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18 मार्च, 2017 को पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि गांव अनोड़ा में कुछ लोगों ने 2 लड़कियों को घेर रखा है, उन की जान को खतरा है. कंट्रोल रूम ने यह सूचना थाना राया पुलिस को दे दी, क्योंकि गांव अनोड़ा उसी के अंतर्गत आता था. सूचना मिलते ही थाना राया के थानाप्रभारी इंसपेक्टर अनिल कुमार पुलिस बल के साथ गांव अनोड़ा पहुंच गए. गांव पहुंच कर उन्हें पता चला कि वह फोन रामखिलाड़ी के घर से किया गया था.

पूछताछ में अनिल कुमार के सामने जो घटना आई, वह हैरान करने वाली थी. फोन जिन 2 लड़कियों ने किया था, वे आपस में शादी करना चाहती थीं, जो लोगों को स्वीकार नहीं था. लोग दोनों को अलग करना चाहते थे, जबकि लड़कियां एकदूसरे से अलग नहीं होना चाहती थीं. जब लोग जबरदस्ती करने लगे तो उन्होंने कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर दिया था.

मामला कोई बहुत गंभीर नहीं था, फिर भी कुछ लोगों को उत्तेजित देख कर अनिल कुमार दोनों लड़कियों को साथ ले कर थाने आ गए. उन के पीछेपीछे दोनों लड़कियों के घर वाले ही नहीं, कुछ रिश्तेदार और गांव के भी तमाम लोग आ गए थे.

पुलिस जिन दोनों लड़कियों को थाने ले आई थी, उन में से एक का नाम सोनिया था. उस की उम्र 23 साल थी. वह मथुरा जिले के थाना राया के गांव अनोड़ा के रहने वाले रामखिलाड़ी की बेटी थी. उस के साथ आई लड़की का नाम रीना था, जो 21 साल की थी. वह गांव रूमगेला के रहने वाले लक्ष्मण की बेटी थी.

थाने में की गई पूछताछ में सोनिया और रीना के प्रेम से ले कर बात विवाह तक पहुंचने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला मथुरा के थाना राया का एक गांव है अनोड़ा. रामखिलाड़ी इसी गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी भारती के अलावा 4 बेटियां और एक बेटा था.

रामखिलाड़ी कपड़ों पर प्रैस कर के गुजरबसर करते थे. सोनिया उन की सब से छोटी बेटी थी. उन्होंने 3 बेटियों की शादी कर दी थी. अब वह सोनिया की शादी के बारे में सोचने लगे थे.

लेकिन सोनिया कुछ अलग तरह की लड़की थी, जिसे ले कर रामखिलाड़ी ही नहीं, उन की पत्नी भारती भी चिंतित रहती थी. इस की वजह यह थी कि सोनिया बचपन से ही लड़कियों की तरह नहीं, लड़कों की तरह रहती आई थी. वह कपड़े तो लड़कों जैसे पहनती ही थी, उस की सोच, बातचीत का लहजा भी लड़कों जैसा था. वह रहती भी लड़कों के साथ ही थी.

सोनिया की चालढाल, रहनसहन और उस की बातें सुन कर रामखिलाड़ी और भारती चिंतित रहते थे. जब तक वह बच्ची थी, बात बचपने में टाल दी जाती रही, लेकिन जब वह सयानी हुई तो मांबाप उसे समझाने ही नहीं लगे, बल्कि हिदायतें भी देने लगे. लेकिन सोनिया पर उन के समझाने या हिदायतों का कोई असर नहीं पड़ा.

सोनिया ने 12वीं तक पढ़ाई की और अपने पैरों पर खड़ी होने के लिए सिलाई सीख कर लोगों के कपड़े तो सीने ही लगी, साथ ही सिलाई सिखाने का इंस्टीट्यूट भी खोल लिया. उस के यहां सिलाई सीखने गांव की ही नहीं, अगलबगल के गांवों की भी लड़कियां आती थीं.

सोनिया जहां अपने में मस्त रहती थी, वहीं मांबाप को उस के ब्याह की चिंता थी. क्योंकि उन्हें शायद पता नहीं था कि वह जिस बेटी के ब्याह के लिए परेशान हैं, उस में लड़कियों वाले गुण हैं ही नहीं. उन्होंने सोनिया के मन में क्या है, इस बात की परवाह किए बगैर अलीगढ़ की तहसील अतरौली के गांव जमनपुर के रहने वाले रमेश से उस की शादी तय कर दी.

जब इस बात की जानकारी सोनिया को हुई तो वह विरोध पर उतर आई. लेकिन उस के विरोध के बावजूद रामखिलाड़ी ने उस की शादी धूमधाम से रमेश के साथ कर दी. यह सन 2009 की बात है. मांबाप के इस फैसले से नाराज सोनिया ससुराल चली तो गई, पर बागी बन गई. ससुराल वालों ने उसे हाथोंहाथ लिया, पर उस के मन में जो था, उस में जरा भी बदलाव नहीं आया.

सोनिया ने पति को छूने देने की कौन कहे, चारपाई के भी नजदीक नहीं आने दिया. सवेरा होते ही उस ने साड़ी उतार कर फेंक दी और जींसटौप पहन लिया. बहू की इस हरकत से ससुराल वाले हैरान रह गए. उन्हें यह जरा भी पसंद नहीं आया. उन्होंने उसे नादान समझ कर समझाना चाहा, पर वह कुछ भी समझने को तैयार नहीं थी. उन्होंने फोन कर के सारी बात रामखिलाड़ी को बताई तो वह परेशान हो उठे.

बड़ी मुश्किल से तो उस ने बेटी की शादी की थी. ससुराल जा कर वह इस तरह का नाटक कर रही थी. 5 दिनों बाद वह मायके आई तो उस ने साफ कह दिया कि अब वह ससुराल नहीं जाएगी. इस के बाद लाख प्रयास के बावजूद भी वह ससुराल नहीं गई. मजबूर हो कर मांबाप ने बेटी के तलाक का मुकदमा अदालत में दायर कर दिया, जो अभी भी विचाराधीन है.

सोनिया तनमन से अपने सिलाई सैंटर में लग गई. उसे लड़कियों को सिलाई सिखाना पसंद था. न जाने क्यों उसे लड़कियों को छूना अच्छा लगता था. इसलिए वह उन्हीं के बीच लगी रहती थी. एक दिन पड़ोस के रूमगेला गांव की रहने वाली रीना उस के सिलाई सैंटर पर सिलाई सीखने आई तो उस ने उस में न जाने क्या देखा कि उसे लगा, इसी लड़की की उसे तलाश थी. रीना अभी पढ़ रही थी. वह सिलाई सीख कर अपनी पढ़ाई का खर्च खुद निकालना चाहती थी. उस के पिता लक्ष्मण खेती करते थे. उन के परिवार में पत्नी शांति के अलावा 4 बेटियां थीं. 3 बेटियों की वह शादी कर चुके थे. सब से छोटी रीना अभी पढ़ रही थी.

रूमगेला गांव अनोड़ा से 6 किलोमीटर दूर था. इस के बावजूद रीना रोज साइकिल से सोनिया के यहां सिलाई सीखने आती थी. रीना में ऐसा न जाने कौन सा आकर्षण था कि सोनिया उस की ओर खिंचती जा रही थी. जब तक वह सिलाई सैंटर में रहती, सोनिया को अजीब सा सुख महसूस होता. वह उसी के इर्दगिर्द मंडराती रहती थी. उसे छू कर उस के मन को असीम शांति ही नहीं मिलती थी, बल्ति अद्भुत सुख का भी अहसास होता था.

सोनिया की नजरें हमेशा रीना पर ही जमी रहती थीं, क्योंकि वह उसे अन्य लड़कियों से अलग नजर आती थी. रीना को भी जब उस के मन की बात का अहसास हुआ तो वह भी उस के करीब आने लगी. जल्दी ही वह उस की खास छात्रा बन गई.

एक दिन सोनिया ने बहाने से उसे अपने घर क्या रोका, उस दिन के बाद से वह उसी की हो कर रह गई. इस के बाद सोनिया ने रीना के पिता लक्ष्मण को फोन कर के कहा कि रीना रोजरोज 6 किलोमीटर आनेजाने में थक जाती है. अच्छा होगा कि उसे उस के पास ही रहनें दें. इस से रीना सिलाई भी जल्दी सीख जाएगी और रोजरोज की थकान से भी बच जाएगी.

लक्ष्मण को क्या पता था कि सोनिया के मन में क्या है. उन्होंने सहज भाव से इजाजत दे दी. अब रीना सोनिया के साथ ही रहने लगी. सप्ताह में एकाध दिन वह घर भी चली जाती थी. एक साथ रहने से सोनिया और रीना एकदूसरे के इतने करीब आ गईं कि वे अलग होने के नाम से घबराने लग%8

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