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नारियल के पेड़ से होना था जेजे शूटआउट

सुभाष ठाकुर ने इब्राहिम कासकर के दोनों कातिलों को जेजे अस्पताल में पुलिस की कस्टडी में मारने के लिए शूटरों की बड़ी फौज तैयार की थी, जिस में सुभाष सिंह के साथ बृजेश सिंह, कदीर, सलीम कुत्ता, सुनील सावंत, फारुख टकला उर्फ फारुख मोहम्मद यासीन मंसूरी जैसे खतरनाक शूटरों समेत 3 दरजन से भी अधिक बदमाशों को शामिल किया गया था.

मुंबई के सब से चर्चित शूटआउट के बारे में लोगों को इस बात की कम ही जानकारी है कि जब सुभाष ठाकुर ने इस शूटआउट की तैयारी की थी तो जेजे अस्पताल के बाहर लगे एक पेड़ पर बैठ कर टेलिस्कोपिक राइफल से अपने शिकार को निशाना बनाने की योजना थी.

12 सितंबर, 1992 को हुए इस शूटआउट में 2 पुलिस वाले शहीद हो गए थे, जबकि एक घायल हो गया था. पुलिस की तरफ से हुई जवाबी काररवाई में दाऊद के 4 लोग घायल हो गए थे. जब इस केस में कई आरोपी गिरफ्तार हुए तो उन्होंने पूछताछ में बताया कि उन्होंने वारदात से पहले अस्पताल के अंदर और बाहर की कई बार रेकी की थी.

इसी रेकी में उन्हें पता चला था कि गवली गैंग का बिपिन शेरे अस्पताल के पहले माले के 4 नंबर वार्ड में भरती है, जबकि उस के दूसरे साथी शैलेश हलदनकर का तीसरे माले पर 18 नंबर वार्ड में इलाज चल रहा है.

रेकी के दौरान शूटरों ने नोट किया कि पहले माले की खिड़की के बाहर कुछ दूरी पर नारियल का एक बड़ा पेड़ है. उन्होंने तय किया कि इस पेड़ पर चढ़ कर पहले बिपिन शेरे का काम तमाम करेंगे और फिर नीचे से सीधे तीसरे माले पर शैलेश हलदनकर के वार्ड में घुसेंगे. लेकिन पहले माले पर भरती एक मरीज ने उन की सारी रणनीति पर पानी फेर दिया.

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