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हैदराबाद की डा प्रियंका रेड्डी के साथ  घटित नृशंस हत्याकांड के बरअक्स  अगर देखे तो सेलयूलाइड  पर भी निरंतर इस “सच” को दिखाकर समाज में जागृति लाने का प्रयास किया गया है. इस क्रम में सबसे महत्वपूर्ण फिल्में हैं मदर इंडिया एवं रोटी कपड़ा और मकान अगर आपने इन दो क्लासिक फिल्मों को देखा होगा, तो आप समझ सकते हैं कि महिला के साथ किस दरिंदगी के साथ, कथित पुरुष अपने नंगे पन के साथ सामने आते हैं. और शायद यही क्रम डा प्रियंका रेड्डी के साथ भी घटित हुआ है, जिसमें उसकी जान चली गई.

मदर इंडिया की  नरगिस

सेल्यूलाइट पर महबूब खान की बहुचर्चित फिल्म मदर इंडिया में भी एक बलात्कार का दृश्य बड़े ही जीवंत और तल्ख रूप में दिखाया गया है. फिल्म में अभिनेत्री नरगिस एवं सहित अभिनेता कन्हैयालाल के ऊपर फिल्माया गया यह दृश्यांकन , कुछ ऐसा है कि जिसे भुलाया नहीं जा सकता. महबूब खान ने अपनी प्रतिभा का अद्भुत परिचय देते हुए फिल्म मदर इंडिया में नरगिस और कन्हैयालाल के माध्यम से ऐसा सच चित्रित कर दिया है, जो लंबे समय तक अविस्मरणीय रहेगा और देखने वालों के रोंगटे खड़े होते रहेंगे.

मनोज कुमार की रोटी कपड़ा और मकान

अभिनेता निर्देशक भारत कुमार के नाम से प्रसिद्ध मनोज कुमार की फिल्म रोटी कपड़ा और मकान मे भी बलात्कार का एक दृश्य ऐसा बना है, जो जीवंत और मन को स्पर्श करने वाला है. अपने समय की महत्वपूर्ण अभिनेत्री मौसमी चटर्जी पर यह दृश्य फिल्माया गया. फिल्म में वह एक दिव्यांग की भूमिका में है. उनके साथ 3 लोग बलात्कार करते हैं, यह दृश्य देखकर भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

आंखों में आंसू आ जाते हैं. इस दृश्यांकन  के माध्यम से मनोज कुमार ने बताया है कि समाज में किस तरह महिलाओं के साथ पुरुष अत्याचार के आयाम स्थापित करता है और समाज में स्वयं को कलंकित करता है.  सच तो यह है कि फिल्मों एवं साहित्य में नारी के साथ हो रहे अत्याचार, बलात्कार को बड़े ही जीवंत रूप से निरंतर दिखाकर उसके शमन का प्रयास किया गया है.

 निर्भया कांड की जीवंत हो उठी स्मृतियां

कैसा है हमारा समाज और कानून जहां ऐसा कोई दिन नहीं होता जब किसी लड़की, बच्ची के साथ कोई  जघन्य  बलात्कार और हत्या ना होती हो. इस सच्चाई को बढ़ी तल्खी के साथ साहित्य एवं सिनेमा में भी हमने बार बार दिखाया गया है .

आज यहां हम चर्चा करना चाहते हैं, हैदराबाद में घटित प्रियंका रेडी के साथ घटित बलात्कार एवं हत्या कांड की . जिसने संपूर्ण देश को उद्वेलित कर दिया है. ऐसा जान पड़ता है मानो निर्भया कांड के बाद एक बार फिर देश की आवाम का गुस्सा अपने बांध तोड़ कर निकल चुका है. दिल्ली के निर्भया कांड के समय में भी देखा गया था कि किस तरह संपूर्ण देश में कांड के खिलाफ लोगों में गुस्सा उफान पर आ गया था.

सरकार और व्यवस्था की “कुर्सी” हिलने लगी थी. और तब जाकर  शासन ने कठोर कानून बनाने की पहल की थी. आज स्थिति यह है कि बलात्कार के संदर्भ में कठोरतम कानून होने के बावजूद इस तरह के प्रकरणों  में कमी नहीं आ रही है. आइए देखें आज इस रिपोर्ट में क्या हुआ था तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में प्रियंका रेड्डी के साथ-

 प्रियंका रेड्डी मिनट टू मिनट

दिनांक  27 नवम्बर 2019 दिन- बुधवार.स्थान हैदराबाद शहर. पशु चिकित्सक प्रियंका रेड्डी  कोल्लुरु स्थित  पशु चिकित्सालय जाने के लिए निकलीं. उन्होंने अपनी स्कूटी,  को शादनगर के टोल प्लाजा के पास पार्क कर दिया . वहां  से कैब ली और आगे निकल गईं. रात में जब वह लौटी तो उनकी स्कूटी पंक्चर मिली . यहां से तब प्रियंका ने अपनी बहन को फोन किया और इसकी जानकारी दी.

प्रियंका ने बहन को बताया  कि उसे वहां बहुत भय लग रहा है. आसपास कुछ  अनजान लोग हैं, ट्रकों के ड्राइवर  उसे अजीब नजरों से घूर रहे हैं. मुस्लिम बहुल इलाका होने के चलते बहन भी एक अज्ञात आशंका से घिर गई  थी .बहन ने प्रियंका को तुरंत टोल प्लाजा जाने और कैब से घर आने की सलाह दी. बाद मे  जब बहन ने प्रियंका को कौल किया गया तो उनका फोन” स्विच औफ” हो चुका था. बहन ने परिवार को बताया. चिंतित  परिवारजन  सीधे  टोल प्लाजा पहुंच प्रियंका को तलाशने की कोशिश करने  लगे, जब वह नहीं मिली तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई.

गुरुवार सुबह पुलिस को हैदराबाद-बेंगलुरु हाईवे के पास एक महिला का जला हुआ शव दिखाई देने की रिपोर्ट  मिली. घटनास्थल पर पहुंचने के बाद पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट के आधार पर प्रियंका के परिवार से संपर्क किया .जिन्होंने कपड़ों और गले के लौकेट के आधार पर शव प्रियंका का होने की पुष्टि कर दी. माना जा रहा है  बलात्कार के बाद प्रियंका की जघन्य  नृशंस हत्या कर दी गयी थी.

पाषाण हृदय हमारे राजनेता

डा प्रियंका रेड्डी की घटना से जहां संपूर्ण देश उद्वेलित हो चुका है. वहीं राज नेताओं की भी सामान्य सी प्रतिक्रिया आ रही है. इस संदर्भ में डॉक्टर गुलाब राय पंजवानी जो कि एक गांधीवादी हैं की प्रतिक्रिया बड़ी महत्वपूर्ण प्रतीत होती है उनके अनुसार- होना तो यह चाहिए कि ऐसे नृशंस हत्या कांड की जिम्मेदारी लेते हुए चाहे दिखावे के लिए ही, हमारे पाषाण हृदय  नेताओं को अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर देनी चाहिए!

हो सकता है आपको हमारी यह इल्तजा कुछ बहुत ज्यादा अपेक्षा मांगती दिखाई दे. मगर जब तक देश की ऐसी बड़ी  घटनाओं पर रोक के लिए बड़े पदों पर बैठे हुए लोगों  की कुछ ऐसी प्रतिक्रिया नहीं आएगी, तब तलक यह अबाध गति से चलता रहेगा.

सवाल सबसे बड़ा यह है कि दिनदहाड़े हो या फिर रात के अंधेरे में, आखिर कोई महिला बच्ची सुरक्षित क्यों नहीं है? कहां है शासन और कानून? और ऐसी घटनाएं इसके बावजूद हो रही है तो ऐसे पत्थर हृदय नेता और अधिकारी किस मुंह से अपने पदों पर बैठे हुए हैं. अरे भाई! कम से कम दिखावे के लिए ही सही एक बार इस्तीफा की पेशकश तो करें… शायद उससे जनचेतना जागृत हो, लोगों में जागृति आए और ऐसा जघन्य  बंद हो जाए.

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