सुबह 6 बजे का समय था और तारीख थी 20 जुलाई, 2021. उत्तर प्रदश के जिला संभल के मुटेना गांव के पास दक्षिण की ओर खेत के बीचोबीच पेड़ से लाश लटकी हुई थी. उस के नीचे एक औरत और 2 लड़कियां विलाप कर रही थीं. उन के अलावा गांव के कुछ लोग भी मौजूद थे.

उसी गांव के ही एक व्यक्ति ने पुलिस को इस की सूचना दी थी. वहां मौजूद सभी को पुलिस के आने का इंतजार था, लेकिन वे आपस में कानाफूसी करते हुए अचरज भी जता रहे थे कि 60 साल से अधिक उम्र के इस सीधेसादे बुजुर्ग ने आखिर फांसी क्यों लगाई होगी? कैसे फंदा बनाया होगा? कैसे फांसी लगाई होगी?

कुछ देर में ही चौकी इंचार्ज 2 कांस्टेबलों के साथ वहां पहुंच गए थे. उन्होंने पहले आसपास के लोगों को वहां से हटाया. फिर पेड़ से लटकी लाश का गहराई से मुआयना किया. प्राथमिक छानबीन की और इस की सूचना रजपुरा के थानाप्रभारी को भी दे दी.

सूचना पाते ही थानाप्रभारी विद्युत गोयल उच्च अधिकारियों को सूचना भेज कर घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश नीचे उतरवाई और पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए संभल जिला मुख्यालय भेज दी. मृतक की पहचान मुटेना के हरपाल यादव के रूप में हुई.

पुलिस की निगाह में मामला आत्महत्या का लग रहा था. इसलिए पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. हालांकि वहां मौजूद कुछ लोगों ने हत्या किए जाने की आशंका जरूर जताई, लेकिन मृतक के घर वालों में से किसी ने भी किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया.

हरपाल यादव के पास 30 बीघा खेती की जमीन थी. वह खेती कर अपने परिवार का गुजरबसर करते आ रहे थे. उन की 3 बेटियां नीतू, प्रीति व कविता थीं, जिन की परवरिश में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

हालांकि उन को बेटे की कमी भी खलती रहती थी. बेटा नहीं होने की टीस के चलते उन की एक आदत शराब पीने की भी लग गई थी. जबकि पत्नी लाजवंती उन से शराब छोड़ने को कहती रहती थी.

उन्होंने बड़ी बेटी नीतू की शादी कई साल पहले कर दी थी. कुछ समय से दूसरी बेटी प्रीति की शादी की चिंता सताने लगी थी. लाजवंती प्रीति के विवाह को ले कर कुछ ज्यादा चिंतित रहती थी, इस की वजह यह थी कि वह बाकी 2 बेटियों से अलग जिद्दी स्वभाव की थी. अपनी बात चाहे जैसे हो, मनवा कर ही दम लेती थी.

शादी की चिंता में घुले जा रहे मातापिता की समस्या का समाधान प्रीति ने खुद ही निकाल दिया था. उस ने अपनी मां को बताया कि वह अपनी ही जाति के बदायूं के रहने वाले धर्मेंद्र यादव नाम के लड़के को जानती है. उस ने उसे एक शादी में देखा था. उसे वह पसंद करती है.

प्रीति को उस के बारे जो जानकारी थी, मां को बता दी. मां लाजवंती ने यह जानकारी अपने पति को दे कर बताया कि धर्मेंद्र बदायूं जिले की इसलामनगर तहसील के पतीसा गांव का रहने वाला है. उस के 4 भाई और एक बहन है.

जल्द ही प्रीति के मातापिता ने धर्मेंद्र के परिवार वालों से मिल कर कोरोना काल में ही शादी तय कर दी, किंतु शादी की तारीख कोरोना की वजह से तय नहीं हो पाई थी.

प्रीति और धर्मेंद्र की शादी तय हो जाने के बाद वे मिलने को बेचैन हो गए थे, किंतु सामाजिक और पारिवारिक मानमर्यादा के चलते मिल नहीं पा रहे थे. दूसरा कोरोना काल की वजह से कहीं आनाजाना भी मुश्किल था.

दोनों की फोन पर बातें होने लगी थीं. उस के बाद उन की मिलने की इच्छा और प्रबल हो गई. एक दिन धर्मेंद्र ने प्रीति से मुलाकात करने का आग्रह किया. प्रीति भी इसी का इंतजार कर रही थी. धर्मेंद्र ने मिलने की जगह और समय बताया.

धर्मेंद्र से मिलने के बाद प्रीति उस पर फिदा हो गई. उसे अपने सपनों का शहजादा मिल गया था. इकहरे बदन के मजबूत कदकाठी वाले धर्मेंद्र के चेहरे पर गजब का आकर्षण धा. उस से बातें कर प्रीति बहुत प्रभावित हो गई. धर्मेंद्र भी प्रीति को देख कर लट्टू हो गया. जवानी से मदमस्त प्रीति को देखा तो एकटक से देखता ही रह गया.

उस की सुंदर काया, झलकती जवानी, इतरानेइठलाने की अदाएं धर्मेंद्र को बहुत पसंद आईं. उस रोज उन की छोटी से मुलाकात हुई, लेकिन बाद में दोनों ने मिलनेजुलने का सिलसिला बना लिया.

धीरेधीरे धर्मेंद्र का प्रीति के घर भी आनाजाना हो गया. प्रीति भी अपने होने वाले ससुराल घूम आई. धर्मेंद्र ने प्रीति से कहा कि वह काफी धूमधाम से पूरे जश्न के साथ शादी करना चाहता है.

जबकि कोरोना काल में शादी में लगी बंदिशों के चलते शादी की तारीखें टलती जा रही थीं. इस बीच उन के बीच वह सब भी हो गया, जो विवाह बाद होना चाहिए था.

उन की शादी अब महज विशेष औपचारिकता भर रह गई थी. दोनों  एकदूसरे के दीवाने हो गए थे. उन्होंने साथ जीनेमरने की कसमें भी खाई थीं.

शादी के इंतजार में 2 महीने और निकल गए. जून का महीना भी जाने वाला था. उन दिनों धर्मेंद्र प्रीति के पास आया हुआ था. प्रीति के घरवालों को उन के मिलनेजुलने से कोई आपत्ति नहीं थी. वह अकसर शाम तक ठहरता और फिर अपने घर चला जाता था.

उस दिन धर्मेंद्र ने प्रीति से अचानक कहा कि उसे कुछ खास बात करनी है. उस के साथ ही वह पूछ बैठा, ‘‘अच्छा प्रीति, एक बात बताओ…’’

‘‘क्या?’’ प्रीति उत्सुकता से बोली.

‘‘तुम्हारे पिताजी हमारी शादी में कितना रुपया खर्च करेंगे?’’

प्रीति याद करती हुई बोली, ‘‘नीतू दीदी की शादी में 3 लाख रुपया खर्च हुआ था. मेरी शादी में भी लगभग इतना तो खर्च करेंगे ही.’’

‘‘इतना पैसा जमा कर लिया होगा पिताजी ने?’’ धर्मेंद्र चिंता जताते हुए बोला.

‘‘इतनी रकम की व्यवस्था नहीं है,  फिर भी कुछ रिश्तेदारों से और कुछ खेती की जमीन पर बैंक से लोन लेने की तैयारी कर रहे हैं.’’ प्रीति बोली.

तभी धर्मेंद्र बोला, ‘‘3 लाख रुपए में क्या होगा. देखो मुझे अपना कोई कारोबार करने के लिए कम से कम 5 लाख रुपए चाहिए. बारात की अच्छी खातिरदारी होनी चाहिए. दहेज के जरूरी सामान के लिए भी 3 लाख रुपए कम पड़ जाएंगे. शादी के बाद कोई किसी का साथ नहीं देता. हम दोनों जो खुशहाल जिंदगी का तानाबाना बुन रहे हैं, सुनहरे सपने देख रहे हैं, वे सब पूरे नहीं हो सकेंगे.’’

‘‘इतना पैसा कहां से आएगा?’’ प्रीति चिंतित हो गई.

‘‘चिंता करने की जरूरत नहीं है. मेरे पास उस का समाधान है.’’ धर्मेंद्र बोला.

‘‘वह क्या?’’ प्रीति ने पूछा.

‘‘देखो पिताजी के पास 30 बीघा जमीन है. 3 बेटियां हैं. बेटा कोई है नहीं. हमारे हिस्से में भी 10 बीघा जमीन आएगी. उन्हें सिर्फ इतना करना है कि हमारे हिस्से की जमीन बेच कर रकम हमें दे दें.’’

धर्मेंद्र की बात प्रीति की समझ में तो आ गई पर दुविधा के साथ बोली, ‘‘लेकिन यह बात उन को कौन समझाएगा?’’

‘‘तुम, और कौन?’’

‘‘नहीं माने तो?’’

‘‘नहीं कैसे मानेंगे, तुम कोई गलत थोड़े कहोगी. ऐसा करने से उन के सिर पर कर्ज का कोई बोझ भी नहीं पड़ेगा. और वह अपनी तीसरी बेटी की भी शादी अच्छी तरह से कर लेंगे.’’

कुछ सोचती हुई प्रीति बोली, ‘‘अच्छा चलो, मैं आज ही उन से बात करूंगी.’’

थोड़ी देर रुक कर धर्मेंद्र चला गया. रात में पिता को खाना खिलाने के बाद प्रीति ने धर्मेंद्र ने जैसे कहा था, पिता को वैसे ही कह दिया.

संयोग से मां भी वहां मौजूद थी. हरपाल प्रीति की बात सुन कर अवाक रह गए.

उन्होंने तुरंत कहा, ‘‘देखो प्रीति, मैं तुम्हारी हर बात मान लेता हूं, लेकिन यह बात मुझे जरा भी पसंद नहीं है.’’

प्रीति ने पिता को समझाने की कोशिश की, ‘‘धर्मेंद्र कह रहे हैं कि 10 बीघा जमीन बेच ली जाए तो शादी ठीकठाक हो जाएगी. धर्मेंद्र को भी कोई कामधंधा करने के लिए रकम मिल जाएगी. वैसे भी तीनों बहनों के नाम 10 -10 बीघा जमीन तो आनी ही है.’’

दोबारा जमीन की बात सुन कर हरपाल आगबबूला हो गए. गुस्से में बोले, ‘‘जमीन मेरी मां है, तुम लोगों के कहने पर मैं अपनी मां को बेच दूं. ऐसा आज तक खानदान में न हुआ है और न आगे होगा.’’

इतना कह कर वह वहां से उठ कर चले गए. जातेजाते कह गए, ‘‘आइंदा अब इधर मत आना, मुझ से बात मत करना. तुम्हारी शादी तो मैं किसी तरह करवा ही दूंगा. उस के बाद समझो हमारा रिश्ता खत्म हो जाएगा.’’

प्रीति पिता की इस नाराजगी से काफी दुखी हो गई. उस ने पूरी बात अगले रोज धर्मेंद्र को फोन पर बताई. वह समझ नहीं पा रही थी क्या करे कि उस के पिता जमीन बेचने को तैयार हो जाएं.

एक हफ्ते तक बापबेटी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई. धर्मेंद्र ने भी प्रीति की इस बीच कोई खोजखबर नहीं ली. आखिरकार प्रीति ने ही फोन कर धर्मेंद्र से हालचाल पूछा. फोन पर धर्मेंद्र काफी उखड़ाउखड़ा सा लगा. वह लापरवाही से बातें करता रहा.

प्रीति ने महसूस किया कि जैसे उस के मंगेतर धर्मेंद्र को उस से कोई लगाव नहीं रहा. किसी तरह से प्रीति अपने प्रेम और अंतरंग संबंधों का हवाला देते हुए धर्मेंद्र को मनाने में कामयाब रही.

वह धर्मेंद्र के प्रेम जाल में बुरी तरह फंस चुकी थी. धर्मेंद्र को अपना सब कुछ सुपुर्द कर चुकी थी. उस ने धर्मेंद्र को आश्वासन दिया कि वह कोई न कोई रास्ता निकाल लेगी, जिस से पिता उस के हिस्से की जमीन देने के लिए राजी हो जाएंगे.

इसी के साथ उस ने धर्मेंद्र को किसी जगह बैठ कर समस्या का समाधान निकालने का सुझाव दिया.

धर्मेंद्र प्रीति की बात मानते हुए उस से मिला. मिलते ही प्रीति उस के गले लग कर बोली, ‘‘गुस्सा थूक दो, आओ कोई तरीका निकालते हैं.’’

‘‘बुड्ढे ने तो सारा खेल बिगाड़ दिया. और ऐसा ही हाल रहा तो हम दोनों को वह जीते जी सुखी जीवन शुरू करने नहीं देगा.’’ धर्मेंद्र गुस्से में बोला.

‘‘तो फिर उन्हें रास्ते से ही हटा देते हैं.’’ प्रीति तुरंत बोली.

धर्मेंद्र अवाक रह गया, ‘‘यह तुम क्या कह रही हो? वो तुम्हारे पिता हैं.’’

‘‘पिता हैं तो क्या हुआ, तुम सही कह रहे हो, उन के जीते जी हमें सुखी जीवन नहीं नसीब होगा.’’

‘‘एक बार फिर समझाते हैं, मैं भी तुम्हारे साथ रहूंगा.’’ धर्मेंद्र बोला.

‘‘तुम इस में साथ मत दो, मैं ने जो योजना बनाई है उस में मेरी मदद करो.’’

उस के बाद प्रीति ने धर्मेंद्र को अपनी योजना बताई और दोनों ही उसे अंजाम देने की तैयारी में जुट गए.

योजना के मुताबिक दोनों ने मिल कर हरपाल को ठिकाने लगाने की पूरी तैयारी कर ली थी. उस के बाद जो घटित हुआ, उस का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की गहन तफ्तीश से सामने आ गया. वह इस प्रकार है—

19 अगस्त, 2021 को हरपाल खेतों पर काम करने के बाद घर आ रहे थे. रास्ते में  गांव का ही एक दोस्त मिल गया. वह शराब पीनेपिलाने वाला दोस्त था. दोनों ने एकांत में बैठ कर शराब पी. फिर हरपाल घर आ गए. तभी प्रीति ने बताया कि अभी उन से कोई मिलना चाहता है.

प्रीति अपने पिता को घर से दूर खड़े धर्मेंद्र के पास ले गई. वह बाइक ले कर खड़ा था. प्रीति अपने पिताजी को धर्मेंद्र के हवाले कर घर आ गई.

धर्मेंद्र हरपाल को उन के खेतों की तरफ ले गया, जहां उस का साथी गौरव मौजूद था. वहां बैठ कर हरपाल को और दारू पिलाई गई. जब वह नशे में काफी धुत हो गए, तब उन के सिर पर रौड मार कर हत्या कर दी.

हरपाल की मौत के बाद धर्मेंद्र ने पूरी बात फोन से प्रीति को बता दी. उन के द्वारा ही गले में फंदा डाले हरपाल के पेड़ पर लटके होने की खबर घर पहुंचा दी गई. प्रीति इस से पहले ही घटनास्थल पर पहुंच चुकी थी. फिर उन्होंने लाश पेड़ से इस तरह लटका दी जिस से मामला आत्महत्या का लगे.

हरपाल की लाश को पेड़ से लटकाने में काफी समय लग गया, लेकिन सुबह होने से पहले ही प्रीति ने सभी परिचितों को इस घटना की सूचना दे दी और वे आननफानन में घटनास्थल पर जा पहुंचे.

हत्या के इस मामले को आत्महत्या बनाने की कोशिश तो की गई थी, लेकिन धर्मेंद्र और उस के दोस्त इस में सफल नहीं हो पाए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही इस का खुलासा हो गया. फिर पुलिस ने शक के आधार पर परिजनों से पूछताछ की, जिस में प्रीति का व्यवहार ही संदिग्ध दिखा.

उस के बयान के आधार पर पुलिस ने धर्मेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. हरपाल के मर्डर केस का परदाफाश एसपी (संभल) चक्रेश मिश्रा द्वारा पत्रकार वार्ता में किया गया. पूरे हत्याकांड में प्रीति की साजिश होने के कारण 120बी आईपीसी के तहत प्रीति को भी नामजद किया गया है.

तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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