दोपहर का एक बज चुका था, लेकिन खुशी अभी तक घर नहीं आई थी. घर के कामकाज निपटाने के बाद मिथिलेश की नजर घड़ी पर पड़ी तो वह चौंकी, क्योंकि खुशी एक बजे तक स्कूल से लौट आती थी. परेशान सी मिथिलेश भाग कर यह देखने दरवाजे पर आई कि शायद बेटी स्कूल से आ रही हो, लेकिन वह दूरदूर तक दिखाई नहीं दी तो वह और ज्यादा परेशान हो गई.

मिथिलेश मां थी, इसलिए उस का चिंतित होना स्वाभाविक था. खुशी स्कूल छूटने के बाद सीधे घर आ जाती थी. मिथिलेश सोच रही थी कि क्या किया जाए कि तभी उस के ससुर रामसावरे आते दिखाई दिए. उन के नजदीक आते ही मिथिलेश ने कहा, ‘‘बाबूजी, एक बज गया, खुशी अभी तक स्कूल से नहीं आई.’’

रामसावरे चौंके, ‘‘खुशी अभी तक नहीं आई? कोई बात नहीं बहू, बच्ची है, सखीसहेलियों के साथ खेलनेकूदने लगी होगी. तुम चिंता मत करो, मैं स्कूल जा कर देखता हूं.’’ कह कर रामसावरे खुशी के स्कूल की ओर निकल गए. यह 12 अक्तूबर, 2017 की बात है.

उत्तर प्रदेश के जिला फैजाबाद की कोतवाली बाकीपुर का एक गांव है असकरनपुर. मास्टर विजयशंकर यादव इसी गांव में रहते थे. वह शिक्षामित्र थे. उन के परिवार में पत्नी मिथिलेश, बेटा संजय कुमार, बेटी खुशी तथा उस से छोटा बेटा शिवा था. रामसावरे भी उन्हीं के साथ रहते थे.

उन का भरापूरा परिवार था. अध्यापक होने के नाते विजयशंकर की गांव में इज्जत थी. वह भले ही शिक्षामित्र थे, लेकिन उन्हें सब मास्टर साहब कहते थे.

विजयशंकर का बड़ा बेटा संजय बीएससी कर रहा था. उन की बेटी खुशी गांव से ही 2 किलोमीटर दूर कोछा बाजार स्थित एमडीआईडीयू स्कूल में कक्षा 4 में पढ़ती थी. वह औटो से स्कूल आतीजाती थी, इसलिए घर वालों को उसे स्कूल से लाने या पहुंचाने का कोई झंझट नहीं था.

विजयशंकर के यहां सब ठीक चल रहा था. लेकिन 12 अक्तूबर, 2017 का दिन उन के परिवार के लिए विपत्ति ले कर आया. खुशी का पता करने रामसावरे स्कूल पहुंचे तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था.

सभी बच्चे अपनेअपने घर जा चुके थे. स्कूल में 2-4 मास्टर बचे थे, वह भी जाने की तैयारी कर रहे थे. रामसावरे ने उन से खुशी के बारे में पूछा तो पता चला कि छुट्टी होते ही खुशी घर चली गई. उन्होंने यह भी बताया कि खुशी औटो से जाने के बजाय स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका विमलेश कुमारी के साथ गई थी.

विमलेश के साथ जाने की बात सुन कर रामसावरे के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. वजह यह थी कि खुशी रोजाना औटो से स्कूल आतीजाती थी. फिर वह विमलेश के साथ क्यों गई? जबकि बच्चों को लाने ले जाने वाला औटो अपने समय पर स्कूल आया था और बच्चों को ले गया था.

रामसावरे तेज कदमों से चलते हुए सीधे विमलेश के घर पहुंचे, पता चला कि विमलेश घर में नहीं है. वह स्कूल तो गई पर लौट कर नहीं आई. यह जानने के बाद रामसावरे को चिंता होने लगी. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर विमलेश खुशी को ले कर कहां चली गई?

खुशी के गायब होने की खबर पा कर खुशी के पिता विजयशंकर भी गांव आ गए. गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर वह खुशी की तलाश में निकल पड़े. सब से पहले वह खुशी के स्कूल गए. इस बार स्कूल के कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि खुशी घर जाने के लिए स्कूल के औटो के बजाए स्कूल की अध्यापिका विमलेश कुमारी के साथ निकली थी. स्कूल के बाहर एक लड़का मोटरसाइकिल लिए खड़ा था, विमलेश खुशी को ले कर उसी के साथ गई थी.

सवाल यह था कि उस लड़के के साथ विमलेश खुशी को ले कर कहां गई? वह लड़का कौन था? इस से लोगों को आशंका हुई कि कुछ गड़बड़ जरूर है, वरना खुशी को मोटरसाइकिल से क्यों ले जाया जाता. तब तक शाम हो गई थी. अब विजयशंकर के सामने पुलिस के पास जाने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं बचा था. वह गांव वालों के साथ कोतवाली बीकापुर की ओर चल पड़े.

अभी वे रास्ते में ही थे कि पता चला, विमलेश खुशी को मोटरसाइकिल से मोहम्मद भारी तक आई थी. उस के बाद वहां खड़ी सफेद रंग की एक पुरानी मार्शल जीप में बैठ कर कहीं चली गई थी. इसी के साथ ही यह भी पता चला कि विमलेश खुशी को जिस लड़के की मोटरसाइकिल से मोहम्मद भारी तक लाई थी, वह लड़का मुमारिजनगर के रहने वाले सुबराती का बेटा मोहम्मद अनीस था.

इस के बाद रामसावरे ने अपनी 10 वर्षीय पोती खुशी के अपहरण की तहरीर कोतवाली प्रभारी सुनील कुमार सिंह को दे दी. उन के आदेश पर उसी दिन अपराध संख्या 436/2017 पर भादंवि की धारा 363 के तहत विमलेश और मोहम्मद अनीस के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया.

मुकदमा दर्ज होते ही सुनील कुमार सिंह ने इस मामले की जांच एसआई घनश्याम पाठक को सौंप दी. जब इस मामले की जानकारी एसपी (ग्रामीण) संजय कुमार को मिली तो उन्होंने इस केस में दिलचस्पी लेते हुए एसओजी टीम को भी खुशी के बारे में पता लगाने की जिम्मेदारी सौंप दी.

14 अक्तूबर, 2017 को पुलिस को मुखबिर से पता चला कि अनीस और विमलेश थाना कुमारगंज के गांव बवां में ठहरे हैं और वहां से कहीं जाने की फिराक में हैं. सूचना मिलते ही पुलिस टीम थाना कुमारगंज पुलिस को साथ ले कर बवां पहुंच गई. लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही विमलेश और मोहम्मद अनीस वहां से निकल चुके थे.

फलस्वरूप पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा. इस बीच पुलिस को विमलेश और अनीस के मोबाइल नंबर मिल गए थे. पुलिस ने उन्हें सर्विलांस पर लगा दिया था. सर्विलांस से उन के हरियाणा के गुरुग्राम में होने का पता चला.

इस पर घनश्याम पाठक के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गुरुग्राम भेज दी गई. लेकिन वहां भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. वहां पुलिस टीम को पता चला कि वे दिल्ली चले गए हैं. पुलिस टीम दिल्ली पहुंची, लेकिन वे दोनों वहां भी नहीं मिले.

विमलेश और अनीस की तलाश में पुलिस दिल्ली में भटकती रही, लेकिन वे पकड़े नहीं जा सके. पुलिस टीम दिल्ली में ही थी कि वे दोनों फैजाबाद आ गए. इस के बाद दिल्ली गई पुलिस टीम भी फैजाबाद आ गई.

दूसरी ओर खुशी के बारे में पता न चलने से दुखी घर वाले अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रहे थे. इस से स्थानीय लोगों का गुस्सा बढ़ता गया. पुलिस पर दबाव भी बढ़ रहा था. परिणामस्वरूप रविवार 22 अक्तूबर, 2017 को सुनील कुमार सिंह ने मोहम्मद अनीस और विमलेश को फैजाबाद रेलवे स्टेशन से उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब दोनों ट्रेन पकड़ कर कहीं भागने की फिराक में थे.

दोनों को गिरफ्तार कर के कोतवाली बीकापुर लाया गया. पूछताछ में पहले तो दोनों खुद को बेकसूर बताते रहे, लेकिन जब पुलिस ने उन के सामने सबूत रखे तो दोनों ने सच्चाई उगल दी.

विमलेश ने बताया कि मोहम्मद अनीस, जो उस का प्रेमी था, की मदद से उस ने खुशी को ठिकाने लगा दिया है. उस की लाश को उन्होंने जंगल में फेंक दिया था. उन्होंने खुशी की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला फैजाबाद के कोछा बाजार में वैसे तो कई निजी स्कूल हैं, लेकिन एमडीआईडीयू की अपनी अलग पहचान है. यही वजह है कि इलाके के ज्यादातर बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते हैं. खुशी के ही गांव असकरनपुर की रहने वाली 24 साल की विमलेश कुमारी इस स्कूल में अध्यापिका थी. खुशी वहां कक्षा-4 में पढ़ती थी. गांव के रिश्ते से खुशी विमलेश की भतीजी लगती थी.

कुंवारी विमलेश मोहम्मद अनीस से प्यार कर बैठी थी. जबकि वह शादीशुदा ही नहीं, एक बच्चे का बाप भी था. एमडीआईडीयू स्कूल में पढ़ाने से पहले विमलेश एक अन्य स्कूल में पढ़ाती थी. मोहम्मद अनीस वहां बस चलाता था. साथ आनेजाने में दोनों में प्यार हो गया. जब इस बात की जानकारी स्कूल वालों को हुई तो दोनों को नौकरी से निकाल दिया गया ताकि स्कूल का माहौल खराब न हो.

वहां से निकाले जाने के बाद विमलेश एमडीआईडीयू स्कूल में पढ़ाने लगी, अनीस वहां  भी अकसर उस से मिलने आता था. अनीस से मिलने के लिए ही विमलेश स्कूल खुलने से पहले आ जाती थी, इसलिए उसे अनीस से मिलने में कोई परेशानी नहीं होती थी.

एक दिन खुशी ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया तो यह बात उस ने अपने घर वालों को बता दी. इस के बाद तो विमलेश और अनीस के संबंधों की जानकारी पूरे गांव वालों को हो गई.

इस से विमलेश की काफी बदनामी हुई. इसी बात से नाराज हो कर विमलेश ने खुशी को सबक सिखाने का मन बना लिया. इस के बाद उस ने अनीस से सलाह की.

उसी सलाह के अनुसार गुरुवार 12 अक्तूबर, 2017 को विमलेश ने मार्शल गाड़ी बुक कराई. यह गाड़ी अनीस के मामा साकिर की थी. स्कूल से छुट्टी होने के बाद विमलेश खुशी को बरगला कर अनीस की मोटरसाइकिल से मार्शल तक ले आई.

वहां वह खुशी को ले कर उस में बैठ गई. अनीस उस के साथ ही था. अनीस खुशी को ले कर थाना कुमारगंज के गांव बवां पहुंचा, जहां वह अपनी एक रिश्तेदार जुलेखा के यहां पहुंचा. जुलेखा के घर के बगल में ही उस के बहनोई का पुराना मकान खाली पड़ा था. खुशी को ले कर वह उसी मकान में छिपा रहा.

शाम होते ही दोनों खुशी को बवां गांव के जंगल में ले गए और वहां उस की हत्या कर के उस की लाश वहीं एक गड्ढे में फेंक दी.

खुशी को ठिकाने लगा कर विमलेश और अनीस रुदौली रेलवे स्टेशन पहुंचे, जहां से ट्रेन पकड़ कर दिल्ली चले गए. दिल्ली से दोनों गुरुग्राम गए, जहां इधरउधर घूमते रहे. 22 अक्तूबर को दोनों फैजाबाद लौटे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

विमलेश और अनीस से पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों की मदद करने वाली जुलेखा और मार्शल गाड़ी लाने वाले अनीस के मामा साकिर को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने अनीस की मोटर साइकिल तथा उस के मामा साकिर की मार्शल गाड़ी भी बरामद कर ली थी.

विमलेश और अनीस की निशानदेही पर पुलिस ने बवां के जंगल से खुशी का कंकाल और स्कूल ड्रेस बरामद कर ली थी. खुशी की लाश को शायद जंगली जानवर खा गए थे. पुलिस ने कंकाल को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस के बाद पहले से दर्ज मुकदमे में धारा 367, 302, 201 दफा 34 भी जोड़ दी गई थी. सारी काररवाई निपटा कर पुलिस ने चारों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया था.

– कथा पुलिस तथा मीडिया सूत्रों पर आधारित

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