समयसमय पर यह बात सुनने को मिलती रहती है कि नारी संरक्षण गृहों में दुराचार भी होते हैं, लेकिन जसवंती ने तो अपने निजी संरक्षण गृह ‘अपना घर’ को एक तरह से वेश्यालय ही बना लिया था. अदालत ने जसवंती और उस के साथियों को सख्त सजा दे कर...
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18 अप्रैल, 2018 को पंचकूला की सीबीआई अदालत के विशेष जज जगदीप सिंह की कोर्ट के भीतरबाहर लोगों की काफी भीड़ थी. उल्लेखनीय है कि इन्हीं विशेष न्यायाधीश ने 28 अगस्त, 2017 को साध्वी यौनशोषण मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख कथित संत गुरमीत राम रहीम सिंह को 20 साल कैद की सजा सुनाई थी. आज उन्हीं विद्वान एवं सक्षम न्यायाधीश द्वारा हरियाणा के एक अन्य बेहद चर्चित रहे केस का फैसला सुनाया जाना था.
वहां मौजूद लोगों को इसी केस का फैसला सुनने का बेसब्री से इंतजार था. दरअसल इन लोगों को पूरी उम्मीद थी कि जज महोदय इस केस का भी ऐतिहासिक फैसला ही सुनाएंगे. मगर जज साहब ने उस रोज इस केस का फैसला तो नहीं सुनाया, अलबत्ता फिलहाल जसवंती देवी, जसवंत, शीला, वीना, सतीश, रामप्रकाश सैनी, जयभगवान, सिम्मी व रोशनी वगैरह अभियुक्तों को विभिन्न आरोपों में दोषी करार दे दिया. जबकि एक आरोपी अंगरेज कौर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.
दोषियों को सजा सुनाए जाने की तारीख 24 अप्रैल, 2018 निर्धारित की गई थी. कहावत है कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं. इसी के मद्देनजर समाज के ठुकराए लोगों पर मानवीय रहमोकरम दिखाने का आश्रयस्थल स्थापित करने का प्रावधान रखा गया था. खासकर उन बच्चों का भविष्य संवारने को ज्यादा तरजीह दी गई थी, जो किसी वजह से यतीम करार दे दिए गए थे या फिर वे मानसिक रूप से कमजोर थे. सरकारी स्तर पर उन्हें संरक्षण देने के अलावा इस तरह की अनेक निजी संस्थाओं को भी प्रोत्साहित किया गया था. ऐसे कामों पर हर साल करोड़ों रुपया खर्च भी किया जाता रहा था.