असल में विशाल के परिवार वाले उसे कई बार हिदायत दे चुके थे कि वह वंदना से संबंध तोड़ ले.

विशाल के पिता रेलवे में नौकरी करते थे. रिटायर हो चुके थे. उस के बाद से ही वंदना सिंह के मकान में करीब 3 साल से किराए पर रह रहे थे. वंदना के पति स्व. मनोज कुमार सिंह लोक जनशक्ति पार्टी के नेता थे, जिन की 4 साल पहले आकस्मिक मृत्यु हो चुकी थी. विशाल की वंदना और उस के पति से जानपहचान तभी से थी.

पत्रकारिता के सिलसिले में उन की मुलाकातें अकसर होती रहती थीं. वे उस के लिए खबरों के स्रोत भी थे. इस कारण विशाल उन के राजनीतिक मतलब की खबरें भी छाप दिया करता था.

पति की आकस्मिक मौत के बाद वंदना दिवंगत पति की तरह ही राजनीति में सक्रिय हो गई थी. उस के बाद दोनों का विभिन्न कार्यक्रमों में मिलनाजुलना होने लगा था. इस बीच वे समय निकाल कर अपनी कुछ अंतरंगता की बातें भी कर लेते थे.

वंदना को बातबात पर विशाल से मशविरा लेना अच्छा लगता था. विशाल से बातें करने पर उस के दिल को सुकून मिलता था. छोटेबड़े काम के लिए विशाल को फोन कर दिया करती थी. विशाल भी इनकार नहीं कर पाता था.

इस तरह वंदना विशाल के काफी करीब आ चुकी थी. एक तरह से दोनों के बीच गहरा प्रेम संबंध कायम हो चुका था, जिसे उन्होंने दुनिया की नजरों से छिपाए रखा था. इस की जानकारी सिर्फ विशाल की बहन वैशाली को ही थी.

उस के माध्यम से परिवार के दूसरे लोग भी वंदना और विशाल के प्रेम संबंध के बारे में जान गए थे. उन्हें यह भी मालूम हो गया था कि वंदना और विशाल गुपचुप विवाह बंधन में भी बंध चुके हैं, लेकिन अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच इस का खुलासा नहीं किया था.

उधर जैसेजैसे वंदना और विशाल के बीच निकटता बढ़ती गई, वैसेवैसे दोनों अलग तरह के तनाव में भी घिरने लगे. विशाल कुछ ज्यादा ही तनाव में रहने लगा था. दिनप्रतिदिन वंदना उस पर हावी होती जा रही थी. अपने मतलब की खबरें छपवाने से ले कर कारोबार के सिलसिले में हाथ बंटाने के लिए कहती रहती थी.

यहां तक कि अटके हुए सरकारी कामकाज के लिए विशाल पर संपर्क का फायदा उठाने के लिए भी दबाव बनाती थी. ऐसा नहीं होने पर विशाल को ताने दिया करती थी. कई बार इस संबंध में उन के बीच तूतूमैंमैं भी हो जाती थी.

विशाल को वंदना द्वारा दबाव बना कर काम करवाने का तरीका अच्छा नहीं लगता था. उसे अपने पत्रकारिता के करिअर को ले कर भी चिंता रहती थी, जिसे बेदाग बनाए रखने और किसी भी राजनीतिक दल के समर्थक होने के आरोप से बचाए रखना चाहता था. सब से बड़ी उलझन अनैतिक काम को सहयोग देने से बचने को ले कर भी थी.

उन्हीं दिनों बिचौलिया का काम करने वाले एक व्यक्ति ने किसी खबर को ले कर हद ही कर दी थी. उस ने खबर को नहीं छापने का दबाव बनाया था. खबर अवैध तरीके से शराब की बोतलें छिपाए जाने की थी. इस की भनक मीडिया को लग चुकी थी.

अधिकतर मीडिया वाले इस मसले पर चुप्पी साधे हुए थे. उस  व्यक्ति ने विशाल को खबर को जैसे भी हो, छपने से रोकने के लिए कहा था. जबकि जवाब में विशाल ने बताया कि खबर का छपना, नहीं छपना संपादक पर निर्भर है. वह नहीं लिखेगा तब कोई और लिख देगा.

इस पर उस व्यक्ति ने तेवर दिखाते हुए धमकी दी कि उस के ऊपर वंदना सिंह का हाथ है, तब विशाल भी थोड़ा सहम गया. उस के साथ के संबंध को ले कर बड़ी दुविधा में पड़ गया था. उसे वंदना के बिजनैस, होटल और दुकानों के बारे में पता था. जिन की देखभाल पति के निधन के बाद उस के भाई और दूसरे रिश्तेदार करते थे. इस में विशाल भी अप्रत्यक्ष तौर पर सहयोग करता था.

उसी रोज ही इस खबर को ले कर वंदना और उस के भाइयों के साथ काफी तीखी बहस हो गई थी. बात विशाल के घर तक जा पहुंची. इसी सिलसिले में वंदना अपने भाइयों के साथ विशाल के घर पहुंची. उस ने विशाल के परिवार के सदस्यों को धमकी दी.

खैर, बात आईगई हो गई. खबर किसी तरह की पुलिस काररवाई नहीं होने के कारण नहीं छप पाई. लेकिन दोनों के प्रेम संबंधों में दरार जरूर पड़ गई. वंदना और उस के भाइयों की निगाह में विशाल जरूरत का नहीं लगा. यह बात विशाल ने भी महसूस की कि वंदना न केवल उस से कतराने लगी है, बल्कि आक्रामक तेवर भी दिखाने लगी है. यहां तक कि वह गोलीबंदूक की भी बातें करने लगी थी.

विशाल वंदना के इस बदले हुए व्यवहार को ले कर भी तनाव में रहने लगा था. वह दोहरे मानसिक उत्पीड़न के दौर से गुजर रहा था. एक तरफ प्रेम संबंध के जगजाहिर होने का दिमाग पर पड़ने वाला दबाव था, तो दूसरी ओर वंदना के व्यवहार में बदलाव था. उस ने महसूस किया कि वंदना उसे दूध में गिरी मक्खी समझने लगी है.

इसी बीच विशाल को पता चला कि पति की मौत के पीछे वंदना सिंह का ही हाथ था. साथ ही यह भी मालूम हुआ कि वह किसी और युवक से भी वह प्यार करती है. उस का अफेयर शुभम कुमार सिंह से होने की जानकारी मिलने पर विशाल और भी विचलित हो गया. शुभम डा. कौशल सिंह का छोटा भाई है.

इसे ले कर उस ने वंदना से बात की. वंदना ने विशाल की भावना को ठुकराते हुए कहा कि तुम जब मेरे काम में मुझे मदद नहीं कर सकते तो तुम से कोई उम्मीद कैसे रख सकती हूं. अभी शुभम का इलाज चल रहा है. उस की मुझे जरूरत है, मैं जानती हूं कि आने वाले दिनों में वही मेरे साथ हमदर्दी रखेगा.

यह बात विशाल के दिल में चुभ गई. उस ने भावुक हो कर कह दिया यदि ऐसा हुआ तब वह अपनी जान दे देगा. इसे भी वंदना ने हंसी में उड़ा दिया और बोली, ‘‘जाजा, बहुत देखे हैं तेरे जैसे…!’’

‘‘मैं जो कह रहा हूं कर दूंगा…’’ विशाल गंभीरता से बोला.

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