उत्तर प्रदेश के हरदोई-कानपुर मार्ग पर हरदोई जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर की दूरी पर एक कस्बा है बिलग्राम. यहां हरदोई का थाना कोतवाली भी है. इसी कोतवाली क्षेत्र में एक गांव है हैबतपुर. यह गांव बिलग्राम से 4 किलोमीटर पहले ही मुख्य मार्ग पर स्थित है. इसी गांव में रामभजन सक्सेना का परिवार रहता था. मेहनतमजदूरी कर के गुजरबसर करने वाले रामभजन के परिवार में पत्नी सुमित्रा देवी के अलावा 4 बेटे और 4 बेटियां थीं.
रामभजन ने अपने दूसरे नंबर के बेटे रामचंद्र का विवाह लगभग 12 साल पहले हरदोई के ही थानाकोतवाली शहर के अंतर्गत आने वाले गांव पोखरी की रहने वाली रमाकांती से कर दिया था. उस के पिता गंगाराम की मौत हो चुकी थी. उस के 6 भाई और 2 बहनें थीं. भाईबहनों में वह सब से छोटी थी. उस के भाइयों ने मिलजुल कर उस की शादी रामचंद्र से कर दी थी.
रमाकांती ससुराल आई तो उसे ससुराल में रामचंद्र के साथ गृहस्थी बसाने में कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि ससुराल में सभी अलगअलग अपनेअपने घरों में रहते थे. रामचंद्र भी अन्य भाइयों की तरह मेहनतमजदूरी कर के गुजरबसर कर रहा था. इसलिए रमाकांती के लिए जैसे हालात मायके में थे, वैसे ही ससुराल में भी मिले. रमाकांती एक के बाद एक कर के तीन बेटियों और 2 बेटों यानी 5 बच्चों की मां बनी. इस समय उस की बड़ी बेटी 10 साल की है तो छोटा बेटा 1 साल का.
रामचंद्र का जिस हिसाब से परिवार बढ़ा, उस हिसाब से आमदनी नहीं बढ़ पाई, इसलिए उसे गुजरबसर में परेशानी होने लगी. गांव में मेहनतमजदूरी से इतना पैसा नहीं मिल पाता था कि वह परिवार का खर्चा उठा सकता. जब वह हर तरह से कोशिश कर के हार गया तो उस ने परिवार सहित कहीं बाहर जा कर काम करने का विचार किया.