Best Hindi Story : एक मामूली परिवार की होते हुए भी अनल ने शीतल से न केवल शादी की, बल्कि उसे अपने करोड़ों का व्यवसाय संभालने के काबिल भी बना दिया. लेकिन शीतल ने अनल के साथ जो खतरनाक खेल खेला, उस से उस का सब कुछ छिन गया. लेकिन उस ने भी शीतल से… ‘‘मे रे दिल ने जो मांगा मिल गया, जो कुछ भी चाहा मिला.’’ शीतल उस हिल स्टेशन के होटल के कमरे में खुदबखुद गुनगुना रही थी.
‘‘क्या बात है शीतू, बहुत खुश नजर आ रही हो.’’ अनल उस के पास आ कर कंधे पर हाथ रखता हुआ बोला.
‘‘हां अनल, मैं आज बहुत खुश हूं. तुम मुझे मेरे मनपसंद के हिल स्टेशन पर जो ले आए हो. मेरे लिए तो यह सब एक सपने के जैसा था.
‘‘पिताजी एक फैक्ट्री में छोटामोटा काम करते थे. ऊपर से हम 6 भाईबहन. ना खाने का अतापता होता था ना पहनने के लिए ढंग के कपड़े थे. किसी तरह सरकारी स्कूल में इंटर तक पढ़ पाई. हम लोगों को स्कूल में वजीफे के पैसे मिल जाते थे, उन्हीं पैसों से कपड़े वगैरह खरीद लेते थे.
‘‘एक बार पिताजी कोई सामान लाए थे, जिस कागज में सामान था, उसी में इस पर्वतीय स्थल के बारे में लिखा था. तभी से यहां आने की दिली इच्छा थी मेरी. और आज यहां पर आ गई.’’ शीतल होटल के कमरे की बड़ी सी खिड़की के कांच से बाहर बनते बादलों को देखते हुए बोली.
‘‘क्यों पिछली बातों को याद कर के अपने दिल को छोटा करती हो शीतू. जो बीत गया वह भूत था. आज के बारे में सोचो और भविष्य की योजना बनाओ. वर्तमान में जियो.’’ अनल शीतल के गालों को थपथपाते हुए बोला.
‘‘बिलकुल ठीक है अनल. हमारी शादी को 9 महीने हो गए हैं. और इन 9 महीनों में तुम ने अपने बिजनैस के बारे में इतना सिखापढ़ा दिया है कि मैं तुम्हारे मैनेजर्स से सारी रिपोर्ट्स भी लेती हूं और उन्हें इंसट्रक्शंस भी देती हूं. हिसाबकिताब भी देख लेती हूं.’’ शीतल बोली.
‘‘हां शीतू यह सब तो तुम्हें संभालना ही था. 5 साल पहले मां की मौत के बाद पिताजी इतने टूट गए कि उन्हें पैरालिसिस हो गया. कंपनी से जुड़े सौ परिवारों को सहारा देने वाले खुद दूसरे के सहारे के मोहताज हो गए.
‘‘नौकरों के भरोसे पिताजी की सेहत गिरती ही जा रही थी. तुम नई थीं, इसीलिए पिताजी का बोझ तुम पर न डाल कर तुम्हें बिजनैस में ट्रेंड करना ज्यादा उचित समझा. पिताजी के साथ मेरे लगातार रहने के कारण उन की सेहत भी काफी अच्छी हो गई है. हालांकि बोल अब भी नहीं पाते हैं.
‘‘मैं चाहता हूं कि इस हिल स्टेशन से हम एक निशानी ले कर जाएं जो हमारे अपने लिए और उस के दादाजी के लिए जीने का सहारा बने.’’ अनल शीतल के पीछे खड़ा था. वह दोनों हाथों का हार बना कर गले में डालते हुए बोला.
‘‘वह सब बातें बाद में करेंगे. अभी तो सफर में बहुत थक गए हैं. खाना और्डर करो, खा कर आराम से सो जाएंगे. अभी तो 7 दिन हैं, खूब मौके मिलेंगे.’’ शीतल बोली.
‘‘वाह क्या नजारा है इस हिल स्टेशन का. कितना सुंदर लग रहा है उगता हुआ सुरज होटल की इस 5वीं मंजिल से.’’ सुबह उठ कर उसी खिड़की के पास खड़ी हो कर शीतल बोली.
‘‘रात तो तुम बहुत जल्दी बहुत गहरी नींद सो गई थीं. मैं तुम्हें जगाने की कोशिशें ही करता रह गया.’’ अनल शीतल के साथ खड़े होते हुए बोला.
‘‘मैं बहुत थक गई थी. बिस्तर पर गिरते ही गहरी नींद आ गई.’’
‘‘चलो कोई बात नहीं, आज पूरा मजा उठा लेंगे. देखो, आज 5 विजिटिंग पौइंट्स पर चलना है. 9 बजे टैक्सी आ जाएगी. हम यहां से नाश्ता कर के निकलते हैं. लंच किसी सूटेबल पौइंट पर ले लेंगे.’’ अनल बोला.
‘‘हां, मैं तैयार होती हूं.’’ शीतल बोली.
‘‘सर, आप की टैक्सी आ गई है.’’ नाश्ते के बाद होटल के रिसैप्शन से फोन आया.
‘‘ठीक है हम नीचे पहुंचते हैं.’’ अनल बोला.
‘‘क्यों भैया, 7 दिन आप हमारे साथ रह सकोगे? हम चाहते हैं, पूरा हिल स्टेशन हमें आप ही घुमाओ.’’ शीतल टैक्सी में बैठते हुए बोली.
‘‘जी मैडम, मैं आप को सारी जगह दिखाऊंगा.’’ ड्राइवर बड़े अदब से बोला.
‘‘देखो भैया, सब जगह आराम से और अच्छे से घुमाना. आप की मनमाफिक बख्शीश दे कर जाऊंगी.’’ शीतल चहकते हुए बोली.
‘‘जी मैडम, टूरिस्ट की खुशी ही हमारे लिए सब से बड़ा ईनाम है.’’
‘‘आज तो तुम ने खूब अच्छा घुमाया.’’ शाम को टैक्सी से उतरते हुए अनल बोला.
‘‘घुमाया तो खूब, पर पैदल कितना चला दिया. पर्वतों पर हर स्पौट पर आधा किलोमीटर चढ़ना और उतरना अपने आप में बेहद थकाऊ काम है.’’ शीतल अनल के कंधे का सहारा ले कर टैक्सी से निकलते हुए बोली.
‘‘वैसे चलने का अपना ही मजा है.’’ अनल ने कहा.
‘‘जी साहब. मैं चलता हूं. सुबह जल्दी आ जाऊंगा, आप तैयार रहें.’’ कहते हुए ड्राइवर चला गया.
‘‘अनल, जब हम घूम कर लौट रहे थे तब उस संकरे रास्ते पर क्या एक्सीडेंट हो गया था? सारा ट्रैफिक जाम था. तुम देखने भी तो उतरे थे.’’ होटल के कमरे में घुसते हुए शीतल ने पूछा.
‘‘एक टैक्सी वाले से एक बुजुर्ग को हलकी सी टक्कर लग गई. बस उसी का झगड़ा चल रहा था. बुजुर्ग इलाज के लिए पैसे मांग रहा था. इसीलिए पूरा रास्ता जाम था.’’ अनल ने बताया. ‘‘ऐसा ही एक एक्सीडेंट हमारी जिंदगी में भी हुआ था, जिस से हमारी जिंदगी ही बदल गई.’’ अनल ने आगे जोड़ा.
‘‘हां मुझे याद है. उस दिन पापा मेरे रिश्ते की बात करने कहीं जा रहे थे. तभी सड़क पार करते समय तुम्हारे खास दोस्त वीर की स्पीड से आती हुई कार ने उन्हें टक्कर मार दी. जिस से उन के पैर की हड्डी टूट गई और वह चलने से लाचार हो गए.’’ शीतल बोली.
‘‘हां, और तुम्हारे पिताजी ने हरजाने के तौर पर तुम्हारी शादी वीर से करने की मांग रखी. इस से कम पर वह और कोई समझौता नहीं चाहते थे.’’
‘‘मेरा रिश्ते टूटने की सारी जवाबदारी वीर की ही थी. इसलिए हरजाना तो उसी को देना था ना.’’ शीतल अपने पिता की मांग को जायज ठहराते हुए बोली.
‘‘वीर तो बेचारा पहले से ही शादीशुदा था, वह कैसे शादी कर सकता था? मेरी मम्मी की मौत के बाद वीर की मां ने मुझे बहुत संभाला और पिताजी को पैरालिसिस होने के बाद तो वह मेरे लिए मां से भी बढ़ कर हो गईं.
‘‘कई मौकों पर उन्होंने मुझे वीर से भी ज्यादा प्राथमिकता दी. उस परिवार को मुसीबत से बचाने के लिए ही मैं ने तुम से शादी की. क्योंकि एक बिजनैसमैन के लिए बिना वजह कोर्टकचहरी के चक्कर लगाना संभव नहीं था.
‘‘मेरे बिजनैस की पोजीशन को देखते हुए कोई भी पैसे वाली लड़की मुझे मिल जाती. मगर मेरे मन में यह संदेह हमेशा से था कि शायद वह पिताजी की देखभाल उस तरह से न कर पाए जैसा मैं चाहता हूं. मैं खुद किसी गरीब घर की लड़की से शादी करने के पक्ष में था.
‘‘वीर के परिवार का एहसान तो मैं ताजिंदगी नहीं उतार सकता था. मगर तुम से शादी कर के उस का बोझ कुछ कम जरूर कर सकता था.’’ अनल बोला.
‘‘मतलब तुम्हें एक नौकरानी चाहिए थी जो बीवी की तरह रह सके.‘‘शीतल के स्वर में कुछ कड़वापन था.
‘‘बड़े सयानों के मुंह से सुना था जोडि़यां स्वर्ग में बनती हैं. मगर हमारी जोड़ी सड़क पर बनी. यू आर जस्ट ऐन एक्सीडेंटल वाइफ. लेकिन मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं हैं. मैं ने पिछले 9 महीनों में एक नई शीतल गढ़ दी है, जो मेरा बिजनैस हैंडल कर सकती है. बस एक ही ख्वाहिश और है जिसे तुम पूरा कर सकती हो.’’ अनल हसरतभरी निगाहों से शीतल की तरफ देखते हुए बोला.
‘‘अनल, पहाड़ों पर चढ़नेउतरने के कारण बदन दर्द से टूट रहा है. कोई पेनकिलर ले कर आराम से सोते हैं. वैसे भी सुबह 4 बजे उठना पड़ेगा सनराइज पौइंट जाने के लिए. यहां सूर्योदय साढ़े 5 बजे तक हो ही जाता है.’’ शीतल सपाट मगर चुभने वाले लहजे में बोली. अनल अपना सा मुंह ले कर बिस्तर में दुबक गया.
‘‘वाह क्या सुंदर सीन है सनराइज का, मजा आ गया.’’ अनल सनराइज देख कर चहकता हुआ बोला. दरअसल वह माहौल को हलका करना चाहता था.
‘‘हां सचमुच ऐसा लगता है, जैसे कुदरत ने सिंदूरी रंग की कलाकारी कर शानदार पेंटिंग बनाई है.’’ ऐसा लगा शीतल भी रात की बातों को भुला कर आगे की यात्रा सुखद बनाना चाहती थी.
‘‘वाह, ड्राइवर भैया धन्यवाद. इस सनराइज ने तो जिंदगी को अवस्मरणीय दृश्य दे दिया.’’ शीतल अपनी ही रौ में बोलती चली गई. आज ऐसी जगह ले चलो जो एकदम से अलग सा एहसास देती हो.’’
‘‘जी मैडम, यहां से 20 किलोमीटर दूर है. इस टूरिस्ट प्लेस की सब से ऊंची जगह. वहां से आप सारा शहर देख सकती हैं, करीब एक हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
‘‘वहां पर आप टेंट लगा कर कैंपिंग भी कर सकते है. यहां टेंट में रात को रुकने का अपना ही रोमांच है. वहां आप को डिस्टर्ब करने के लिए कोई नहीं होगा.’’ ड्राइवर ने उस जगह के बारे में बताया.
‘‘चलो ना अनल वहां पर. कितना मजा आएगा पहाड़ की सब से ऊंची चोटी पर हम अकेले एक टेंट में. कभी न भूल पाने वाला अनुभव होगा यह.’’ शीतल जिद करते हुए बोली.
‘‘और लोग भी तो होते होंगे वहां पर?’’ अनल ने पूछा.
‘‘सामान्यत: भीड़ वाले समय में 2 टेंटों के बीच लगभग सौ मीटर की दूरी रखी जाती है. लेकिन इस समय भीड़ कम है. चढ़ाई करते समय आप बोल देंगे तो वहां के लोग आप की इच्छानुसार आप का टेंट नो डिस्टर्ब वाले जोन में लगा देंगे. आप उन वादियों का अकेले में लुत्फ उठा पाएंगे.’’ ड्राइवर ने बताया.
‘‘चलो ना अनल. ऐसी जगह पर तुम्हारी इच्छा भी पूरी हो जाएगी.’’ शीतल जोर देते हुए बोली.
‘‘चलो भैया आज उसी टेंट में रुकते हैं.’’ अनल खुश होते हुए बोला. लगभग एक घंटे के बाद वह लोग उस जगह पर पहुंच गए.
‘‘साहब, यहां से लगभग एक किलोमीटर आप को संकरे रास्ते से चढ़ाई करनी है.’’ ड्राइवर गाड़ी पार्किंग में लगाते हुए बोला.
‘‘अच्छा होता तुम भी हमारे साथ ऊपर चलते. एक टेंट तुम्हारे लिए भी लगवा देते.’’ अनल गाड़ी से उतरते हुए बोला.
‘‘नहीं साहब, मैं नहीं चल सकता. मैं आज अपने परिवार के साथ रहूंगा. यहां आप को टेंट 24 घंटे के लिए दिया जाएगा. उस में सभी सुविधाएं होती हैं. आप खाना बनाना चाहें तो सामान की पूरी व्यवस्था कर दी जाती है और मंगवाना चाहें तो ये लोग बताए समय पर खाना डिलीवर भी कर देते हैं. यहां कैंप फायर का अपना ही मजा है. आप रात में कैंप फायर अवश्य जलाएं, इस से जंगली जानवरों का खतरा भी कम रहता है.’’ ड्राइवर ने बताया.
‘‘चलो शीतू ऊपर चढ़ते हैं.’’ अनल बोला.
‘‘कितना सुंदर लग रहा है. ऊपर की तो बात ही कुछ और होगी. यहां से जो निशानी ले कर जाएंगे, वह बेमिसाल होगी.’’ शीतल कनखियों से अनल की तरफ देखते हुए शरारत से बोली. जाते समय दोनों ने टेंट वाले को नो डिस्टर्ब जोन में टेंट लगाने के निर्देश दे दिए. दोपहर और रात के खाने के और्डर भी दे दिए. लगभग एक घंटे की चढ़ाई के बाद दोनों पहाड़ी की सब से ऊंची चोटी पर थे.
‘‘हाय कितना सुंदर लग रहा है. यहां से घर, पेड़, लोग कितने छोटेछोटे दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे नीचे बौनों की बस्ती हो. मन नाचने को कर रहा है,’’ शीतल खुश हो कर बोली, ‘‘दूर तक कोई नहीं है यहां पर.’’
‘‘अरे शीतू, संभालो अपने आप को ज्यादा आगे मत बढ़ो. टेंट वाले ने बताया है ना नीचे बहुत गहरी खाई है.’’ अनल ने चेतावनी दी.
‘‘यहां आओ अनल, एक सेल्फी इस पौइंट पर हो जाए.’’ शीतल बोली.
‘‘लो आ गया, ले लो सेल्फी.’’ अनल शीतल के नजदीक आता हुआ बोला.
‘‘वाह क्या शानदार फोटो आए हैं.’’ शीतल मोबाइल में फोटो देखते हुए बोली.
‘‘चलो तुम्हारी कुछ स्टाइलिश फोटो लेते हैं. फिर तुम मेरी लेना.’’
‘‘अरे कुछ देर टेंट में आराम कर लो. चढ़ कर आई हो, थक गई होगी.’’ अनल बोला.
‘‘नहीं, पहले फोटो.’’ शीतल ने जिद की, ‘‘तुम यह गौगल लगाओ. दोनों हथेलियों को सिर के पीछे रखो. हां और एक कोहनी को आसमान और दूसरी कोहनी को जमीन की तरफ रखो. वाह क्या शानदार पोज बनाया है.’’ शीतल ने अनल के कई कई एंगल्स से फोटो लिए.
‘‘अरे भाई अब तो बस करो कुछ शाम के लिए भी तो छोड़ दो.’’ अनल ने शीतल से अनुरोध किया.
‘‘बस, एक और शानदार मर्दाना फोटो हो जाए. अब तुम उस आखिरी सिरे पर रखे उस बड़े से पत्थर पर अपना पैर रखो. और मुसकराओ. वाह मजा आ गया एकदम से मौडल जैसे दिख रहे हो.
‘‘अब उसी चट्टान पर जूते के तस्मे बांधते हुए एक फोटो लेते हैं. अरे ऐसे नहीं. मुंह थोड़ा नीचे रखो. फोटो में फीचर्स अच्छे आने चाहिए. ओफ्फो…ऐसे नहीं बाबा. मैं आ कर बताती हूं. थोड़ा झुको और नीचे देखो.’’ शीतल ने निर्देश दिए. तस्मे बांधने के चक्कर में अनल कब अनबैलेंस हो गया पता ही नहीं चला. अनल का पैर चट्टान से फिसला और वह पलक झपकते ही नीचे गहरी खाई में गिर गया. एक अनहोनी जो नहीं होनी थी हो गई.
‘‘अनल…अनल…अनल…’’ शीतल जोरजोर से चीखने लगी. दूसरा टेंट लगभग 5 सौ मीटर दूर लगा था. वह सहायता के लिए उधर भागी. मगर उस टेंट वाले शायद पहले ही छोड़ कर जा चुके थे. टेंट वाले का नंबर उस के पास नहीं था. मगर उस के पास ड्राइवर का नंबर जरूर था. उस ने ड्राइवर को फोन लगाया.
‘‘भैया, अनल पैर फिसलने के कारण खाई में गिर गए हैं. कुछ मदद करो.’’ शीतल जोर से रोते हुए बोली.
‘‘क्या..?’’ ड्राइवर आश्चर्य से बोला, ‘‘यह तो पुलिस केस है. मैं पुलिस को ले कर आता हूं.’’
‘‘आप वहीं रुकिए, मैं नीचे आती हूं फिर पुलिस के पास चलते हैं.’’ शीतल बोली.
‘‘नहीं मैडम, इस में काफी टाइम लग जाएगा. आप वहीं रुकिए, मैं पुलिस को ले कर वहीं आता हूं इस से जल्दी मदद मिल जाएगी.’’ ड्राइवर बोला. लगभग 2 घंटे बाद ड्राइवर पुलिस को ले कर वहां पहुंच गया.
‘‘ओह तो यहां से पैर फिसला है उन का.’’ इंसपेक्टर ने जगह देखते हुए शीतल से पूछा.
‘‘जी.’’ शीतल ने जवाब दिया.
‘‘आप दोनों ही आए थे, इस टूर पर या साथ में और भी कोई है?’’ इंसपेक्टर ने प्रश्न किया.
‘‘जी, हम दोनों ही थे. वास्तव में यह हमारा डिलेड हनीमून शेड्यूल था.’’ शीतल ने बताया.
‘‘देखिए मैडम, यह खाई बहुत गहरी है. इस में गिरने के बाद किसी के भी बचने की संभावनाएं शून्य रहती हैं. हमें आज तक किसी के भी जिंदा रहने की सूचना नहीं मिली है. सुना है, इस खाई के बाद एक बस्ती है, जिस में जंगली आदिवासी रहते हैं, जो लोगों को देखते ही उन पर आक्रमण कर उन्हें मार डालते हैं.
‘‘इस खाई के अंतिम छोर तक तो किसी भी आदमी का पहुंचना नामुमकिन है. फिर भी हम जिस ऊंचाई तक आदमी के जीवित होने की संभावना होती है उतनी ऊंचाई तक रस्सों की मदद से अपनी सहायता टीम को पहुंचाते हैं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.
‘‘जल्दी कीजिए सर, यहां पर सूर्यास्त भी जल्दी होता है.’’ लगातार रोती हुई शीतल ने अनुरोध किया.
‘‘आप के घर में और कौनकौन हैं?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.
‘‘अनल के पिताजी हैं सिर्फ. जोकि पैरालिसिस से पीडि़त हैं और बोलने में असमर्थ.’’ शीतल ने बताया, ‘‘इन का कोई भी भाई या बहन नहीं हैं. 5 साल पहले माताजी का स्वर्गवास हो गया था.’’
‘‘तब आप के पिताजी या भाई को यहां आना पड़ेगा.’’ इंसपेक्टर बोला
‘‘मेरे परिवार से कोई भी इस स्थिति में नहीं है कि इतनी दूर आ सके.’’ शीतल बोली.
‘‘आप के हसबैंड का कोई दोस्त भी है या नहीं.’’ इंसपेक्टर ने झुंझला कर पूछा.
‘‘हां, अनल का एक खास दोस्त है वीर है. उन्हीं ने हमारी शादी करवाई थी.’’ शीतल ने जवाब दिया.
‘‘मुझे उन का नंबर दीजिए, मैं उन से बात करता हूं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.
शीतल ने मोबाइल स्क्रीन पर नंबर डिसप्ले कर के इंसपेक्टर को दे दिया.
‘‘हैलो, मिस्टर वीर,’’ कहते हुए इंसपेक्टर दूर निकल गया.
‘‘सर लगभग 60 मीटर तक सर्च कर लिया मगर कोई दिखाई नहीं पड़ा. अब अंधेरा हो चला है, सर्चिंग बंद करनी पड़ेगी.’’ सर्च टीम के सदस्यों ने ऊपर आ कर बताया.
‘‘ठीक है मैडम, आप थाने चलिए और रिपोर्ट लिखवाइए. कल सुबह सर्च टीम एक बार फिर भेजेंगे.’’ इंसपेक्टर ने कहा, ‘‘वैसे कल शाम तक मिस्टर वीर भी आ जाएंगे.’’
दूसरे दिन शाम के लगभग 4 बजे वीर पहुंच गया. बोला, ‘‘सर मेरा नाम वीर है. मुझे आप का फोन मिला था, अनल के एक्सीडेंट के बारे में.’’ वीर ने इंसपेक्टर साहब को अपना परिचय दिया.
‘‘जी मिस्टर वीर, मैं ने ही आप को फोन किया था. हमारे थाने में आप के दोस्त अनल की पहाड़ी से गिरने की रिपोर्ट दर्ज हुई है. फ्रैंकली स्पीकिंग इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद जिंदा रहने की संभावना कम है. अगर कोई चमत्कार हो जाए तो अलग बात है.
‘‘हम ने 2 बार एप्रोचेबल फाल तक सर्च टीमें भेजी हैं, मगर अब तक कुछ पता नहीं चला.’’ इंसपेक्टर ने बता कर पूछा, ‘‘वैसे आप के दोस्त के और उन की पत्नी के आपसी संबंध कैसे हैं?’’
‘‘अनल और शीतल की शादी को 9 महीने हो चुके हैं और अनल ने मुझ से आज तक ऐसी कोई बात नहीं कही, जिस से लगे कि दोनों के बीच कुछ एब्नार्मल है.’’ वीर ने इंसपेक्टर को बताया.
‘‘मतलब उन के बीच सब कुछ सामान्य था और अनल कम से कम आत्महत्या नहीं कर सकता था.’’ इंसपेक्टर ने निष्कर्ष निकाला.
‘‘जी, अनल किसी भी कीमत पर आत्महत्या नहीं कर सकता था. उस का बिजनैस 2 साल के बाद एक बार फिर काफी अच्छा चलने लगा था. सब से बड़ी बात वह इस का श्रेय अपने लेडी लक मतलब शीतल को दिया करता था.’’ वीर ने बताया.
‘‘और आप की भाभीजी मतलब शीतलजी के बारे में क्या खयाल है आपका?’’ इंसपेक्टर ने अगला प्रश्न किया.
‘‘जी, वो एक गरीब घर से जरूर हैं मगर उन की बुद्धि काफी तीक्ष्ण है. अनल की इच्छानुसार शादी के मात्र 9 महीने के अंदर ही उन्होंने बिजनैस की बारीकियों पर अच्छी पकड़ बना ली है. उन की त्वरित निर्णय क्षमता के तो सब मुरीद हैं. अनल भी अपने आप को चिंतामुक्त एवं हलका महसूस करता था.’’ वीर ने बताया.
‘‘आप के कहने का आशय यह है कि हत्या या आत्महत्या का कोई कारण नहीं बनता. यह एक महज दुर्घटना ही है.’’ इंसपेक्टर ने कहा.
‘‘जी मेरे खयाल से ऐसा ही है.’’ वीर ने अपने विचार व्यक्त किए.
‘‘देखिए, आप के बयानों के आधार पर हम इस केस को दुर्घटना मान कर समाप्त कर रहे हैं. यदि भविष्य में कभी लाश से संबंधित कोई सामान मिलता है तो शिनाख्त के लिए आप को बुलाया जा सकता है. उम्मीद है, आप सहयोग करेंगे.’’ इंसपेक्टर ने कहा.
‘‘जी बिलकुल.’’
‘‘वीर भैया, अनल की आत्मा की शांति के लिए सभी पूजापाठ पूरे विधिविधान से करवाइए. मैं नहीं चाहती अनल की आत्मा को किसी तरह का कष्ट पहुंचे.’’ शहर पहुंचने पर भीगी आंखों के साथ शीतल ने हाथ जोड़ कर कहा.
‘‘जी भाभीजी आप निश्चिंत रहिए, उत्तर कार्य के सभी काम वैसे ही होंगे जैसा कि आप चाहती हैं.’’ वीर शोक सभा में उपस्थित लोगों के सामने बोला, ‘‘अनल न सिर्फ मेरा दोस्त था बल्कि मेरे भाई से भी बढ़ कर था. मुझे बचाने के लिए उस ने जो बलिदान दिया, उसे मैं भूला नहीं हूं.’’
‘‘आज अनल के उत्तर कार्य भी पूरे हो गए भाभीजी. मैं आप को एक बात बताना चाहता था. दरअसल, करीब 6 महीने पहले अनल ने एक बीमा पौलिसी ली थी. उस पौलिसी की शर्तों के अनुसार अनल की प्राकृतिक मौत होने पर 5 करोड़ और दुर्घटना में मृत्यु होने पर 10 करोड़ रुपए मिलने वाले हैं. यदि आप कहें तो इस संदर्भ में काररवाई करें.’’ वीर विवरण देते हुए बोला.
‘‘वीर भाई साहब, अनल इतना अच्छा और चलता हुआ बिजनैस छोड़ गए हैं. उसी से काफी अच्छी आय हो जाती है. और आप जिस बीमे के बारे में बात कर रहे हैं, उस के विषय में मैं पहले से जानती हूं और अपने वकीलों से इस बारे में बातें भी कर रही हूं.’’ शीतल ने रहस्योद्घाटन किया.
‘‘जी बहुत अच्छा. फिर भी कोई जरूरत पड़े तो मुझे बोलिएगा.’’ वीर चलतेचलते बोला.
शीतल ने बताया कि पिताजी की देखभाल करने वाला नौकर अपने काम पर ठीक से ध्यान नहीं दे रहा है. पिताजी को न समय पर खाना देता है न दवाइयां. उन की हालत गिरती जा रही है. ऐसे में वह महीने 2 महीने से ज्यादा जीवित रह पाएंगे. इसलिए वह चाहती है कि अंतिम समय में पिताजी की देखभाल खुद करे. शीतल ने यह बात कार्यक्रम के लगभग 10 दिन बाद वीर से कही जो पिताजी की कुशलक्षेम पूछने आया था.
‘‘मैं चाहती हूं कि पिताजी के अंतिम समय में मैं ही उन की देखभाल करूं.’’ शीतल ने आंखों में आंसू लिए भावनात्मक संवाद जोड़ा.
‘‘मगर भाभीजी नौकर पिछले 5 सालों से अंकलजी की बहुत अच्छे से सेवा कर रहा है.’’ वीर ने आश्चर्य से कहा.
‘‘हां, पर परिवार वाले होते हुए एक नौकर सेवा करे, यह तो उचित नहीं होगा ना.’’ शीतल ने तर्क दिया.
‘‘ठीक है भाभीजी, जैसा आप उचित समझें.’’
‘‘और भाईसाहब, आप अनल की बीमा पौलिसी के बारे में बता रहे थे, उस के क्लेम के लिए क्या कंडीशन रहेगी?’’ शीतल ने पूछा.
‘‘भाभीजी, चूंकि अभी तक अनल की बौडी नहीं मिली है, अत: कानूनी प्रक्रिया के अनुसार हमें कुछ समय इंतजार करना होगा. शायद कम से कम 2 साल. उस के बाद उस पर्वतीय क्षेत्र के थाने से केस समाप्त होने के प्रमाणपत्र के बाद ही हम क्लेम कर पाएंगे.’’ वीर ने अपनी जानकारी के हिसाब से बताया.
‘‘ओह किसी गरीब के साथ ऐसी दुर्घटना घट जाए तो बेचारा बिना सहायता के ही मर जाए. आप बीमा कंपनी में जा कर कुछ लेदे कर क्लेम सेटल करवाइए न.’’ शीतल ने वीर से अनुरोध किया.
‘‘जी ठीक है, मैं कोशिश करता हूं.’’ वीर ने जवाब दिया.
‘‘और आप उस नौकर को समझा कर हटा दीजिए.’’ शीतल जोर देते हुए बोली.
‘‘ठीक है, आप उसे मेरे घर पर भेज दीजिए. मैं वहीं उस का हिसाब कर दूंगा.’’ वीर ने जवाब दिया.
अनल का स्वर्गवास हुए 45 दिन बीत चुके थे. अब तक शीतल की जिंदगी सामान्य हो गई थी. धीरेधीरे उस ने घर के सभी पुराने नौकरों को निकाल कर नए नौकर रख लिए थे. हटाने के पीछे तर्क यह था कि वे लोग उस से अनल की तरह नरम व पारिवारिक व्यवहार की अपेक्षा करते थे. जबकि शीतल का व्यवहार सभी के प्रति नौकरों जैसा व कड़ा था. नए सभी नौकर शीतल के पूर्व परिचित थे. इस बीच शीतल लगातार वीर के संपर्क में थी तथा बीमे की पौलिसी को जल्द से जल्द इनकैश करवाने के लिए जोर दे रही थी. शीतल की जिंदगी में बदलाव अब स्पष्ट दिखाई देने लगा था. अनल के साथ हफ्ते दस दिन में मनोरंजन क्लब जाने वाली शीतल अब समय काटने के लिए नियमित क्लब जाने लगी थी. उस ने कई किटी क्लब भी इसी उद्देश्य के साथ जौइन कर लिए थे.
ऐसे ही एक दिन क्लब से वह रात 12 बजे लौटी. कार से उतरते हुए उसे घर की दूसरी मंजिल पर किसी के खड़े होने का अहसास हुआ. उस ने ध्यान से देखने की कोशिश की मगर धुंधले चेहरे के कारण कुछ समझ में नहीं आ रहा था. आश्चर्य की बात यह थी कि जिस गैलरी में वह शख्स खड़ा था, वह उस के ही बैडरूम की गैलरी थी. और वह ऊपर खड़ा हो कर बाहें फैलाए शीतल को अपनी तरफ आने का इशारा कर रहा था. शीतल अपने बैडरूम की तरफ भागी, मगर वह बाहर से उसी प्रकार बंद था जैसे वह कर के गई थी. दरवाजा बाहर से बंद होने के बावजूद कोई अंदर कैसे जा सकता है, यह सोच कर वह गैलरी की तरफ गई. गैलरी की तरफ जाने वाला दरवाजा भी अंदर से लौक था.
शीतल ने सोचा शायद कोई चोर होगा, अत: वह सुरक्षा के नजरिए से अपने साथ बैडरूम में रखी अनल की रिवौल्वर ले कर गैलरी में गई. मगर वहां कोई नहीं था. शीतल को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था. उस ने खुद अपनी आंखों से उस व्यक्ति को देखा था, जो बाहें फैलाए उसे अपनी तरफ बुला रहा था. इतनी जल्दी कोई कैसे गायब हो सकता है. उसे ऊपर आते समय रास्ते में कोई मिला भी नहीं, क्योंकि आनेजाने के लिए सिर्फ एक ही सीढियां थीं. इस के साथ ही बैडरूम उसी तरह से लौक था जैसे वह छोड़ गई थी. फिर कैसे कोई गैलरी तक आ सकता है? उस ने चौकीदार को आवाज दी.
‘‘ऊपर कौन आया था?’’ चौकीदार से पूछा.
‘‘नहीं मैडम, ऊपर तो क्या आप के जाने के बाद बंगले में कोई नहीं आया.’’ चौकीदार ने जवाब दिया.
सुबह जैसे ही शीतल की नींद खुली, उसे रात की घटना याद आ गई. वह तुरंत उठ कर गैलरी में गई. उस ने अनुमान लगाया गैलरी में 2 संभावित रास्तों से आया जा सकता है. एक या तो नीचे से कोई अतिरिक्त सीढ़ी लगाए या छत पर से रस्सा डाल कर कोई नीचे आए. अगर कोई सीढि़यां लगा कर ऊपर आया, तो गैलरी के नीचे की कच्ची जमीन पर उस के निशान जरूर आए होंगे. और अगर छत के द्वारा नीचे आया है तब भी रस्से के कुछ सबूत मौजूद होंगे. शीतल उठ कर दोनों प्रमाण ढूंढने गई. मगर उसे निराशा ही हाथ लगी. उस ने क्लब में उतनी ही ड्रिंक ली थी जितना वह रोज लेती थी. हो सकता है ड्रिंक की स्ट्रौंगनैस कुछ ज्यादा रही हो और इसी वजह से उसे कुछ अतिरिक्त खुमार हो गया हो और उसी कारण यह गलतफहमी हुई हो. इस तरह की बातें सोच कर वह अपने रोज के कामों में लग गई और मैनेजर्स से रिपोर्ट लेने लगी.
शाम को शीतल पूरी तरह चौकन्नी थी. वह कल जैसी गलती दोहराना नहीं चाहती थी. बंगले से निकलते समय उस ने खुद अपने बैडरूम को लौक किया और चौकीदार को लगातार राउंड लेने की हिदायत दी. लौटने में उसे कल जितना ही समय हो गया. हालांकि वह जल्दी लौटना चाहती थी, लेकिन फ्रैंड्स के अनुरोध के कारण उसे देरी हो गई. उस ने ड्रिंक भी आज रोजाना की अपेक्षा कम ही ली. आज क्लब से निकलते समय उसे न जाने क्यों अंदर ही अंदर एक अनजाना सा डर लग रहा था. उस का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था. मगर ऊपर से वह कुछ भी जाहिर न होने देने का प्रयास कर रही थी. कार से उतरते ही उस ने नजरें उठा कर अपने बैडरूम की गैलरी में देखा. पर आज वहां कोई नहीं था.
ओह तो कल सचमुच वह मेरा वहम था. सोच कर वह मन ही मन मुसकराते हुए बंगले के अंदर घुसी. वह आगे कदम बढ़ा ही रही थी कि उस के मोबाइल की घंटी बज उठी.
‘‘हैलो..’’
‘‘मेरे दिल ने जो मांगा मिल गया, मैं ने जो भी चाहा मिल गया…’’ दूसरी तरफ से किसी पुरुष के गुनगुनाने की आवाज आ रही थी.
‘‘कौन है?’’ शीतल ने तिलमिला कर पूछा.
जवाब में वह व्यक्ति वही गीत गुनगुनाता रहा. शीतल ने झुंझला कर फोन काट दिया और आए हुए नंबर की जांच करने लगी. मगर स्क्रीन पर नंबर डिसप्ले नहीं हो रहा था. उसे याद आया यह तो वही पंक्तियां थीं, जो वह उस हिल स्टेशन पर होटल में अनल के सामने बुदबुदा रही थी. कौन हो सकता है यह व्यक्ति? मतलब होटल के कमरे में कहीं गुप्त कैमरा लगा था जो उस होटल में रुकने वाले जोड़ों की अंतरंग तसवीरें कैद कर उन्हें ब्लैकमेल करने के काम में लिया जाता होगा. लेकिन जब उन्हें उस की और अनल की ऐसी कोई तसवीर नहीं मिली तो इन पंक्तियों के माध्यम से उस का भावनात्मक शोषण कर ब्लैकमेल कर रुपए ऐंठना चाहते होंगे.
शीतल बैडरूम में जाने के लिए सीढि़यां चढ़ ही रही थी कि एक बार फिर से मोबाइल की घंटी बज उठी. इस बार उस ने रिकौर्ड करने की दृष्टि से फोन उठा लिया. फिर वही आवाज और फिर वही पंक्तियां. उस ने फोन काट दिया. मगर फोन काटते ही फिर घंटी बजने लगती. बैडरूम का लौक खोलने तक 4-5 बार ऐसा हुआ. झुंझला कर शीतल ने मोबाइल ही स्विच्ड औफ कर दिया. उसे डर था कि यह फोन उसे रात भर परेशान करेगा और वह चैन से सोना चाहती थी. शीतल कपड़े चेंज कर के आई और लाइट्स औफ कर के लेटी ही थी कि उस के बैडरूम में लगे लैंडलाइन फोन पर आई घंटी से वह चौंक गई. यह तो प्राइवेट नंबर है और बहुत ही चुनिंदा और नजदीकी लोगों के पास थी. क्या किसी परिचित के यहां कुछ अनहोनी हो गई. यही सोचते हुए उस ने फोन उठा लिया.
फोन उठाने पर फिर वही पंक्तियां कानों में पड़ने लगीं. शीतल बुरी तरह से घबरा गई. एसी के चलते रहने के बावजूद उस के माथे पर पसीना उभर आया. नहीं यह होटल वाले की नहीं, बल्कि निकाले गए किसी नौकर की शरारत है. उस ने निश्चय किया कि वह सुबह उठ कर पुलिस में शिकायत करेगी. मगर प्रश्न यह है कि होटल में अनल के सामने बोली गईं पंक्तियां किसी नौकर को कैसे पता चलीं. फोन रख कर वह सोच ही रही थी की एक बार फिर लैंडलाइन की कर्कश घंटी बजी. उसी का फोन होगा और यह रात भर इसी तरह परेशान करेगा, सोच कर उस ने लैंडलाइन फोन का भी प्लग निकाल कर डिसकनेक्ट कर दिया. फोन डिसकनेक्ट कर के वह मुड़ी ही थी कि उस की नजर बैडरूम की खिड़की पर लगे शीशे की तरफ गई. शीशे पर किसी पुरुष की परछाई दिख रही थी, जो कल की ही तरह बाहें फैलाए उसे अपनी तरफ बुला रहा था.
वह जोरों से चीखी और बैडरूम से निकल कर नीचे की तरफ भागी. चेहरे पर पानी के छीटें पड़ने से शीतल की आंखें खुलीं.
‘‘क्या हुआ?’’ उस ने हलके से बुदबुदाते हुए पूछा.
घर के सारे नौकर और चौकीदार शीतल को घेर कर खड़े थे और उस का सिर एक महिला की गोद में था.
‘‘शायद आप ने कोई डरावना सपना देखा और चीखते हुए नीचे आ गईं और यहां गिर कर बेहोश हो गईं.’’ चौकीदार ने बताया.
‘‘सपना…? हां शायद,’’ कुछ सोचते हुए शीतल बोली, ‘‘ऐसा करो, वह नीचे वाला गेस्टरूम खोल दो, मैं वहीं आराम करूंगी.’’
दरअसल, शीतल इतना डर चुकी थी कि वह वापस अपने बैडरूम में जाना नहीं चाहती थी.
सुबह उठ कर शीतल पुलिस में शिकायत करने के बारे में सोच ही रही थी कि एक नौकर ने आ कर सूचना दी.
‘‘मैडम, वीर सर आप से मिलाना चाहते हैं.’’
‘‘वीर? अचानक? इस समय?’’ शीतल मन ही मन बुदबुदाते हुई बोली.
‘‘अरे भैया, अचानक बिना सूचना के इस समय…’’ ड्राइंगरूम में प्रवेश करते हुए शीतल बोली.
‘‘नमस्ते भाभीजी. क्या बात है आप की तबीयत ठीक नहीं है क्या? मैं आप को फोन लगा रहा था, मगर आप का फोन बंद आ रहा था. आप का हाल जानने चला आया.’’ वीर बिना किसी औपचारिकता के बोला.
‘‘ओह शायद रात में उस की बैटरी खत्म हो गई हो.’’ शीतल बैठते हुए बोली.
उसे याद आया कि मोबाइल तो उस ने स्वयं ही बंद किया हुआ है. मगर वह असली बात वीर को बताना नहीं चाहती थी.
‘‘भाभीजी जैसा कि आप ने कहा था मैं ने इंश्योरेंस कंपनी के औफिसर्स से बात की है. चूंकि यह केस कुछ पेचीदा है फिर भी वह कुछ लेदे कर केस निपटा सकते हैं.’’ वीर ने कहा.
‘‘कितना क्या और कैसे देना पड़ेगा? हमारी तरफ से कौनकौन से पेपर्स लगेंगे?’’ शीतल ने शांत भाव से पूछा.
‘‘हमें उस हिल स्टेशन वाले थाने से पिछले तीन केस की ऐसी रिपोर्ट निकलवानी होगी, जिस में लिखा होगा उस खाई में गिरने के बाद उन लोगों की लाशें नहीं मिलीं. यही हमारे केस सेटलमेंट का सब से बड़ा आधार होगा, जो यह सिद्ध करेगा कि बौडी मिलने की संभावनाएं नहीं है.
‘‘इस काम के लिए अधिकारियों को मिलने वाली राशि का 25 परसेंट मतलब ढाई करोड़ रुपए देना होगा. यह रुपए उन्हें नगद देने होंगे. कुछ पैसा अभी पेशगी देना होगा बाकी क्लेम सेटल होने के बाद. चूंकि बात मेरे माध्यम से चल रही है अत: पेमेंट भी मेरे द्वारा ही होगा.’’ वीर ने बताया.
‘‘ढाई करोड़ऽऽ..’’ शीतल की आंखें चौड़ी हो गईं, ‘‘यह कुछ ज्यादा नहीं हो जाएगा?’’ वह बोली.
‘‘देखिए भाभीजी, अगर हम वास्तविक क्लेम पर जाएंगे तो सालों का इंतजार करना होगा. शायद कम से कम 7 साल. फिर उस के बाद कोर्ट का अप्रूवल. फिर भी कह नहीं सकते उस समय इस कंपनी के अधिकारियों की पोजीशन क्या रहे. सब कुछ खोने से बेहतर है, थोड़ा कुछ दे कर ज्यादा पा लिया जाए.’’ वीर ने अपना मत रखा.
‘‘आप क्या चाहते हैं, इस डील को स्वीकार कर लिया जाए?’’ शीतल ने पूछा.
‘‘जी मेरे विचार से बुद्धिमानी इसी में है.’’ वीर बोला, ‘‘अभी हमें सिर्फ 25 लाख रुपए देने हैं. ये 25 लाख लेने के बाद इंश्योरेंस औफिस एक लेटर जारी करेगा, जिस के आधार पर हम उस हिल स्टेशन वाले थाने से पिछले 3 केस की केस हिस्ट्री देंगे.
‘‘इस हिस्ट्री के आधार पर कंपनी हमारे क्लेम को सेटल करेगी और 10 करोड़ का चैक जारी करेगी. उस चैक की फोटोकौपी देख कर हम अधिकारियों को बाकी अमाउंट का बेयरर चैक जारी करेंगे और हमारे अकाउंट में इंश्योरेंस कंपनी का चैक डिपोजिट होने के बाद हम उन्हें नगद पैसा दे कर अपना चैक वापस ले लेंगे.’’ वीर ने पूरी योजना विस्तार से समझाई.
‘‘ठीक है 1-2 दिन में सोच कर बताती हूं. 25 लाख का इंतजाम करना भी आसान नहीं होगा.’’ शीतल बोली.
‘‘अच्छा भाभीजी, मैं चलता हूं.’’ वीर उठते हुए नमस्कार की मुद्रा बना कर बोला.
शीतल की तीक्ष्ण बुद्धि यह समझ गई की वीर दोस्ती के नाम पर धोखा दे रहा है. और हो न हो, यह वही शख्स है जो उसे रातों में डरा रहा है. यह मुझे डरा कर सारा पैसा हड़पना चाहता है. मैं ऐसा नहीं होने दूंगी और इसे रंगेहाथों पुलिस को पकड़वाऊंगी. बहुत ही कमीना है. शीतल मन ही मन बुदबुदाते हुए बोली. उस ने तत्काल पुलिस से शिकायत करने का इरादा त्याग दिया. रोजाना की तरह आज भी लगभग 8 बजे शाम को वह क्लब जाने के लिए निकली. आज शीतल बेफिक्र थी, क्योंकि उसे पता चल चुका था कि पिछले दिनों हो रही घटनाओं के पीछे किस का हाथ है. अब उस का डर निकल चुका था. उस ने वीर को सबक सिखाने की योजना पर भी काम चालू कर दिया था.
बंगले की गली से निकल कर जैसे ही वह मुख्य सड़क पर आने को हुई तो कार की हैडलाइट सामने खड़े बाइक सवार पर पड़ी. उस बाइक सवार की शक्ल हूबहू अनल के जैसी थी. अनल…अनल कैसे हो सकता है. ओहो तो वीर ने उसे डराने के लिए यहां तक रच डाला कि अनल का हमशक्ल रास्ते में खड़ा कर दिया. अपने आप से बात करते हुए शीतल बोली, ‘‘हद है कमीनेपन की.’’
‘‘जी मैडम, कुछ बोला आप ने?’’ ड्राइवर ने पूछा.
‘‘नहीं कुछ नहीं. चलते रहो.’’ शीतल बोली.
‘‘मैडम, मैं कल की छुट्टी लूंगा.’’ ड्राइवर बोला.
‘‘क्यों?’’ शीतल ने पूछा.
‘‘मेरी पत्नी को झाड़फूंक करवाने ले जाना है.’’ ड्राइवर बोला, ‘‘उस पर ऊपर की हवा का असर है.’’
‘‘अरे भूतप्रेत, चुड़ैल वगैरह कुछ नहीं होता. फालतू पैसा मत बरबाद करो.’’ शीतल ने सीख दी.
‘‘नहीं मैडम, अगर मरने वाले की कोई इच्छा अधूरी रह जाए तो वह इच्छापूर्ति के लिए भटकती रहती है. और भटकने वाली आत्मा भी किसी अपने की ही रहती है. जितनी परेशानी हमें होती है, उतनी ही परेशानी उन्हें भी होती है. अत: उन को भी मुक्त करा दिया जाना चाहिए.’’ ड्राइवर बोला.
‘‘अधूरी इच्छा?’’ बोलने के साथ ही शीतल को याद आया कि अनल की मौत भी तो एक अधूरी इच्छा के साथ हुई है. तो अभी जो दिखाई पड़ा, वह अनल ही था? अनल ही साए के माध्यम से उसे अपने पास बुला रहा था? उस के प्राइवेट नंबर पर काल कर रहा था? पिछले 12 घंटों से जीने की हिम्मत बटोरने वाली शीतल पर एक बार फिर डर का साया छाने लगा था. क्लब की किसी भी एक्टिविटी में उस का दिल नहीं लगा. आज वह इस डर से क्लब से जल्दी निकल गई कि दिखाई देने वाला व्यक्ति कहीं सचमुच अनल तो नहीं. अभी कार क्लब के गेट के बाहर निकली ही थी कि शीतल की नजर एक बार फिर बाइक पर बैठे अनल पर पड़ी, जो उसे बायबाय करते हुए जा रहा था. लेकिन इस बार उस ने रंगीन नहीं एकदम सफेद कपड़े पहने थे.
‘‘ड्राइवर उस बाइक का पीछा करो.’’ पसीने में नहाई शीतल बोली. उस की आवाज अटक रही थी घबराहट के मारे.
‘‘बाइक? कौन सी बाइक मैडम?’’ ड्राइवर ने पूछा.
‘‘अरे, वही बाइक जो वह सफेद कपड़े पहने आदमी चला रहा है.’’ शीतल कुछ साहस बटोर कर बोली.
‘‘मैडम मुझे न तो कोई बाइक दिखाई पड़ रही है, न कोई इस तरह का आदमी. और जिस तरफ आप जाने का बोल रही हैं, वह रास्ता तो श्मशान की तरफ जाता है. आप तो जानती ही हैं, मैं अपने घर में इस तरह की एक परेशानी से जूझ रहा हूं. इसीलिए इस वक्त इतनी रात को मैं उधर जाने की हिम्मत नहीं कर सकता.’’ ड्राइवर ने जवाब दिया.
‘‘क्या सचमुच तुम को कोई आदमी, कोई बाइक दिखाई नहीं दी.’’ शीतल ने पूछा.
‘‘जी मैडम, मैं सच कह रहा हूं.’’ ड्राइवर ने जवाब दिया.
अब शीतल का डर और भी अधिक बढ़ गया. वह समझ चुकी थी, उसे जो दिखाई दे रहा है वह अनल का साया ही है. अब उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह पंक्तियों की आवाज भी अनल की ही थी. क्या चाहता है अनल का साया उस से? क्या वह उस के माध्यम से अपनी अपूरित इच्छा पूरी करना चाहता है? या यह काम वीर ही उस की दौलत हथियाने के लिए कर रहा है. लेकिन वीर को उस होटल वाली पंक्तियों के बारे में कैसे पता चला? शीतल अभी यह सब सोच ही रही थी कि कार बंगले के उस मोड़ पर आ गई, जहां उस ने जाते समय अनल को बाइक पर देखा था. उस ने गौर से देखा उस मोड़ पर अभी भी एक बाइक पर कोई खड़ा है. अबकी बार कार की हैडलाइट सीधे खड़े हुए आदमी के चेहरे पर पड़ी.
उसे देख कर शीतल का चेहरा पीला पड़ गया. उसे लगा जैसे उस का खून पानी हो गया है, शरीर ठंडा पड़ गया है. वह अनल ही था. वही सफेद कपड़े पहने हुए था.
‘‘देखो भैया, उस मोड़ पर बाइक पर एक आदमी खड़ा है सफेद कपड़े पहन कर.’’ डर से कांपती हुई शीतल बोली.
‘‘नहीं मैडम, जिसे आप सफेद कपड़ों में आदमी बता रहीं हैं वो वास्तव में एक बाइक वाली कंपनी के विज्ञापन का साइन बोर्ड है जो आज ही लगा है.’’ ड्राइवर ने कहा और गाड़ी बंगले की तरफ मोड़ दी.
ड्राइवर की बात सुन कर फुल स्पीड में चल रहे एयर कंडीशन के बावजूद शीतल को इतना पसीना आया कि उस के पैरों में कस कर बंधी सैंडल में से उस के पंजे फिसलने लगे, कदम लड़खड़ाने लगे. वह लड़खड़ाते कदमों से ड्राइवर के सहारे बंगले में दाखिल हुई. और ड्राइंगरूम के सोफे पर बैठ गई. वह सोच ही रही थी कि अपने बैडरूम में जाए या नहीं. तभी शीतल अचानक बजी डोरबेल की आवाज से डर गई. रात के समय चौकीदार मेन गेट का ताला अंदर से लगा देता है. ऐसे में यदि किसी को बंगले में प्रवेश करना हो तो उसे डोरबेल बजा कर गेट खुलवाना पड़ता था. शीतल के तो बंगले का माहौल तो वैसे ही डरावना था, उस का डरना और चौंकना स्वाभाविक था.
कुछ सामान्य हुआ दिल फिर से जोरों से धड़कने लगा. बदन में सनसनी की एक लहर दौड़ गई. वह किसी अनहोनी की आशंका से पसीनेपसीने होने लगी. शीतल उठ कर बाहर जाना नहीं चाहती थी. वैसे भी अनहोनी की आशंका से उस की हिम्मत भी जवाब दे चुकी थी. वह ड्राइंगरूम की खिड़की से देखने लगी. चौकीदार ने मेन गेट पर बने स्लाइडिंग विंडो से देखने की कोशिश की, मगर उसे कोई दिखाई नहीं दिया. अत: वह छोटा गेट खोल कर बाहर देखने लगा. ज्यों ही उस ने गेट खोला शीतल को सामने के लैंपपोस्ट के नीचे खड़ा अनल दिखाई दिया. इस बार उस ने काले रंग के कपड़े पहने हुए थे और वह दोनों बाहें फैलाए हुए था. चौकीदार उसे देखे बिना ही सड़क पर अपनी लाठी फटकारने लगा और जोरों से विसलिंग करने लगा.
इस का मतलब था कि चौकीदार को अनल दिखाई नहीं पड़ा. इसीलिए वह उस से बात न कर के जमीन पर लाठी फटकार कर अपनी ड्यूटी की खानापूर्ति कर रहा था. ड्राइवर अनल के दिखाई न देने की बात का झूठ बोल सकता है, मगर चौकीदार तो इस घटना के बारे में कुछ जानता ही नहीं था. उसे भी अनल दिखाई नहीं पड़ा. मतलब अनल सचमुच भूत…ओह नो. शीतल सोचने लगी उस दिन अगर उस की इच्छापूर्ति कर देती तो शायद अनल इस रूप में नहीं आता और उसे इस तरह डर कर नहीं रहना पड़ता. कल ड्राइवर के साथ वह भी उस झाड़फूंक करने वाले ओझा के पास जाएगी. पुलिस से शिकायत करने से कुछ नहीं होगा. क्योंकि पुलिस तो जिंदा लोगों को पकड़ सकती है. भूतप्रेत और आत्माओं को नहीं.
शीतल अभी पूरी तरह से निर्णय ले भी नहीं पाई थी कि मोबाइल पर आई इनकमिंग काल की रिंग से डर कर वह दोहरी हो गई. उस के हाथपैर कांपने लगे. बदन एक बार फिर पसीने से नहा गया. वह जानती थी की इस समय फोन करने वाला कौन होगा. उस ने हिम्मत कर के मोबाइल की स्क्रीन पर देखा. इस बार किसी का नंबर डिसप्ले हो रहा था. नंबर अनजाना जरूर था, मगर यह नंबर उस के लिए एक प्रमाण बन सकता है. यही सोच कर उस ने फोन उठा लिया. उसे विश्वास था कि उसे फिर वही पंक्तियां सुनने को मिलेंगी.
लेकिन उस का अनुमान गलत निकला.
‘‘हैलो शीतू?’’ उधर से आवाज आई.
‘‘क..क..कौन हो तुम?’’ शीतल बहुत हिम्मत कर के अपनी घबराहट पर नियंत्रण रखते हुए बोली.
‘‘तुम्हें शीतू कौन बुला सकता है. कमाल हो गया, तुम अपने पति की आवाज तक नहीं पहचान पा रही हो. अरे भई, मैं तुम्हारा पति अनल बोल रहा हूं.’’ उधर से आवाज आई.
‘‘तु..तु…तुम तो मर गए थे न?’’ शीतल ने हकलाते हुए पूछा.
‘‘हां, मगर मेरी वह अधूरी मौत थी, इट वाज जस्ट ऐन इनकंपलीट डेथ. क्योंकि मैं अपनी एक अधूरी इच्छा के साथ मर गया था. इस कारण मुझे तुम से मिलने वापस आना पड़ा.’’ अनल बोला.
‘‘तुम अपनी इच्छापूर्ति के लिए सीधे घर पर भी आ सकते थे. मुझे इस तरह परेशान करने की क्या जरूरत है?’’ शीतल सहमे हुए स्वर में बोली.
‘‘देखो शीतू, मैं अब आत्मा बन चुका हूं और आत्मा कभी भी उस जगह पर नहीं जाती, जहां पर भगवान रहते हैं. पिताजी ने बंगला बनवाते समय हर कमरे में भगवान की एकएक मूर्ति लगाई थी. यही मूर्तियां मुझे तुम से मिलने से रोकती हैं. लेकिन मैं तुम से आखिरी बार मिल कर जाना चाहता हूं. बस मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दो.’’ उधर से अनल अनुरोध करता हुआ बोला.
‘‘मगर एक आत्मा और शरीर का मिलन कैसे होगा?’’ शीतल ने पूछा.
‘‘मैं एक शरीर धारण करूंगा, जो सिर्फ तुम को दिखाई देगा और किसी को नहीं. जैसे आज ड्राइवर व चौकीदार को दिखाई नहीं दिया.’’ अनल ने जवाब दिया.
‘‘इस बात की क्या गारंटी है कि तुम अपनी इच्छा पूरी होने के बाद चले जाओगे, मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाओगे.’’ शीतल ने अपनी बात रखी.
‘‘मैं वादा करता हूं शीतू…कि मुझे जो चाहिए वह मिल जाएगा तो तुम्हारी जिंदगी से सदासदा के लिए चला जाऊंगा.’’ अनल ने शीतल को आश्वस्त किया.
‘‘ठीक है, बताओ कहां मिलना है?’’ शीतल ने पूछा, ‘‘मैं भी इस डरडर के जीने वाली जिंदगी से परेशान हो गई हूं.’’ शीतल ने कहा.
‘‘शहर के बाहर सुनसान पहाड़ी पर जो टीला है, उसी पर मिलते हैं, आखिरी बार.’’ अनल बोला, ‘‘दोपहर 12 बजे.’’
‘‘ठीक है मैं आती हूं.’’ शीतल बोली, ‘‘लेकिन वादा करो आज की रात मुझे चैन से सोने दोगे.’’
‘‘मैं वादा करता हूं.’’ उधर से आवाज आई.
शीतल अब निश्चिंत हो गई. वह सोचने लगी, इस स्थिति से कैसे निपटा जाए. अगर वह सचमुच एक आत्मा हुई तो..? अरे उस ने खुद ने ही तो बता दिया है कि जहां भगवान होते हैं, वहां वह ठहर ही नहीं सकता. मतलब भगवान को साथ ले जाना होगा. और अगर वह खुद कोई फ्रौड हुआ, ब्लैकमेलर हुआ तो? तभी उसे याद आया अनल के पास एक लाइसेंसी रिवौल्वर है. अनल ने उसे चलाने का तरीका भी बताया था. उसी रिवौल्वर को मैं अपनी आत्मरक्षा के लिए साथ ले जाऊंगी. शीतल ने निर्णय लिया. आज शीतल भरपूर गहरी नींद सोई.
सुबह उठ कर उस ने अपने दोनों हाथों की कलाइयों, बाजुओं, गले यहां तक कि कमर में भी भगवान के फोटो वाली लौकेट पहन लिए, ताकि वह आत्मा उसे छूने से पहले ही समाप्त हो जाए. साथ ही उस ने अपनी भौतिक सुरक्षा के लिए रिवौल्वर भी अपने पर्स में रख ली. ड्राइवर आज छुट्टी पर था. उस ने खुद गाड़ी चलाने का निर्णय लिया. वह निर्धारित समय से 15 मिनट पहले ही सुनसान पहाड़ी पर पहुंच गई. नाम के अनुरूप जगह वाकई सुनसान थी. लेकिन अनल उस से भी पहले से वहां पहुंचा हुआ था.
‘‘ऐसा लगता है, तुम सुबह से ही यहां आ गए हो.’’ शीतल अनल की तरफ देखते हुए बोली.
‘‘शीतू, मैं तो रात से ही तुम्हारे इंतजार में बैठा हूं.’’ अनल बोला, ‘‘आखिर हूं तो आत्मा ही न?’’
अनल के इस जवाब से शीतल के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई.
‘‘कौन सी इच्छा पूरी करना चाहते हो अनल?’’ शीतल अपने आप को संभालती हुई बोली.
‘‘बस एक ही इच्छा है, जो मैं मर कर भी नहीं जान पाया…’’ अनल थोड़ा रुकता हुआ बड़ी संजीदगी से बोला, ‘‘…कि तुम ने मुझे उस ऊंची पहाड़ी से धक्का क्यों दिया? इस का जवाब दो, इस के बाद मैं सदासदा के लिए तुम्हारी जिंदगी से दूर चला जाऊंगा.’’
‘‘हां, तुम्हें यह जवाब जानने का पूरा हक है. और यह सुनसान जगह उस के लिए उपयुक्त भी है. अनल तुम तो मेरी पारिवारिक स्थिति अच्छी तरह से जानते ही हो. मैं बचपन से बहनों के उतारे हुए पुराने कपड़े और बचीखुची रोटियों के दम पर ही जीवित रही हूं. लेकिन किस्मत ने मुझे उस मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया, जहां मेरे चारों और खानेपीने और पहनने ओढ़ने की बेशुमार चीजें बिखरी पड़ी थीं.
‘‘यह सब वे खुशियां थीं जिस का इंतजार मैं पिछले 23 साल से कर रही थी. एक तुम थे कि मुझे मां बनाने पर तुले थे. और मैं जानती थी, एक बार मां बनाने के बाद मेरी सारी इच्छाएं बच्चे के नाम पर कुरबान हो जातीं. और यह भी संभव था कि एक बच्चे के 3-4 साल का होने के बाद मुझ से दूसरे बच्चे की मांग की जाती.
‘‘अब तुम ही बताओ मेरी अपनी सारी इच्छाओं का क्या होता? क्या बच्चे और परिवार के नाम पर मेरी ख्वाहिशें अधूरी नहीं रह जातीं?
‘‘मैं अपनी इच्छाओं को किसी के साथ भी बांटना नहीं चाहती थी. न तुम्हारे साथ न बच्चों के साथ. मैं भरपूर जिंदगी जीना चाहती हूं सिर्फ अपने और अपने लिए.
‘‘उस पहाड़ी को देखते ही मैं ने मन ही मन योजना बना ली थी. इसी कारण स्टाइलिश फोटो के नाम पर ऐसा पोज बनवाया, जिस से मुझे धक्का देने में आसानी हो.’’
शीतल ने अपनी योजना का खुलासा किया, ‘‘मैं अब तक इस बात को भी अच्छी तरह से समझ चुकी हूं कि तुम कोई आत्मा नहीं हो. लेकिन मैं तुम्हें इसी पल आत्मा में तब्दील कर दूंगी.’’ कहते हुए शीतल ने अपने पर्स में से रिवौल्वर निकाल ली. और हां तुम्हारी लाश पुलिस को मिल जाएगी, तो मुझे बीमे का क्लेम भी आसानी से मिल जाएगा.’’ शीतल ने आगे जोड़ा.
‘‘देखो शीतल, दोबारा ऐसी गलती मत करो. तुम्हारे पीछे पुलिस यहां पर पहुंच ही चुकी है.’’ अनल शीतल को चेताते हुए बोला.
‘‘मूर्ख, मुझे छोटा बच्चा समझ रखा है क्या? तुम कहोगे पीछे देखो और मैं पीछे देखूंगी तो मेरी पिस्तौल छीन लोगे.’’ शीतल कातिल हंसी हंसते हुए बोली. शीतल गोली चलाती, इस से पहले ही उस के पैर के निचले हिस्से पर किसी भारी चीज से प्रहार हुआ.
‘‘आ आ आ मर गई… ’’ कहते हुए शीतल जमीन पर गिर गई और हाथों से रिवौल्वर छूट गई. उस ने पीछे पलट कर देखा तो सचमुच में पुलिस खड़ी थी और साथ में वीर भी था.
‘‘आप का कंफेशन लेने के लिए ही यह ड्रामा रचा गया था मैडम. इस सारे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी कर ली गई है. अनल ने कपड़ों में 3-4 स्पाइ कैमरे लगा रखे थे.’’ इंसपेक्टर बोला, ‘‘आप को कुछ जानना है?’’
‘‘हां इंसपेक्टर, मैं यह जानना चाहती हूं कि अनल का भूत कैसे पैदा किया गया? वह मेरी गैलरी में कैसे चढ़ा और उतरा? वह मेरे अलावा किसी और को दिखाई क्यों नहीं दिया?’’ शीतल ने अपनी जिज्ञासा रखी.
‘‘यह वास्तव में ठीक उसी तरह का शो था जैसा कि कई शहरों में होता है. लाइट एंड साउंड शो के जैसा लेजर लाइट से चलने वाला. इस की वीडियो अनल व वीर ने ही बनाई थी और इस का संचालन आप के बंगले के सामने बन रही एक निर्माणाधीन बिल्डिंग से किया जाता था.’’ इंसपेक्टर ने बताया, ‘‘और आप के ड्राइवर और चौकीदार तो बेचारे इस योजना में शामिल हो कर आप के साथ नमकहरामी नहीं करना चाहते थे. लेकिन जब उन्हें पुलिस थाने बुलाया और पूरा मामला समझाया गया तो वह साथ देने को तैयार हो गए. ड्राइवर की आज की छुट्टी भी इसी पटकथा का एक हिस्सा है.’’
‘‘पहाड़ी पर इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद भी अनल बच कैसे गया?’’ शीतल ने हैरानी से पूछा.
‘‘यह सारी कहानी तो मिस्टर अनल ही बेहतर बता सकेंगे.’’ इंसपेक्टर ने कहा.
‘‘शीतल, तुम ने अपनी योजना को बखूबी अंजाम दिया, मगर तुम से एक गलती हो गई. तेजी से नीचे गिरने के लिए जितने प्रेशर की जरूरत पड़ती है, लड़की होने के कारण तुम उतना प्रेशर लगा नहीं पाई. इस का परिणाम यह निकला कि मुझे जिस तेजी से नीचे गिरना चाहिए था, मैं गिरा नहीं.
‘‘बस ढलान होने के कारण लेटी कंडीशन में लुढ़कता रहा. और लगभग 50 मीटर लुढ़कने के बाद खाई में उगे एक पेड़ पर अटक गया. इतना लुढ़कने और कई छोटेबड़े पत्थरों से टकराने के कारण मैं बेहोश हो गया .
‘‘दूसरी चालाकी या मूर्खता तुम ने यह की कि तुम ने मुझे जिस स्थान से धक्का दिया था, उस से लगभग 100 मीटर दूर तुम ने पुलिस को घटनास्थल बताया. तुम चाहती थी कि मेरी लाश किसी भी स्थिति में न मिले.
‘‘पहले दिन पुलिस तुम्हारे बताए स्थान पर ढूंढती रही, मगर अंधेरा होने के कारण चली गई. लेकिन दूसरे दिन पुलिस ने उस पूरे इलाके में सर्चिंग के लिए 6 सर्चिंग पार्टियां लगा दीं. उन्हें मैं एक पेड़ पर अटका हुआ बेहोश हालत में दिखाई दिया. चूंकि यह स्थान तुम्हारे बताए गए स्थान से काफी दूर और अलग था, अत: पुलिस को तुम पर शक पहले दिन से ही हो गया था. और वह मेरे बयान लेना चाहती थी. पुलिस ने तुम्हें बताए बिना मुझे अस्पताल में भरती करवा दिया. कुछ समय बेहोश रहने के बाद मैं कोमा में चला गया.
‘‘वीर के बयानों के आधार पर और पिताजी की जवाबदारी देखते हुए तुम्हें वहां से जाने दिया गया. लगभग एक महीने के बाद मुझे होश आया और मैं ने अपना बयान दिया. तुम से गुनाह कबूल करवाना मुश्किल था, इसीलिए पुलिस से मिल कर यह नाटक करना पड़ा.’’ अनल ने बताया.
‘‘चलो, अब समझ में आ गया भूत जैसी कोई चीज नहीं होती. मुझे इस बात की तो खुशी होगी कि मैं जेल में कम से कम उन अभावों में तो नहीं रहूंगी, जिन अभावों से मैं बचपन से गुजरी हूं.’’ शीतल बोली.
‘‘मैं ने तुम से वायदा किया था कि आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे तो यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी. मेरी अनुपस्थिति में पिताजी का खयाल रखने के लिए बहुतबहुत धन्यवाद.’’ अनल हाथ जोड़ते हुए बोला.