17 अप्रैल, 1941 को बंटवारे से पहले के भारत के नवाबशाह जिले के बेराणी गांव, जो अब पाकिस्तान में है, वहां आसूमल सिरूमलानी का जन्म हुआ था. उस की मां का नाम महंगीबा एवं पिता का नाम थाऊमल सिरूमलानी था.

1947 में भारतपाक विभाजन के समय वह और उस के परिवार के सभी लोग भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद में बस गए. धनवैभव सब कुछ छूट जाने के कारण परिवार आर्थिक संकट में फंस गया.

अहमदाबाद आने के बाद आजीविका के लिए थाऊमल ने शक्कर बेचने का धंधा शुरू किया. पिता के निधन के बाद, अपनी मां से ध्यान और आध्यात्मिकता की शिक्षा प्राप्त कर आसूमल ने घर छोड़ दिया और देश भ्रमण पर निकल गया. भ्रमण करतेकरते वह स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के आश्रम नैनीताल पहुंच गए. नैनीताल में गुरु से दीक्षा लेने के बाद गुरु ने आसूमल को नया नाम दिया आसाराम.

इस के बाद आसाराम घूमघूम कर आध्यात्मिक प्रवचन के साथसाथ स्वयं भी गुरुदीक्षा देने लगा. उस के सत्संग में श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचने लगे. आसाराम बापू पहली बार अगस्त, 2013 में कानून के शिकंजे में फंसा, जब उस के ऊपर जोधपुर में उस के ही आश्रम में 16 साल की एक लड़की के साथ अप्राकृतिक दुराचार के आरोप लगे.

लड़की के पिता ने दिल्ली जा कर पुलिस में इस कांड की रिपोर्ट दर्ज कराई. बाद में लड़की का बयान दर्ज कर सारा मामला राजस्थान पुलिस को ट्रांसफर कर दिया.

आसाराम को पूछताछ के लिए 31 अगस्त 2013 तक का समय देते हुए सम्मन जारी किया गया. इस के बावजूद जब वह हाजिर नहीं हुआ तो दिल्ली पुलिस ने उस के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक हथकंडे) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने हेतु जोधपुर की अदालत में सारा मामला भेज दिया.

फिर भी आसाराम गिरफ्तारी से बचने के उपाय करता रहा. पहली सितंबर 2013 को राजस्थान पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार कर लिया . इस मामले में 25 अप्रैल, 2018 को आसाराम को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

साबरमती नदी के किनारे एक झोपड़ी से शुरुआत करने से ले कर देश और दुनियाभर में 400 से अधिक आश्रम बनाने वाले आसाराम ने 4 दशक में 10,000 करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया था. आसाराम बापू को अब तक दुष्कर्म के 2 मामलों में अदालत से सजा मिल चुकी है.

अध्यात्म यूनिवर्सिटी के नाम पर अय्याशी का घिनौना सच 

जिन दिनों देश में धर्म और अध्यात्म के नाम पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा राम रहीम के पाखंड और बड़ी संख्या  में महिलाओं के यौनशोषण की गूंज सुनी जा रही थी. उसी वक्त देश की राजधानी दिल्ली से एक ऐसे बाबा के रंगीन किस्से सामने आ रहे थे, जो महिलाओं को अध्यात्म दीक्षा के नाम पर उन का यौन शोषण करता था.

वीरेंद्र देव दीक्षित नाम के इस बाबा के आश्रमों से 190 नाबालिग व बालिग लड़कियों और महिलाओं को मुक्त  कराया गया, जिन्हें अध्यात्म के नाम पर यौनशोषण का शिकार बनाया गया था.

दिल्ली के रोहिणी, नांगलोई, द्वारका जैसे इलाकों में बड़े भूभाग पर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम से बने इन आश्रमों के अलावा देश के करीब 9 राज्यों में इस रंगीनमिजाज बाबा के 80 आश्रम थे.

वीरेंद्र देव दीक्षित उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जिले के गांव चौधरियान का रहने वाला है. 1975 में वीरेंद्र देव का अपने पिता से किसी बात को ले कर विवाद हो गया था.

इस से नाराज हो कर वह घर से निकल गया. इस के बाद उस ने गुजरात यूनिवर्सिटी में संस्कृत में शोध शुरू किया. बाद में वह राजस्थान के माउंट आबू में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़ गया, लेकिन जल्दी  ही उसे वहां से भगा दिया गया.

1984 में पिता की मृत्यु के बाद वीरेंद्र देव घर लौटा तो अपने पैतृक मकान में कुछ स्थानीय लोगों के सहयोग से आध्यात्मिक कार्यक्रम शुरू किया. कुछ समय बाद ही उस ने आश्रम का निर्माण कराया.

यह आश्रम पहली बार 1998 में तब चर्चा में आया जब 3 अलगअलग राज्यों के लोगों की शिकायतों पर पुलिस ने 3 लड़कियों को बरामद कर उसे व उस के कई सेवादारों को गिरफ्तार किया. इस के बाद उस ने खुद को बाबा के तौर पर स्थापित किया और देशभर में 80 आश्रम खोले.

12 नवंबर को यह मामला तब सामने आया, जब राजस्थान के झुंझनूं व दिल्ली के 2 परिवारों ने रोहिणी के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय पहुंच कर हंगामा करते हुए आरोप लगाया कि उन की बेटी वहां जबरन कैद है और उन के साथ सैक्सुअल हिंसा होती है.

मामला बढ़ा तो फाउंडेशन फौर सोशल एम्पावरमेंट नाम के एनजीओ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस आश्रम के क्रियाकलापों की जांच की मांग की. हाईकोर्ट के आदेश पर आश्रम की छानबीन के लिए बनी कमेटी में दिल्ली पुलिस के अलावा दिल्ली महिला आयोग और शिकायकर्ता पक्ष तथा कुछ अन्य एजेंसियों के सदस्यों को भी शामिल किया गया.

21 दिसंबर से छापेमारी शुरू हुई तो आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की सच्चाई सामने आई. दिल्ली के 8 आश्रमों से शुरू हुई जांच दूसरे राज्यों तक पहुंच गई. हर जगह एक ही शिकायत मिली कि आश्रमों में लड़कियों का यौन शोषण होता था. बाबा खुद उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाता था.

हाईकोर्ट ने अपराध का दायरा बढ़ता देख इस मामले की छानबीन और वीरेंद्र देव को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया.

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