एक दिन बिजनैस ट्रिप की बात कह कर मनु अहमदाबाद जा पहुंचा. मनु को रिसीव करने मिंटू और रश्मि स्टेशन पर आई थीं. मिंटू के पापा वहां किसी फैक्ट्री में काम करते थे. उन की 12 घंटे की नौकरी थी. प्राइवेट नौकरी, ऊपर से महंगाई में पूरे परिवार का खर्च. मनु उन के यहां 2 दिन रुका. सुकृति जानती थी कि वह मुंबई गया है. यह अस्वाभाविक भी नहीं था, क्योंकि अकसर बिजनैस के काम से वह वहां जाता रहता था.
अहमदाबाद में किराए के छोटे से मकान में मिंटू का परिवार जैसेतैसे गुजर कर रहा था. भले ही मनु की शाही आवभगत नहीं हुई, लेकिन उसे वहां जो प्यार और अपनत्व मिला, वह उस के लिए अप्रत्याशित था. बातोंबातों में रश्मि ने मनु के सामने अपनी दिली ख्वाहिश भी जाहिर कर दी थी कि 10 लाख में एक मकान मिल रहा है, लेकिन पैसे नहीं हैं. मनु के लिए उन की हैल्प कर देना मुश्किल नहीं था.
2 दिन और 2 रात का समय कम नहीं होता. इस बीच मनु की उन लोगों से जी भर कर बातें हुईं. सब से अहम बात तो यह थी कि रश्मि ने उसे मिंटू से बातचीत करने, उस के साथ घूमनेफिरने का भरपूर मौका दिया था. वह मिंटू को सिनेमा दिखाने भी ले गया था. यहां गांव जैसी पाबंदियां तो थी नहीं, सब खुले विचारों वाले लोग थे, सो मनु को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था.
मनु ने अपनी अहमदाबाद की 2 दिनों की यात्रा में जम कर पैसा खर्च किया. अंकलआंटी और अन्य बच्चों को बहुत से उपहार ला कर दिए. मिंटू को उस ने एक गोल्डन रिंग भी गिफ्ट की थी, जिस में डायमंड जड़े थे. शायद उस की असली कीमत का अहसास मिंटू को तो क्या, उस के मम्मीपापा को भी नहीं था.