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योजना को अंजाम देने के लिए परमानंद ने एक योजना बनाई. योजना के अनुसार, वह और उस का परिवार एकदम शांति से रहने लगा ताकि हिमांशु को रास्ते से हटाने के बाद सभी को यही लगे कि इस में उस का कोई हाथ नहीं है. परमानंद अभी यह तानाबाना बुन ही रहा था कि एक नई घटना घट गई.

20 अप्रैन, 2017 को सोनी फिर हिमांशु के साथ भाग गई. इस बार हिमांशु के साथ हिमांशु का परिवार भी खड़ा था. दोनों का प्यार देख कर घर वालों ने दोनों की सहमति से मंदिर में शादी करा दी थी. शादी के 15 दिनों बाद हिमांशु और सोनी फिर गांव लौट आए. इस बार सोनी अपने घर के बजाय हिमांशु के घर गई.

हिमांशु और सोनी के लौटने की खबर पूरे गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई. गांव वाले दोनों की हिम्मत देख कर हतप्रभ थे कि हिम्मत तो देखिए रिश्तों को कलंकित करते कलेजे को ठंडक नहीं पहुंची जो गांव को बदनाम करने फिर से यहां आ गए. खैर, जैसे ही ये खबर परमानंद को मिली तो उस का खून खौल उठा. वह आपे से बाहर हो गया.

अगले दिन यानी 5 जून, 2017 को सुबह के करीब 10 बजे गांव में पंचायत बुलाई गई. पंचायत परमानंद के दरवाजे के सामने रखी गई. उस में सैकड़ों की तादाद में गांव वालों के अलावा 21 पंच जुटे. सभी पंच परमानंद के पक्ष में खड़े उस की हां में हां मिला रहे थे. पंचायत में हिमांशु के परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं था.

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