मुंबई में ट्रेन से कट कर सुसाइड करने वाले 24 वर्षीय वैभव बुरेंगलु की जेब से मिली परची पर एक कोड लिखा था. उस कोड की जांच की गई तो उस के पीछे छिपी एक 19 वर्षीय युवती वैष्णवी की ऐसी मर्डर मिस्ट्री सामने आई कि…

शाम का वक्त था. मुंबई के जुई नगर रेलवे स्टेशन पर काफी चहलपहल थी. ट्रेनें आतीं, रुकतीं और सवारियां उतरतींचढ़तीं फिर ट्रेन आगे बढ़ जाती. उसी क्रमानुसार जैसे ही रेलवे ट्रैक पर एक लोकल ट्रेन आती दिखाई दी, यात्रियों में हलचल बढ़ गई थी. उस वक्त अधिकांश यात्रियों की निगाहें आती टे्रन पर ही जमी हुई थीं. 

जैसे ही टे्रन प्लेटफार्म पर आ कर रुकी, यात्री उस में चढऩेउतरने के लिए आपाधापी करने लगे थे. तभी उसी भीड़ में से निकल कर एक युवक रेलवे ट्रैक की तरफ बढ़ गया था. जैसे ही ट्रेन प्लेटफार्म से आगे बढ़ी, उस युवक ने चलती टे्रन के आगे छलांग लगा दी. उस के बाद टे्रन आगे बढ़ गई. 

कुछ देर पहले तक जो युवक जिंदा था, अब रेलवे ट्रैक पर उस का शव ही पड़ा था. उस के बाद रेल के पायलट ने इस दुर्घटना की सूचना रेलवे स्टेशन अधिकारी गजेंद्र सिंह को दी.

थोड़ी देर बाद ही घटनास्थल पर रेलवे पुलिस पहुंची और अपनी काररवाई कर इस की सूचना जुई नगर थाने को दी. उस के तुरंत बाद ही वहां पर काफी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई थी. लेकिन लोगों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि युवक ने इस तरह रेल के आगे कूद कर आत्महत्या क्यों की थी. 

पुलिस ने उस युवक की तलाशी ली तो उस की जेब से कुछ पेपरों के साथ कुछ रुपए और एक मोबाइल फोन मिला. उन पेपरों से उस युवक की शिनाख्त भी हो गई थी. मृतक युवक का नाम वैभव बुरुंगले था और वह कलंबोली का रहने वाला था. 

रेलवे स्टेशन अधिकारी गजेंद्र सिंह ने तुरंत ही एक एंबुलेंस को बुलाया, फिर पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश को हौस्पिटल पहुंचाया. चूंकि युवक ने चलती टे्रन के आगे कूद कर आत्महत्या की थी, इसी कारण जीआरपी पुलिस ने वैभव बुरुंगले की मौत के मामले में आत्महत्या का केस दर्ज कर लिया था. यह बात 12 दिसंबर, 2023 की है.

 

पुलिस भी उलझ गई L01, 501 कोड में

मुंबई पुलिस ने उस युवक की जांचपड़ताल की तो उस की जेब से एक परची मिली, जिस पर डेथ डेट और डेथ कोड L01, 501 लिखा हुआ था. उस परची को देख कर पुलिस को लगा कि यह उस का कोई पर्सनल पेपर रहा होगा. उस के बावजूद भी पुलिस ने उस पेपर को संभाल कर रख लिया था. पुलिस ने उस के मोबाइल को औन करने की कोशिश की तो वह खुल गया. युवक ने अपने मोबाइल को आम लोगों की तरह लौक कर के नहीं रखा था. 

पुलिस ने उस मोबाइल से कुछ जानकारी जुटाने के लिए उस की फाइलों को खोल कर देखा तो उस में 2 पेज का एक सुसाइड नोट भी मिला. उस ने पहली 2 लाइनों में अंगरेजी में लिखा था, ÒVaibhav 1998, Vaishnavi 2005. Death reason, Finally we got married in 2023 and we both died accidentally together at the year of 2023. Saddest death ever in history I kill my love and then I finished myself.इस से यह तो साबित हो ही गया था कि यह किसी युवती को प्रेम करता था. युवक ने अपनी प्रेमिका की हत्या करने के बाद ही टे्रन के आगे कूद कर आत्महत्या की थी. लेकिन वह युवती कौन थी और उस ने उस की हत्या कहां पर की थी, यह पुलिस के लिए एक बहुत ही बड़ा सिरदर्द बन कर रह गया था. 

पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि इस मर्डर मिस्ट्री को किस तरह से हल किया जाए. पुलिस इस L01, 501 कोड वर्ड को ले कर कशमकश में उलझ गई.

उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि 12 दिसंबर, 2023 की शाम को ही खारघर थाने में अरुणा नाम की एक महिला ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अरुणा ने पुलिस को तहरीर देते हुए बताया था कि उस की बेटी वैष्णवी एसआईईएस कालेज की डेटा साइंस की छात्रा थी. वह 12 दिसंबर की सुबह 10 बजे सायन से निकली थी, लेकिन घर वापस नहीं लौटी. 

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने खारघर पहुंच कर उस की मां अरुणा से उस के बारे में अधिक जानकारी जुटाई. अरुणा से पूछताछ के दौरान जो जानकारी मिली थी, उस से यह तो पता चल गया था कि मृतक वैभव और गायब युवती वैष्णवी दोनों ही एक साथ पढ़ते थे. 

वैभव ने अपने सुसाइड नोट में उसी वैष्णवी का जिक्र किया था. उस के सुसाइड नोट से यह तो साफ हो गया था कि उस ने पहले वैष्णवी की हत्या की, फिर उस ने रेल के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. लेकिन युवक ने अपनी प्रेमिका वैष्णवी की हत्या कहां पर की थी, उस सुसाइड नोट में कुछ भी नहीं लिखा था.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने खारघर, कलबोली और वाशी रूट तक हर जगह वैष्णवी को खंगाला. लेकिन कहीं भी वह न मिली. उस के बाद पुलिस ने स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला, लेकिन पुलिस को इस मामले में कोई भी सफलता नहीं मिली. पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हरसंभव स्थान पर लोगों से पूछताछ की, पर कहीं से भी कोई जानकारी नहीं मिली. 

वैभव ने आत्महत्या करने से पहले पुलिस के लिए एक कोड वर्ड छोड़ा था, जिस से यह तो तय था कि वैष्णवी के गायब होने में वही कारगर साबित हो सकता है. लेकिन काफी माथापच्ची करने के बाद भी पुलिस कुछ समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उस कोड वर्ड का मतलब क्या है. 

उसी दौरान पुलिस के सामने बौलीवुड फिल्म धमालका एक दृश्य दौडऩे लगा था. जिस में प्रेम चोपड़ा मरने से पहले गोवा में एक शब्द डब्लूके निशान के नीचे एक करोड़ रुपए के खजाने के दबे होने का जिक्र करता है.

 

 

प्रेम चोपड़ा ने उस फिल्म में एक डायलौग भी बोला था कि मरने वाला व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता. लेकिन उस फिल्म और इस केस में अंतर था. इस में वैभव ने जो कोड वर्ड दिया था, उस के नीचे वैष्णवी की लाश दबी हुई थी. वैभव के इस कोड को ले कर मुंबई पुलिस कई दिनों तक यूं ही इधरउधर भटकती रही. लेकिन इस कोड वर्ड की कहीं से भी जानकरी नहीं मिल सकी. 

पुलिस को पहले तो लगा कि कहीं युवक ने पुलिस को यूं ही घुमाने के लिए तो कोड वर्ड नहीं लिखा था. आशंका यह भी लग रही थी कि कहीं वैष्णवी जिंदा तो नहीं. मगर दूसरी ओर यह भी शंका थी कि वैष्णवी अगर जिंदा होती तो अब तक उसे अपने घर वापस आ जाना चाहिए था. 

जब मुंबई पुलिस इस मामले में हर तरफ से हार चुकी तो उस के सामने बड़ा सवाल आ खड़ा हुआ कि अखिरकार इतने घने पहाड़ों और जंगलों में वैष्णवी को कैसे खोजा जाए. उस के बाद भी पुलिस ने इस मामले में दमकल कर्मियों से ले कर डौग स्क्वायड, बीएमसी की सर्च टीम, प्राइवेट रेस्क्यू टीम, सिडको (सिटी ऐंड इंडस्ट्रियल डेलवपमेंट कारपोरेशन औफ महाराष्ट्र लिमिटेड) की टीम व पुलिस की सर्च टीम को वैष्णवी की खोज में लगाया, लेकिन कहीं से भी उस का अतापता नहीं चल सका. 

तब पुलिस ने खारघर की पहाड़ी और जंगलों में सर्च औपरेशन भी चलाया. वहां भी कोई सफलता नहीं मिली. मुंबई पुलिस ने इस मामले को ले कर कई बार अधिकारियों की मीटिंग भी की, लेकिन इस कोड का तोड़ किसी के पास नहीं निकला. 

पुलिस के लिए पहेली बन गया कोड वर्ड

उस के बाद नवी मुंबई पुलिस की एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट के सीनियर इंसपेक्टर अतुर अहेर के नेतृत्व में एक टीम ने इलाके के चप्पेचप्पे को छान मारा. शव की तलाश में हर जगह ड्रोन भी उड़ाए गए, लेकिन कहीं भी वैष्णवी के शव का पता नहीं लग सका. 

12 दिसंबर से वैष्णवी को ढूंढतेढूंढते पूरा एक महीना होने वाला था. इस मामले में पुलिस ने हर तरीका अपनाया, लेकिन हर तरफ से पुलिस का हाथ खाली निकला. यह मुंबई का पहला केस था, जिस के आगे पुलिस पूरी तरह से निराश हो रही थी. लेकिन नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर मिलिंद भारंबे ऐसे अधिकारी थे, जो इस केस से किसी भी तरह से हार मानने को तैयार नहीं थे. वह इस से पहले मुंबई में ही क्राइम ब्रांच में चीफ के तौर भी काम कर चुके थे. 

पुलिस कमिश्नर मिलिंद भारंबे ने इस केस को ले कर सभी पुलिस अधिकारियों को बुला कर एक मीटिंग की. उसी मीटिंग के दौरान कमिश्नर ने कुछ तेजतर्रार अधिकारियों को ले कर एक टास्क फोर्स बनाई, जिस का काम केवल इसी केस को देखना था. इस टास्क फोर्स की जिम्मेदारी क्राइम बांच के डीसीपी अमित काले को दी गई.

केस को सुलझाने के लिए टास्क फोर्स बनते ही सभी अधिकरियों को अलगअलग काम सौंप दिया था. उस के बाद टास्क फोर्स के सभी अधिकारियों ने संबंधित विभागों से मिलना शुरू किया, लेकिन किसी भी विभाग के पास इस कोड को ले कर कोई जानकारी नहीं थी. 

उस के बाद पुलिस कमिश्नर ने फिर से आदेश दिया कि यह मामला जंगल से जुड़ा है. इस क्षेत्र में दूरदूर तक जंगल और पहाड़ी ही हैं. वन विभाग वाले जंगल में हर जगह गश्त पर घूमते रहते हैं. शायद इस बारे में उन से कोई जानकारी मिल सके. 

इस आदेश के बाद टास्क फोर्स वन विभाग के अधिकारियों से मिली. टास्क फोर्स के सदस्यों ने उन से मिलते ही सारी जानकारी देने के बाद वह पेपर पर लिखा कोड दिखाया तो वहीं से इस केस का पुख्ता क्लू मिल गया. 

वन विभाग अधिकारियों ने कोड को देखते ही बताया कि यह तो जंगल में खड़े पेड़ों की गिनती का कोड नंबर है. यह सुनते ही टास्क फोर्स को लगा कि वह इस केस के बिलकुल ही नजदीक खड़े हैं. उस के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने अपने रजिस्टर निकाल कर उस नंबर की दिशा के हिसाब से जानकारी दी. साथ ही पुलिस टास्क फोर्स का साथ देते हुए वन विभाग अधिकारियों ने उस पेड़ की तलाश शुरू की.

पुलिस कोड वर्ड से पहुंची कंकाल तक

फारेस्ट डिपार्टमेंट के रिकौर्ड के अनुसार यह कोड खारघर से लगभग 6 किलोमीटर दूर कलंबोली इलाके में दिया गया था. उस के बाद टास्क फोर्स वन विभाग अधिकारियों के साथ उस पेड़ के पास पहुंची तो वहीं ग्राउंड की झाडिय़ों में वैष्णवी की लाश के नाम पर अस्थिपंजर ही पड़े मिले. उस के पूरे शरीर को जंगली जानवर खा चुके थे. 

उस के बाद वैष्णवी के घर वालों ने घटनास्थल पर पहुंच कर उस के कपड़ों, कलाई घड़ी और उस के आईडी कार्ड से ही उस की पहचान की थी. तभी पुलिस को दोनों की प्रेम कहानी का पता चला.

लापता वैष्णवी की लाश मिलते ही पुलिस ने राहत की सांस ली. लेकिन हकीकत यह थी कि इस केस ने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को हिला कर रख दिया था. इस सब से बड़े रहस्य की बात यह थी कि वैभव ने वैष्णवी को मारने के बाद भी आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया. उस के बाद फिर क्यों उस की लाश की मिस्ट्री के लिए वह कोड सुसाइड नोट में लिखा. 

वैभव वैष्णवी को बेइंतहा प्यार करता था. उस का प्रूफ पुलिस के हाथ उस के मोबाइल फोन से मिला था. उस ने उस की हत्या करने का काफी पहले ही आसान तरीका ढूंढा था. इस के लिए उस ने कई बार गूगल पर सर्च कर के तरीका भी खोजा.

वैभव के मोबाइल से पुलिस को एक जिप टैग मिला. गूगल में उस की तसवीर भी मिली. उसी के आधार पर उस ने एक जिप टैग खरीदा और उसी से गला दबा कर हत्या की थी. 

अपने सुसाइड नोट में वैभव ने लिखा कि वैष्णवी को ज्यादा तकलीफ न हो, इस के लिए उस का गला घोंटने से पहले उस ने जिप टैग को अपने गले पर आजमाया था. उस की हत्या करने के बाद उस ने लिखा था कि अगले जन्म में हम दोनों साथसाथ रहेंगे. दोनों की यह एक दर्दभरी प्रेम कहानी है.

नवी मुंबई के रायगढ़ (कोलाबा) जिले के अंतर्गत आता है कलंबोली. यह एक परिवहन केंद्र है, जो सायन पनवेल राजमार्ग पर स्थित है. इसी कलंबोली इलाके में रहते थे वैभव बुरेंगलु और वैष्णवी के परिवार. दोनों के परिवार पड़ोस में ही रहते थे. इसी कारण दोनों की पढ़ाई भी शुरू से एक साथ ही हुई थी. 

शुरू से ही दोनों एक साथ खेलेकूदे थे. वैभव बुरेंगलु को किसी वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही रोक देनी पड़ी. जबकि वैष्णवी उस वक्त 12वीं की छात्रा थी. पढ़ाई छोड़ देने के बावजूद वैभव उसे पहले की तरह ही प्यार करता था. यही हाल वैष्णवी का भी था. वह भी उस के बिना एक पल अकेली नहीं रहना चाहती थी. 

बढ़ती उम्र के साथ वैभव और वैष्णवी की दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया था. उस के साथ ही दोनों एकदूसरे के साथ शादी करने का फैसला भी कर चुके थे. लेकिन जैसे ही इस बात की जानकारी वैष्णवी के घर वालों को हुई तो उन्होंने वैष्णवी से वैभव के मिलनेजुलने पर पाबंदी लगा दी थी. क्योंकि उस के घर वाले इस रिश्ते से खुश नहीं थे. 

इस के बावजूद दोनों की मोहब्बत में कोई कमी नहीं आई थी. उस के बाद भी दोनों का प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि वे एकदूसरे के करीब आ गए और घर वालों से चोरीछिपे उन्होंने 2023 में शादी भी कर ली थी. उस के बाद 24 वर्षीय वैभव और 19 वर्षीय वैष्णवी रिलेशनशिप में रहने लगे थे.  

अब से कुछ समय पहले ही वैष्णवी को पता चला कि उस के घर वाले उस के लिए अलग ही रिश्ता ढूंढ रहे हैं. यह जानकारी मिलते ही उसे अपने घर वालों की सोच पर बहुत ही दुख हुआ. तब वैष्णवी ने अपनी मां अरुणा से साफसाफ कह दिया कि वह शादी करेगी तो वैभव के साथ ही करेगी. वह किसी दूसरे लड़के के साथ हरगिज नहीं करेगी. 

वैष्णवी की जिद के आगे अरुणा ने उसे समझाने की कोशिश की, ”बेटी, वे लोग हमारी जातिबिरादरी के नही हैं. जिस के कारण हमारे रिश्तेदार उस के साथ शादी करने के बाद हमारा जीना ही हराम कर देंगे. इसी कारण किसी भी कीमत पर तेरी शादी वैभव के साथ होनी संभव नहीं है.’’

वैभव को वैष्णवी पर क्यों हुआ शक

वैभव की शादी को ले कर उस के घर वालों की भी कुछ ऐसी ही सोच थी. वे भी वैष्णवी के दूसरी बिरादरी का होने के नाते उसे अपने घर की बहू बनाने के लिए राजी नहीं थे. वैभव ने उन्हें समझाने की काफी कोशिश की थी. जबकि उस के घर वालों को दोनों के संबंधों के बारे में काफी पहले से जानकारी थी. फिर भी वह उस की शादी अपनी जाति में ही करना चाहते थे. 

इस बात से वैभव बुरेंगलु काफी परेशान रहता था. लेकिन उस के बाद से वैष्णवी का व्यवहार उस के प्रति कुछ बदल सा गया था. वह उस से पहले की तरह प्यार के साथ बात नहीं कर रही थी. वैभव ने कई बार वैष्णवी से घर से भागने की बात कही. लेकिन वह उस की बातों को यूं ही हलके में ले कर हमेशा ही टाल देती थी. वैष्वणी का कहना था कि जब हमारी शादी तो हो ही चुकी है, फिर ऐसे में घर से भागने में क्या फायदा. एक न एक दिन जब दोनों के घर वालों को हमारी शादी की बात पता चलेगी तो वे मान ही जाएंगे. 

घर वालों के शादी के खिलाफ होने के बावजूद भी वैष्णवी के चेहरे पर चिंता के कोई भाव नहीं थे, जिस से वैभव को उस पर शक होने लगा था कि कहीं उस का किसी अन्य युवक के साथ तो चक्कर नहीं चल रहा. उस ने कई बार उसे किसी के साथ फोन पर बात करते भी देखा था. 

इस शक के पैदा होते ही वैभव ने इस बात की खोजबीन शुरू की तो पता चला कि वैष्णवी उस के अलावा भी एक अन्य लड़के से फोन पर बात करती है. उस लड़के का अकसर उस के साथ मिलनाजुलना भी होता था. 

उस की इस बेवफाई से वैभव अपनी जिंदगी से पूरी तरह से टूट चुका था. उसे वैष्णवी पर भी विश्वास नहीं हो रहा था. उस के बाद से ही उस ने अपने मोबाइल में एक सुसाइड नोट लिखना शुरू कर दिया था. 

वैभव ने एक नोट में लिखा कि अब हमारे मरने के बाद किसी को भी तकलीफ नहीं होगी. इस के लिए कोई जिम्मेदार नहीं. उस ने लिखा था कि वह वैष्णवी को बहुत प्यार करता था, वह उस से शादी कर अपनी दुनिया बसाना चाहता था. काफी समय से दोनों के बीच शारीरिक रिश्ते भी थे, लेकिन वैष्णवी ने ही मेरे साथ दगा की है. 

वैभव ने वैष्णवी के साथ बिताए अंतरंग पलों के वीडियो भी बना रखे थे. वैभव ने लिखा था कि वह चाहता था कि वैष्णवी की लाश किसी को न मिले. उस के लिए ही उस ने डेथ पौइंट को डेथ कोड के रूप में एक परची पर लिख कर अपनी जेब में डाल ली थी

उसे विश्वास था कि दोनों की मौत के बाद पुलिस एक न एक दिन तो उस की लाश को खोज ही लेगी. लेकिन वैष्णवी को उस के किए की सजा ऐसी मिलेगी कि कोई भी उस की लाश को पहचान भी नहीं पाएगा. 

सच में वैष्णवी की लाश की मिस्ट्री सुलझाने के लिए दिनरात एक करते हुए मुंबई पुलिस को पूरा एक महीना लग गया था. तब तक उस की लाश कंकाल में बदल चुकी थी. इस योजना को बनाने के बाद वह उसे मिलने के बहाने जंगल में ले गया और उस की वहां पर हत्या करने के बाद खुद भी ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. 

कीवर्ड (लव क्राइम)

नवी मुंबई, महाराष्ट्र, कोड L01, 501, लव क्राइम, वैष्णवी मर्डर केस, आरोपी वैभव, ट्रेन से कट कर सुसाइड, आत्महत्या, प्रेमिका का मर्डर

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