उस दिन तारीख थी 31 जुलाई, 2017. भोर का समय था. नित्य मौर्निंग वौक करने वाले इक्का- दुक्का लोग सड़कों पर आ गए थे. खेतरपाल मंदिर के सामने से गुजरने वाले मेगा हाईवे पर वाहनों की आवाजाही जारी थी. मेगा हाईवे पर बाईं तरफ सड़क किनारे एक युवा महिला की औंधी लाश पड़ी थी. लाश देख कर एक राहगीर ठिठका और स्थिति को समझ कर मोबाइल से थानापुलिस को इस की सूचना दे दी. अज्ञात लाश की सूचना थानाप्रभारी सीआई विजय सिंह को मिली तो वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.
एक राष्ट्रीय अखबार के प्रतिनिधि नरेश असीजा अखबार वितरण व्यवस्था का जायजा ले कर घर लौट रहे थे. उन्हें लाश मिलने की सूचना मिली तो वह भी घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस मृतका की पहचान का प्रयास कर रही थी. नरेश ने उस की पहचान कर दी. बरसों पहले मृतका उन की बिल्डिंग में किराएदार के रूप में रही थी. पत्रकार ने मृतका की पहचान समेस्ता पत्नी श्रवण कुमार के रूप में की. पहचान होने के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.
प्रथमदृष्टया यह मामला दुर्घटना का लग रहा था. संभवत: मृतका किसी वाहन की टक्कर से हाईवे पर गिर गई थी, जिस से उस का सिर फट गया था. लेकिन घटनास्थल पर मिले हुए साक्ष्य कुछ और ही कह रहे थे.
जिस जगह पर समेस्ता का शव मिला था, उस के पास मिट्टी में छोटे वाहन के टायरों के निशान दिख रहे थे. समेस्ता के शरीर पर टक्कर का कोई निशान नहीं था. पुलिस को लगा कि मृतका की हत्या कहीं और कर के लाश को यहां फेंक दिया गया है, ताकि मामला सड़क दुर्घटना का लगे.