अमित सहराना ने सपने में भी नहीं सोचा था कि यह सौदा इतना महंगा पड़ेगा कि जान पर बन आएगी. दिल्ली में एक नामी कंपनी में बतौर सौफ्टवेयर इंजीनियर काम कर रहे युवा अमित की शादी कहीं नहीं हो पा रही थी. दिक्कत यह थी कि उस की बंजारा बिरादरी में उतनी खूबसूरत लड़कियां होती नहीं, जितनी कि आजकल बगल में चिपका कर ले जा कर महफिल में भभका डाला जाता है. दूसरे उस के साथ घरपरिवार की भी कुछ समस्याएं भी थीं.
दिखने में ठीकठाक अमित की सैलरी दिल्ली जैसे महानगर के हिसाब से खासी अच्छी थी, लेकिन जाति आड़े आने से उसे मनपसंद जीवनसंगिनी नहीं मिल पा रही थी.
लंबी भागादौड़ी करने के बाद भी बात कहीं बनी नहीं तो एक दिन अमित ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी का रुख किया. उस ने सुन रखा था कि यहां एक तयशुदा रकम देने के एवज में एक साल तक के लिए किराए पर बीवी मिलती है.
दिल्ली से शिवपुरी तक के सफर में उस का दिल हालांकि घोड़ी पर बैठे दूल्हे की तरह बल्लियों उछल रहा था, लेकिन कुछ आशंकाएं भी उसे घेर लेती थीं.
मसलन क्या पता कैसे लोग मिलेंगे वहां, पसंद की बीवी मिले या नहीं और मिली भी तो ज्यादा नखरे वाली न हो. लेकिन अगर अच्छी निकली तो फिर लाइफ बन जाएगी.
वह 29 जनवरी, 2022 की सुबह थी जब अमित शिवपुरी पहुंचा. चंबल ग्वालियर इलाके की हाड़ कंपा देने वाली ठंड से उस के इरादे और फैसले पर कोई फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि अब वे अरमानों में तब्दील हो चुके थे.