शराब पीना अलग बात है और शराबी होना अलग. शराबी जब मनमाफिक शराब पी लेता है तो उसे न तो अच्छेबुरे का ज्ञान रहता है और न रिश्तेनातों का. शराब ने हजारों घर उजाड़े हैं. यही हाल रामभरोसे का था. दुख की बात यह है कि सजा उस की पत्नी और 4 बेटियों को भोगनी पड़ी.
अगर... श्यामा निरंकारी बालिका इंटर कालेज में रसोइया के पद पर कार्यरत थी. वह छात्राओं के लिए मिड डे मील तैयार करती थी. वह 2 दिन से काम पर नहीं आ रही थी, जिस से छात्राओं को मिड डे मील नहीं मिल पा रहा था. श्यामा शांतिनगर में रहती थी. वह काम पर क्यों नहीं आ रही, इस की जानकारी लेने के लिए कालेज की प्रधानाचार्य ने एक छात्रा प्रीति को उस के घर भेजा. प्रीति श्यामा के पड़ोस में रहती थी और उसे अच्छी तरह जानती थी.
प्रीति सुबह 9 बजे श्यामा देवी के घर पहुंची. घर का दरवाजा अंदर से बंद था. प्रीति ने दरवाजे की कुंडी खटखटाई, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला, न ही अंदर कोई हलचल हुई. श्यामा की बेटी प्रियंका प्रीति की सहेली थी, दोनों एक ही क्लास में पढ़ती थीं. प्रीति ने आवाज दी, ‘‘प्रियंका, ओ प्रियंका दरवाजा खोलो. मुझे मैडम ने भेजा है.’’
प्रीति की काफी कोशिश के बाद भी दरवाजा नहीं खुला, न ही कोई हलचल हुई.
पड़ोस में श्यामा का ससुर रामसागर रहता था. प्रीति ने दरवाजा न खोलने की जानकारी उसे दी तो वह श्यामा के घर आ गया. उस ने दरवाजा पीटा और ‘बहू...बहू’ कह कर आवाज दी. लेकिन दरवाजा नहीं खुला.