हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर की रहने वाली 20 साल की सिमरन दुबे आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. पढ़ाई के साथसाथ वह एनएसएस (नेशनल सर्विस स्कीम) यानी राष्ट्रीय सेवा योजना की सदस्य भी थी. यह संस्था अपने सदस्यों का कैंप लगवाती है, जिस में समाजसेवा कराई जाती है. इस में जिस लड़के या लड़की का काम अच्छा होता है, उसे कालेज की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाता है.

एसडी कालेज का बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा कृष्ण देशवाल एनएसएस का अध्यक्ष था. इसी साल जनवरी महीने में एसडी कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. उसी दौरान सिमरन दुबे की मुलाकात कृष्ण देशवाल से हुई तो दोनों में अच्छी जानपहचान हो गई. थाना नगर के ही मोहल्ला बराना की रहने वाली ज्योति भी सिमरन के साथ आर्य डिग्री कालेज में पढ़ती थी. दोनों में पटती भी खूब थी. उस से भी कृष्ण की दोस्ती हो गई थी.

5 सितंबर, 2017 की शाम 4 बजे के करीब सिमरन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उस ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘हैलो सिमरन, मैं एसडी कालेज से कृष्ण देशवाल बोल रहा हूं, तुम कैसी हो?’’

‘‘नमस्ते सर,’’ चहकते हुए सिमरन ने कहा, ‘‘मैं तो अच्छी हूं सर, आप बताइए आप कैसे हैं?’’

‘‘मैं भी ठीक हूं, यह बताओ कि तुम इस समय क्या कर रही हो?’’

‘‘घर पर हूं सर, कोई काम है क्या? अगर कोई काम हो तो कहिए, मैं आ जाती हूं.’’ सिमरन ने कहा.

‘‘दरअसल, मिलिट्री के कुछ अधिकारी शहर में आ रहे हैं. उन के लिए जीटी रोड पर स्थित गौशाला मंदिर परिसर में कैंप लगाना है. अगर तुम आ जाओ तो मेरा काम काफी आसान हो जाएगा. ज्योति भी आ रही है. कालेज के कुछ अन्य लड़के भी आ रहे हैं.’’

‘‘ठीक है सर, ऐसी बात है तो मैं भी आ जाती हूं.’’

‘‘ओके, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’ कृष्ण ने कहा और फोन काट दिया.

कृष्ण देशवाल से बात होने के बाद सिमरन जल्दी से तैयार हो कर घर वालों से कालेज जाने की बात कह कर निकल पड़ी. करीब घंटे भर बाद वह कृष्ण द्वारा बताए गौशाला मंदिर पहुंच गई. ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थी. उसे देख कर सिमरन का चेहरा खिल उठा.

दोनों सहेलियां एकदूसरे के गले मिलीं और आपस में बातें करने लगीं. दोनों बातें कर रही थीं कि तभी कृष्ण सिमरन के लिए एक गिलास में कोल्डिड्रिंक ले आया. सिमरन ने उन्हें भी पीने को कहा तो दोनों ने एक साथ कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. इस के बाद सिमरन आराम से कोल्डड्रिंक पीने लगी.

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मंदिर के कमरे में लाश

कृष्ण देशवाल, सिमरन दुबे और ज्योति जिस कमरे में ठहरे थे, उस के बगल वाले कमरे में कंप्यूटर सिखाया जाता था. कंप्यूटर सिखाने का यह काम पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. वाई.डी. त्यागी द्वारा चलाई जा रही एनजीओ के अंतर्गत होता था. कंप्यूटर सिखाने के लिए वंदना को रखा गया था.

जिस कमरे में कृष्ण, ज्योति और सिमरन ठहरे थे, वह अंदर से बंद था. इस से वंदना को थोड़ी हैरानी हो रही थी. उन से नहीं रहा गया तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद खुला तो उस में से एक लड़का और लड़की बैग लिए बाहर निकले.

दोनों बाहर से कमरा बंद करने लगे तो वंदना ने उन से उन के साथ की एक अन्य लड़की के बारे में पूछा. वे बिना कुछ कहे चले गए तो वंदना ने इस बात की सूचना मंदिर के पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दे दी. वेदप्रकाश को मामला गड़बड़ लगा तो उन्होंने अपने भतीजे अभिनव को हकीकत पता करने के लिए भेजा.

अभिनव हौल से होता हुआ उस कमरे पर पहुंचा, जिसे लड़का और लड़की बाहर से बंद कर गए थे. दरवाजा खोल कर जैसे ही वह अंदर पहुंचा, वहां की हालत देख कर वह चीखता हुआ बाहर आ गया. उस की चीख सुन कर वंदना भी घबरा गई. वह अभिनव के पास पहुंची. उस के पूछने पर अभिनव ने बताया कि कमरे में एक लड़की की लाश पड़ी है.

अब वंदना की समझ में सारा माजरा आ गया. अभिनव ने यह जानकारी पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दी तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर दिया. पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा यह सूचना थाना चांदनी बाग पुलिस को दे दी गई. सूचना मिलते ही थाना चांदनीबाग के थानाप्रभारी संदीप कुमार पुलिस बल के साथ गौशाला मंदिर पहुंच गए.

उन के पहुंचने से पहले पुलिस चौकी किशनपुरा के चौकीप्रभारी वीरेंद्र सिंह वहां पहुंच चुके थे. संदीप कुमार और वीरेंद्र सिंह ने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. मृतका के गले पर गला दबाने का स्पष्ट निशान था. इस का मतलब हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के चेहरे को तेजाब डाल कर झुलसा दिया गया था. शायद हत्यारे ने पहचान मिटाने के लिए ऐसा किया था.

कमरे में एक लेडीज पर्स मिला.  पुलिस ने उस पर्स की तलाशी ली तो उस में से आर्य डिग्री कालेज का एक आईडी कार्ड मिला, जिस पर ज्योति लिखा था. उस पर पिता का नाम, पता और फोन नंबर भी लिखा था. पिता का नाम रामपाल था. वह थाना नगर के मोहल्ला बराना में रहते थे. एसआई वीरेंद्र सिंह ने फोन कर के रामपाल को वहीं बुला लिया.

रामपाल ने गौशाला मंदिर आ कर कमरे में मिली लाश को देखा तो फफकफफक कर रोने लगे. लाश उन की बेटी ज्योति की थी. शिनाख्त न हो सके, इस के लिए हत्यारों ने तेजाब डाल कर बड़ी बेरहमी से उस के चेहरे को झुलसा दिया था.

घटना की सूचना पा कर एसपी राहुल शर्मा, सीआईए-3 प्रवीण कुमार और डीएसपी जगदीश दूहन भी घटनास्थल पर आ गए थे. घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान पुलिस ने देखा कि कमरे में पड़े डबल बैड का गद्दा उठा कर नीचे फर्श पर बिछाया गया था. लाश को उसी पर लिटा कर उस के चेहरे पर तेजाब डाला गया था. तेजाब से मृतका का चेहरा तो बुरी तरह झुलस ही गया था, गद्दा भी काफी दूर तक झुलस गया था.

मृतका की चुनरी और चप्पलें भी वहीं पड़ी थीं. बचाव के लिए मृतका ने हाथपांव चलाए थे, जिस से उस के चश्मे का एक शीशा टूट गया था. पुलिस ने कंप्यूटर की शिक्षा देने वाली वंदना से पूछताछ की तो उस ने बताया था कि शाम 4 बजे वह वहां आई तो कम्युनिटी हौल के दोनो दरवाजे अंदर से बंद थे. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद 19-20 साल की एक लड़की ने दरवाजा खोला.

लड़की के साथ एक लड़का भी था. वह हौल के कोने में बने कमरे का दरवाजा बंद कर रहा था. वंदना ने उस के साथ आई दूसरी लड़की के बारे में पूछा तो वह उसे धमका कर लड़की के साथ चला गया. लड़की सलवार सूट पहने थी, जबकि लड़का जींस और टीशर्ट पहने था.

फैल गई सनसनी

लड़के और लड़की के पास बैग थे. उन्होंने एकएक पौलीथीन भी ले रखी थी. लड़के के हाथ में ड्यू (कोल्डड्रिंक) की एक बोतल भी थी. वदंना को शक हुआ तो उस ने अपनी शंका पुजारी को बताई. इस के बाद पुजारी ने अपने भतीजे को भेजा तो कमरे में लाश होने का पता चला. इस तरह लाश बरामद होने से शहर में सनसनी फैल गई थी.

क्योंकि गौशाला मदिर अति सुरक्षित माना जाता था. हैरानी की बात यह थी कि दोनों लड़कियों और लड़के के वहां आने की जानकारी पुजारी को नहीं थी. मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे थे कि उसी से लड़के और लड़की के बारे में कुछ पता चलता.

पुलिस ने कमरे में मिला सारा सामान जब्त कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था. इस के बाद रामपाल की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी गई थी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने ज्योति की लाश उस के पिता रामपाल को सौंप दी तो उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

महिला आयोग भी सक्रिय

इस हत्याकांड की सूचना राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रेखा शर्मा को मिली तो उन्होंने भी घटनास्थल की दौरा किया. वह पुलिस अधिकारियों से भी मिलीं और ज्योति के घर वालों से भी. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस ने 48 घंटे के अंदर हत्यारे को गिरफ्तार करने का भरोसा दिया है. इस मामले में तेजाब का उपयोग किया गया था. जबकि कोर्ट ने तेजाब की बिक्री पर रोक लगा रखी है. यह भी जांच का विषय था कि रोक के बावजूद हत्यारे को तेजाब मिला कहां से?

अगले दिन पुलिस ने मृतका ज्योति के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर अंतिम फोन अटावला गांव के रहने वाले राजेंद्र देशवाल के बेटे कृष्ण का आया था. काल लिस्ट देख कर पुलिस हैरान थी. दरअसल, दोनों के बीच 14 से 15 हजार सैकेंड बात की गई थी.

पुलिस तुरंत ज्योति के घर पहुंची और रामपाल से कृष्ण् के बारे में पूछा. उस ने बताया कि कृष्ण ज्योति के कालेज में आताजाता था, दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. उन में अच्छी दोस्ती भी थी.

पुलिस को इस बात पर हैरानी हुई कि कृष्ण ज्योति का अच्छा दोस्त था और उस के घर भी आताजाता था. लेकिन उस की हत्या की बात सुन कर उस के घर नहीं आया था. कहीं ऐसा तो नहीं कि उसी ने ज्योति की हत्या की हो और फरार हो गया हो.

पुलिस को कृष्ण देशवाल पर शक हुआ तो उस के बारे में पता करने उस के घर पहुंच गई. घर वालों से पता चला कि वह 5 सितंबर से ही घर से 1 लाख 35 हजार रुपए ले कर गायब है. इस बात से पुलिस का शक यकीन में बदल गया. पुलिस को लगा कि ज्योति की हत्या में कृष्ण का ही हाथ है. घर वालों से पुलिस को पता चला कि कृष्ण के घर वाले भैंसों के खरीदने और बेचने का व्यवसाय करते थे. वे पैसे उसी के थे, जिन्हें कृष्ण ले कर भागा था.

इस बीच पुलिस को पता चल गया कि उस दिन कृष्ण के साथ जो लड़की थी, वह सिमरन दुबे थी. पुलिस दोनों के फोटो ले कर गौशाला मंदिर पहुंची तो फोटो देख कर वंदना ने बताया कि उस दिन यही दोनों कमरे से निकले थे.

इस से साफ हो गया कि ज्योति की हत्या कृष्ण और सिमरन ने ही की थी. इस के बाद पुलिस ने उन के फोटो अखबारों में छपवा कर उन के बारे में बताने वाले को ईनाम की भी घोषणा कर दी.

पुलिस कृष्ण और सिमरन दुबे की तलाश में जीजान से जुटी थी कि सिमरन के पिता अतुल दुबे थाना नगर पहुंचे और उन्होंने कृष्ण देशवाल के खिलाफ सिमरन के अपहरण की तहरीर दे दी. उन का कहना था कि उन की बेटी के चरित्र पर जो लांछन लगाया गया है, वह सरासर गलत है. सिमरन ऐसी घिनौनी हरकत कतई नहीं कर सकती.

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उन का यह भी कहना था कि उस दिन कमरे में जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन की थी. लेकिन उन की बात कोई मानने को तैयार नहीं था. उन का कहना था कि मृतका के कान की बाली और हाथ में बंधा धागा सिमरन का नहीं था. इस पर पुलिस का कहना था कि कृष्ण और सिमरन को साथ जाते वंदना ने देखा था, इसलिए उन की बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता.

पुलिस पहुंची शिमला

पुलिस कृष्ण और सिमरन की लोकेशन पता कर रही थी. लेकिन फोन बंद होने से उन की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जैसे ही फोन चालू हुआ, उन की लोकेशन शिमला की मिल गई. लोकेेशन मिलते ही सीआईए-3 प्रवीण कुमार टीम के साथ शिमला रवाना हो गए. स्थानीय पुलिस की मदद से उन्होंने होटलों की तलाशी शुरू कर दी. सैकड़ों होटल की तलाशी के बाद पुलिस टीम उस होटल तक पहुंच गई, जहां दोनों ठहरे थे.

लेकिन जब होटल की रजिस्टर चैक किया गया तो कृष्ण और सिमरन के नाम से यहां कोई नहीं ठहरा था. पुलिस की निगाह श्याम और राधा नाम के उन दो ग्राहकों पर टिक गई, जिन का पता पानीपत का था.

यहीं दोनों से चूक हो गई थी. उन्होंने होटल के रजिस्टर में नाम तो श्याम और राधा लिखाए थे, लेकिन पता नहीं बदला था. बस इसी से पुलिस को शक हुआ, इस के बाद पुलिस कमरे पर पहुंची तो पुलिस को देख कर दोनों सन्न रह गए. कृष्ण नीचे फर्श पर बैठा था, जबकि ज्योति बैड पर लेटी थी.

मरने वाली ज्योति नहीं सिमरन

जिस ज्योति को लोग मरा समझ रहे थे, दरअसल वह जिंदा थी. मंदिर के कमरे से जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन दुबे की थी. पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर के पानीपत ले आई. उन्हें जब एसपी राहुल शर्मा के सामने पेश किया गया तो वह भी हैरान रह गए.

राहुल शर्मा ने ज्योति के पिता रामपाल को बुला कर ज्योति को उन के सामने खड़ा किया तो बेटी को जिंदा देख कर वह सिर थाम कर बैठ गए. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में कृष्ण और ज्योति ने सिमरन की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद 8 तिसंबर को अदालत में पेश कर के विस्तारपूर्वक पूछताछ एवं सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने उन्हें 4 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में सिमरन की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

20 साल की सिमरन दुबे हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर के रहने वाले आलोक दुबे की बेटी थी. वह 4 भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. उसी के साथ थाना नगर के ही बराना की रहने वाली ज्योति भी पढ़ती थी. दोनों पक्की सहेलियां तो थीं ही, एनएसएस की सदस्य भी थीं.

बात इसी साल जनवरी की है. एसडी डिग्री कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. कैंप का अध्यक्ष एसडी कालेज में पढ़ने वाला कृष्ण देशवाल था, जो बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा था. वह गांव अटावला का रहने वाला था. उस के पिता राजेंद्र देशवाल भैंसे खरीदनेबेचने का काम करते थे.

कृष्ण 2 बहनों का एकलौता भाई था. बहनें उस से छोटी थीं. घर में बड़ा और एकलौता बेटा होने के बावजूद वह जिम्मेदारी से काम नहीं करता था. पुलिस के अनुसार, जब कृष्ण स्कूल में पढता था, तब उस ने खुद के अपहरण का ड्रामा रचा था. वह दिन भर इधरउधर घूमा करता था. आर्य कालेज में लगे कैंप के दौरान ही उस की मुलाकात सिमरन और ज्योति से हुई थी. पहली ही नजर में ज्योति उस के मासूम चेहरे पर दिल दे बैठी.

कृष्ण ने ज्योति की आंखों से उस के दिल की बात पढ़ ली.  छरहरे बदन और तीखी नयननक्श वाली ज्योति भी उसे भा गई थी. इस के बाद अकसर दोनों की मुलाकातें होने लगीं. जल्दी ही उन की ये मुलाकातें प्यार में बदल गईं.

दोनों एकदूसरे से दीवानगी की हद तक प्यार करने लगे. जल्दी ही हालात यह हो गई कि अब वे एकदूसरे को देखे बिना नहीं रह सकते थे. अब इस का आसान तरीका था, वे शादी कर लें जिस से दोनों एकदूसरे की आंखों के सामने बने रहें.

ज्योति और कृष्ण की जातियां अलगअलग थीं. इसलिए ज्योति जानती थी कि उस के घर वाले कभी भी कृष्ण से उस की शादी नहीं करेंगे.

जबकि वह कृष्ण के बिना रह नहीं सकती थी. यही हाल कृष्ण का भी था. इसलिए उस ने ज्योति से भाग चलने को कहा. लेकिन ज्योति ने उस के साथ इसलिए भागने से मना कर दिया, क्योंकि इस से उस के घर वालों की बदनामी होती.

सहेली को बनाया शिकार

इस के बाद उन्होंने एक साथ रहने के बारे में सोचाविचारा तो उन के दिमाग में आया कि क्यों न वे अपनी कदकाठी के 2 लोगों की हत्या कर के उन के चेहरे तेजाब से इस तरह झुलसा दें कि कोई उन्हें पहचान न पाए. इस के बाद वे उन्हें अपने कपड़े पहना कर अपने आईकार्ड, फोन वगैरह वहां छोड़ देंगे, ताकि लोगों को लगे कि उन की हत्या हो चुकी है.

ज्योति की सहेली सिमरन दुबे उसी की कदकाठी की थी. वे उसे जहां बुलाते, वह वहां आ भी जाती. इसलिए सिमरन की हत्या की योजना बन गई. अब कृष्ण की कदकाठी के लड़के को ढूंढना था.

कृष्ण के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं था. 5 सितंबर को एनएसएस के कैंप के बहाने कृष्ण ने सिमरन और रमेश को फोन कर के गौशाला मंदिर के पहली मंजिल स्थित कमरे पर बुला लिया.

कृष्ण दाढ़ी नहीं रखे था, जबकि रमेश रखे था. इसलिए कृष्ण ने उस से दाढ़ी बनवा कर आने को कहा. लेकिन वह गोहाना मोड़ पर पहुंचा तो वहां कोई सैलून नहीं था, इसलिए उस ने फोन कर के कृष्ण को यह बात बताई तो उस ने उसे आने से मना कर दिया. रमेश वहीं से लौट गया. लेकिन सिमरन कृष्ण और ज्योति के जाल में फंस गई.

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सिमरन दुबे गौशाला मंदिर पहुंची तो कृष्ण और ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थे. ज्योति को देख कर सिमरन बहुत खुश हुई. उस ने यह खुशी उस के गले मिल कर जाहिर की. गौशाला मंदिर पहुंचने से पहले ही कृष्ण ने कोल्डड्रिंक, नींद की गोलियां और तेजाब की व्यवस्था कर रखी थी. इन्हें वह अपने साथ लाए बैग में छिपा कर लाया था.

नींद की गोली मिली कोल्डड्रिंक पिलाई

कृष्ण ने सिमरन को नींद की गोलियां मिली कोल्डड्रिंक पीने को दी तो उस ने उन से भी कोल्डड्रिंक पीने को कहा. दोनों ने कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. कोल्डिड्रिंक पीने के कुछ देर बाद सिमरन की आंखें मुंदने लगीं. फिर वह बेहोश सी हो कर नीचे फर्श पर लेट गई. इस के बाद ज्योति ने उस के दोनों पैर पकड़ लिए तो कृष्ण ने उस का गला घोंट दिया.

इस तरह सिमरन को मौत के घाट उतार कर ज्योति ने उसे अपने कपड़े पहना दिए और उस के चेहरे पर तेजाब डाल कर झुलसा दिया. वह ज्योति है, यह साबित करने के लिए उस ने अपना आईकार्ड और मोबाइल फोन उस के पास छोड़ दिया, ताकि लोग इसे ज्योति समझें.

सिमरन की हत्या करने के बाद ज्योति और कृष्ण कमरे से बाहर आए और औटो से पानीपत रेलवे स्टेशन पहुंचे. उस समय वहां कोई टे्रन नहीं थी, इसलिए वे बसस्टैंड गए. वहां से चंडीगढ़ की बस पकड़ कर वे अगले दिन जीरकपुर पहुंच गए. अगले दिन अखबार में ज्योति की हत्या का समाचार छपा तो दोनों निश्चिंत हो गए कि हत्या का शक सिमरन पर किया जाएगा.

उन्होंने आराम से जीरकपुर के एक मौल में शौपिंग की और शिमला जा कर बसस्टैंड के नजदीक होटल रौयल में कमरा ले कर ठहर गए.

पुलिस उन के पीछे पड़ी है, इस का अंदाजा उन्हें बिलकुल नहीं था. पुलिस ने उन की तलाश में शिमला में 2 घंटे में सैकड़ों होटल छान मारे थे. जब पुलिस रौयल होटल में पहुंची तो पुलिस को देख कर सारा स्टाफ भाग गया. पुलिस को कमरा नंबर भी पता नहीं था. आखिर आधे घंटे की मशक्कत के बाद एक कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर कृष्ण और ज्योति मिले.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद सिमरन के घर वाले बेटी की हत्या के शोक में डूब गए थे. जबकि आलोक दुबे घटना वाले दिन से ही कह रहे थे कि मरने वाली ज्योति नहीं, उन की बेटी सिमरन है. लेकिन कोई उन की बात मानने को तैयार नहीं था.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद पुलिस आलोक दुबे और उन की पत्नी ऊषा को मधुबन ले गई, जहां डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए गए. रिपोर्ट आने के बाद निश्चित हो जाएगा कि गौशाला मंदिर के कमरे में मिली लाश सिमरन की ही थी.

पुलिस की लापरवाही

सिमरन हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ कर पुलिस भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन इस में पुलिस की लापरवाही भी नजर आ रही है. शिमला के होटल में आईडी के रूप में कृष्ण और ज्योति ने अपने आधार कार्ड जमा कराए थे, वे आधार कार्ड श्याम और राधा के नाम से थे. साफ था कि वे फर्जी थे.

पुलिस ने जब कृष्ण से उन के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि आधार कार्ड उस के दोस्त देव कपूर ने जयपुर से बनवाए था. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है. अब पुलिस आधार कार्ड बनाने वाले को गिरफ्तार करना चाहती है.

पुलिस सिमरन का मोबाइल फोन बरामद करना चाहती है, जिस के बारे में कृष्ण और ज्योति कभी कहते हैं कि शिमला में झाडि़यों में फेंक दिया है तो कभी कहते हैं कि रास्ते में फेंक दिया था. इस के अलावा यह भी पता लगाया जा रहा है कि उन्होंने तेजाब और नींद की गोलियां कहां से खरीदी थीं.

इन के बारे में उन का कहना है कि तेजाब गुंड़मंडी से लिया था, जबकि नींद की गोलियां अपने एक रिश्तेदार के मैडिकल स्टोर से मंगवाई थीं.

रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

प्रेम की अंधी गली में फंस कर ज्योति और कृष्ण ने जो कदम उठाया, आखिर उस से उन्हें क्या मिला. उन्होंने जो अपराध किया है, वे कानून की नजरों से बच नहीं पाएंगे. लेकिन अगर बच भी गए तो शायद ही समाज उन्हें सुकून से रहने दे.

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