इस के पहले विशाल कभी किसी महिला के इतने नजदीक नहीं आया था, जितना पिछले कुछ दिनों के दौरान कविता के करीब आ गया था. आखिर एक दिन उस ने कविता के सामने अपना प्यार जता ही दिया. उम्मीद के मुताबिक कविता गुस्सा नहीं हुई तो नए जमाने और माहौल में बड़े हुए विशाल को समझ आ गया कि दांव खाली नहीं गया है.
कविता सब कुछ समझते हुए भी मुंहबोले देवर के साथ नाजायज संबंधों की ढलान पर फिसली तो इस की वजह एक नया अहसास था, जो उस के तन और मन दोनों को झिंझोड़ रहा था.
परसराम रोज सैकड़ों ग्राहकों को डील करता था, लिहाजा पत्नी के नए हावभाव उस से छिपे नहीं रहे. पहले तो उस ने खुद को समझाने की कोशिश की कि यह उस की गलतफहमी और फिजूल का शक है, पर कुछ था जो उस के शक को बारबार कुरेद रहा था.
विशाल कुछ और सोचता था, कविता कुछ और
इधर विशाल की हालत खस्ता थी, जिसे वाकई कविता से प्यार हो गया था. वह चाहता था कि कविता पति को छोड़ कर उस से शादी कर ले. इस बचकानी पेशकश से कविता वाकिफ हुई तो सकते में रह गई. विशाल संबंधों को इतनी गंभीरता से लेगा, इस का अंदाजा या अहसास उसे नहीं था.
उस ने अपने इस नासमझ आशिक को समझाने की कोशिश की, पर यह खुल कर नहीं कह पाई कि तुम्हारे मेरे संबंध सिर्फ मौजमस्ती के हैं. एक 2 बच्चों की मां और किसी की जिम्मेदार पत्नी सुख और संतुष्टि के लिए शारीरिक संबंध तो बना सकती है, पर उम्र में 11 साल छोटे प्रेमी से शादी नहीं कर सकती.