जब कोई किसी की हत्या कर देता है तो समाज, कानून और हम सोच में पड़ जाते हैं. मगर जब कोई किशोर, नाबालिक किसी "अपने" की ही हत्या कर देता है तो एक गहरा सनाका खींच जाता है. एक चींटी को भी मारने से पहले कोई मनुष्य कई कई बार सोचता है.
दरअसल, मानव का मनोविज्ञान ही शांति भाव से सहजीवन है. ऐसे में कुछ परिस्थितियां ऐसी विकट हो जाती है कि बड़े बूढ़े, जवान तो क्या कभी-कभी किसी नाबालिग के हाथों भी अपने अथवा गैर की हत्या जैसा नृशंस कांड घटित हो जाता है.जो समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आज डिप्रेशन... तनाव और छोटी-छोटी बातों पर क्रोध के कारण ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं. जो मानव समाज के लिए एक गंभीर शोध और चिंता का सबब है.
आज इस रिपोर्ट में हम ऐसे ही कुछ घटनाक्रमों पर दृष्टिपात कर रहे हैं और यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि ऐसा क्यों और किस लिए हो रहा है. और ऐसी घटनाओं को किस तरह रोका जा सकता है.
पहला घटनाक्रम-
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में एक 15 वर्ष के नाबालिक ने जब उसकी साइकिल एक पड़ोसी के हाथों क्षतिग्रस्त हो गई तो गुस्से में आकर पड़ोसी को मार डाला.
दूसरा घटनाक्रम-
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक 16 वर्ष के लड़के के हाथों अपने ही एक दोस्त की हत्या हो गई, क्योंकि वह उसे गाली गलौज कर रहा था उसकी मां को गाली दी थी.
तीसरा घटनाक्रम-
जिला कोरबा के पाली थाना अंतर्गत ग्राम नूनेरा में एक किशोर बालक में अपने ही चाचा की हत्या कर दी क्योंकि चाचा उसे कुछ सीख दे रहा था और डांट भी रहा था.