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पूछताछ और जांच में जो फरजी 3 हजार कंपनियां पता चली हैं, उन में 800 ऐसी कंपनियों के बारे में जानकारी मिली है, जिन्हें किन्हीं कारणों से अभी तक जीएसटी नंबर नहीं मिल पाया है. जिन फरजी कंपनियों की जानकारी मिली है, वह देश के अलगअलग पतों पर बनाई गई थीं.

इस मामले को ले कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्रालय दिल्ली में बैठक की. मुख्यमंत्री ने पुलिस, एसटीएफ, जीएसटी, इंटेलिजेंस के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर जांच में तेजी लाने और आरोपियों के खिलाफ सख्त काररवाई करने को कहा. दिल्ली में हुई बैठक में केंद्रीय जीएसटी समेत अन्य एजेंसियों के अधिकारी भी शामिल हुए थे.

टेरर फंडिंग और हवाला ऐंगल से जांच

फरजी कागजों के सहारे असली जीएसटी नंबर ले कर कंपनी बनाने वाले मामले में पुलिस व एजेंसियों की जांच टेरर फंडिंग और हवाला के ऐंगल से भी की जा रही है. आशंका जाहिर की जा रही है कि इस में कई कारोबारियों सहित अन्य लोगों की भी संलिप्तता है. फरजी कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद किया जा रहा था. टेरर फंडिंग और हवाला की जांच से जुड़ी हुई एजेंसी की मामले पर पैनी नजर है.

नोएडा सेक्टर-20 थाने की पुलिस ने पकड़े गए आरोपियों के कब्जे से अब तक 12 लाख 66 हजार रुपए नगद, 3,088 फरजी तैयार की गई जीएसटी फर्म की सूची, 32 मोबाइल फोन, 24 कंप्यूटर सिस्टम, 4 लैपटाप, 3 हार्ड डिस्क, 118 फरजी आधार कार्ड, 140 पैन कार्ड, फरजी बिल, 3 लग्जरी कारें बरामद की हैं.

पुलिस ने जीएसटी घोटालेबाज यासीन शेख और अश्विनी पांडेय, आकाश सैनी, विशाल, राजीव, अतुल सेंगर, दीपक मुरजानी और विनीता को गौतमबुद्ध नगर के सीजेएम कोर्ट में पेश कर 10 दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया गया. सेंट्रल नोएडा के डीसीपी हरीश चंद्र अब यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट के अधिकारियों के साथ इस घोटाले की जांच को आगे बढ़ा रही हैं.

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