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रविवार 4 सितंबर, 2022 को रात 8-साढ़े 8 बजे का वक्त था. दिल्ली के रोहिणी स्थित बुद्ध विहार थाने के प्रभारी विपिन यादव अपने मातहतों के साथ दिन भर के कार्यों की समीक्षा में व्यस्त थे. तभी उन्हें सूचना मिली कि उन के इलाके के एक घर का दरवाजा लाख खटखटाए जाने के बावजूद नहीं खुल रहा है और भीतर से उठ रही सड़ांध से मोहल्ले के लोग परेशान हैं. थानाप्रभारी विपिन यादव इस सूचना की भयावहता को तुरंत भांप गए और तुरंत अपनी टीम ले कर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

सूचना के अनुसार रोहिणी सेक्टर-24 के पौकेट 18 में वह जिस घर के बंद दरवाजे पर पहुंचे, वह श्रीनिवास पाल का 3 मंजिला मकान था. बिजली विभाग में कार्यरत रहे श्रीनिवास पाल को गुजरे तो 10 साल हो चुके थे. इस घर में उन की विधवा मिथिलेश पाल अपने इकलौते बेटे क्षितिज उर्फ सोनू के साथ रहती थीं. मगर मोहल्ले के लोगों ने कई दिनों से दोनों को देखा नहीं था.

घर के चारों ओर अजीब सी बदबू फैली हुई थी. यह बदबू किसी अनहोनी को बयां कर रही थी. विपिन यादव ने दरवाजे पर लगी घंटी बजाई, मगर दरवाजा नहीं खुला. वे काफी देर तक घंटी बजाते रहे, मगर भीतर से कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली.

हार कर उन्होंने ऊपर की ओर देखा. मकान की पहली मंजिल कोई बहुत ज्यादा ऊंची नहीं थी. उन्होंने अपने सिपाही को घर की पहली मंजिल की बालकनी पर चढ़ने का आदेश दिया.

सिपाही बालकनी के रास्ते तुरंत ऊपर चढ़ गया. उस ने पहली मंजिल से नीचे जाने वाली सीढि़यों का दरवाजा तोड़ा और नीचे उतर कर मेन गेट खोल दिया. थानाप्रभारी विपिन यादव अपने सहयोगी इंसपेक्टर राम प्रताप सिंह और अन्य सिपाहियों के साथ जैसे ही अंदर पहुंचे, मारे बदबू के उन का सिर घूम गया.

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