जाले के ताऊ ने उसे नामी बदमाश बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया. बाद में जाले और लाले इलाके के बड़े बदमाश बन गए. फिर ऐसा क्या हुआ कि जाले और उस के ताऊ को घुटघुट कर मरने के लिए मजबूर होना पड़ा.
अदालत ने जाले के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया, जिस का मुझे बहुत दुख था. 2 लोगों का हत्यारा मौत की सजा से कैसे बच गया, यह सवाल मुझे बारबार सताता था. लेकिन कुछ दिन बाद ही मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया.
मलिक साहब एक वकील थे, जो अमेरिका जा कर बस गए थे. जब वह स्वदेश आए तो उन से उन की वकालत के दिनों के केसों में सब से रोचक केस सुनाने के लिए कहा गया.
यह कहानी उन्हीं के कथनानुसार है. उन्होंने बताया, ‘मेरे गुरु लाहौर के एक प्रसिद्ध वकील थे. उन के पास फौजदारी मुकदमों की लाइन लगी रहती थी. बड़ेबड़े मुकदमे वह खुद लिया करते थे और छोटेमोटे चोरीडकैती वगैरह के मुकदमे मुझे दिया करते थे. मैं बहुत मेहनत से काम करता था, इसलिए जल्दी ही मेरी गिनती बड़े वकीलों में होने लगी थी.
मेरे 2 क्लायंट थे, जो अकसर छोटेमोटे अपराध किया करते थे. एक का नाम जाले था, जो खातेपीते घराने का था. उसे खानेकमाने की कोई चिंता नहीं थी. जबकि दूसरे का नाम लाले था. वह था तो गरीब घर का, लेकिन उस का शरीर पहलवानों जैसा था.
उस के डीलडौल की वजह से उस से कोई पंगा नहीं लेता था. दोनों मेरे पक्के क्लायंट थे और अपना हर केस मुझे ही देते थे. कभीकभी तो दोनों मेरी फीस भी एडवांस में दे देते थे. वे कहते थे, ‘‘वकील साहब, रख लो. अगर कभी हम किसी केस में फंसे तो इसे अपनी फीस समझ लेना.’’