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राजामहाराजाओं का बसाया हुआ जयपुर शहर सैकड़ों साल पुराना है. कभी इस शहर के चारों ओर परकोटा हुआ करता था. अब ये परकोटे टूट चुके हैं. फिर भी पुराने शहर को परकोटा ही कहते हैं. इसी परकोटे में किशनपोल बाजार है. इस बाजार में एक खूंटेटों का रास्ता है.

खूंटेटों का रास्ता की एक संकरी गली में भूतल पर केडीएम एंटरप्राइजेज कंपनी का औफिस है. इसे कंपनी का औफिस भले ही कह लें, लेकिन यह पुराने शहर के एक मकान का कमरा है. कमरे में 2-4 कुर्सियां और एक काउंटर आदि रखे हैं. दरअसल, यह एक

हवाला कंपनी का औफिस है. आजकल हवाला कंपनी को मनी ट्रांसफर कंपनी भी कहते हैं.

इस औफिस में न तो बिक्री लायक कोई सामान है और न ही यहां ग्राहक आते हैं. दिनभर में यहां 10-20 लोग आते हैं. वे कोई पर्ची या मोबाइल में सबूत दिखाते हैं और औफिस में काम करने वाले कर्मचारी उस की पहचान कर पर्ची या मोबाइल में मौजूद सबूत के आधार पर रकम गिन कर दे देते हैं.

हवाला का कामकाज ऐसे ही चलता है. हवाला का काम सभी बड़े शहरों में होता है. यह काम बैंकों जैसा ही है. फर्क बस इतना है कि बैंकों में लिखापढ़ी और नियमकानून हैं. जबकि हवाला में कोई नियमकानून नहीं है. हवाला को आप घरेलू बैंक भी कह सकते हैं. इस के जरिए मामूली कमीशन पर एक से दूसरी जगह पैसे भेजे जाते हैं.

एक पर्ची पर रकम लिख कर दे दी जाती है. यह पर्ची दिखाने पर जहां रकम भेजी जाती है, वहां से ली जा सकती है. हवाला के जरिए कितनी भी रकम भेजी जा सकती है. 10-20 हजार से लेकर 10-20 लाख और 10-20 करोड़ रुपए तक. कानून की नजर में यह काम अवैध है, फिर भी यह धंधा बहुत सालों से चल रहा है. केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी.

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