5 नवंबर, 2016 की शाम के यही कोई साढ़े 6-7 बजे थे. उत्तर प्रदेश के जिला इलाहाबाद के गंगापार स्थित थाना बहरिया के गांव रामगढ़ कोठारी के रहने वाले श्यामलोदत्त मिश्रा की बेटी रेखा अपनी चचेरी बहनों राधा और श्रेया के साथ खेतों से लौट रही थी. तीनों बहनें गांव के करीब पहुंची थीं कि उन के पास एक पल्सर मोटरसाइकिल आ कर रुकी. उस पर 2 लोग सवार थे.

उनके पहनावे और कदकाठी से लग रहा था कि उनकी उम्र ज्यादा नहीं थी.  पास में मोटरसाइकिल रुकने से तीनों बहनें ठिठक कर रुक गईं. मोटरसाइकिल सवार गांव के नहीं थे, इसलिए उन्हें लगा कि शायद वे उन से किसी के घर का रास्ता पूछेंगे. लेकिन रास्ता पूछने के बजाय मोटरसाइकिल पर पीछे बैठा युवक फुरती से उतरा. उस के हाथ में एक बोतल थी. तीनों बहनें कुछ समझ पातीं, उस के पहले ही उस ने बोतल का ढक्कन खोला और उस में जो भरा था, उसे तीनों बहनों की ओर उछाल दिया. बोतल का तरल जैसे ही उन के चेहरों पर पड़ा, जलन से तीनों बिलबिला उठीं.

मोटरसाइकिल स्टार्ट ही थी. युवक अपना काम कर के मोटरसाइकिल पर जैसे ही बैठा, मोटरसाइकिल एकदम से चल पड़ी. तीनों लड़कियां जलन से चीखनेचिल्लाने लगीं, क्योंकि उन के चेहरों पर फेंका तरल पदार्थ तेजाब था. उन की चीखपुकार पर पूरा गांव इकट्ठा हो गया और टार्च की रोशनी में जब उन के चेहरों को देखा गया तो देखने वालों के रोंगटे खडे़ हो गए.

लड़कियों की स्थिति काफी गंभीर थी. तुरंत सौ नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना दी गई. सूचना मिलते ही थाना बहरिया पुलिस के अलावा पुलिस अधिकारी भी एंबुलैंस के साथ गांव कोठारी आ पहुंचे. थानाप्रभारी अश्विनी कुमार सिंह भदौरिया ने तुरंत तीनों लड़कियों को अस्पताल भिजवाया.

घटना की सूचना पा कर आईजी के.एस. प्रताप कुमार, डीआईजी विजय यादव, एसएसपी शलभ माथुर भी तीनों लड़कियों का हालचाल लेने अस्पताल पहुंच गए थे.

अधिकारियों ने पीडि़त बहनों के चेहरों पर नजर डाली तो यह देख कर आश्वस्त हुए कि उन की आंखें सलीसलामत थीं. उन के शरीर पर जहांजहां तेजाब पड़ा था, वहां की त्वचा झुलस गई थी. तीनों बहनों ने जो शाल ओढ़ रखी थी, तेजाब पड़ने से उन में जगहजगह छेद हो गए थे. अगर वे शाल न ओढे होतीं तो शायद और ज्यादा जल सकती थीं.

पुलिस अधिकारियों ने पीडि़त लड़कियों के घर वालों से पूछताछ की, ताकि हमलावरों के बारे में कुछ पता चल सके. इस पूछताछ में पता चला कि श्यामलोदत्त का अपने पड़ोसी से रास्ते को ले कर विवाद चल रहा था. इसी के साथ यह भी पता चला कि तेजाबी हमले से झुलसी श्रेया का पड़ोस की रहने वाली पिंकी मिश्रा से किसी बात को ले कर विवाद हो गया था. श्रेया, पिंकी और रेखा एक ही कालेज में पढ़ती थीं.

आईजी के निर्देश पर इन दोनों बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ाई गई तो दोनों का ही इस घटना से कोई संबंध नहीं निकला. पुलिस अधिकारियों के जेहन में एक ही सवाल कौंध रहा था कि गांव में कोई तो ऐसा होगा, जो इन लड़कियों की हर गतिविधियों पर गिद्धदृष्टि जमाए था.

वही पलपल की जानकारी हमला करने वालों को देता रहा होगा. जिसजिस पर पुलिस को शक हुआ, उस से पूछताछ की गई, लेकिन पुलिस को सफलता नहीं मिली. एसएसपी शलभ माथुर ने मामले को सुलझाने में इंटेलीजेंस विंग के तेजतर्रार इंसपेक्टर अनिरुद्ध कुमार सिंह और एसआई नागेश कुमार सिंह को भी आवश्यक दिशानिर्देश दे कर लगा दिया.

अनिरुद्ध कुमार सिंह ने अस्पताल पहुंच कर तीनों बहनों से एक बार फिर पूछताछ की. श्रेया ने बताया कि उन के ऊपर तेजाब फेंकने के बाद एक हमलावर ने किसी को फोन कर के कहा था कि ‘काम हो गया है.’

इस पूछताछ के बाद उन्होंने अपनी टीम के तेजतर्रार हैडकांस्टेबल इंद्रप्रताप सिंह, जितेंद्र पाल सिंह, कांस्टेबल पवन सिंह, अभय कुमार सिंह, रविसेन सिंह बिसेन व स्वाट टीम प्रभारी नागेश कुमार सिंह, पंकज त्रिपाठी, हेमू पटेल, अनुराग, विजय यादव, दीपक कुमार आदि से इस विषय में गहन मंत्रणा कर सभी को सामान्य कपड़ों में कोठारी गांव के इर्दगिर्द लगा दिया. मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया था.

इस के अलावा थाना बहरिया के थानाप्रभारी अश्विनी कुमार भदौरिया भी इस मामले का खुलासा करने में अपनी टीम के साथ लगे हुए थे. पुलिस यह मान कर चल रही थी कि कहीं यह हमला प्रेमप्रसंग को ले कर तो नहीं हुआ. हमलावर एक लड़की को निशाना बनाने आए होंगे, बाकी दोनों लड़कियां साथ होने की वजह से चपेट में आ गई होंगी.

यहां एक बात गौर करने वाली यह थी कि इन में से राधा अपनी ससुराल महेपुरा से कुछ दिनों पहले ही मायके आई थी. इसी साल 11 जुलाई, 2016 को उस का विवाह हुआ था.

इंसपेक्टर अनिरुद्ध कुमार सिंह की सोच यहीं आ कर टिक गई. उन्हें लगा कि हमलावर इन लड़कियों के आसपास रहते होंगे या जिस के इशारे पर यह वारदात की गई है, वह इन के आसपास रहता होगा. क्योंकि उस आदमी को इन बहनों की एकएक पल की जानकारी थी. और उचित मौका देख कर हमलावरों को मोबाइल द्वारा सटीक सूचना दे कर उन पर एसिड अटैक करवा दिया गया था.

इस दिशा में जांच की गई तो पता चला कि श्यामलोदत्त मिश्रा के पड़ोसी रामचंद्र मिश्रा की बेटी पिंकी की शादी सन 2012 में थाना बहरिया के गांव महेपुरा के योगेश तिवारी के साथ हुई थी. उसी गांव में राधा की ससुराल थी. सन 2014 में योगेश ने पिंकी पर बदचलनी और गहनों की चोरी का आरोप लगा कर उसे छोड़ दिया था. तब से वह मायके में ही रह रही थी.

पिंकी नहीं चाहती थी कि उस की ससुराल वाले गांव में राधा की शादी हो. शादी रोकने के लिए उस ने तरहतरह की बातें कहीं, पर उस की सारी कोशिश उस समय बेकार हो गई, जब राधा दुल्हन बन कर उसी गांव में पहुंच गई. पिंकी इस से जलभुन गई. शादी वाले दिन ही पिंकी ने उस से झगड़ा किया था.

इन बातों से पिंकी पुलिस के शक के दायरे में आ गई. पुलिस ने उसे थाने बुला कर पूछताछ शुरू की. पुलिस के सामने अपना दुखड़ा रोते हुए उस ने कहा कि वह तो खुद ही परेशान है. पति ने छोड़ रखा है, जिस का मुकदमा कोर्ट में चल रहा है. पुलिस ने उस की बातों पर विश्वास कर के उसे छोड़ दिया. मगर उस पर पुलिस की पैनी निगाह बराबर जमी रही. क्योंकि वह अभी भी शक के दायरे में थी.

अब तक की जांच में पुलिस को एक नई बात यह पता चली कि शादीशुदा होने के बावजूद पिंकी का थाना बहरिया के गांव राजेपुरा निवासी नफीस अहमद उर्फ जया से प्रेमसंबंध था. यह संबंध पिंकी की शादी से पहले से चला आ रहा था. इस बारे में उस के ससुराल वालों को पता चल गया था.

इस के बाद ही उस के पति योगेश तिवारी ने उस पर बदचलनी और गहनों की चोरी का आरोप लगा कर सन 2014 में उसे छोड़ दिया था. इस के बाद पिंकी के घर वालों ने योगेश और उस के घर वालों पर दहेज एक्ट और उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया था, जो माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में मिडिएशन पर चल रहा है. इस के बावजूद पिंकी और उस के घर वाले गांव के ही जगतनारायण मिश्रा, जिन्होंने पिंकी और योगेश की शादी कराई थी, पर बराबर दबाव बनाए हुए थे कि किसी प्रकार से दोनों पक्षों में समझौता करा दें. जगतनारायण मिश्रा समझौता तो नहीं करा सके, पर उन्होंने पिंकी की ससुराल वाले गांव में राधा का ब्याह जरूर करा दिया था.

यह जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर अनिरुद्ध कुमार सिंह बिना समय गंवाए पिंकी के प्रेमी नफीस उर्फ जया को उस के घर पर छापा मार कर हिरासत में ले लिया. थाने में उस से पूछताछ की गई तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मैं निर्दोष हूं. मेरा इस मामले में कोई लेनादेना नहीं है. मेरे पास बोलेरो गाड़ी है और पिंकी के पिता के पास अरमादा की मार्शल, जिन्हें मैं ही किराए पर चलवाता हूं, इसी वजह से मेरा उन के यहां आनाजाना लगा रहता है. पिंकी से मेरा कोई लेनादेना नहीं है.’’

अनिरुद्ध कुमार सिंह को लग रहा था कि यह झूठ बोल रहा है, इसलिए उन्होंने उस के और पिंकी के फोन नंबरों की जो काल डिटेल्स निकलवाई थी, उसे उस के सामने रखा तो वह सकपका गया. इस से साफ था कि घटना वाले दिन 5 नवंबर, 2016 की शाम साढ़े 7 बजे पिंकी और उस की एसिड अटैक से पहले और बाद में बातें हुई थीं.

इस के बाद नफीस ने अपना गुनाह कबूल करते हुए बताया कि उसी ने अपने साथी के साथ मिल कर तीनों बहनों पर तेजाब फेंका था. इस के बाद उस ने एसिड अटैक के पीछे की जो कहानी बताई, इस प्रकार थी—

पिंकी और नफीस के बीच कालेज समय यानी सन 2008 से ही प्रेमसंबंध चले आ रहे थे. पिंकी ने नफीस पर शादी के लिए कई बार दबाव डाला था, लेकिन नफीस तैयार नहीं हुआ था. वह जानता था कि यह गांवदेहात का मामला है, इसलिए शादी के बाद बवाल हो सकता है.

योगेश से शादी हो जाने के बाद भी पिंकी प्रेमी नफीस से संबंध बनाए रही. इस का नतीजा यह निकला कि ससुराल वालों को उस के प्रेमसंबंधों का पता चल गया और पति ने उसे छोड़ दिया. उस की ससुराल वाले गांव में ब्याही राधा जब भी मायके आती, अपनी चचेरी बहनों से खूब हंसहंस कर बातें करती.

इस से पिंकी को लगता कि तीनों बहनें उसी के बारे में बातें कर के हंस रही हैं और उस का मजाक उड़ा रही हैं. पिंकी के मन में यह बात इस तरह बैठ गई कि वह राधा, रेखा तथा श्रेया को दुश्मन मान बैठी और उन्हें सबक सिखाने के बारे में सोचने लगी. वह उन्हें ऐसा कर देना चाहती थी कि लोग उन के चेहरे को देख कर नफरत करें.

उसी बीच रेखा की शादी प्रतापगढ़ के रानीगंज में तय गई. 2 दिनों बाद लड़के वाले उसे देखने के लिए आने वाले थे. पिंकी किसी भी हाल में तीनों बहनों को खुश नहीं देखना चाहती थी. वह अपने प्रेमी नफीस से मिली और उस के कंधे पर अपना सिर रख कर रोते हुए बोली, ‘‘नफीस, मैं तुम से कितनी बार कह चुकी हूं कि मेरी पड़ोसन दुश्मन उन तीनों बहनों पर तेजाब फेंक कर उन का चेहरा ऐसा कर दो कि जिस तरह मैं विरह की आग में झुलस रही हूं, वही हाल उन का भी हो.’’

‘‘मैं तुम्हारी पीड़ा को अच्छी तरह समझ रहा हूं. लेकिन तुम राधा और उस की बहनों के प्रति जो सोच रही हो, वह गलत है. मैं इस तरह का गलत काम नहीं कर सकता.’’ नफीस ने कहा.

‘‘नफीस, अगर तुम मुझ से सच्ची मोहब्बत करते हो तो तुम्हें मेरा यह काम करना ही पड़ेगा. मेरी खुशी के लिए तुम मेरा यह छोटा सा काम नहीं कर सकते? तुम कैसे मर्द हो, पिछले 8 सालों से मैं तुम्हें अपना सब कुछ सौंपती आ रही हूं और तुम मेरा इतना सा काम कर नहीं कर सकते तो क्या खाक प्यार करते हो?’’ कह कर वह अपनी आंखों में छलके आंसुओं को हथेली से पोंछने लगी.

‘‘नही, ऐसी बात नहीं है पिंकी. मैं तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं.’’ नफीस ने कहा.

प्रेमी के मुंह से यह सुन कर पिंकी के चेहरे पर मुसकान आ गई, वह चहकते हुए बोली, ‘‘यह हुई न मर्दों वाली बात. सुनो, इस समय राधा मायके में ही है. रेखा की शादी होने से पहले तुम मेरा काम कर दो, जिस से उस की शादी न हो सके. जिस दिन तुम्हें यह काम करना हो, मुझे बता देना. मैं तुम्हें पलपल की सूचना देती रहूंगी.’’

पूरी योजना तैयार कर के नफीस ने तेजाब खरीद लिया. इस के बाद उस ने राजेपुरा के रहने वाले अपने दोस्त शफीक (परिवर्तित नाम) को अपनी योजना में शामिल कर लिया. शफीक नाबालिग था.

5 नवंबर, 2016 को वह पिंकी के फोन का इंतजार करने लगा. शाम साढ़े 7 बजे पिंकी ने उसे बताया कि रेखा, राधा और श्रेया खेतों की तरफ जा रही हैं. फिर क्या था, नफीस शफीक को मोटरसाइकिल पर बैठा कर चल पड़ा और तीनों बहनों के चेहरों पर तेजाब डाल कर लौट आया.

नफीस की निशानदेही पर पुलिस ने पिंकी, शफीक और तेजाब बेचने वाले दुकानदार रमाकांत यादव को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने शफीक को बाल न्यायालय में पेश कर बालसुधार गृह भेज दिया, जबकि पिंकी और नफीस को भादंवि की धारा 326ए, 120बी के तहत अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

– कथा मीडिया व पुलिस सूत्रों पर आधारित

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