14 मई, 2017 की रात देवरिया जिले के थाना तलकुलहवा के गांव बघड़ा महुआरी का रहने वाला 42 साल का शरीफ अंसारी खाना खा कर लेटा था कि उस के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. उस ने मोबाइल उठा कर देखा तो नंबर जानापहचाना था. उस ने फोन रिसीव कर के बात की. उस के बाद उठ कर पत्नी से कहा, ‘‘मैं थोड़ी देर में आता हूं.’’

इतना कह कर शरीफ जिन कपड़ों में था, उन्हीं में घर से बाहर निकल गया. उस के जाने के बाद पीछेपीछे पत्नी जसीमा भी निकल गई. घर से निकलते समय जसीमा ने छोटे बेटे अजहरुद्दीन से वही कहा था, जो शरीफ ने घर से निकलते समय कहा था.

थोड़ी देर में लौट कर आने को कह कर गए पतिपत्नी पूरी रात लौट कर नहीं आए तो अब्बू की चिंता में अजहरुद्दीन और उस की पत्नी हसीना ने किसी तरह रात बिताई. सवेरा होते ही अजहरुद्दीन अब्बू की तलाश में निकल पड़ा. 8 बजे के करीब गांव से एक किलोमीटर दूर शाहपुर पुरैना नहर के पास शरीफ अंसारी की सिरकटी लाश मिली. इस के बाद बघड़ा गांव के दक्षिणी गंडक नदी के पास जसीमा की सिरकटी लाश मिली.

खबर पा कर अजहरुद्दीन शाहपुर पुरैना नहर पर पहुंचा तो वहां काफी भीड़ जमा थी. हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से शरीफ की हत्या की थी. सिर काटने के साथ उस के दोनों हाथ भी काट कर अलग कर दिए थे. शरीफ की लाश से करीब 1 किलोमीटर दूर जसीमा की लाश पड़ी थी.

हत्यारे ने उस का भी सिर धड़ से अलग करने के साथ, उस का बायां हाथ, बायां वक्षस्थल और स्त्री अंग पर धारदार हथियार से वार किए थे. थोड़ी ही देर में इस हत्याकांड की खबर जंगल की आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई थी.

जिस तरह से पतिपत्नी की हत्याएं की गई थीं, उस से साफ लग रहा था कि हत्यारे को मृतकों से काफी नफरत थी. सूचना पा कर शरीफ के सासससुर भी आ गए थे. दिल दहला देने वाली इस घटना की सूचना थाना तरकुलहवा के थानाप्रभारी राजाराम यादव को भी मिल चुकी थी.

सूचना मिलते ही वह भी सहयोगियों एसआई शैलेंद्र कुमार, भूपेंद्र सिंह, गुफरान अंसारी, वीरबहादुर सिंह, सिपाही राहुल सिंह, मनीष दुबे, प्रद्युम्न जायसवाल, रविशंकर श्रीवास्तव, कैलाशचंद्र यादव, दुर्गेश चौरसिया, श्यामनारायण पांडेय, देवव्रत यादव और अनुराग यादव के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे थे.

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चलने से पहले उन्होंने इस घटना की सूचना एसपी का कार्यभार देख रहे एडीशनल एसपी चिरंजीवनाथ सिन्हा और सीओ (नगर) अजय सिंह को दे दी थी, इसलिए थोड़ी ही देर में ये अधिकारी भी घटनास्थल पर आ गए थे. जब इस बात की जानकारी गोरखपुर जोन के आईजी मोहित अग्रवाल और डीआईजी नीलाब्जा चौधरी को हुई तो ये अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल के निरीक्षण के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि घटना को कम से कम 3 लोगों ने मिल कर अंजाम दिया होगा. लेकिन अहम सवाल यह था कि हत्यारों ने इस तरह जघन्य तरीके से ये हत्याएं क्यों की थीं? आखिर हत्यारों से मृतकों की ऐसी क्या दुश्मनी थी?

पुलिस ने मृतकों के बेटे अजहरुद्दीन से उस की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने किसी से दुश्मनी होने से साफ मना कर दिया. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई कर दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

इस के बाद थाने लौट कर राजाराम यादव ने मृतकों के छोटे बेटे अजहरुद्दीन की ओर से अपराध संख्या 106/2017 पर भादंवि की धरा 302 एवं 4/32 आर्म्स एक्ट के तहत अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी.

हत्यारों को पकड़ने के लिए चिरंजीवनाथ सिन्हा ने पुलिस की 3 टीमें गठित कीं. एक टीम की कमान उन्होंने खुद संभाली तो दूसरी टीम की कमान राजाराम यादव को सौंपी. तीसरी टीम क्राइम ब्रांच की थी. उसी शाम देवरिया के एसपी के रूप में राजीव मल्होत्रा को भेजा गया.

पूछताछ में अजहरुद्दीन ने बताया था कि रात 12 बजे के करीब किसी का फोन आया था. फोन पर बात करने के बाद अब्बू थोड़ी देर में लौट आने की बात कह कर घर से निकल गए थे. अम्मी भी अब्बू के पीछेपीछे चली गई थीं. वह पूरी रात दोनों का इंतजार करता रहा, पर वे लौट कर नहीं आए. सुबह वह अम्मीअब्बू की तलाश में निकला तो उन की लाशें मिलीं.

फोन आने की जानकारी पा कर पुलिस ने मृतक शरीफ के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. घटना वाली रात 12 बजे के करीब उस के मोबाइल पर जो आखिरी फोन आया था, उस पर शरीफ की फोन करने वाले से करीब 1 मिनट बात हुई थी. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर उसी गांव के रहने वाले अरविंद प्रसाद का निकला.

पूछताछ में पता चला कि अरविंद और शरीफ दोनों गहरे मित्र थे. जंगल में लकड़ी काटने दोनों एक साथ जाया करते थे. इस के अलावा अरविंद गांव के बाहर अंडे की दुकान लगाता था. अरविंद और उस के छोटे भाई का शरीफ के घर काफी आनाजाना था. इस का मतलब था, दोनों परिवारों में संबंध काफी मधुर थे.

पुलिस को अरविंद पर शक हुआ तो संदेह के आधार पर पुलिस उसे और उस के छोटे भाई को हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए थाना तरकुलहवा ले आई. राजाराम यादव ने दोनों भाइयों से अलगअलग सख्ती से पूछताछ की. इस पूछताछ में अरविंद के भाई ने बताया कि अरविंद रात से ही काफी परेशान और बेचैन था. शायद उसी ने शरीफ और उस की पत्नी जसीमा की हत्या की है.

इस के बाद पुलिस और सख्त हो गई. इस के बावजूद अरविंद पुलिस को दाएंबाएं घुमाता रहा. लेकिन जब अरविंद को लगा कि पुलिस उसे छोड़ने वाली नहीं है तो उस ने शरीफ और उस की पत्नी जसीमा खातून की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने पुलिस को दोनों हत्याओं की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

करीब 35 साल का अरविंद प्रसाद जिला देवरिया के थाना तरकुलहवा के गांव बघड़ा महुआरी में रहता था. उस के पिता रामदास प्रसाद उर्फ गेंदा प्राइवेट नौकरी करते थे. भाईबहनों में अरविंद सब से बड़ा था. उसे कोई नौकरी नहीं मिली तो उस ने गांव के बाहर अंडे की दुकान खोल ली. इस से उस का खर्च आसानी से निकल जाता था.

अरविंद की गांव के ही रहने वाले शरीफ अंसारी से खूब पटती थी. शरीफ मेहनतमजदूरी कर के परिवार को पाल रहा था. शरीफ और अरविंद रात में जंगल से चोरी से लकडि़यां काट कर भी बेचते थे. अरविंद की यारी शरीफ से हुई तो यह यारी घर की दहलीज लांघ कर कमरे के अंदर तक पहुंच गई.

अरविंद शरीफ के घर बेरोकटोक आताजाता था. इसी आनेजाने में अरविंद का दिल शरीफ की पत्नी जसीमा खातून पर आ गया. शरीफ के कहीं चल जाने पर अरविंद घंटों उस के घर बैठ कर जसीमा से बातें करने के साथ हंसीमजाक भी किया करता था. जसीमा को यह सब बहुत अच्छा लगता था. इसी का नतीजा था कि 4 बच्चों की मां होने के बावजूद जसीमा उस के प्यार में कैद हो गई.

इस के बाद अरविंद अपनी कमाई जसीमा पर लुटाने लगा. दोनों अपने इस संबंध से खुश थे, लेकिन उन के इस अवैध संबंधों की खुशबू गांव में फैली तो बात शरीफ अंसारी तक पहुंच गई. शरीफ को यह बात बड़ी बुरी लगी. अरविंद उस का दोस्त था. लेकिन उस ने दोस्ती में दगा की थी. उस ने पत्नी को ही नहीं, अरविंद को भी आड़े हाथों लिया. इतना ही नहीं, गुस्से में उस ने अरविंद को कई थप्पड़ जड़ कर पत्नी से दूर रहने को कहा.

इस के बाद अरविंद शरीफ के घर जाने की कौन कहे, उधर देखना भी बंद कर दिया. इसी तरह 6-7 महीने बीत गए. इस बीच अरविंद न शरीफ से मिला और न ही उस के घर गया. लेकिन परपुरुष की आदी हो चुकी जसीमा के गांव के अन्य पुरुषों से नाजायज संबंध बन गए. अरविंद से यह बात छिपी नहीं रही. जसीमा की इस बेवफाई से अरविंद चिढ़ गया.

एक दिन अरविंद शरीफ की नजरें बचा कर जसीमा से उस के घर जा कर मिला. उस ने उसे समझाया कि वह जो कर रही है, ठीक नहीं कर रही है. वह सिर्फ उस की है. उसे कोई देखे या छुए, उसे अच्छा नहीं लगता. पर जसीमा ने उस की एक नहीं सुनी और उसे खुद से दूर रहने को कहा. यही नहीं, उस ने कहा कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह उस की पति से शिकायत कर देगी.

फिर क्या था, अरविंद और चिढ़ गया. उस ने जसीमा से बदला लेने का निश्चय कर लिया. इस के लिए उस ने उस के पति शरीफ को विश्वास में लिया और अपनी गलती के लिए माफी मांग ली. शरीफ ने सारे गिलेशिकवे भुला दिए और उसे माफ कर दिया.

इस के बाद दोनों पहले जैसे दोस्त बन गए. अरविंद के मन में क्या चल रहा है, शरीफ को पता नहीं था. एक तीर से 2 निशाने साधने वाली बात सोच कर अरविंद ने शरीफ से उस की पत्नी के गैरमर्दों से संबंध वाली बात बता दी.

पहले तो शरीफ ने उस की बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जल्दी ही जसीमा की सच्चाई उस के सामने आ गई. फिर तो उस ने जसीमा की जम कर खबर ली. लेकिन इस के बाद भी अरविंद अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ. उस ने दिल की बात जसीमा से कही तो उस ने उसे झिड़क कर भगा दिया.

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जसीमा का जवाब सुन कर अरविंद ठगा सा रह गया. उस के मना करने से अरविंद का दिल टूट गया. अब वह ईर्ष्या की आग में जलने लगा. इसी ईर्ष्या ने उस के दिल में नफरत के बीज बो दिए. इस का नतीजा यह निकला कि उस ने शरीफ और उस की पत्नी को सजा देने का मन बना लिया.

इस की वजह यह थी कि शरीफ द्वारा की गई बेइज्जती वह अभी तक भुला नहीं पाया था. जसीमा से तो वह नाराज था ही. नफरत की आग में जल रहे अरविंद ने दोनों को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया.

अरविंद ने दोनों को सबक सिखाने की जो योजना बनाई, उस के अनुसार उस ने 14 मई, 2017 की रात 12 बजे शरीफ को फोन कर के शाहपुर पुरैना के जंगल में लकड़ी काटने के लिए बुलाया. शरीफ अजहरुद्दीन से थोड़ी देर में लौटने को कह कर घर से निकल गया.

अरविंद पूरी तैयारी के साथ आया था. उस के पास लकड़ी काटने वाला तेज धार वाला दाब था. थोड़ी देर में शरीफ उस के पास पहुंचा तो अरविंद ने उसे लकड़ी काटने के लिए पेड़ पर चढ़ने को कहा. शरीफ जैसे ही पेड़ पर चढ़ने के लिए आगे बढ़ा, पीछे से अरविंद ने पूरी ताकत से उस की गरदन पर दाब का वार कर दिया.

वार इतना जोरदार था कि उसी एक वार में शरीफ का सिर धड़ से कट कर अलग हो गया. बेइज्जती का बदला लेने के लिए अरविंद ने उस के दोनों हाथ और पैर काट कर अलग कर दिए. संयोग से तभी पति के पीछेपीछे जसीमा भी वहां पहुंच गई.

उसे देख कर अरविंद घबरा गया. पकड़े जाने के डर से उस ने उसी दाब से उसे भी मौत के घाट उतार दिया. इस के बाद पहचान छिपाने के लिए उस ने उस का भी सिर धड़ से काट कर 1 किलोमीटर दूर गंडक नदी में ले जा कर फेंक दिया. साक्ष्य मिटाने के लिए जसीमा की लाश को उस ने ले जा कर पुरैना नहर के पास फेंका. इस के बाद गंडक नदी में खून साफ कर के घर लौट आया.

पूछताछ के बाद पुलिस ने अरविंद को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. प्रेम और क्रोध में अंधे अरविंद ने जो किया, वह गलत था. अब उसे अपने किए पर पश्चाताप हो रहा है. लेकिन अब पछताने से क्या होगा? उस ने 2 लोगों की जान तो ले ही ली. अब उसे इस की सजा अवश्य मिलेगी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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