइफ उसी तरह से जिएं जिस में उन्हें खुशी मिलती हो.

पराग और वैभव जिम्मेदार पदों पर नौकरी करते थे और अपनी नौकरी पर पूरा ध्यान दे रहे थे. वैभव ने बताया कि सेक्शन 377 पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला उस जैसे लोगों के लिए ऐतिहासिक था. न्यूयार्क में उस रात वह 2 बजे तक जागा था. जैसे ही फैसला आया. उस की आंखों में खुशी के आंसू आ गए. उसे लगा कि उस के देश ने भी उसे स्वीकार कर लिया है. इस के करीब ढाई साल बाद दोनों ने शादी करने का फैसला लिया.

इस के लिए 30 मार्च, 2019 शादी की तारीख निश्चित कर दी गई. दोनों के घर वाले, दोस्त, रिश्तेदार आदि इस अनोखी शादी में शामिल होने के लिए अमेरिका के किलीन शहर पहुंच गए थे. उन्होंने शादी की सभी तैयारियां कर ली थीं. 29-30 मार्च को 3 मुख्य इवेंट्स रखे गए. पहला संगीत और गरबा का था. मेंहदी के लिए आर्टिस्ट भी बुलवा लिए थे, और बौलीवुड थीम में फोटोशूट का भी इंतजाम कर रखा था.

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हो गई शादी

संगीत कार्यक्रम में परिवार के लोगों और दोस्तों ने डांस परफोमैंस भी दिए जो उन्होंने पहले से ही तैयार कर रखे थे. पराग को सरप्राइज देने के लिए वैभव ने भी बेहतरीन डांस फरफोर्मेंस दिया. अंत में जब ग्रुप परफार्मेंस हुआ तो दोनों के पेरेंट्स भी डांस करने के लिए आ गए. फिर 30 मार्च, 2019 को दोनों की शादी भी पारंपरिक तरीके से हो गई.

इस शादी में पराग और वैभव दूल्हे के रूप में सज कर अलगअलग घोड़े वाले रथ पर सवार हो कर कार्यक्रम स्थल पर विपरीत दिशा से एक साथ पहुंचे.

दूल्हे 2 थे तो बारात भी 2 थीं. कार्यक्रम स्थल पर दोनों की मांओं ने रीतिरिवाज के साथ अपने बेटे और दामाद का तिलक कर आरती उतारी और उन का स्वागत किया. वैसे तो यह शादी पूरे रीतिरिवाज से हुई थी पर इस में इतना फर्क था कि आम शादियां जेंडर स्पेसिफिक होती हैं. लेकिन यहां कुछ रस्में बदल कर जेंडर न्यूट्रल कर दीं. जयमाला भी हुई.

दोनों ने अग्नि के 2-2 फेरे लिए, पहला फेरा प्यार का और दूसरा धर्म का. दुलहन नहीं तो यहां पर पारंपरिक कन्यादान को वरदान में बदल लिया गया. बाद में रिसेप्शन हुआ. उस मौके पर वैभव और पराग ने अपनी पसंद के बौलीवुड गानों पर डांस किया. कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों ने दोनों को आशीर्वाद दिया.

पराग और वैभव का कहना है कि मंडप तक पहुंचने में बड़ी रुकावटों का सामना किया था, खुशकिस्मती से वह उन सब से जीत गए. लेकिन लाखों लेस्बियन, गे, बाई सैक्सुअल और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए दुनियाभर में अभी भी रुकावटें बाकी हैं. इस संसार में हर कोई प्यार का हकदार है तो इन सब के साथ इतनी नाइंसाफी क्यों?

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