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8 मार्च, 2019 की रात के करीब साढ़े 8 बजे का वक्त था. बाहरी दिल्ली के निहाल विहार थाने के 2 सिपाही  मोटरसाइकिल पर गश्त करते हुए सैय्यद नांगलोई के पास बहने वाले नाले के किनारे बनी सड़क से गुजर रहे थे. तभी एक राहगीर दौड़ते हुए आ कर उन की बाइक के सामने खड़ा हो गया. मजबूरी में पुलिस वालों को मोटरसाइकिल रोकनी पड़ी.

बाइक पर पीछे बैठा सिपाही झुंझलाते हुए नीचे उतरा और उस राहगीर को झिड़कते हुए बोला,  ‘‘ओ भाई, क्या इरादा है मरना चाहता है क्या, जो इस तरह भाग कर बाइक के सामने आ गया.’’

‘‘नहीं सर, न तो मैं मरना चाहता हूं और न ही ऐसा कोई इरादा है. बस आप को एक सूचना देनी थी इसलिए आप लोगों को देख कर दौड़ता चला आया.’’ राहगीर ने अपनी उखड़ी सांस को नियंत्रित करते हुए सफाई दी.

राहगीर की बात सुन कर सिपाही का गुस्सा शांत हो गया. उस ने जिज्ञासा दिखाते हुए राहगीर से पूछा, ‘‘सूचना...कैसी सूचना... क्या हुआ?’’

‘‘सर, उस नाले में एक बड़ा सा सूटकेस पड़ा है. ऐसा लगता है कि उस में कोई संदिग्ध चीज है.’’ राहगीर ने कहा.

उस की बात सुन कर दोनों सिपाही बाइक को वहीं खड़ी कर के राहगीर के साथ उस जगह पहुंचे, जहां नाले में सूटकेस तैर रहा था.

दोनों सिपाहियों ने देखा, एक लाल रंग का सूटकेस नाले के दूसरे किनारे पर तैर रहा था. लेकिन वह इलाका उन के थाना क्षेत्र में नहीं आता था. वह थाना पश्चिम विहार (वेस्ट) के क्षेत्र में था, इसलिए कांस्टेबल ने उसी समय फोन कर के पश्चिम विहार (वेस्ट) थाने को सूचना दे दी.

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