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रुखसाना उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के ज्वालापुर के मोहल्ला कैस्थवाड़ा में अपने परिवार के साथ रहती थी. काफी समय पहले रुखसाना के पति नवाबुद्दीन की मौत हो गई थी. रुखसाना के पास वह 2 बेटे और 2 बेटियां छोड़ गया था, जिसे रुखसाना ने जैसेतैसे चौकाबरतन का काम कर के पाला था.

बेटा मेहताब जब समझदार हो गया तो उस ने ज्वालापुर में प्लास्टिक के सामान की दुकान खोल कर घर खर्च की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा ली. रुखसाना घर में बैठ गई तो उस ने सुकून की सांस ली. अब वह अपने मेहताब का घर बसाने का सपना देखने लगी.

मेहताब बहुत मेहनती था, वह जो कमाता था, वह ला कर अपनी अम्मी के हाथ पर रख देता था. रुखसाना बहुत किफायत से घर चलाती और 2 पैसे बचा कर रखती. जब उस के हाथ में 2 पैसे जुड़ गए तो उस ने रिश्तेदारी में मेहताब के लिए लड़की देखने की चर्चा कर दी.

रुखसाना अपने होनहार बेटे मेहताब के लिए चांद सी बहू लाना चाहती थी. ऐसी बहू जो उस के बेटे मेहताब का पूरा खयाल रखे और घर की जिम्मेदारी भी संभाल ले. मेहताब के लिए अनेक रिश्ते आए, जो रुखसाना के मनपसंद नहीं थे. उसे रुड़की के मोहल्ला सत्ती में रहने वाले इसलाम की बेटी आरजू पसंद आई. रुखसाना ने 25 नवंबर, 2021 को मेहताब के सिर पर सेहरा बंधवा दिया.

आरजू घर में दुलहन बन कर आई तो सभी ने रुखसाना को बधाई दी कि वह अपने बेटे मेहताब के लिए चांद सी बहू तलाश कर के लाई है. रुखसाना के कंधे गर्व से और चौड़े हो गए.

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