रुखसाना की हरकतों से सारा गांव वाकिफ था. गांव वालों से इस बात की जानकारी उस के मातापिता को हुई तो उन्होंने उसे मारापीटा और समझाया भी. आखिर मांबाप की बात रुखसाना की समझ में आ गई. इसलिए वह जाबिर से निकाह के लिए राजी हो गई. जाबिर तो उस के लिए पागल था ही, इसलिए रुखसाना के हामी भरते ही उस ने अपने अब्बू नौशे मियां से कहा, ‘‘अब्बू, मैं रुखसाना से निकाह करना चाहता हूं.’’
जाबिर की बात सुन कर नौशे मियां हैरान रह गए. क्योंकि रुखसाना अब तक गांव में इस कदर बदनाम हो चुकी थी कि निकाह की छोड़ो, कोई भला आदमी उस से बातचीत करना भी पसंद नहीं करता था. ऐसी लड़की से जाबिर निकाह की बात कर रहा था. नौशे मियां की गांव में अच्छी इज्जत थी. उन्होंने इस निकाह के लिए साफ मना कर दिया. लेकिन जाबिर ने तो इरादा पक्का कर लिया था, इसलिए उस ने कहा, ‘‘अगर मेरा निकाह रुखसाना से नहीं किया गया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा.’’
मजबूरन नौशे मियां को राजी होना पड़ा. रुखसाना के घर वालों की ओर से इनकार का सवाल ही नहीं था. क्योंकि उन की बदनाम बेटी से और कौन शादी करता. इस तरह जाबिर और रुखसाना का निकाह हो गया.
निकाह के बाद रुखसाना पूरी तरह बदल गई थी. वह पति की ही नहीं, सासससुर और देवर की सेवा पूरे लगन से करने लगी थी. घर के सारे कामों की जिम्मेदारी ले ली थी. नौशे मियां के पास काफी जमीन थी. उसी पर खेती कर के वह अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे थे. जाबिर गांव में रह कर पिता की मदद करता था.