Short Kahani in Hindi : यदि किसी भी शख्स के पास हिम्मत और जज्बा है तो वह कामयाबी के मुकाम तक जरूर पहुंच सकता है. यही सब कर दिखाया फौजा सिंह ने. उम्रदराज होने के बावजूद उन्होंने मैराथन दौड़ कर दुनिया में कामयाबी का परचम बुलंद कर दिया. 114 साल के होने के बावजूद वह पूरी तरह से फिट थे, लेकिन एक हादसे में गुजरने के बाद वह प्रेरणा की ऐसी मिसाल बन गए कि...
दुनिया के सब से उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह की जालंधर में सड़क हादसे में 14 जुलाई, 2025 को मौत हो गई. वह घर के बाहर टहल रहे थे. इसी दौरान उन्हें एक कार ने टक्कर मार दी, जिस से वह घायल हो गए. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां पर इलाज दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. फौजा सिंह को 'टर्बन टोरनाडो’, 'रनिंग बाबा’, 'सिख सुपरमैन’ भी कहा जाता था.
वह अपने 2 बेटों के साथ पंजाब के जिला जालंधर के गांव व्यास पिंड में ही रहते थे. यहां पर ही उन का सन 1911 में जन्म हुआ था. फौजा सिंह भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक थे. वह आजकल जालंधर में ही आए हुए थे. उन के जीवन की कहानी कुछ अजीब है. बचपन में वह 5 साल तक चलफिर नहीं सकते थे. उन के पैर बहुत कमजोर थे. फिर धीरेधीरे ऐसे चले कि आखिर तक नहीं रुके और पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली. वह अकसर कहा करते थे कि मेरी जिंदगी ने मुझे दौड़ाक बना दिया. इस जिंदगी में बहुत कुछ दिया और मुझ से लिया भी बहुत कुछ. मैं ने अपनी पत्नी, जवान बेटा और बेटी खोए. मैं ने फिर 81 की उम्र में दौडऩा शुरू किया, जो अभी 114 साल की उम्र तक नहीं रुका था.