Rajasthan News : 25 वर्षीय डा. भावना यादव की प्रेम कहानी में गजब का जिद्दीपन था. वह दूर के रिश्तेदार उदेश यादव से बेइंतहा प्यार करती थी, जो एक यूनिवर्सिटी में क्लर्क था. क्लर्क की इस प्रेम दीवानी के पास डाक्टरी की विदेशी डिग्री थी, जबकि प्रेमी शादीशुदा और एक बच्चे का पिता था. डा. भावना का भावनात्मक दबाव प्रेमी से ले कर उस की पत्नी तक पर था. उस के बाद क्या हुआ? पढ़ें, इस हत्याआत्महत्या में उलझी कहानी में…
फिलिपींस से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाली डा. भावना यादव राजस्थान के कोटपुतली बहरोड़ जिले के अनंतपुरा गांव में रहती थी. पीजी की तैयारी में जुटी थी. दिल्ली स्थित डीईएमएस से एमसीआई की तैयारी के लिए औनलाइन पढ़ाई कर रही थी. हर सप्ताह टेस्ट देने के लिए दिल्ली जाती थी. इसी सिलसिले में वह 21 अप्रैल को टेस्ट देने के लिए दिल्ली गई थी. दिल्ली में 2 दिन एक रिश्तेदार के यहां ठहरने के बाद वह 23 अप्रैल की रात को हिसार चली गई. वहां जाने से पहले उस ने अपने मोबाइल से हिसार में रहने वाले उदेश यादव को फोन किया था.
किंतु उस ने फोन रिसीव नहीं किया था. कालबैक नहीं आने पर डा. भावना ने दूसरे नंबरों से भी काल की. उदेश ने काल रिसीव नहीं की. अंत में भावना ने छोटा सा वाट्सऐप मैसेज, ‘आ रही हूं आज!’ भेज दिया. दरअसल, उदेश को वह कई सालों से जानती थी. वह उस का दूर का रिश्तेदार भी था. वह हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्याल में क्लर्क की नौकरी करता था और सरकारी क्वार्टर में अकेला रहता था. उस ने डा. भावना की काल रिसीव नहीं की और न ही वाट्सऐप मैसेज देखा. फिर भी वह उस के सरकारी क्वार्टर पर जा पहुंची.
रात हो चुकी थी. मेन गेट बंद था. वह पीछे से दीवार फांद कर क्वार्टर के बरामदे में जा पहुंची. कालबेल बजाई, साथ में दरवाजे की कुंडी भी खटखटा दी. जल्द ही दरवाजा खुल गया. उदेश बाहर निकला. निकलते ही चौंकते हुए बोला, ”तुम यहां क्यों आई, वह भी रात को?’’
”क्या करती, तुम फोन ही नहीं रिसीव कर रहे थे. देखो, कितनी मिस काल हैं?’’ भावना शिकायती अंदाज में बोली.
”क्यों फोन रिसीव करता मैं? जब मना कर दिया है कि काल नहीं करना तो नहीं करना था…’’ उदेश नाराजगी के साथ बोला.
”गुस्सा नहीं! पहले वाशरूम बताओ… जल्द जाना है!’’ भावना की मांग पर उदेश शांत हो गया और क्वार्टर के भीतर बने टायलेट की ओर इशारा कर दिया. कुछ देर में वाशरूम से भावना क्वार्टर के एक कमरे में आ गई थी. उदेश सिर झुकाए कुरसी पर बैठा था. उसे उदास देख कर भावना पास पड़ी दूसरी प्लास्टिक की कुरसी पर बैठती हुई बोली, ”उदास क्यों हो…मेरा आना बुरा लगा!’’
”तुम्हें यहां नहीं आना था.’’
”तुम्हारी आवाज सुने महीनों हो गए थे…क्या करती मैं?’’
”क्यों सुननी है मेरी आवाज… जब कोई संबंध ही नहीं रखना!’’
”कैसे नहीं रखना संबंध?’’
”कैसे? मजाक है क्या? मेरी पत्नी है, बच्चा है…’’
”पत्नी को डाइवोर्स दे दो…मैं उसे समझा दूंगी.’’ डा. भावना का यह कहना था कि उदेश एक झटके में कुरसी से उठ खड़ा हुआ. तीखी आवाज में बोला, ”यही बकवास करने आई हो यहां! चली जाओ यहां से…’’
”नहीं, रात को कहां जाऊंगी?’’ भावना बोली.
”जहां भी, जहन्नुम में जाओ.’’
”तो फिर अकेली नहीं, तुम्हें भी साथ ले कर जाऊंगी मैं.’’ भावना भी उदेश के कहे अंदाज में जवाब दे कर कमरे में चहलकदमी करने लगी. तब तक उदेश वहां से निकल कर दूसरे कमरे में चला आया था. कमरे का दरवाजा बंद करने की आवाज के बाद वहां शांति छा गई. दोनों अलगअलग कमरे में थे. कौन क्या कर रहा था, किस के दिमाग में क्या चल रहा था, इस से दोनों अनभिज्ञ थे. कुछ मिनट बाद अचानक भावना बोली, ”खाने के लिए भी नहीं पूछोगे…कुछ है तो दे दो, भूख लगी है यार.’’
”देख लो, रसोई में. जो कुछ है जा कर खा लो.’’
”तुम ने खाया?’’
”मेरी छोड़ो अपनी चिंता करो…अपनी भूख मिटाओ…और यहां से चली जाओ.’’
किचन में किस ने लगाई डा. भावना को आग
भावना सीधे रसोई में जा घुसी, जबकि उदेश ने अपने कमरे की बत्ती बुझा दी. कुछ देर तक बरतन खनकने की आवाजें आती रहीं. तब तक रात गहराने लगी थी. क्वार्टर में एकदम से सन्नाटा छा गया था. ऐसा मालूम हो रहा था, जैसे वहां कोई रहता ही नहीं हो. आधी रात होने को आई थी. अचानक क्वार्टर के एक कमरे में आग की लपटें उठने लगीं. चीखने की आवाजें आने लगीं. चीखने की आवाज भावना की थी. वह ‘बचाओ… बचाओ’ कह रही थी. कमरे में आग लग चुकी थी. उदेश ने किसी तरह से आग पर काबू पाया. कमरे में भावना अधजली कराह रही थी.
उसे कंबल में लपेटा और उदेश उसे तुरंत पास के सोनी बर्न अस्पताल ले कर गया. अगले दिन सुबह करीब साढ़े 8 बजे उदेश ने राजस्थान में रहने वाली भावना की मम्मी गायत्री यादव को तब काल की, जब वह गांव के स्कूल के औफिस में थीं. वह खोहर गांव के स्कूल की प्रिंसिपल हैं.
”हैलो, मैं हिसार, हरियाणा से उमेश यादव बोल रहा हूं. भावना जल गई है. हिसार के सोनी बर्न यूनिट में भरती है…आप जल्द से जल्द आ जाइए.’’
यह सुन कर गायत्री चौंक गईं. उन्हें फोन करने वाले पर विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने फरजी काल समझ कर उसे डांटते हुए सवालजवाब कर दिए. उस से कहा कि भावना तो दिल्ली गई हुई है तो फिर वह हिसार में कैसे पहुंच गई है? वह गलत बता रहा है. किंतु जब उस ने विश्वास दिलाया कि वह उन की बेटी डा. भावना के बारे में सच बोल रहा है, वह अस्पताल में जीवनमौत से जूझ रही है. उन्होंने वीडियो काल पर भावना से बात करवाने को कहा. उदेश ने वीडियो काल कर अस्पताल में उस वक्त मौजूद नर्स से भावना को दिखाने को कहा. नर्स ने ऐसा ही किया.
वीडियो देख कर गायत्री को बेटी के जलने का विश्वास हुआ. बेटी की हालत बेहद नाजुक थी. एकदम मरणासन्न हालत में… वह बेचैन हो गईं. क्योंकि 24 अप्रैल को भावना दिल्ली से अपने गांव अनंतपुरा लौटने को कह कर 21 को टेस्ट के लिए निकली थी. मोबाइल से बेटी की दशा देख कर मानो गायत्री के पैरों तले की जमीन खिसक गई. वह कांपने लगीं. किसी तरह से हिम्मत की. स्कूल के एक स्टाफ को साथ लिया और अपने देवर को यह सूचना दे कर हिसार के लिए निकल पड़ीं.
गायत्री ने जब अस्तपाल में भावना की गंभीर हालत देखी तो उन का कलेजा कांप उठा. डाक्टर ने बताया कि वह करीब 80 प्रतिशत जल चुकी है. इतना जला इंसान शायद ही कभी बच पाता है. उस का बचना नामुमकिन लगता है, क्योंकि उस के शरीर पर जलने के अलावा चोट के निशान भी हैं. वह बोल नहीं पा रही थी. उस का चेहरा, पेट से ले कर घुटने तक का भाग बुरी तरह जल चुका था. सिर के बाल और पीठ सुरक्षित थे. पेट पर धारदार हथियार से चोट के कई निशान थे. उस की जली देह से पेट्रोल की गंध आ रही थी. जिस से उसे चाकू से गोदे जाने और पेट्रोल से जलाने की आशंका हुई.
हिसार के सोनी बर्न अस्पताल में गायत्री ने बेटी को बैड पर तड़पते हुए देखा. उस की हालत ऐसी नहीं थी कि वह ठीक से बात कर सके. कई बार पूछने पर उस ने सिर्फ इतना कहा, ‘मम्मी मुझे बचा लो! देखो, तुम्हारी बेटी के साथ क्या कर दिया?’
अस्पताल में उसे मालूम हुआ कि उसे भरती करवाने वाला व्यक्ति जा चुका है. गायत्री को भावना का हिसार पहुंचना कुछ समझ नहीं आया. अस्पताल में भरती करवाने वाले की तहकीकात की. वह वहां नहीं मिला. उन्हें फोन करने वाला उदेश यादव भी नहीं था. उसी ने भावना को जली अवस्था में भरती करवाया था. गायत्री ने महसूस किया कि उस अनजान शहर में उस की मदद करने वाला कोई नहीं है और वहां के इलाज से वह संतुष्ट नहीं हुईं. इस कारण गायत्री ने उसे जयपुर ले जाने का फैसला किया. हालांकि अस्पताल के डाक्टर भावना की हालत को देख कर उसे वहां से छुट्टी देने को तैयार नहीं थे. उन का मानना था कि इस से मरीज की जिंदगी को खतरा हो सकता था.
अस्पताल से उदेश क्यों हुआ गायब
इस पर गायत्री ने विशेष ध्यान नहीं दिया और कई घंटे का सफर तय कर गायत्री आखिरकार बेहोश भावना को ले कर जयपुर आ गईं. वहां एक अस्पताल में भरती करवा दिया, लेकिन डाक्टरों के लाख कोशिश करने के बावजूद भावना बचाई नहीं जा सकी. उस ने 24 अप्रैल, 2025 की रात करीब 11 बज कर 24 मिनट पर इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. भावना की मौत से गायत्री बेहद दुखी हो गईं. रोने लगीं. दोनों हाथों से अपनी छाती पीटने लगीं. जमीन पर बैठ गईं. उन पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. कुछ साल पहले ही उन के पति की सड़क हादसे में मौत हो चुकी थी.
पागलों की तरह हाथों को जमीन पर मारने लगीं. उन के साथ आए परिजनों ने उन्हें शांत करवाया. तब तक वह गुस्से में आ चुकी थीं. भावना को अस्पताल में भरती करवाने वाले उदेश यादव के बारे में पता किया. वह हिसार के अस्पताल से ही लापता था. फोन भी उसी ने किया था. गायत्री का उस पर शक गहरा हो गया. उन्होंने जयपुर के एसएमएस थाने में उदेश यादव पर हत्या का शक जताते हुए जीरो एफआईआर दर्ज करवा दी. आंसू भरी आंखों से गायत्री ने एफआईआर में घटना के 3 दिन पहले डा.
भावना के दिल्ली जाने से ले कर उस वक्त तक का विवरण लिखवाया. भावना 21 अप्रैल को अनंतपुरा, बहरोड़ से टेस्ट देने के लिए दिल्ली गई थी. 2 दिन 21 और 22 को उस ने अपनी छोटी बहन शालू के पास ठहर कर टेस्ट दिया था. 23 को दिन में उस ने फोन कर बताया था कि वह 24 अप्रैल की सुबह घर लौट आएगी. इस पर गायत्री ने सवाल उठाए कि जब वह दिल्ली में थी, तब वह हिसार कैसे पहुंच गई? उस के साथ हुई साजिश से घटना हुई है.
सुलझने के बजाय उलझ क्यों गया केस
उदेश के बारे में पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि वह उन के ही किसी दूर के रिश्तेदार का करीबी है और हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में क्लर्क है. इस से पहले मैडिकल बोर्ड से भावना के शव का पोस्टमार्टम हुआ. जीरो एफआईआर के आधार पर ही हिसार पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की. जांच हिसार के अस्पताल से शुरू हुई, जहां से 24 अप्रैल की सुबह 8 बज कर 35 मिनट पर भावना की मम्मी को फोन कर उस के जलने की जानकारी दी गई थी. इस दौरान उदेश हौस्पिटल में लगे सीसीटीवी कैमरे से लिए गए फुटेज में था. उस की तलाश की जाने लगी, किंतु वह नहीं मिला.
पुलिस उदेश के बारे में पता करने लगी. वारदात के 2 दिन बाद जयपुर में दर्ज करवाई गई एफआईआर हिसार के सिविल लाइंस थाने पहुंची. हिसार के सोनी अस्पताल में पूछताछ में हिसार की पुलिस को मालूम हुआ कि 24 अप्रैल की रात 10 बजे के करीब डा. भावना को काफी जली अवस्था में भरती करवाया गया था. तब वह कंबल में लिपटी हुई थी. उस की हालत लगातार बिगड़ती चली गई थी. पुलिस उदेश के उस क्वार्टर में गई, जहां डा. भावना के साथ आग में जलने की घटना हुई थी. उदेश वहां नहीं मिला था. घटनास्थल की जांच में पुलिस को एक पेट्रोल की बोतल मिली.
शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला कि उदेश भावना के दूर के रिश्तेदार का रिश्तेदार है. वह हरियाणा के रेवाड़ी में लिलोथ गांव का रहने वाला है और यूनिवर्सिटी के क्वार्टर में रहता है. वह भावना को अस्पताल में भरती करने के बाद फरार हो गया था. उस का फोन भी बंद था. पुलिस उस की तलाश में जुटी थी. पुलिस उदेश के कमरे से पेट्रोल की बोतल, जले हुए कपड़े व अन्य सामान बरामद कर चुकी थी. इस के बाद उदेश का पकड़ा जाना जरूरी था, ताकि वारदात की पूरी जानकारी मिल सके. उस से पूछताछ किए जाने के पहले तक यह पता करना मुश्किल था कि आखिर हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के उस क्वार्टर में 21 अप्रैल के बाद से कब क्या हुआ था?
क्योंकि गायत्री यादव के मुताबिक भावना अपने घर से दिल्ली के लिए 21 अप्रैल, 2025 को ही निकली थी. साथ ही क्वार्टर के जिस कमरे में यह वारदात हुई थी, वहां उदेश और भावना के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था. बगैर चश्मदीद गवाह के घटना के बारे में पूरी जानकारी जुटाना पुलिस के लिए मुश्किल काम था. डा. भावना भी बिगड़ी हालत के चलते मौत से पहले अपना कोई बयान नहीं दे पाई थी. ऐसे में उदेश के क्वार्टर में हुई वारदात एक राज बन चुकी थी.
जांच के लिए पुलिस टीम बनाई गई. आखिरकार 4 दिन बाद पुलिस को कामयाबी मिली. पुलिस ने हिसार से ही उदेश को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को उम्मीद थी कि अब भावना के कत्ल का एकएक सच सामने आ जाएगा. किंतु मामला उलझा हुआ ही रहा. कारण, खुद को गिरफ्तार करवाने वाले उदेश ने जो कहानी सुनाई, उस में एक युवती के जिद्दीपने की प्रेम कहानी सामने आई, उस से पुलिस थोड़ा उलझ गई. उस ने यह तो माना कि डा. भावना के जलने की वारदात उस के क्वार्टर में ही हुई थी, लेकिन साथ ही यह भी बताया कि डा. भावना खुद अपने साथ पेट्रोल की बोतल ले कर आई थी और उस ने खुद ही अपने शरीर पर आग लगा ली थी.
उस ने भावना को नहीं जलाया, बल्कि उस की आग बुझाई और उसे अस्पताल ले कर आया. इधर डा. भावना के जलने और जलाने की इस कहानी के बीच उदेश की पत्नी निक्की के बयान और उस के साथ भावना की दरजनों चैटिंग ने पुलिस को उलझन में डाल दिया. पुलिस ने उस चैटिंग के कुल 60 स्क्रीनशौट्स का विश्लेषण किया, तब उदेश और भावना के बीच की प्रेम कहानी का एक नया पहलू सामने आया. निक्की से पूछताछ और चैटिंग के किए गए अध्ययन से पता चला कि डा. भावना के उदेश से संबंध तब से थे, जब उस ने डाक्टरी की पढ़ाई शुरू भी नहीं की थी.
साल 2018 में दोनों की पहली बार मुलाकात एक विवाह समारोह के दरम्यान हुई थी. वहीं उन की छोटी सी मुलाकात अच्छी जानपहचान में बदल गई थी. दोनों के दिलों में प्रेम का बीजारोपण हो गया था. जल्द ही दोनों ने एकदूसरे को पसंद करने की बात अपने फेमिली वालों को बता दी कि वे आपस में शादी करना चाहते हैं. डा. भावना उदेश के मामा की दूर की साली थी. उदेश ने अपनी मामी और उन के फेमिली वालों के माध्यम से शादी का प्रस्ताव भावना के फेमिली वालों तक पहुंचाया था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
वह बेहद खूबसूरत भावना को डाक्टरी की पढ़ाई करवाना चाहते थे. इस का उदेश पर गहरा असर हुआ. तब तक वह बेरोजगार था और नौकरी के लिए प्रयास कर रहा था. उसे सफलता भी जल्द मिल गई और उस की 2019 में हरियाणा के कृषि विश्वविद्यालय में क्लर्क के पद पर नौकरी लग गई. इस के बाद वह विश्वविद्यालय परिसर में मिले क्वार्टर में रहने लगा. कुछ समय बाद ही कोविड19 की लहर में खुद को परिवारसमाज से अलग कर लिया. इस लहर की समाप्ति के बाद 2021 में उदेश की शादी निक्की के साथ हो गई.
दूसरी तरफ पढ़ाई में होशियार डा. भावना ने 12वीं में बायो विषय में 74 फीसदी अंक प्राप्त किए थे और वह एमबीबीएस करने के लिए 2018 में फिलिपींस चली गई. 2023 में पढ़ाई पूरी कर घर आई. इस के बाद मैडिकल काउंसिल औफ इंडिया की परीक्षा की तैयारी करने लगी. साथ ही पीजी की भी तैयारी में लग गई. इस संबंध में वह हर सप्ताह टेस्ट के सिलसिले में बहरोड़ से दिल्ली आती थी. 21 अप्रैल, 2025 को भी वह इसी सिलसिले में दिल्ली गई थी और 22 अप्रैल तक दिल्ली में अपनी छोटी बहन के पास रुकी थी. 23 अप्रैल को उस ने अपनी मम्मी को काल कर बताया था कि वह 24 अप्रैल को सुबह घर लौटेगी.
पुलिस भावना की मौत की गुत्थी सुलझाने में लगी हुई थी, जबकि फेमिली वालों का दावा था कि उस की मौत कोई हादसा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश के तहत हत्या हुई है. उस का मोबाइल, लैपटाप और अन्य जरूरी दस्तावेज भी गायब पाए गए थे.
वाट्सऐप चैटिंग में मिले खास क्लू
वना जब भी दिल्ली जाती थी, अपनी छोटी बहन के पास ही रुकती थी. ऐसे में अचानक उस के जली हालत में हिसार में मिलने पर कई सवाल खड़े कर दिए थे. भावना के फेमिली वालों ने उदेश यादव पर हत्या का आरोप मढ़ दिया था, लेकिन उदेश के घर वालों ने दावा किया कि भावना ने खुद आग लगाई थी. उस ने खुद को खत्म किया था. इस दावे में उदेश की पत्नी निक्की भी शामिल थी. उन्होंने यह दावा चैटिंग के हवाले से किया. चैटिंग भी कुछ कम चौंकाने वाली नहीं थी, जिस से पुलिस ने उदेश और भावना के बीच गहरे संबंध का अनुमान लगाया.
साथ ही यह भी आशंका जताई कि उन के संबंध में खटास आ चुकी थी और भावना का उदेश के प्रति प्रेम एकदम से एकतरफा हो गया था. उधर हिसार डीएसपी तनुज शर्मा का कहना है कि डा. भावना यादव हिसार के उदेश से शादी करना चाहती थीं. इस के लिए वह इस कदर उतावली थी कि उदेश पर अपनी पत्नी से तलाक लेने का दबाव बना रही थी. पुलिस के मुताबिक उदेश डा. भावना से परेशान हो गया था. इस कारण ही उदेश ने पेट्रोल उड़ेल कर आग लगा दी थी.
निक्की और भावना की चैटिंग से स्पष्ट था कि उदेश अपनी वैवाहिक जिंदगी से खुश था, लेकिन भावना ही उस की जिंदगी में जबरन घुसने की कोशिश कर रही थी. भावना को हमेशा लगता था कि उदेश उस की उपेक्षा कर रहा है. उदेश उस की काल नहीं उठाता था और न ही वह उस के किसी मैसेज का जवाब देता था. इस कारण भावना अलगअलग फोन नंबरों से उसे काल करती थी. जब इस से भी बात नहीं बनी, तब वह उस की पत्नी निक्की पर ही बात करवाने का भावनात्मक दबाव डालती थी. उदेश यादव को हिसार सिविल लाइंस थाने की एसएचओ कविता ने कोर्ट में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर लिया तो उन्हें पूछताछ के दौरान डा.
भावना यादव की मौत मामले में वाट्सऐप चैटिंग का पता चला, जिस से पता चला कि शादीशुदा प्रेमी से मिलने के लिए भावना अकसर हिसार आती थी. जब उदेश उस की उपेक्षा करने लगा, तब भावना अनजान नंबरों से काल कर बात करने की कोशिश करने लगी थी. उदेश की गिरफ्तारी से उस की पत्नी निक्की और मम्मी परेशान हो गईं. उन्होंने उदेश पर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया. उन का कहना था कि डा. भावना यादव उदेश से एकतरफा प्यार करती थी. वह उस के प्यार में पागल थी और हर हालत में उसी के साथ रहना चाहती थी. चूंकि उदेश विवाहित था और उस के डेढ साल का बच्चा भी है.
वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहना चाहता था, लेकिन डा. भावना उसे छोडऩा नहीं चाहती थी. उदेश की पत्नी निक्की का कहना है कि डा. भावना कई महीनों से पीछे पड़ी हुई थी. शादी करने की जिद पर अड़ी हुई थी. एक चैटिंग में डा. भावना ने यह भी लिख दिया था कि वह खत्म हो जाएगी. उस के द्वारा की गई लगातार चैटिंग वारदात के 3 दिन पहले की गई थी. कथा संकलन तक पुलिस आरोपी उदेश यादव से पूछताछ कर रही थी. Rajasthan News