इस की वजह यह थी कि डब्लू को रमेश सिंह से भाई की मौत का बदला लेना था. इस के लिए उस ने रमेश सिंह से दोस्ती गांठ ली. फिर एक दिन गांव के पास ही वह रमेश सिंह के साथ शराब पीने बैठा. उस ने जानबूझ कर रमेश सिंह को खूब शराब पिलाई.
जब रमेश सिंह नशे में बेकाबू हो गया तो डब्लू ने हंसिए से उस का गला धड़ से अलग कर दिया. इस के बाद रमेश सिंह का कटा सिर लिए वह मां के पास पहुंचा और सिर उन के सामने कर के बोला, ‘‘देखो मां, यही भैया का हत्यारा था. आज मैं ने इस के किए की सजा दे दी. इसे वहां भेज दिया, जहां इसे बहुत पहले पहुंच जाना चाहिए था.’’
यह सन 2011 की बात है. इस के बाद रमेश सिंह का कटा सिर लिए डब्लू पूरे गांव में घूमा. डब्लू के दुस्साहस को देख कर गांव में दहशत फैल गई. पुलिस उस तक पहुंच पाती, उस से पहले ही वह रमेश सिंह का सिर फेंक कर फरार हो गया. लेकिन पुलिस के चंगुल से वह ज्यादा समय तक नहीं बच पाया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.
जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद डब्लू को लगा कि गांव के ही रहने वाले रमेश सिंह के करीबी पूर्व ग्रामप्रधान शातिर बदमाश अरुण सिंह उस की हत्या करवा सकते हैं. फिर क्या था, वह उन्हें ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगा.
25 अप्रैल, 2013 को किसी काम से अरुण सिंह अपनी मोटरसाइकिल से कहीं जा रहे थे, तभी मचिया चौराहे पर घात लगा कर बैठे डब्लू ने गोलियों से भून डाला. घटनास्थल पर ही उन की मौत हो गई. उस समय तो वह फरार हो गया था, लेकिन बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
बात उस समय की है, जब सुषमा कालेज में पढ़ती थी. संयोग से उसी कालेज में डब्लू भी पढ़ता था. चूंकि दोनों एक ही गांव के रहने वाले थे, इसलिए कालेज आतेजाते अकसर दोनों की मुलाकात हो जाती थी. सुषमा खूबसूरत तो थी ही, डब्लू भी कम स्मार्ट नहीं था. साथ आनेजाने में ही दोनों में प्यार हो गया. सुषमा डब्लू के आपराधिक कारनामों के बारे में जानती थी, इस के बावजूद उस से प्यार करने लगी.
सुषमा और डब्लू की प्रेमकहानी जल्दी ही गांव वालों के कानों तक पहुंच गई. फिर तो इस की जानकारी सुरेंद्र बहादुर सिंह को भी हो गई. बेटी की इस करतूत से पिता का सिर शरम से झुक गया. उन्होंने सुषमा को डब्लू से मिलने के लिए मना तो किया ही, उस के घर से निकलने पर भी पाबंदी लगा दी. इस का नतीजा यह निकला कि एक दिन वह मांबाप की आंखों में धूल झोंक कर डब्लू के साथ भाग गई. इस के बाद दोनों ने मंदिर में शादी कर ली. यह 7-8 साल पहले की बात है.
सुषमा के भाग जाने से सुरेंद्र बहादुर सिंह की काफी बदनामी हुई. डब्लू आपराधिक प्रवृत्ति का था, इसलिए वह उस का कुछ कर भी नहीं सकते थे. फिर भी उन्होंने पुलिस के साथसाथ बिरादरी की मदद ली. पुलिस और बिरादरी के दबाव में डब्लू ने सुषमा को उस के घर वापस भेज दिया. सुषमा के घर वापस आने के बाद सुरेंद्र बहादुर सिंह ने उस के घर से बाहर जाने पर सख्त पाबंदी लगा दी.
संयोग से उसी बीच रमेश सिंह की हत्या के आरोप में डब्लू जेल चला गया तो सुरेंद्र बहादुर सिंह ने राहत की सांस ली. डब्लू की जो छवि बन चुकी थी, उस से वह काफी डरे हुए थे. वह जेल चला गया तो उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया और आननफानन में सुषमा की शादी गोरखपुर के रहने वाले संपन्न और सभ्य देवेंद्र प्रताप सिंह के बेटे विवेक प्रताप सिंह उर्फ विक्की से कर दी.
यह शादी इतनी जल्दी में हुई थी कि देवेंद्र प्रताप सिंह बहू के बारे में कुछ पता नहीं कर सके. जेल में बंद डब्लू को जब सुषमा की शादी के बारे में पता चला तो वह सुरेंद्र बहादुर सिंह पर बहुत नाराज हुआ. लेकिन वह सुषमा के पिता थे, इसलिए वह उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था. पर उस ने यह जरूर तय कर लिया था कि वह सुषमा को खुद से अलग नहीं होने देगा. इस के लिए उसे कुछ भी करना पड़े, वह करेगा.
सुषमा ने भले ही विवेक से शादी कर ली थी, लेकिन उस का तन और मन डब्लू को ही समर्पित था. हर घड़ी वह उसी के बारे में सोचती रहती थी. जल्दी ही वह विवेक के बेटे आयुष की मां बन गई. जनवरी, 2013 में जब डब्लू जमानत पर जेल से बाहर आया तो सुषमा से मिलने गोरखपुर स्थित उस की ससुराल पहुंच गया.
डब्लू को देख कर सुषमा बहुत खुश हुई. उस का प्यार उस के लिए फिर जाग उठा. इस के बाद वे किसी न किसी बहाने एकदूसरे से मिलने लगे. फोन पर तो बातें होती ही रहती थीं. उसी बीच 25 अप्रैल, 2013 को डब्लू ने पूर्वप्रधान अरुण सिंह की हत्या कर दी तो वह एक बार फिर जेल चला गया. इस बार वह 5 सालों बाद 18 मार्च, 2017 को जेल से बाहर आया तो एक बार फिर उस का सुषमा से मिलनाजुलना शुरू हो गया.
डब्लू बारबार सुषमा से मिलने आने लगा तो विवेक प्रताप सिंह को पत्नी के चरित्र पर संदेह हो गया. इस के बाद पतिपत्नी में अकसर झगड़ा होने लगा. वह डब्लू को अपने यहां आने से मना करने लगा. लेकिन सुषमा उस की एक नहीं सुनती थी. पत्नी के इस व्यवहार से विवेक काफी परेशान रहने लगा. रोजरोज के झगड़े से बेटा भी परेशान रहता था. डब्लू को ले कर पतिपत्नी में संबंध काफी बिगड़ गए. दोनों के बीच मारपीट भी होने लगी.
सुषमा विवेक की कोई बात नहीं मानती थी. रोजरोज के झगड़े से परेशान विवेक अपने दुख को किसी से न कह कर फेसबुक पर पोस्ट किया करता था. दूसरी ओर सुषमा भी पति से ऊब चुकी थी. अब वह उस से छुटकारा पाने के बारे में सोचने लगी. जब उस ने यह बात डब्लू से कही तो उस ने आश्वासन दिया कि उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है. वह जब चाहेगा, उसे विवेक से छुटकारा दिलवा देगा. उस के बाद दोनों एक साथ रहेंगे.