27 जून, 2018 की सुबह काशीपुर स्टेशन के अधीक्षक ने थाना आईटीआई को फोन कर के बताया कि बाजपुर ट्रैक पर किसी की लाश पड़ी है. यह सूचना मिलते ही आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह अधिकारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. जब पुलिस वहां पहुंची, तब वहां कोई भी मौजूद नहीं था. वजह यह थी कि न तो वहां कोई आम रास्ता था और न ही कोई वहां से गुजरा था.
घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस ने लाश और घटनास्थल का मुआयना किया. साथ ही जरूरी काररवाई भी की. मृतक के गले और छाती पर चोट के निशान थे. उस की एक पैर की एड़ी भी कटी हुई थी, जो शायद ट्रेन की चपेट में आने से कट गई थी.
लेकिन लाश देख कर ही पता चल रहा था कि उस की मौत ट्रेन से कट कर नहीं हुई थी. इस का मतलब यह था कि उस की हत्या कर के डैडबौडी वहां फेंकी गई थी, जिस से यह मामला दुर्घटना का लगे. रेलवे ट्रैक पर लाश मिलने की सूचना मिलते ही आसपास के गांवों के लोग एकत्र होने लगे. घटनास्थल पर काफी लोग जुट गए थे, उन में राजपुरम निवासी छत्तर ने मृतक की पहचान करते हुए पुलिस की बड़ी सिरदर्दी खत्म कर दी.
छत्तर ने मृतक की पहचान अपने जीजा राकेश उर्फ हरकेश के रूप में की. राकेश की हत्या की बात सुन कर उस के घर वाले तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पहुंचे उस के घर वालों से पुलिस ने राकेश के बारे में पूछताछ की और लाश पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय भिजवा दी.
राकेश की लाश के पोस्टमार्टम के समय एक बात चौंकाने वाली पता चली. मृतक के पैरों पर जला हुआ इंजन औयल लगा मिला था. वैसा ही तेल वहां मौजूद मृतक राकेश के मौसेरे भाई इंद्रपाल के कपड़ों पर भी लगा हुआ था. यह पता चलते ही राकेश के घर वालों ने इंद्रपाल को अपने कब्जे में ले कर उसे मारनापीटना शुरू कर दिया.
वैसे भी राकेश के घर वालों को शक था कि उस की हत्या इंद्रपाल ने ही की है. पोस्टमार्टम के दौरान यह बात सामने आते ही उन्हें पूरा विश्वास हो गया कि राकेश का हत्यारा वही है.
राकेश के घर वालों ने इंद्रपाल को ठोकपीट कर पुलिस के हवाले कर दिया. इंद्रपाल को हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने उस से कड़ी पूछताछ की तो पहले तो उस ने साफ इनकार कर दिया कि राकेश की हत्या से उस का कोई लेनादेना नहीं है. लेकिन जब पुलिस ने उस के कपड़ों पर लगे काले औयल का राज पूछा तो वह पुलिस को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया.
आखिरकार उस ने सब कुछ साफसाफ बता दिया. पूछताछ में इंद्रपाल ने बताया कि राकेश की हत्या उस की बीवी माया ने कराई है. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस इंद्रपाल को थाना ले आई. थाने में उस से कड़ी पूछताछ की गई.
पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला कि राकेश की हत्या में मृतक की बीवी माया, इंद्रपाल निवासी मोहनतखतपुर, थाना कुंदरकी जिला मुरादाबाद, गुड्डू निवासी नगला थाना भगतपुर, जिला मुरादाबाद, रेखा निवासी खड़कपुर काशीपुर, जमुना निवासी खड़कपुर शामिल थे.
यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़ शुरू की तो सभी आरोपी पकड़ में आ गए. गिरफ्तारी के बाद उन से पूछताछ की गई तो राकेश की हत्या की पूरी सच्चाई सामने आ गई.
मेहनतकश राकेश पहुंच गया शहर की ड्योढ़ी पर
बाजपुर, उत्तराखंड के गांव कनौरा निवासी हरकेश उर्फ राकेश की शादी करीब 17 साल पहले गांव परमानंदपुर (गौशाला) निवासी खानचंद्र की बेटी माया से हुई थी. माया देखने में खूबसूरत ही नहीं, तेजतर्रार भी थी.
राकेश के पास जुतासे की थोड़ी सी जमीन थी, जिस में इतनी पैदावार नहीं होती थी कि परिवार की गुजरबसर हो सके. राकेश फैक्ट्रियों में काम कर के परिवार का भरणपोषण करता था. बाद में एक फैक्ट्री में उसे लेबर का ठेका मिल गया तो उस की मेहनत कम हो गई और आमदनी ज्यादा.
शादी के कुछ समय बाद तक राकेश की घरगृहस्थी ठीक से चलती रही. इस बीच पतिपत्नी का तालमेल भी ठीक बैठ गया था. राकेश शुरू से ही अपनी बीवी माया को बहुत प्यार करता था. वह सुबह काम पर चला जाता और देर शाम घर लौटता था. घर आने के बाद वह दिन भर की थकान की वजह से खाना खापी कर जल्दी सो जाता था. उस की बीवी माया को यह पसंद नहीं था. वह चाहती थी कि जब तक वह जागे, पति उस का साथ दे. लेकिन राकेश की अपनी मजबूरी थी, जो माया के अरमानों पर भारी पड़ती थी.
माया ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी. लेकिन उस की हसरतों की उड़ान ऊंची थी. वह शुरू से ही शरारती थी, बनठन कर रहने वाली. राकेश के साथ शादी के बंधन में बंध कर वह ससुराल तो आ गई थी, लेकिन वह अपनी शादी से खुश नहीं थी.
शादी के बाद अनचाहे ही सही, राकेश के साथ रहना उस की मजबूरी थी. जबकि राकेश उसे पा कर खुश था. शादी के बाद वह उसे जी जान से चाहने भी लगा था.
गुजरते समय के साथ माया 3 बच्चों की मां बन गई. उस की बड़ी बेटी का नाम मधु था, उस से छोटा बेटा था आकाश और सब से छोटी थी बेटी प्रीति. राकेश काम के लिए गांव से शहर आता था. जब बच्चे थोड़े बड़े हो गए तो माया का मन शहर में रहने का होने लगा. यह बात मन में आते ही उस ने राकेश से कहा, ‘‘जब तुम्हें शहर में ही काम करना है तो क्यों न हम शहर में थोड़ी सी जमीन खरीद कर छोटा सा मकान बना लें.’’
राकेश अपने घर की स्थिति अच्छी तरह जानता था. उस के सामने पैसे की मजबूरी थी. उस ने इनकार कर दिया तो माया को मन मार कर गांव में ही रहने को मजबूर होना पड़ा.
शादी के कुछ सालों के बाद तक तो माया पत्नी का धर्म निभाती रही, लेकिन जब उस के दिमाग से राकेश की छवि धूमिल होने लगी तो उस का मन और निगाहें इधरउधर भटकने लगीं. जल्द ही उस ने अपने रंगढंग दिखाने शुरू कर दिए. उस ने चोरीछिपे ससुराल में कई लोगों से अवैध संबंध बना लिए. राकेश को इस बात की जानकारी कानोंकान नहीं हुई. हालांकि माया 3 बच्चों की मां बन चुकी थी, फिर भी उस के शरीर की कशिश बरकरार थी.