अस्पताल में दुष्यंत की मौत हो चुकी थी. उस का मंझला भाई आशू लाश को घर लाने का प्रबंध कर रहा था. मां रेखा और भाभी दीपिका को उस ने घर भेज दिया था. घर में पुलिस पूछताछ कर रही थी. रेखा रो रही थी, उस की छोटी बेटी भी. बहू दीपिका का रोरो कर बुरा हाल था.

तभी रेखा का छोटा बेटा विमलेश आया और पुलिस इंसपेक्टर के सामने खड़ा हो गया. वह अपनी अंटी से पिस्तौल निकाल कर इंसपेक्टर की ओर बढ़ाते हुए मुसकरा कर बोला, ‘‘मैं ने मारा है भाई को, इसी से.’’इंसपेक्टर ने उस की ओर हैरानी से देखा और रूमाल में लिपटी पिस्तौल ले ली. साथ ही पास खड़े सिपाही से कहा, ‘‘गिरफ्तार कर लो इसे.’’

घर में मोहल्ले वाले भी थे, रिश्तेदार भी. यह देख कर सब हैरान रह गए. रेखा और बहू दीपिका तक का रोना थम गया था. किसी की समझ में नहीं आया कि यह सब क्या है. पुलिस ने विमलेश को थाने भेज दिया, क्योंकि वह जुर्म भी स्वीकार कर रहा था और उस के पास हत्या में इस्तेमाल किया गया हथियार भी था. रेखा का पति, बच्चों का बाप यानी घर का मालिक वीरेंद्र कौशिक घर में नहीं था. वहां मौजूद लोगों का कहना था कि बड़े बेटे दुष्यंत पर गोली वीरेंद्र ने खुद चलाई थी, जिस से उस की  मौत हुई.

दुष्यंत के गिरते ही वीरेंद्र और विमलेश बाहर भाग गए थे. अब विमलेश तो लौट आया पर वीरेंद्र का कोई पता नहीं था. रेखा का कहना था कि पति ने दुष्यंत पर ही नहीं, उस के पांव के पास भी गोली चलाई थी, जो लगी नहीं थी. दुष्यंत पर ससुर वीरेंद्र द्वारा गोली चलाने की बात दुष्यंत की पत्नी दीपिका भी कह रही थी.

इस का मतलब गोली वीरेंद्र कौशिक ने ही चलाई थी. लेकिन वह फरार था. उस ने न जाने क्यों पिस्तौल दे कर अपने नाबालिग बेटे विमलेश को आगे कर दिया था. आश्चर्य की बात यह कि उस ने जुर्म भी स्वीकार कर लिया था. गोली क्यों चलाई गई, यह अभी रहस्य ही बना हुआ था.

वीरेंद्र कौशिक के बारे में पता चला कि वह कांठ रोड स्थित एक डाक्टर के यहां सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है. वहां पुलिस भेजी गई, लेकिन वह नहीं मिला.

मृतक दुष्यंत मुरादाबाद की तीर्थंकर यूनिवर्सिटी के मैडिकल कालेज में वार्डबौय की नौकरी करता था. उस की ड्यूटी कोरोना वार्ड में चल रही थी. एक साल पहले 6 जनवरी, 2020 को उस की शादी दीपिका के साथ हुई थी. दीपिका का परिवार लाइनपार सूर्यनगर में रहता था. जबकि वीरेंद्र कौशिक का घर लाइनपार हनुमाननगर में था. शादी के बाद से दुष्यंत और दीपिका दोनों खुश थे.

थाना मझोला को दुष्यंत को गोली लगने और उस की मृत्यु की खबर एपेक्स अस्पताल से मिली थी. इस के तुरंत बाद थाना पुलिस अस्पताल और मृतक के घर पहुंच गई थी. थाना मझोला के क्राइम इंसपेक्टर अवधेश कुमार ने यह सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी थी.

सूचना पा कर मुरादाबाद के एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद और एएसपी कुलदीप सिंह गुनावत एपेक्स अस्पताल पहुंच गए, जहां दुष्यंत को भरती कराया गया था. पुलिस ने प्राथमिक जांच और लिखापढ़ी के बाद दुष्यंत के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

इस बीच मृतक दुष्यंत की पत्नी दीपिका ने थाना मझोला में ससुर वीरेंद्र कौशिक और देवर विमलेश के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी. उस ने यह भी बताया कि  उस का ससुर वीरेंद्र कौशिक दबंग इंसान है. उस के पास एक लाइसैंसी पिस्तौल और एक बंदूक है.

शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. गोली बहुत करीब से मारी गई थी जो दुष्यंत के पेट में लगी थी और पेट को चीरते हुए दाईं ओर से बाहर निकल गई थी. पुलिस अफसरों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो 2 खाली खोखे और एक बुलेट मिला. सीएफएसएल टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए.

छानबीन में जो कहानी सामने आई, वह एक बेगैरत इंसान की शैतानी करतूत से जुड़ी थी. वीरेंद्र कौशिक अपनी पत्नी रेखा, 3 बेटों दुष्यंत, विमलेश, आशू और एक बेटी के साथ हनुमान नगर में रहता था. वहां ज्यादातर दूरसंचार, एफसीआई, बैंक कर्मचारियों, टीचर्स और रिटायर्ड लोगों के घर हैं. वह खुद सिक्योरिटी गार्ड था. उस के बड़े बेटे दुष्यंत की एक साल पहले दीपिका से शादी हो गई थी.

25 नवंबर, 2020 को एक करीबी रिश्तेदारी में शादी थी. रेखा विमलेश, आशू और अपनी बेटी के साथ शादी में चली गई. उन दिनों दुष्यंत की रात की ड्यूटी चल रही थी. खाना खा कर वह भी ड्यूटी पर चला गया था. घर में दीपिका और उस का ससुर वीरेंद्र रह गए.

रात करीब 11 बजे वीरेंद्र कौशिक दबेपांव दीपिका के कमरे में घुसा. उस वक्त वह गहरी नींद में थी. वीरेंद्र ने सोती हुई दीपिका को दबोच लिया. आंखें खुलीं तो दीपिका ने ससुर का भरपूर विरोध किया. कहा भी कि ससुर तो पिता समान होता है, उसे ऐसी गिरी हरकत शोभा नहीं देती. लेकिन वीरेंद्र पर वासना का भूत सवार था. उस ने दीपिका का मुंह दबोच कर उस की इज्जत तारतार कर दी.

बाद में दीपिका ने धमकी दी, ‘‘घर वाले आएंगे, दुष्यंत आ जाएंगे तो मैं तुम्हारी इस हरकत के बारे में सब को बताऊंगी. मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहोगे तुम. मैं छोड़ूंगी नहीं तुम्हें.’’

वीरेंद्र कौशिक ने एक हजार रुपए निकाल कर दीपिका के पास रखते हुए हंस कर कहा, ‘‘रख ले और अपना मुंह बंद रखना. जो चीज मुझे पसंद थी, मैं ने हासिल कर ली.’’

दीपिका ने 5-5 सौ के दोनों नोट ससुर के मुंह पर फेंक कर मारे और गुस्से से फट पड़ी, ‘‘कल पता चलेगी तुझे तेरी औकात. मैं चुप रहने वालों में नहीं हूं.’’

‘जो मन आए करना,’’ वीरेंद्र हंसते हुए बोला, ‘‘कौन करेगा तेरी बात पर यकीन? तेरी ही बदनामी होगी, मैं ससुर हूं तेरा. लोग तुझे झूठी कहेंगे. रहीबची कमी मैं पूरी कर दूंगा, तेरे 10 लक्षण गिना कर. झूठ बोलने में क्या जाता है.’’  उस रात दीपिका को नींद नहीं आई. वह रात भर रोती रही. कोई न उसे देखने वाला था, न सांत्वना देने वाला.

26 नवंबर, 2020 की सुबह दुष्यंत ड्यूटी से घर लौटा तो दीपिका उस से लिपट कर खूब रोई. उस ने रात की पूरी बात पति को बता दी. सुन कर वह गुस्से से आगबबूला हो गया. उस ने पिता को खूब खरीखोटी सुनाई.

तब तक घर के बाकी सदस्य भी लौट आए थे. दुष्यंत की मां रेखा ने सुना तो उस ने भी पति वीरेंद्र को खूब गालियां दीं. उस ने कहा, ‘‘जब यह बात परिवार वालों को पता चलेगी तो किसी को क्या मुंह दिखाएगा?’’

दीपिका रोए जा रही थी. दुष्यंत ने उसे चुप कराया, सांत्वना दी. फिर बोला, ‘‘मेरा बाप मेरे लिए मर चुका. अब हम परिवार के साथ नहीं रहेंगे. कहीं अलग किराए का कमरा ले कर रह लेंगे.’’

उसी दिन वीरेंद्र ने अपना सामान ऊपर की मंजिल पर शिफ्ट कर लिया. खानेपीने का इंतजाम भी अलग. इस बात को ले कर अगले 3 दिन तक वीरेंद्र के घर में झगड़ा चलता रहा. दुष्यंत ने फिर पिता को धमकी दी, ‘‘मैं तुम्हारी करतूत पूरे परिवार को बताऊंगा. पुलिस में भी रिपोर्ट लिखाऊंगा. छोड़ूंगा नहीं तुम्हें.’’

रेखा ने भी कहा, ‘‘मैं तेरी करतूत तेरे बहनबहनोई को बताऊंगी.’’घर में केवल छोटे बेटे विमलेश के अलावा सभी को दीपिका की बात पर यकीन था. दरअसल, वीरेंद्र दबंग आदमी था. किसी से न डरने वाला. विमलेश के वह काफी नजदीक था. पिता की तरह बदतमीज और दबंग स्वभाव का विमलेश कोई गलती करता था तो वीरेंद्र उस पर परदा डाल देता था.

वह बाहर किसी से लड़ कर आता या कोई खुराफात कर के लौटता तो वीरेंद्र उसे कुछ कहने या समझाने के बजाय शिकायत करने वालों से भिड़ जाता था. बापबेटे की यही कैमिस्ट्री नजदीकियों का कारण थी.

वीरेंद्र के घर में 3 दिनों से जो झगड़ा चल रहा था, पड़ोसी भी देखसुन रहे थे. लेकिन दीपिका से दुष्कर्म की बात किसी को पता नहीं थी. वीरेंद्र की पासपड़ोस के लोगों से बातचीत भी नहीं थी, इसलिए उस की दबंगई के कारण किसी को पूछने की हिम्मत नहीं थी.

जबकि मंझला बेटा आशू इस से सहमत था कि उस के पिता ने दुष्कर्म किया है. उस ने कह भी दिया था, ‘‘आज से बाप बेटे का रिश्ता खत्म.’’28 नवंबर को वीरेंद्र और दुष्यंत के बीच खूब कहासुनी हुई. बात हाथापाई तक पहुंच गई. बेटे ने बाप पर हाथ छोड़ दिया. इस पर वीरेंद्र का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. उस ने अंटी से पिस्तौल निकाल कर पहले अपनी पत्नी रेखा पर गोली चलाई जो उस के पैर के पास से निकल गई. यह देख कर दुष्यंत बोला, ‘‘मेरी मां को क्यों मार रहा है. हिम्मत है तो मुझे मार. मैं नहीं डरता तेरी पिस्तौल से.’’

वीरेंद्र तैश में था, उस ने सामने खड़े दुष्यंत के पेट को निशाना बना कर गोली चला दी. खून के फव्वारे के साथ दुष्यंत निढाल हो कर फर्श पर गिर पड़ा. जरा सी देर में होहल्ला मच गया.पासपड़ोस के लोगों ने वीरेंद्र और उस के छोटे बेटे को जल्दबाजी में बाहर भागते देखा. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि वीरेंद्र के घर में गोलियां क्यों चलीं और शोर और रोनाधोना क्यों हो रहा है.

कुछ लोग घर में गए तो पता चला दुष्यंत को गोली लगी है. आशू कुछ लोगों केसाथ दुष्यंत को पास के एपेक्स अस्पताल ले गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. अस्पताल ने ही यह सूचना पुलिस को दी और पुलिस अस्पताल पहुंची.

बाद में मृतक दुष्यंत की पत्नी ने थाना मझोला में ससुर वीरेंद्र कौशिक और देवर विमलेश के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या की रिपोर्ट लिखवाई.

उधर वीरेंद्र घर से भाग कर छोटे बेटे विमलेश के साथ मुरादाबाद कचहरी जा पहुंचा था. उस का इरादा आत्मसमर्पण करने का था. इस बारे में उस ने वकीलों से बात की. लेकिन तब तक थाना मझोला में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी. ऐसे में अदालत में कागजात पेश नहीं किए जा सकते थे. इस पर वीरेंद्र ने वकीलों से पूछा कि वह कैसे बच सकता है.

वकीलों ने उसे राय दी कि यह तभी संभव है जब वह खुद की जगह अपने नाबालिग बेटे विमलेश को पुलिस के सामने पेश कर दे. नाबालिग होने की वजह से उसे सजा भी कम होगी और पुलिस टौर्चर भी नहीं करेगी. तब वीरेंद्र ने विमलेश को समझा कर पिस्तौल दिया और घर भेज दिया. घर जा कर विमलेश ने पिस्तौल पुलिस को सौंप कर दुष्यंत की हत्या की बात स्वीकार कर ली. यह 11 बजे घटी घटना के 2 घंटे बाद 1 बजे की बात है. यह सब मोहल्ले वालों के सामने हुआ. जब विमलेश को गिरफ्तार कर थाना मझोला भेजा गया तब वह मुसकरा रहा था, जैसे उसे बड़े भाई की हत्या से कोई फर्क न पड़ा हो.

विमलेश से वीरेंद्र के बारे में जानकारी मिली तो पुलिस ने कचहरी में दबिश दी लेकिन वीरेंद्र नहीं मिला.  हकीकत सामने आई तो पुलिस को मामले की गंभीरता का पता चला. तब आईजी मुरादाबाद रेंज रमित शर्मा ने एसएसपी प्रभाकर चौधरी को आदेश दिया कि वीरेंद्र कौशिक को तुरंत गिरफ्तार कराएं.

वीरेंद्र पुलिस की पकड़ में नहीं आया तो दीपिका ने एसएसपी प्रभाकर चौधरी को लिखित प्रार्थनापत्र दिया कि उस की जान को खतरा है. उस का ससुर उस की भी हत्या कर सकता है, दीपिका अपने मायके सूर्यनगर चली गई थी. एसएसपी के आदेश पर उस के मायके में पुसिस तैनात कर दी गई.

एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया. एक टीम को एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद के नेतृत्व में काम करना था और दूसरी को एएसपी कुलदीप सिंह गुनावत के नेतृत्व मे. दोनों टीमों ने तुरंत काम करना शुरू कर दिया.

मोबाइल लोकेशन से पता चला कि वीरेंद्र लाइनपार कहीं छिपा है लेकिन पुलिस जब वहां पहुंची तो वह फरार हो गया. फिर भी पुलिस ने उस का पीछा नहीं छोड़ा. आखिर मोबाइल लोकेशन से उसे 30 नवंबर को रामपुर के होटल टूरिज्म से गिरफ्तार कर लिया गया.

गिरफ्तार कर उसे मुरादाबाद लाया गया. पूछताछ में उस ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. 1 दिसंबर, 2020 को उसे अदालत पर पेश कर के जिला जेल भेज दिया गया. उस के बेटे विमलेश को पहले ही बाल कारागार भेजा चुका था.

वीरेंद्र कौशिक रंगीन तबीयत का आदमी था. एक महिला से छेड़छाड़ के मामले में वह पहले भी जेल जा चुका था. इसी रंगीनमिजाजी में उस ने अपने ही बड़े बेटे की हत्या कर के न केवल उस की पत्नी को विधवा बना दिया था बल्कि अपना ही घर उजाड़ लिया था.

उस का मझला बेटा आशू भी कह चुका है कि बाप से अब उस का कोई रिश्ता नहीं है. उधर बाद में वीरेंद्र का नाबालिग बेटा विमलेश भी अपने बयान से पलट गया. उस ने कहा कि भाई दुष्यंत पर गोली उस ने नहीं, उस के पिता वीरेंद्र कौशिक ने चलाई थी.

वीरेंद्र के पास पिस्तौल और बंदूक के 2 लाइसैंस थे. पुलिस ने दोनों लाइसैंस निरस्त कर दिए. दोनों हथियार भी बरामद कर लिए गए. इस पूरे मामले में महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि कौशिक परिवार अगर 3 दिन तक इस घटना को न छिपाता तो शायद दुष्यंत की जान न जाती.

—दीपिका और विमलेश नाम परिवर्तित हैं

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