चीचली गांव कहने भर को ही भोपाल का हिस्सा है, नहीं तो बैरागढ़ और कोलार इलाके से लगे इस गांव में अब गिनेचुने घर ही बचे हैं. बढ़ते शहरीकरण के चलते चीचली में भी जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं. इसलिए अधिकतर ऊंची जाति वाले लोग यहां की अपनी जमीनें बिल्डर्स को बेच कर कोलार या भोपाल के दूसरे इलाकों में शिफ्ट हो गए हैं.

इन गिनेचुने घरों में से एक घर है विपिन मीणा का. पेशे से इलैक्ट्रिशियन विपिन की कमाई भले ही ज्यादा न थी, लेकिन घर को घर बनाने में जिस संतोष की जरूरत होती है वह जरूर उस के यहां था. विपिन के घर में बूढ़े पिता नारायण मीणा के अलावा मां और पत्नी तृप्ति थी. लेकिन घर में रौनक साढ़े 3 साल के मासूम वरुण से रहती थी. नारायण मीणा वन विभाग से नाकेदार के पद से रिटायर हुए थे और अपनी छोटीमोटी खेती का काम देखते हैं.

इस खुशहाल घर को 14 जुलाई, 2019 को जो नजर लगी, उस से न केवल विपिन के घर में बल्कि पूरे गांव में मातम सा पसर गया. उस दिन शाम को विपिन जब रोजाना की तरह अपने काम से लौटा तो घर पर उस का बेटा वरुण नहीं मिला. उस समय यह कोई खास चिंता वाली बात नहीं थी क्योंकि वरुण घर के बाहर गांव के बच्चों के साथ खेला करता था. कभीकभी बच्चों के खेल तभी खत्म होते थे, जब अंधेरा छाने लगता था.

थोड़ी देर इंतजार के बाद भी वरुण नहीं लौटा तो विपिन ने तृप्ति से उस के बारे में पूछा. जवाब वही मिला जो अकसर ऐसे मौकों पर मिलता है कि खेल रहा होगा यहीं कहीं बाहर, आ जाएगा.

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