Social Stories in Hindi : जम्मूकश्मीर और पंजाब की सीमा पर सख्ती हो जाने के बाद पाकिस्तान ने राजस्थान की सीमा को तसकरी का सेफ पौइंट समझा. भारत में नारको टेरेरिज्म फैलाने के लिए उस ने जिस नए तरीके को अपनाया, उस से सुरक्षा बलों के साथ जांच एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई हैं.
2 और 3 जून, 2021 की दरम्यानी रात की बात है. उस रात ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी थी. कृष्ण पक्ष होने के कारण घनी अंधियारी रात थी. चारों तरफ घुप अंधेरा था. ऐसे घने अंधेरे में हाथ से हाथ नजर नहीं आ रहा था. उस पर मौसम ने सितम ढहा रखा था. रुकरुक कर तेज आंधी चल रही थी और बीचबीच में बारिश भी हो रही थी. आंधी से बौर्डर पर रेत के टीले उड़ रहे थे. उड़ती रेत में कुछ नजर नहीं आ रहा था. ऐसे घटाघोप अंधेरे में राजस्थान में बीकानेर श्रीगंगानगर से लगती पाकिस्तान की सीमा पर बीएसएफ के जवान गश्त कर रहे थे. बौर्डर पर तारबंदी है. रात के कोई ढाई बजे के आसपास बीकानेर से सटी सीमा पर बंदली पोस्ट का बीएसएफ जवान बीरबल राम चौकन्नी नजरों से गश्त कर रहा था.
इसी दौरान बौर्डर पर लगी फ्लड लाइटों की रोशनी में उसे तारबंदी पर कुछ हलचल होती नजर आई. रेतीले धोरों के बारबार उड़ने से यह पता नहीं चल पा रहा था कि वे कौन लोग हैं और क्या कर रहे हैं? उस ने दूरबीन से नजरें गड़ाईं तो उसे 2-3 मानव आकृतियां नजर आईं. इन के चेहरे नजर नहीं आ रहे थे. ये लोग तारबंदी के बीच से एक पाइप भारतीय सीमा में खींच रहे थे. बीएसएफ जवान और उन इंसानों के बीच कोई 300 मीटर का फासला था. उन लोगों की हरकत देख कर बीरबल राम ने उन्हें ललकारा नहीं, बल्कि दबेपांव आगे बढ़ा. उस ने देखा कि पाइप भारतीय सीमा में खींचने के बाद वे लोग उस में से कोई चीज निकाल रहे थे. यह देखते ही बीरबल ने तुरंत फायरिंग शुरू कर दी.
गोलियों की आवाज होते ही बौर्डर पर सुरक्षा चौकियों में हलचल मच गई. सभी अलर्ट हो गए. कुछ ही मिनटों में बीएसएफ के जवान और अधिकारी वहां पहुंच गए. उन्होंने बीरबल से सारा माजरा पूछा. इस के बाद अधिकारी उस जगह पहुंचे, जहां पाइप खींचा गया था. करीब 10 फुट लंबे उस पीवीसी पाइप में कपड़े की माला के रूप में 54 पैकेट बंधे हुए थे. इन पैकेटों को चैक किया गया, तो हेरोइन निकली. हेरोइन के ये पैकेट पाकिस्तान से पीवीसी पाइप के जरिए भारतीय सीमा में पहुंचाए गए थे. यह हेरोइन लेने के लिए भारतीय सीमा में 2-3 तसकर पहुंचे थे. वे फायरिंग होने पर हेरोइन को मौके पर ही छोड़ कर अंधेरे में भाग निकले थे. जवानों को मौके के आसपास 2 जोड़ी जूते भी मिले.
हेरोइन की तसकरी की बात सामने आने पर बीएसएफ ने रात में ही आसपास के इलाकों में सर्च अभियान चलाया, लेकिन खराब मौसम होने के कारण दृश्यता बहुत कम थी. इस कारण फरार हुए तसकरों का कुछ पता नहीं चला. बौर्डर पर हेरोइन तसकरी का पता चलने पर अगले दिन 3 जून को बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जौइंट डायरेक्टर उगमदान चारण और एसपी प्रीति चंद्रा सहित दूसरे अफसर मौके पर पहुंच गए. जांचपड़ताल शुरू हो गई. अधिकारियों ने बरामद हुई हेरोइन का वजन कराया. वह 56 किलो 600 ग्राम निकली. इस हेरोइन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 283 करोड़ रुपए आंकी गई.
यह बीकानेर में पाक सीमा पर अब तक पकड़ी गई नशे की सब से बड़ी खेप थी. यह हेरोइन अफगानिस्तान की बनी हुई थी. 2 तसकर चढ़े हत्थे जांचपड़ताल के लिए बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह अफसरों व जवानों के साथ बंदली सीमा चौकी पर पहुंचे. उन्होंने तारबंदी के पास जा कर उस जगह का मुआयना किया, जहां पाइप तारों के बीच से निकाला गया था और बाद में उस पाइप के अंदर भर कर हेरोइन भारतीय सीमा में भेजी गई. अफसरों ने वहां तसकरों के पैरों के निशान के सहारे खोजबीन शुरू की तो सामने ही पाकिस्तानी वाच टावर पर खड़ा जवान बीएसएफ की ओर से हमले की आशंका में कांपने लगा. वह डर कर मदद के लिए चिल्लाने लगा.
कुछ ही देर में वहां पाकिस्तानी रेंजर्स आ गए. पूछताछ में उन्होंने तसकरी की जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया. बीएसएफ के अधिकारी अपने ठिकाने पर लौट आए. सब से पहले उन तसकरों की तलाश जरूरी थी, जो मौके से भाग गए थे. इस के लिए बीएसएफ ने सुबह से ही सर्च अभियान शुरू कर दिया. अभियान के दौरान देर रात को कालूवाला के एक खेत में छिपे 2 संदिग्ध युवकों को पकड़ा गया. इन दोनों को पुलिस अपने साथ ले गई. 4 जून को दोनों युवकों से पुलिस, बीएसएफ और गुप्तचर एजेंसियों ने साझा पूछताछ की. इस में पता चला कि दोनों युवक अपने साथियों के साथ पाक से भेजी गई हेरोइन लेने बौर्डर पर आए थे, लेकिन बीएसएफ की ओर से फायरिंग होने पर ये भाग निकले थे और खेतों में छिप गए थे.
इन युवकों के नाम हरमेश और रूपा थे. इन में 18 साल का हरमेश पंजाब के फाजिल्का और 30 साल का रूपा पंजाब के फिरोजपुर शहर का रहने वाला था. इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में इन्हें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के हवाले कर दिया गया. दोनों तसकरों से साझा पूछताछ में पता चला कि पंजाब से कुल 4 लोग कैंपर गाड़ी से बीकानेर के खाजूवाला में भारतपाक बौर्डर पर हेरोइन की डिलीवरी लेने पहुंचे थे. पंजाब का कुख्यात हेरोइन तसकर काला सिंह के साथ बौस इन को ले कर आया था. बंदली पोस्ट से करीब 2 किलोमीटर दूर बौस ने काला सिंह, रूपा और हरमेश को गाड़ी से उतार दिया था. बौस वहीं रुक गया था. उस ने तीनों को बौर्डर पर पिन पौइंट समझा कर कहा था कि तारबंदी के पास जा कर पत्थर फेंकना. उधर से पाइप में माल आएगा.
वहां से माल पाइप से निकाल कर ले आना. काला सिंह पहले रैकी कर चुका था. उसे इस इलाके के चप्पेचप्पे की जानकारी थी. इसलिए रूपा और हरमेश को कोई चिंता नहीं थी. माला के रूप में मिले पैकेट गाड़ी से उतारने के बाद बौस वाट्सऐप कालिंग के जरिए काला सिंह, रूपा और हरमेश से जुड़ गया. वाट्सऐप कालिंग से बताई गई लोकेशन के आधार पर वे बौर्डर पर पिन पौइंट पर पहुंच गए और बौर्डर पर पत्थर फेंका. इशारा मिलते ही बौर्डर के दूसरी तरफ से करीब 10 फुट लंबा एक पीवीसी पाइप तारों के बीच से निकाला गया. इस पाइप में डाल कर कपड़े की माला के रूप में हेरोइन के पैकेट दूसरी तरफ से धकेले गए, जो भारतीय सीमा में निकल आए.
हरमेश और रूपा इन पैकेटों को निकाल रहे थे, तभी बीएसएफ ने फायरिंग कर दी. इस पर वे तीनों हेरोइन के पैकेटों को छोड़ कर अंधेरे में अपनी जान बचाते हुए कच्चे रास्तों पर भाग निकले. भागते हुए उन्होंने बौस को वाट्सऐप काल भी की, लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. इस के बाद वे सुरक्षा एजेंसियों से बचते हुए इधरउधर भागते हुए खेतों में छिपते रहे, लेकिन सुरक्षा बलों की नजरों से बच नहीं सके और वे दोनों पकड़े गए. काला सिंह के नहीं मिलने पर यह माना गया कि पूरे इलाके से वाकिफ होने के कारण वह फायरिंग होने पर भाग कर बौस तक पहुंच गया और दोनों गाड़ी से वहां से फरार हो गए. दोनों तसकरों से पूछताछ के बाद बीएसएफ ने जांचपड़ताल की, तो पता चला कि 2-3 जून की रात करीब डेढ़-दो बजे बौर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने सरकारी गाड़ी से तसकरों को बंदली पोस्ट के सामने जीरो लाइन तक पहुंचाया था.
इस गाड़ी से तसकरों के साथ हेरोइन और पीवीसी पाइप लाया गया था. बाद में यह गाड़ी पाकिस्तान के वाच टावर की तरफ चली गई. पाकिस्तानी तसकरों ने पाइप में तारबंदी के पास घनी झाडि़यों और रेत के टीलों की ओट में हेरोइन के पैकेट डाले और भारतीय सीमा से पत्थर फेंके जाने का इंतजार किया. पत्थर फेंकने पर इशारा मिलते ही पाक तसकरों ने वह पीवीसी पाइप तारबंदी के बीच से भारतीय सीमा में सरका दिया. बीएसएफ को मिली थी गुप्त सूचना बीएसएफ को जांच में बंदली सीमा चौकी के सामने पाक के वाच टावर की ओर जाती गाड़ी के निशान मिले और एक गाड़ी भी टावर के पीछे खड़ी नजर आई. इस से पाकिस्तान के नापाक इरादे के सारे शक पुख्ता हो गए.
दरअसल, बीएसएफ की गुप्तचर शाखा को कई दिनों से यह सूचनाएं मिल रही थीं कि पाकिस्तानी तसकर जम्मूकश्मीर और पंजाब बौर्डर के रास्तों पर ज्यादा सख्ती होने के बाद से राजस्थान से लगी सीमाओं पर हेरोइन की तसकरी के सुरक्षित रास्ते तलाश रहे हैं. हेरोइन की तसकरी के जरिए पाकिस्तान भारत में नारको टेरेरिज्म फैलाने की साजिश रच रहा है. इन्हीं सूचनाओं के बीच पाकिस्तान के कुख्यात तसकर मलिक चौधरी को 9 मई, 2021 के आसपास बौर्डर पर देखा गया था. माना जा रहा है कि वह अपने विश्वस्त सहयोगियों के साथ भारत में हेरोइन तसकरी के लिए सुरक्षित पौइंट की जगह तलाश कर रहा था.
बीएसएफ इंटेलिजेंस को मलिक की आवाजाही की भनक लग गई थी. इस के बाद बीएसएफ ने बौर्डर पर खाजूवाला की 114 बटालियन और सतराना की 127 बटालियन के इलाके में चौकसी कड़ी कर दी थी. इसी के साथ फ्रंटियर के आईजी पंकज गूमर और डीआईजी (इंटेलिजेंस) मधुकर से सूचनाएं साझा की गईं. डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह और बटालियन कमांडेंट अमिताभ पंवार ने सर्च औपरेशन प्लान किया. जी ब्रांच के डिप्टी कमांडेंट दीपेंद्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में टीम बनाई गई. इस टीम ने खाजूवाला से सतराना तक सर्च औपरेशन कर दिया. इसी दौरान सूचनाएं मिलती रहीं कि तसकर खराब मौसम का फायदा उठा कर हेरोइन डिलीवर कर सकते हैं.
राजस्थान के सीमाई इलाकों में जून का महीना खराब मौसम में गिना जाता है. इस दौरान लू और आंधी चलती है. आंधी चलने से हवा में बहुतायत से रेत उड़ती है. इस से पहले भी फरवरी 2021 में बीकानेर के खाजूवाला की संग्रामपुरा और कोडेवाला सीमा चौकी के बीच हेरोइन तसकरी की कोशिश की गई थी. इस मामले में खाजूवाला थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन पुलिस किसी को नहीं पकड़ सकी. तसकरों से की गई गहन पूछताछ इस मामले में तब तारबंदी के दोनों तरफ 2-2 तसकरों के पैरों के निशान (फुट प्रिंट) मिले थे. जांच में सामने आया था कि भारतीय सीमा में 2 तसकर सड़क पर बाइक छोड़ कर पैदल ही तारबंदी तक गए थे.
2 अन्य तसकर सड़क पर ही रहे थे. मौके पर 2 बाइकों के टायरों के निशान, चाकू, कपड़ा, पानी की बोतल आदि चीजें मिली थीं. 3 जून, 2021 की रात पकड़ी गई 283 करोड़ रुपए की हेरोइन के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए 2 तसकर रूपा और हरमेश से पूछताछ में पता चला कि अफगानिस्तान की यह हेरोइन पंजाब पहुंचाई जानी थी. लौकडाउन और तसकरी के दूसरे रास्ते बंद होने के कारण वहां सब से ज्यादा डिमांड हो रही थी. राजस्थान फ्रंटियर पर अब तक की सब से बड़ी हेरोइन तसकरी पकड़े जाने और दोनों गिरफ्तार तसकरों से कुछ सुराग मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आ गईं. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर 7 दिनों के रिमांड पर लिया.
बाद में उन्हें बीएसएफ के 127 बटालियन हैडक्वार्टर पर ले जा कर पूछताछ की गई. एनसीबी के डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह ने भी वहां पहुंच कर दोनों तसकरों से पूछताछ की. इन से पता चला कि पंजाब का कुख्यात तसकर काला सिंह इस इलाके से पूरी तरह वाकिफ था. वह कई बार इस इलाके में आ कर रैकी कर चुका था. बौर्डर पर सभी सीमा चौकियों तक पक्की सड़कें बनी हुई हैं. इसलिए वहां तक वाहनों की आवाजाही आसान है. काला सिंह ही उन्हें कैंपर गाड़ी से बौर्डर पर ले कर आया था. खास बात यह पता चली कि पंजाब का रहने वाला काला सिंह उर्फ हरमेश केवल 20 साल का है. उस के खिलाफ कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं. वह करीब 4 साल से हेरोइन की तसकरी में लिप्त है.
यानी वह बालिग होने से पहले से ही 15-16 साल की उम्र में इस धंधे में उतर आया था. वह 2019 में अमृतसर में हेरोइन और अवैध हथियार के साथ पकड़ा गया था. जमानत पर छूटने के बाद उस ने पंजाब के फिरोजपुर में एक मर्डर कर दिया था, जिस का मुकदमा फिरोजपुर सिटी थाने में दर्ज है. पंजाब पुलिस इस मामले में उस की तलाश कर रही थी. गिरफ्तार तसकरों से मिली सूचनाओं पर एनसीबी ने पंजाब में औपरेशन इकाई को सतर्क कर दिया. तसकरों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए एनसीबी ओर बीएसएफ सहित विभिन्न खुफिया एजेंसियों ने पंजाब में तसकरों की घेराबंदी शुरू कर दी. पंजाब में तसकरों की हुई तलाश
एनसीबी ने 7 जून को फिरोजपुर जिले में किचले गांव में काला सिंह के घर पर छापा मारा. घर पर उस के पिता जोगेंद्र सिंह मिले. उन से पूछताछ की गई, लेकिन कोई खास जानकारी नहीं मिली. 4 दिन की कड़ी पूछताछ के बाद एनसीबी के डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह के नेतृत्व में एक दल बीकानेर में गिरफ्तार किए दोनों तसकरों रूपा और हरमेश को ले कर 8 जून को पंजाब गया. बीएसएफ का दल भी एनसीबी अधिकारियों के साथ पंजाब गया. दोनों एजेंसियों ने गिरफ्तार दोनों तसकरों की निशानदेही पर कई तरह की जांचपड़ताल की. दोनों के आपराधिक रिकौर्ड खंगाले गए. काला सिंह और बौस के बारे में भी जानकारी जुटाई गई. कई संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की गई.
पंजाब से लौट कर एनसीबी ने बीकानेर की खाजूवाला कोर्ट में हेरोइन के सैंपल पेश किए. एनसीबी के जौइंट डायरेक्टर उगमदान सिंह दोनों गिरफ्तार तसकरों और बरामद हेरोइन के सैंपल ले कर अदालत पहुंचे. इस दौरान बीएसएफ का दल भी उन के साथ था. तसकरों की काल डिटेल्स के आधार पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 12 जून को राजस्थान में सीमाई इलाकों में रहने वाले 3 युवकों को भी हेरोइन तसकरी के मामले में गिरफ्तार किया. इन युवकों ने पंजाब के तसकरों की मदद की थी. तसकरों ने रावला स्थित 10 केएनडी के रहने वाले सुखप्रीत के सिमकार्ड का उपयोग बात करने में किया था. कड़ी पूछताछ के बाद सुखप्रीत और उस की निशानदेही पर उस के 2 साथियों को पकड़ा गया.
दूसरी ओर, एनसीबी ने पहले गिरफ्तार 2 तसकरों रूपा और हरमेश का 7 दिन का रिमांड पूरा होने पर 12 जून, 2021 को अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया. इन दोनों से की गई पूछताछ और पंजाब में जा कर की गई पड़ताल में यह बात सामने आई कि पंजाब की जेल में बंद कुख्यात तसकर बलदेव और जोगेंद्र उर्फ समीर जेल से ही तसकरी का नेटवर्क औपरेट कर रहे हैं. नारको टेरेरिज्म फैलाने की साजिश बीकानेर सीमा पर हेरोइन तसकरी की वारदात में शामिल रहे काला सिंह और बौस इन के गिरोह के ही सदस्य हैं. बलदेव और जोगेंद्र वाट्सऐप काल के जरिए इन से संपर्क में रहते थे.
बीएसएफ और एनसीबी की जांचपड़ताल में सामने आया कि भारत में नारको टेरेरिज्म फैलाने की साजिश में जुटे पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से भारत में बड़े पैमाने पर हेरोइन आती रही है. यह हेरोइन कई रास्तों से भारत में आती है. ढाई साल पहले पुलवामा की घटना के बाद जम्मूकश्मीर सीमा पर सख्ती बढ़ने से तसकरी की गुंजाइश कम हो गई थी. इस के अलावा पंजाब से लगी पाकिस्तान सीमा के रास्ते भी तसकरी होती रही है. अब पंजाब सीमा पर भी सख्ती होने से तसकरों ने पिछले कुछ समय से राजस्थान से लगी सीमाओं को तसकरी के लिए सेफ पौइंट मान कर प्रयास शुरू किए हैं.
इस के लिए उन्होंने तारबंदी के बीच में से पीवीसी पाइप निकाल कर उस में से हेरोइन के पैकेट धकेलने का नया तरीका अपनाया है. यह सुखद रहा कि हेरोइन तसकरों को इस नए प्रयोग के दौरान सब से बड़ी मात खानी पड़ी. तारबंदी के बीच पीवीसी पाइप निकालने के दौरान खासी सावधानी भी रखनी पड़ती है, क्योंकि तारबंदी में एक कोबरा तार होता है, जिस में करंट प्रवाहित होता रहता है. इसी साल फरवरी में राजस्थान के सीमांत इलाके में हिंदुमल कोट मदनलाल बीओपी क्षेत्र में पाकिस्तानी तसकरों ने 6 किलोग्राम हेरोइन सप्लाई की थी. इस में से केवल एक किलोग्राम हेरोइन बरामद हुई. बाकी 5 किलोग्राम हेरोइन भारतीय तसकर ले जाने में सफल हो गए थे. इस मामले में 5 तसकर पकड़े गए थे.
नवंबर 2020 में गजसिंहपुर में 8 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी थी. इस दौरान बीएसएफ की फायरिंग में एक पाकिस्तानी तसकर मारा गया था. भारतीय तसकर भाग गए थे. अप्रैल 2019 में इंद्रजीत सीमा चौकी इलाके में 18 किलोग्राम हेरोइन की तसकरी हुई थी. इस मामले में पंजाब के अबोहर निवासी छिंदा सिंह का नाम सामने आया था. बीकानेर बौर्डर पर पिछले साल अक्तूबर में पंजाब के एक तसकर से सेटेलाइट फोन मिला था. भारत में कई रास्तों से हेरोइन आती है. अफगानिस्तान से जमीनी स्तर पर पाकिस्तान के रास्ते विभिन्न बौर्डरों से आती है. हवाई मार्ग से भी हेरोइन आती है. समुद्री रास्तों के जरिए भी हेरोइन भारत में पहुंचती है. इस के अलावा नेपाल के रास्ते भी हमारे देश में हेरोइन लाई जाती है.
विभिन्न रास्तों से भारत में आने वाली हेरोइन की सब से ज्यादा खपत पंजाब, मुंबई और दिल्ली में होती है. वैसे तो हेरोइन की खपत पूरे देश में है. बौलीवुड में भी बड़ी मात्रा में हेरोइन की चोरीछिपे खपत होती है. बहरहाल, पाकिस्तान से जुड़े राजस्थान बौर्डर पर बीएसएफ ने अब तक की सब से बड़ी हेरोइन तसकरी की खेप पकड़ कर पाकिस्तानी तसकरों के नए रास्ते का भंडाफोड़ कर दिया है, लेकिन तसकरों के नेटवर्क को नेस्तनाबूद करना बीएसएफ और एनसीबी के लिए चुनौती है. Social Stories in Hindi