ऑडियो में सुनें पूरी कहानी
0:00
12:24

6 जनवरी 2020 को रात करीब 10 बजे का वक्त था. ग्रेटर नोएडा के गौर सिटी एवेन्यू-5 में रहने वाले 40 साल के वर्किंग प्रोफेशनल गौरव चंदेल गुरुग्राम स्थित अपने दफ्तर से नोएडा एक्सटेंशन में स्थित अपने घर लौट रहे थे. रास्ते में चंदेल ने अपनी पत्नी प्रीति को फोन कर के कहा कि वह रात 10 बजे तक घर पहुंच जाएंगे. लेकिन वे दिल्ली एनसीआर के हमेशा रहने वाले जाम के कारण जब समय पर घर नहीं पहुंचे तो आदतन उन की पत्नी प्रीति ने रात करीब साढ़े 10 बजे फिर से गौरव चंदेल को फोन कर के पूछा कि वह घर कब तक पहुंचेंगे.

ज्यादा बात तो नहीं हो सकी लेकिन गौरव ने पत्नी को इतना जरूर बताया कि वह पर्थला चौक पर हैं और थोड़ी देर में घर पहुंच जाएंगे. पूछने पर उन्होंने पत्नी को इतना ही बताया था कि वह इस वक्त अपनी गाड़ी के पेपर चैक करा रहे हैं. इस के बाद गौरव ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. लेकिन उस के पहले प्रीति ने फोन पर दूसरी तरफ से स्पष्ट सुना था. गौरव से कोई कह रहा था कि कार सड़क किनारे ले लो. प्रीति को लगा कि शायद पुलिस वाले होंगे जो चैकिंग कर रहे होंगे.

पर्थला चौक से चंदेल का घर महज 4 किलोमीटर ही रह गया था. कायदे से अगले 10 या 15 मिनट में गौरव चंदेल को अपने घर पर होना चाहिए था. लेकिन काफी वक्त गुजर जाने के बाद भी वह अपने घर नहीं पहुंचे.आमतौर पर जब भी काम से फुरसत होती, गौरव अपनी पत्नी से फोन पर बातें किया करते थे. इस रोज भी दफ्तर से रवाना होने से पहले उन्होंने प्रीति को फोन किया था. इस हिसाब से गौरव को रात करीब 10 बजे तक गुरुग्राम से नोएडा एक्सटेंशन के अपने फ्लैट पर पहुंच जाना चाहिए था. गौरव चंदेल गुरुग्राम के उद्योग विहार स्थित सर्जिकल इक्विपमेंट बनाने वाली 3एम इंडिया लिमिटेड कंपनी में रीजनल मैनेजर थे.

गौरव चंदेल ने पत्नी से फोन पर जो कहा था, उस के हिसाब से गौरव को कम से कम अगले आधे घंटे यानी रात पौने 11 या 11 बजे तक घर पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन जब 40-45 मिनट गुजर जाने के बाद भी गौरव घर नहीं पहुंचे तो प्रीति की बेचैनी बढ़ने लगी.अब उस ने गौरव को एक के बाद एक कई फोन किए. घंटी बजती रही लेकिन गौरव ने फोन नहीं उठाया. प्रीति को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अपनी गाड़ी के कागज चैक करवा रहे गौरव के साथ बीच रास्ते में ऐसा क्या हुआ कि वह न तो घर लौटे और न ही फोन उठा रहे हैं. ये हालत प्रीति ही नहीं, बल्कि पूरे चंदेल परिवार और रिश्तेदारों को बेचैन करने के लिए काफी थे.

लिहाजा प्रीति ने अब अपने पड़ोसियों से बात की और फोन पर ही कुछ और देर तक गौरव का पता लगाने की कोशिश चलती रही. लेकिन जब सारी कोशिशें नाकाम हो गईं तो उस ने आसपड़ोस में रहने वाले लोगों को बुलाया और सभी लोग सीधे बिसरख पुलिस स्टेशन पहुंचे.

थाने में उन के साथ वैसा ही हुआ जैसा कि आमतौर पर पुलिस थानों में होता है, बिसरख थाने के पुलिस वालों ने परेशान चंदेल परिवार को बहुत ठंडा रिस्पौंस दिया और ये समझाने की कोशिश की कि गौरव अपनी मरजी से कहीं चले गए होंगे और खुद ही वापस लौट आएंगे.चूंकि गौरव की पत्नी प्रीति को पूरे सीक्वेंस यानी घटनाक्रम का पता था तो वह पुलिस की बात मानने को तैयार नहीं हुई. ऐसे में जिद करने पर बिसरख के पुलिस वालों ने चंदेल परिवार को पहले थाना फेस-3 फिर चेरी काउंटी पुलिस चौकी और तब गौड़ सिटी पुलिस चौकी के लिए टरका किया.

परिवार के लोग पड़ोसियों के साथ इस चौकी से उस चौकी तक भटकते रहे, लेकिन हर जगह उन्हें वहां तैनात पुलिस वालों ने यह कह कर टरका दिया कि ये हमारे क्षेत्र का मामला नहीं है.इस तरह गौरव के परिवार वाले रात भर थाने और पुलिस चौकी में ढूंढते और पुलिस से फरियाद करते रहे. आधी रात बीत जाने के बाद परिवार के लोग फिर से बिसरख थाने पहुंचे. जहां इस बार उन्हें बिसरख थानाप्रभारी मनोज पाठक मिले.

पाठक को जब सारी बात पता चली तो उन्होंने गौरव की गुमशुदगी दर्ज करवा कर उन के फोन की लोकेशन ट्रेस करने के लिए उसी समय कुछ पुलिसकर्मियों को काम पर लगा दिया. कुछ ही देर में बिसरख पुलिस को पता चल गया कि गौरव के मोबाइल फोन की लोकेशन एक्टिव थी.पुलिस को नोएडा एक्सटेंशन के ही रोजा जलालपुर और हैबतपुर जैसे गांवों का पता चला जहां गौरव के मोबाइल फोन की लोकेशन नजर आ रही थी. परिजनों ने राहत की सांस ली. उन्हें लगा कि गौरव कुशल से है, लिहाजा परिवार तथा पड़ोस के लोगों ने पुलिस पर दबाव बनाया कि वह इन जगहों पर चल कर गौरव को तलाशने के लिए उन के साथ चले.

पुलिस को जिन मामलों में अपना कोई फायदा नजर नहीं आता, उन में वह बहुत मेहनत नहीं करना चाहती. लिहाजा पुलिस अनमने ढंग से चंदेल परिवार के साथ गौरव को ढूंढने के लिए गई. लेकिन रात के अंतिम पहर में इधरउधर भटकने के अलावा उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली.घर वाले खुद गौरव की तलाश में जुट गए. घर वालों ने पड़ोसियों के साथ मिल कर एक बार फिर पर्थला गोल चक्कर से गौड़ सिटी तक गौरव को ढूंढने का काम शुरू किया. क्योंकि गौरव को इसी रूट से अपने घर आना था और आखिरी बार उस की अपनी बीवी प्रीति से पर्थला चौक पर ही फोन पर बात हुई थी. इसी तमाम भागदौड में सुबह के करीब साढ़े 4 बज गए थे.

चंदेल परिवार से जुड़े लोगों की गाड़ी पर्थला चौक से गौड़ चौक की तरफ सर्विस लेन पर चल रही थी. तभी उन्हें हिंडन पुलिया से पहले एक क्रिकेट ग्राउंड के पास कोई जमीन पर पड़ा नजर आया.बेचैन घर वालों ने अंधेरे में उस शख्स को टटोलने की कोशिश की, लेकिन करीब पहुंचते ही सब के पैरों तले जमीन खिसक गई. क्योंकि ये गौरव ही थे, जो औंधे मुंह जमीन पर पड़े थे और उन के सिर से खून निकल रहा था. यहां तक की सांसें भी थम चुकी थीं.

प्रीति ने पति को इस हाल में देखा तो उस के जान हलक में आ गई और वह छाती पीट कर रोने लगी. लेकिन परिवार के कुछ लोगों को फिर भी करिश्मे की उम्मीद थी, लिहाजा वे सब फौरन गौरव को नजदीक के अस्पताल ले कर गए लेकिन वहां पहुंचते ही चिकित्सकों ने बताया कि उन की सांसें थम चुकी हैं.

गौरव की मौत की खबर पूरे चंदेल परिवार पर बिजली बन कर गिरी. रात भर गौरव को तलाशते रहे घर वालों को अब ये समझ नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करें, क्योंकि गौरव तो मिल चुका था मगर जिंदा नहीं मुर्दा.

कुछ परिजनों ने खुद को संयत किया और तत्काल गौरव चंदेल की हत्या की सूचना बिसरख पुलिस को दी. जैसे ही बिसरख थानाप्रभारी मनोज पाठक को गौरव चंदेल की हत्या और उन का शव मिलने की सूचना मिली. वे आननफानन में अपने आला अधिकारियों को इस की सूचना दे कर सहयोगियों को ले कर उस निजी अस्पताल में पहुंचे, जहां परिजन गौरव चंदेल को ले कर गए थे.

पाठक ने अस्पताल जा कर परिजनों से पूछताछ कर के जानकारी हासिल की. उन्होंने पुलिस की एक टीम को मौके पर ही आगे की काररवाई करने के लिए छोड़ दिया और खुद एक टीम ले कर परिवार के कुछ सदस्यों को ले कर उस जगह पहुंच गए, जहां गौरव चंदेल की लाश मिली थी.घटनास्थल पर इलाके के सीओ और क्राइम टीम के लोग भी पहुंच गए. पुलिस ने घटनास्थल की फोटोग्राफी और रिकौर्डिंग करवाई ताकि अपराधियों तक पहुंचने का कोई सुराग मिल सके. लेकिन पुलिस को कोई ऐसी चीज हाथ नहीं लगी, जिस से कामयाबी मिलती. सवाल यह था कि अगर गौरव चंदेल की लाश वहां थी तो उन की कार
कहां गई.

इसी सवाल का जवाब पाने के लिए पुलिस की कुछ टीमों को आसपास के इलाकों में दौड़ाया गया. एक बात साफ हो रही थी कि गौरव चंदेल की हत्या ऐसे लोगों ने की थी, जिन का मकसद लूटपाट करना रहा होगा.  बहरहाल, पुलिस ने गौरव चंदेल की गुमशुदगी को अपराध संख्या 17 पर भारतीय दंड संहिता में लूटपाट की नीयत से हुई हत्या का मामला दर्ज कर लिया.इस की जांच का काम इंसपेक्टर मनोज पाठक को सौंप दिया गया. इधर, गौरव चंदेल की रहस्यमय ढंग से हुई गुमशुदगी और उन का शव बरामद की जानकारी मीडिया को भी लग चुकी थी. लिहाजा मीडिया ने पुलिस के खिलाफ अगले ही दिन से गौरव चंदेल हत्याकांड में बरती लापरवाही को ले कर परतें उधेड़नी शुरू कर दीं.

इधर उच्चाधिकारियों ने मामले के तूल पकड़ने पर न सिर्फ एसटीएफ को इस मामले का खुलासा करने की जिम्मेदारी सौंप दी बल्कि बिसरख पुलिस से एसएसपी ने जवाबतलब भी कर लिया कि किन परिस्थितियों में पुलिस ने लापरवाही बरती.इधर पुलिस जांच आगे बढ़ती रही, उधर वक्त बीतने के साथ पुलिस के खिलाफ लोगों का गुबार सामने आता रहा. नोएडा में गौरव चंदेल के परिवार को न्याय दिलाने के लिए लोग सडकों पर उतर आए. कैंडल मार्च से ले कर पुलिस के खिलाफ विरोध प्रर्दशन शुरू हो गए.

परेशानी यह थी कि गौरव अपने परिवार का एकलौता सहारा थे. परिवार में उन की वृद्ध मां और पत्नी प्रीति के अलावा 14 साल का एक बेटा ही था. दूर के कुछ रिश्तेदार जो नोएडा या आसपास के इलाकों में रहते थे, वे ही मामले का खुलासा कराने के लिए पुलिस के पास भागदौड़ कर रहे थे.

कानून व्यवस्था को ले कर जब सवाल खड़े होते हैं तो उस पर सियासत भी शुरू हो जाती है. सरकार और पुलिस के खिलाफ विपक्षी राजनीतिक दलों ने भी सवाल खड़े करने शुरू किए तो लखनऊ से सरकार ने भी नोएडा पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.पुलिस भी अब तक की जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी थी. सवाल यह था कि गौरव चंदेल के मोबाइल पर आखिरी काल रात करीब साढ़े 10 बजे पत्नी की आई थी. तब चंदेल की लोकेशन पर्थला चौक थी.

इस के बाद अगले कुछ घंटों में चंदेल का मोबाइल 3 अलगअलग लोकेशन बता रहा था. पर्थला चौक के बाद दूसरी लोकेशन हैबतपुर थी. हैबतपुर पर्थला चौक से करीब साढ़े 3 किलोमीटर दूर है. लेकिन हैबतपुर चंदेल के घर के रूट पर नहीं पड़ता तो चंदेल उधर क्यों गया था. कहीं ऐसा तो नहीं उसे जबरन ले जाया गया?हैबतपुर के बाद चंदेल की दूसरी लोकेशन करीब 9 किलोमीटर दूर रोजा जलालपुर की थी. रोजा जलालपुर के बाद चंदेल के मोबाइल ने जिस आखिरी लोकेशन का पता दिया, वह थी सैदुल्लापुर. रोजा जलालपुर से करीब ढाई किलोमीटर आगे. ये तीनों ही लोकेशन मेनरोड से हट कर कच्ची सड़कों की थीं और चंदेल के घर के रूट पर तो बिलकुल भी नहीं.

इन 3 लोकेशन के बाद 7 जनवरी की सुबह खुद चंदेल की लाश जिस हिंडन नदी के किनारे मिली, वह इन तीनों लोकेशन से अलग थी. इस से साफ था कि गौरव चंदेल के साथ किसी कार जैकर गिरोह ने वारदात की थी.यह अनुमान इसलिए भी लगाया जा रहा था कि अभी तक न तो गौरव चंदेल की कार मिली थी और न ही उस में रखा लैपटौप और मोबाइल आदि बरामद हुए थे. गौरव चंदेल का मोबाइल भी आखिरी लोकेशन मिलने के बाद से लगातार बंद चल रहा था.

चूंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि गौरव चंदेल के सिर में 2 गोलियां मारी गई थीं. आमतौर पर इस तरह की वारदात को लूटपाट करने वाले गिरोह ही अंजाम देते हैं. इसलिए नोएडा पुलिस ने अब सारा फोकस आसपास के इलाकों में सक्रिय उन गिरोह पर कर दिया जो कार जैकिंग और लूटपाट की वारदातों को अंजाम देते हैं.पुलिस की सब से बड़ी परेशानी कत्ल के साथसाथ कातिल की पहचान को ले कर भी थी. क्योंकि चंदेल की पत्नी प्रीति के मुताबिक आखिरी बातचीत के दौरान चंदेल अपनी गाड़ी के कागजात दिखा रहे थे. अब कागजात पुलिस वाले ही चैक करते हैं. तो क्या चंदेल की आखिरी मुलाकात पुलिसवालों से ही हुई थी? या फिर पुलिस के वेश में लुटेरे थे?

पुलिस सोच रही थी कि ये काम लुटेरों के अलावा किसी और का भी हो सकता है. चंदेल के किसी दुश्मन का तो ये काम नहीं था. इस बिंदु पर भी जांच हुई, मगर कोई सुराग हाथ नहीं लगा.अब सवाल ये भी था कि आखिर गौरव की ब्रैंड न्यू सेल्टोस कार कहां है? 2 मोबाइल, लैपटौप और दूसरी कीमती चीजें भी गायब थीं. तो क्या ये मामला लूट और उस के लिए हुए कत्ल का है.

अब तक की जांच में पुलिस के सामने खुलासा हुआ था कि गुरुग्राम की एक कंपनी में रीजनल मैनेजर का काम करने वाले गौरव खुशमिजाज इंसान थे. उन्हें कारों से बड़ा लगाव था और शायद यही वजह थी कि गौरव ने अपनेलिए बमुश्किल महीने भर पहले हाल ही में लौंच हुई किया सेल्टोस कार खरीदी थी.

कार खरीदने के दौरान शोरूम में खिंचवाई गई गौरव की तसवीर उस की खुशी और जिंदगी को ले कर उस की उम्मीदों की गवाह बन कर रह गई है. लेकिन इसी गौरव के साथ 6 और 7 जनवरी की दरमियानी रात को जो कुछ हुआ वो भी मानो एक पहेली बन कर रह गया.

गौरव चंदेल की हत्या में पुलिस की भूमिका को ले कर सवार यूं ही नहीं उठ रहे थे. अगर वारदात की रात सचमुच ग्रेटर नोएडा पुलिस की कार्यशैली पर गौर करें, तो सामने आ रहा था कि गौरव की जिंदगी बचाने के लिए पुलिस ने उस रात वह नहीं किया, जो उसे करना चाहिए था.बल्कि सच्चाई तो यह है कि मोबाइल फोन की लोकेशन निकाल लेने के बावजूद सीमा विवाद में उलझी ग्रेटर नोएडा की पुलिस उसे ढूंढने के बजाय टोपी ट्रांसफर करने के खेल में उलझी रही और यही वजह रही कि नोएडा के आखिरी एसएसपी वैभवकृष्ण ने बिसरख थाने के एसएचओ से इस सिलसिले में जवाबतलब किया था.

पुलिस की कई टीमें गौरव चंदेल हत्याकांड के आरोपियों तक पहुंचने के लिए लगातार काम कर रही थीं. पुलिस टीमें चंदेल की कार के अलावा उस के मोबाइल फोन को लगातार ट्रैक किया जा रहा था.

इसी दौरान 15 जनवरी को अचानक सर्विलांस टीम को गौरव चंदेल का एक मोबाइल फोन एक्टिव होने का पता चला. पुलिस टीमों ने उसी रात मोबाइल की लोकेशन के आधार पर मजदूरी करने वाले एक शख्स को हिरासत में ले लिया और उस से पूछताछ की जाने लगी.पूछताछ करने पर पता चला कि वह शख्स एक फैक्ट्री में काम करने वाला मामूली सा मजदूर था. 7 जनवरी को उसे गौरव चंदेल का मोबाइल फोन लावारिस अवस्था में उस स्थान से थोड़ी दूर झाडि़यों में पड़ा मिला था, जहां गौरव चंदेल की लाश मिली थी. रामकुमार नाम के इस राहगीर ने लावारिस पड़े इस मोबाइल को अपने पास रख लिया.

1 सप्ताह अपने पास रखने के बाद रामकुमार ने इस मोबाइल को 15 जनवरी की सुबह जैसे ही अपना नंबर डाल कर फोन किया, बिसरख पुलिस ने उसे दबोच लिया. पुलिस ने हर बिंदु पर इस बात की पुष्टि कर ली कि रामकुमार का संबंध किसी गैंग या अपराधी गिरोह से नहीं है.पूरी संतुष्टि होने के बाद पुलिस ने उसे रिहा तो कर दिया लेकिन न सिर्फ उस की निगरानी शुरू कर दी, बल्कि उसे यह भी ताकीद कर दिया कि पुलिस को जब भी उस की जरूरत पड़ेगी, वह पूछताछ के लिए थाने में हाजिर होगा.

मोबाइल फोन की इस बरामदगी से पुलिस को गौरव  चंदेल हत्याकांड की गुत्थी सुलझने की उम्मीद बढ़ गई थी. पुलिस चंदेल के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगाल ही रही थी कि इसी दौरान पड़ोसी जनपद गाजियाबाद पुलिस की मसूरी थाना पुलिस को गौरव चंदेल की किया सेल्टोस कार लावारिस अवस्था में बरामद हो गई.

मसूरी पुलिस ने 16 जनवरी को ग्रेटर नोएडा से लगभग 40 किलोमीटर दूर गाजियाबाद के मसूरी की आकाश नगर कालोनी से कार लावारिस हालत में बरामद की थी. बरामदगी के वक्त कार लौक्ड थी.

गौरव चंदेल की कार किया सेल्टोस नंबर यूपी16सी एल0133 को कब्जे में ले कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी. पुलिस ने कार की फोरैंसिक जांच भी शुरू करवा दी.

हालांकि बरामद की गई कार पर नंबर प्लेट नहीं लगी हुई थी. दरअसल हत्यारों ने गाड़ी की पहचान छिपाने के लिए नंबर प्लेट तोड़ डाली थी, लेकिन कार के शीशे पर लगे गेट पास से कार के चंदेल की होने की पुष्टि हो गई.आकाश नगर में  जिस मकान के बाहर यह कार खड़ी हुई थी, उस के आसपास सीसीटीवी कैमरे लगे थे. जब उन्हें खंगाला गया तो पुलिस को उस में कार को खड़ा करने वाले नजर आ गए. सीसीटीवी में दिख रहे लोगों की पहचान करने की कोशिश की गई मगर तसवीरें इतनी धुंधली थीं कि उन की पहचान नहीं हो सकी.

फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट की टीम ने गाड़ी की जांच की, मगर उस से कोई मदद नहीं मिली. अलबत्ता गौरव चंदेल का लैपटौप बैग, आईडी, मोबाइल व दूसरे सामान कार में नहीं मिले.इस मामले में नया ट्विस्ट तब आया, जब 3 दिन बाद मसूरी थाना पुलिस ने ही आकाश नगर इलाके में गौरव चंदेल की कार से करीब एक किलोमीटर दूर चिराग अग्रवाल नाम के एक कारोबारी की टियागो कार को बरामद किया.

उस कार की नंबर प्लेट बदली गई थी, लेकिन कार पर लगे स्टिकर से कार के सही नंबर का पता चल गया.चिराग अग्रवाल की टियागो कार मिलने के बाद यह बात साफ हो गई कि इस इलाके में सक्रिय कोई गिरोह है, जिस ने इन वारदातों को अंजाम दिया है. नोएडा और गाजियाबाद पुलिस के साथ यूपी एसटीएफ की टीम इलाके के बदमाशों और सक्रिय गैंगों की कुंडली खंगालने लगी. पुलिस की जांच मसूरी इलाके में सक्रिय मिर्ची गैंग पर आ कर ठहर गई.

एसटीएफ ने मिर्ची गैंग की फाइलें खंगालीं तो पता चला कि इस गिरोह का सरगना आशु जाट है. गैंग में कई और गुर्गे भी हैं जिन में से ज्यादातर का ताल्लुक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर इलाके से है. ये गैंग दिल्ली के अलावा एनसीआर में वारदात को अंजाम दे कर वापस अपनेअपने इलाकों में लौट आता है.

यही वजह है कि पुलिस या तो इन तक पहुंच नहीं पाती या फिर उसे इन तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है. इन का यानी वारदात को अंजाम देने का तरीका यह है कि ये या तो किराए की गाड़ी या आटो से किसी मौल या पौश इलाकों में घूम कर पहले रेकी करते हैं और फिर जैसे ही इन्हें कोई अकेला आदमी नजर आता है ये उसे टारगेट करते हैं.

वारदात को अंजाम देने वाला ये गैंग लाल मिर्च का पाउडर ले कर चलता है. किसी बहाने से बात की शुरुआत करने की कोशिश करते हैं. और जैसे ही कोई इन के जाल में वह फंस जाता है तो ये उस की आंखों में लाल मिर्च झोंक देते हैं. फिर उसे या तो जख्मी कर के लूट लेते हैं या फिर ये गैंग उस का अपहरण कर लेते हैं और मार देते हैं. दिल्ली एनसीआर में पिछले कई सालों में मिर्ची गैंग ने ऐसी कई वारदातों को अंजाम दिया है.

पुलिस का टारगेट अब मिर्ची गैंग और उस का सरगना आशु जाट था. आशु जाट तक पहुंचना इतना आसान नहीं था, लेकिन पुलिस ने उस तक पहुंचने के लिए मसूरी इलाके में ही रहने वाली आशु जाट की पत्नी पूनम की निगरानी शुरू करा दी और पूनम के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. गौरव चंदेल हत्याकांड के बाद आशु जाट एसटीएफ के अलावा आसपास के जिलों की पुलिस की नजरों में भी चढ़ चुका था. सब अपनी तरह से उस तक पहुंचने की रणनीति पर काम कर रहे थे.

लेकिन सफलता मिली हापुड़ पुलिस को. 26 जनवरी को हापुड़ जिले की सर्विलांस टीम को सूचना मिली कि आशु जाट की पत्नी पूनम आशु के एक करीबी सहयोगी के साथ मोटरसाइकिल पर सवार हो कर धौलाना थाना क्षेत्र के करणपुर जट्ट गांव में किसी से मिलने जाने वाली है.इस सूचना के बाद सर्विलांस टीम ने स्वाट टीम और धौलाना पुलिस के साथ उस इलाके की घेराबंदी कर दी.

सूचना सटीक निकली और पुलिस टीम ने दोनों को दबोच लिया. उस के पास से एक .32 बोर की पिस्टल भी बरामद हुई. आशु जाट की पत्नी पूनम से महिला पुलिस पूछताछ करने लगी, जबकि धौलाना थाने के एसएसआई राजीव कुमार शर्मा, शिकारपुर, बुलंदशहर निवासी उमेश से उस के गिरोह के सरगना आशु जाट के बारे में पूछताछ  करने लगे.

आशु जाट के बारे में तो उमेश कोई सटीक जानकारी नहीं दे सका, लेकिन उस ने बताया कि 6 जनवरी की रात उस ने आशु जाट व अपने 3 साथियों के साथ मिल कर ग्रेटर नोएडा में एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी और उस की सेल्टोस कार लूट ली थी.जैसे ही पुलिस को पता चला कि उन के सामने गौरव चंदेल हत्याकांड का एक आरोपी है तो पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए लूट के सामान की बरामदगी का प्रयास शुरू कर दिया.उमेश ने बताया कि वे लूटे गए एक मोबाइल व लैपटौप को नोएडा के फेस-3 इलाके से बरामद करवा सकता है तो राजीव शर्मा की टीम उसे माल बरामद करने के लिए रवाना हो गई.

लेकिन उमेश पुलिस टीम की उम्मीदों से कहीं ज्यादा शातिर और चालाक निकला. पुलिस की गाड़ी जब गुलावठी मसूरी रोड पर डहाना गांव के पास से गुजर रही थी तो अचानक वह शौच के बहाने गाड़ी से उतरा. वह एसएसआई राजीव शर्मा के हाथ से उन की सरकारी पिस्टल छीन कर

भागने लगा.पुलिस ने पहले तो उसे पकड़ने की कोशिश की, मगर जब देखा कि वह उन की पकड़ से निकल सकता है तो उन्होंने उस पर गोली चला दी. एक के बाद एक 2 गोलियां उमेश के दाएं पैर में लगी और वो वहीं गिर पड़ा. इस के बाद पुलिस उसे घायलावस्था में ले कर अस्पताल पहुंची.

पूछताछ करने पर पता चला कि उमेश ने भागने का रास्ता खोजने के लिए ही पुलिस को लूट का माल बरामद करवाने का झांसा दिया था. लेकिन पुलिस को इतना तो पता चल ही चुका था कि मिर्ची गैंग ने ही गौरव चंदेल की हत्या को लूट के इरादे से अंजाम दिया था.पुलिस ने उसी दिन कविनगर के काजीपुरा इलाके में रहने वाले आशु जाट उर्फ प्रवीण उर्फ धर्मेंद्र की पत्नी पूनम के साथ उमेश के खिलाफ शस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज कर लिया और आगे की काररवाई के लिए एसटीएफ तथा नोएडा पुलिस को सूचित कर दिया.

नोएडा पुलिस व एसटीएफ की टीम सूचना मिलने के तत्काल बाद धौलाना पहुंच गई और इस मामले की आगे की जांच अपने हाथ में ले ली. उमेश पर लूटपाट, अपहरण और हत्या के एक दरजन से ज्यादा मामले दर्ज हैं. इस गैंग के बौस यानी सरगना आशु जाट पर भी ऐसे ही 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.

पुलिस उमेश की गिरफ्तारी को बड़ी उपलब्धि मान रही थी. लेकिन आशु जाट की गिरफ्तारी न होना और बदमाशों से लूट का कोई भी माल बरामद न होना उस की काररवाई पर प्रश्नचिह्न खड़े कर रहा था. हालांकि हापुड़ पुलिस की उमेश से पूछताछ के आधार पर दावा किया था कि 6 जनवरी को नोएडा के गौरव चंदेल का कत्ल मिर्ची गैंग ने ही किया था और इस कत्ल और लूटपाट में उमेश भी शामिल था.

उमेश ने पुलिस को पूछताछ में बताया था कि गौरव चंदेल वारदात वाली रात करीब साढ़े 10 बजे हिंडन विहार स्टेडियम के करीब सड़क किनारे अपनी कार रोक कर फोन पर बात कर रहे थे. उसी उमेश व उस के साथी कार के करीब पहुंचे. इस के बाद गौरव को .32 बोर के पिस्टल से 2 गोली मारीं और उन की कार ले कर मौके से फरार हो गए. हापुड़ पुलिस के मुताबिक गौरव चंदेल को जिस .32 बोर के पिस्टल से गोरी मारी गई वह पिस्टल और उस के साथ 3 गोलियां भी उमेश से बरामद हो गई हैं.

हापुड़ पुलिस का कहना है कि गौरव चंदेल के कत्ल का असली मास्टरमाइंड मिर्ची गैंग का सरगना आशु जाट है, जो अभी फरार है. लेकिन इतना सब होने के बाद भी नोएडा पुलिस हापुड़ पुलिस के इस दावे को ले कर चुप्पी साधे हुए है. पर क्यों? क्या हापुड़ पुलिस के दावे में कोई झोल है या फिर बात कुछ और है?

मामला चूंकि समूची राज्य की पुलिस की विश्वसनीयता का है, इसलिए हो सकता है कि नोएडा पुलिस हापुड़ पुलिस के दावों पर चुप हो. नोएडा पुलिस अब इस कोशिश में है कि किसी तरह मिर्ची गैंग का सरगना आशु उस के हाथ लग जाए तो उस की कुछ इज्जत बच सकती है.

इसी इंतजार में अभी तक गौरव चंदेल के कत्ल की गुत्थी सुलझा लेने का दावा करने से पुलिस बच रही है. दूसरा नोएडा पुलिस उमेश के बयान पर आंख मूंद कर भरोसा करने के बजाए पहले केस की सारी कडि़यों को भी जोड़ लेना चाहती है, ताकि आगे फजीहत न हो.

दिलचस्प बात यह है कि अपने गुडवर्क को बढ़ाचढ़ा कर बताने वाली नोएडा पुलिस न तो इस मामले में कोई जानकारी साझा कर रही है और न ही इस मामले में उसे अभी कोई दूसरी सफलता मिली है.

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पुलिस ने शासन के दबाव और फजीहत से बचने के लिए मिर्ची गैंग के सरगना पर इस हत्या व लूटकांड का ठीकरा फोड़ा है या वास्तव में इसी गिरोह ने इस वारदात को अंजाम दिया था?

लेकिन ऐसे कई सवाल हैं जिस से ये पूरा मामला एक पहेली बन गया है. अगर आशु जाट के मिर्ची गैंग ने ही इस पूरी वारदात को अंजाम दिया था तो उन्होंने वारदात के बाद गौरव चंदेल से लूटी गई किया सेल्टोस कार मसूरी इलाके में लावारिस क्यों छोड़ी?

आमतौर पर लूटपाट के लिए वारदात को अंजाम देने वाले इन बदमाशों ने कीमती कार छोड़ कर सिर्फ गौरव चंदेल का एक मोबाइल व लैपटाप लूटा था. जबकि एक मोबाइल वे पहले ही उस जगह फेंक चुके थे, जहां गौरव चंदेल की हत्या कर के उसके शव को फेंका था.

पुलिस अभी तक गौरव चंदेल के डेबिट व क्रेडिट कार्ड तथा उस की सोने की चेन व अंगूछी के बारे में नहीं बता सकी है कि वे किस के पास हैं. अगर उमेश इस वारदात में शामिल था, तो पुलिस उस से इन सामानों का खुलासा क्यों नहीं करवा सकी? अगर पुलिस की कहानी पर विश्वास कर भी लिया जाए तो वे लूटे गए सामान कहां हैं?

सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस ने इस मामले में फजीहत से बचने और गरदन बचाने के लिए केस का खुलासा तो कर दिया, लेकिन अभी तक उस के पास हत्या की ठोस वजह नहीं है.हो सकता है कि गौरव चंदेल की हत्या उस के किसी दुश्मन की सोची- समझी साजिश का कारनामा हो लेकिन पुलिस उस चक्रव्यूह को तोड़ने में नाकाम रही है. पुलिस ने सिर्फ मिर्ची गिरोह की कार्यशैली को देख कर इस के ऊपर हत्याकांड का ठीकरा फोड़ दिया है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...