सवाल यह था कि जब एसपी शंकरदत्त शर्मा ने ऋषभ सेठी के रिश्तेदार सनी पांड्या को फोन नहीं किया था तो उन के मोबाइल पर शंकरदत्त शर्मा का नंबर डिसप्ले कैसे हो रहा था?

इस मामले में एसीबी के अधिकारियों ने टेलीकौम के तकनीकी विशेषज्ञों से जानकारी मांगी तो पता चला कि आजकल विदेशी सौफ्टवेयर के जरिए स्पूफिंग काल किए जा सकते हैं. स्पूफिंग काल गेटवे के जरिए होती है. इसे वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल (वीओआईपी) काल भी कहते हैं.

दरअसल, कई विदेशी कंपनियां ऐसा सौफ्टवेयर तैयार कर के उन के सर्वर बेचती हैं, जिन के जरिए कोई भी अपने मोबाइल से फोन कर सकता है, लेकिन फोन रिसीव करने वाले के पास नंबर वह डिसप्ले होगा, जो इस सौफ्टवेयर का उपयोग करने वाला चाहेगा. अगर किसी का मोबाइल स्विच औफ है तो भी उस के नंबर से इस सौफ्टवेयर द्वारा फोन किया जा सकता है.

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इस का टेलीकौम कंपनियों के पास कोई रिकौर्ड नहीं होता. केवल सौफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों के सहयोग से ही जिस नंबर व मोबाइल फोन से फोन किया गया था, उस का आईपी एड्रैस पता किया जा सकता है. सरकारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी यह काम बहुत आसान नहीं है.

भारत में स्पूफिंग काल के कोई 2-4 मामले ही अब तक सामने आए हैं. राजस्थान में इस तरह का यह पहला मामला था. जांच में पता चला कि फोन हांगकांग की एक गेटवे सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के जरिए किए गए थे. वे फोन दुनिया के 9 देशों के गेटवे सर्विस प्रोवाइडरों के जरिए रूट की गई थीं.

एसीबी के अधिकारियों ने अमेरिका, यूके, दक्षिणी अफ्रीका और चीन सहित 9 देशों की कंपनियों का सहयोग लिया. इस में कई महीने लग गए.

लंबी जांच के बाद एसीबी को उस मोबाइल नंबर का आईपी एड्रैस मिल गया. यह एयरटेल का सिम था, जो श्रीगंगानगर के साहिल राजपाल के नाम आवंटित था. इस के बाद एसीबी ने साहिल के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया.

इस बीच एसीबी को जलदाय विभाग सहित दूसरे विभागों के अधिकारियों से भी कई और शिकायतें मिलीं. इन शिकायतों में भी बताया गया था कि एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा या किसी अन्य अधिकारी के नाम से उन्हें फोन कर के उन से रिश्वत की मांग की जा रही है.

इन शिकायतों के साथ एसीबी को 5 मोबाइल काल रिकौर्डिंग भी मिली, जिन में फोन करने वाले ने रिश्वत मांगी थी. जलदाय विभाग के एक इंजीनियर सी.एल. जाटव से एसीबी के एसपी शंकरदत्तर शर्मा के नाम से फोन कर के डेढ़ लाख रुपए ले भी लिए गए थे.

उन्होंने एसीबी के अधिकारियों को बताया कि एसपी शंकरदत्त शर्मा के मोबाइल नंबर एवं एसीबी के लैंडलाइनों से किसी ने उन के मोबाइल पर फोन कर के खुद को एसपी शंकरदत्त शर्मा बता कर जलदाय विभाग के घूसकांड से नाम निकालने के लिए 10 लाख रुपए मांगे थे. जाटव ने डेढ़ लाख रुपए दे भी दिए थे. इस के बाद भी बारबार पैसों के लिए एसीबी के नंबरों से फोन आ रहे थे.

एसीबी के अधिकारियों ने उन के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में शंकरदत्त शर्मा और एसीबी औफिस के लैंडलाइन नंबर मिल गए, लेकिन शंकरदत्त शर्मा की काल डिटेल्स में सी.एल. जाटव के नंबर नहीं मिले. यह भी कड़वा सच था कि उन का नाम जलदाय घोटाले में था ही नहीं, लेकिन साहिल के एसीबी का एसपी बन कर कई बार धमकाने से वह डर गए थे और डेढ़ लाख रुपए एसपी साहब के नाम पर दे भी दिए थे.

व्यापक जांच के बाद श्रीगंगानगर के साहिल राजपाल का नाम सामने आया तो एसीबी ने उस के बारे में पता किया. पता चला कि वह राजस्थान के पूर्वमंत्री और आजकल भाजपा के वरिष्ठ नेता राधेश्याम गंगानगर का पोता है.

साहिल के राजनीतिक परिवार से जुड़ा होने की जानकारी एसीबी के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों को दे दी.

वहां से हरी झंडी मिलने के बाद एसीबी ने 9 अगस्त, 2017 को जयपुर के जालूपुरा स्थित एक विधायक के सरकारी आवास से साहिल राजपाल को गिरफ्तार कर लिया. साहिल पूर्वमंत्री राधेश्याम गंगानगर के दूसरे बेटे वीरेंद्र राजपाल का बेटा था. वह इंग्लिश औनर्स से ग्रैजुएट था. एसीबी ने साहिल के खिलाफ 25 पेज की एफआईआर दर्ज की थी. इस एफआईआर के साथ फरवरी, 2017 से अब तक जुटाए गए दस्तावेजों के करीब 200 पेज लग चुके हैं.

पूछताछ में साहिल ने एसीबी के अधिकारियों को बताया कि उस ने जनवरी, 2017 से जुलाई तक विभिन्न सरकारी विभाग के अफसरों को विदेशी सौफ्टवेयर के जरिए एसीबी के लैंडलाइन एवं एसीबी अफसरों के मोबाइल नंबरों से न जाने कितने फोन किए हैं. वह अपने या किसी दूसरे के मोबाइल फोन से अफसरों को फोन करता था, लेकिन रिसीव करने वाले के मोबाइल पर एसीबी के नंबर डिसप्ले होते थे.

5 दिनों के रिमांड के दौरान पूछताछ में साहिल ने एसीबी को बताया कि उस ने जलदाय विभाग के एडिशनल चीफ इंजीनियर, 2 सुपरिंटेंडेंट इंजीनियरों और करीब 10 अन्य इंजीनियरों तथा रसद विभाग के अधिकारियों से एसीबी के एसपी के नाम से करीब 20 करोड़ रुपए मांगे थे.

वह एसपी शंकरदत्त शर्मा बन कर अधिकारी से पैसे मांगता था और उन का ड्राइवर बन कर पैसे लेने जाता था. उस ने एसीबी के अधिकारियों और जलदाय विभाग के इंजीनियरों के फोन नंबर विभागीय वेबसाइट से हासिल किए थे. स्पूफिंग काल के लिए उस ने एसटीडी बूथ से आईएसडी काल भी किए थे. उस ने कई बार एसटीडी बूथों से चंडीगढ़, गुड़गांव और दिल्ली फोन कर के अधिकारियों के नंबर लिए थे. एसीबी ने इन बूथों की भी जांच की है. चेन्नै से भी स्पूफिंग काल करने का पता चला है.

साहिल किसी भी अधिकारी को स्पूफिंग काल करने से पहले डायरी में लिख कर उस का अभ्यास करता था, ताकि पुलिसिया लहजे से बातचीत करने में कोई गलती न हो. एसीबी को उस के आवास से ऐसी 2 डायरियां मिली हैं, जिन में एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा के नाम से शुरुआत कर के कई बातें लिखी गई हैं.

डायरियों में कई नाम मिले हैं, जिन से अंदाजा लगाया जा रहा है कि साहिल ने उन्हें स्पूफिंग काल कर के पैसों की मांग की होगी. पुलिस ऐसे पीडि़तों का पता लगाने का प्रयास कर रही है. हालांकि एसीबी के पास अभी कुछ ही शिकायतें आई हैं. ज्यादातर पीडि़त अभी सामने नहीं आए हैं.

एसीबी को जालूपुरा स्थित विधायक के आवास की तलाशी में शराब की 34 बोतलें मिली थीं, जिन में विदेशी शराब भी थी. एसीबी की सूचना पर थाना जालूपुरा पुलिस ने शराब की उन बोतलों को जब्त कर लिया था और साहिल के खिलाफ अवैध रूप से शराब रखने का मामला दर्ज किया था. यह सरकारी आवास विधायक मोहनलाल गुप्ता के नाम से आवंटित था. इस में विधायक गुप्ता नहीं रहते थे. वहां साहिल रुका हुआ था.

पूछताछ में पता चला है कि साहिल राजपाल का श्रीगंगानगर में प्रौपर्टी का कारोबार था. प्रौपर्टी में मंदी के कारण उसे लाखों रुपए का घाटा हो गया था. घाटा पूरा करने के लिए उस ने जयपुर जा कर दिमाग लगाना शुरू किया. उस बीच मीडिया में जलदाय विभाग की रिश्वतखोरी की खबरें सुर्खियों में थीं.

साहिल हौलीवुड फिल्में खूब देखता था. इन्हीं फिल्मों से उसे आइडिया आया कि उन लोगों को ब्लैकमेल किया जा सकता है, जो भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हैं. ऐसे लोग जांच एजेंसियों के शिकंजे से निकलने के लिए मोटी रकम देने को जल्दी तैयार हो जाते हैं.

इस के लिए साहिल ने एसीबी के एसपी व अन्य अफसरों के नाम का उपयोग किया. राजनीतिक परिवार से जुड़ा होने की वजह से साहिल की श्रीगंगानगर में पुलिस अधिकारियों से भी अच्छी सांठगांठ थी. वह पैसे ले कर पुलिसकर्मियों व दूसरे विभागों के कर्मचारियों के तबादले कराता था. हालांकि लोग तबादलों के लिए राधेश्याम गंगानगर के पास आते थे.

राज्य में भाजपा की सरकार होने और भाजपा का वरिष्ठ नेता होने की वजह से लोग अधिकारियों पर उन का प्रभाव होने की बात मान कर तबादलों के लिए निवेदन करते थे.

वहीं साहिल के ताया रमेश राजपाल भाजपा के जिला उपाध्यक्ष हैं. इस कारण भी लोग मानते थे कि इस परिवार का अधिकारियों पर रुतबा है. तबादले के लिए दादा और ताया के पास आने वाले लोगों को मौका मिलने पर साहिल अपना शिकार बनाता था.

5 दिनों का रिमांड पूरा होने के बाद 14 अगस्त को एसीबी ने साहिल को अदालत में पेश कर 7 दिनों का रिमांड और लिया. एसीबी उस की एक साल की मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर चैक कर रही है. इस के अलावा बैंक से उस के खातों की भी डिटेल मांगी गई है. एसीबी उस के साथियों के बारे में भी पता कर रही है.

विधि विज्ञान प्रयोगशाला से जांच कराने के लिए उस की आवाज के नमूने लिए गए हैं. एसीबी ने जलदाय विभाग के इंजीनियर सी.एल. जाटव और एसपीएमएल कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी के रिश्तेदार सनी पांड्या के बयान दर्ज किए हैं.

दोनों ने एसीबी को वह रिकौर्डिंग भी सौंप दी थी, जो उन्होंने फोन पर एसपी के नाम से रकम मांगने के दौरान बातचीत की तैयार की थी.

इन रिकौर्डिंग की आवाज से साहिल की आवाज का मिलान किया जाएगा. एसीबी ने इन रिकौर्डिंग की ट्रांस्क्रिप्ट तैयार की है. पूर्वमंत्री राधेश्याम गंगानगर का कहना है कि उन का पोता ऐसा नहीं कर सकता. उन के परिवार को न्याय मिलेगा. न्याय प्रणाली पर उन्हें पूरा भरोसा है.

साहिल का कहना है कि इस मामले में उसे फंसाया गया है. सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि साहिल की गिरफ्तारी का असर राधेश्याम गंगानगर के राजनीतिक कैरियर पर भी पड़ सकता है.

साहिल के ताया रमेश राजपाल भाजपा जिला उपाध्यक्ष होने की वजह से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे थे. साहिल के पिता वीरेंद्र राजपाल गंगानगर क्लब के अध्यक्ष रहे हैं.

भारतपाक विभाजन के समय पाकिस्तान से आ कर श्रीगंगानगर में बसे राधेश्याम यहां की राजनीति की धुरी रहे हैं. कांग्रेस से 3 बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री रहे राधेश्याम ने सन 2008 में टिकट कटने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था. वह चाहे सत्ता में रहे हों या न रहे हों, उन के परिवार का विवादों से पुराना नाता रहा है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए भाजपा से जवाब मांगा है. जयपुर की पूर्व महापौर और प्रदेश कांग्रेस महासचिव ज्योति खंडेलवाल ने जयपुर के किशनपोल के विधायक मोहनलाल गुप्ता की भूमिका को भी संदिग्ध बताते हुए मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है.

– कथा एसीबी सूत्रों एवं अन्य रिपोर्ट्स पर आधारित

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