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17 मार्च को जिस समय देश भर में लोग होली के हुड़दंग में मस्त थे उस समय हरिसिंह के घर में  मायूसी छाई हुई थी. इस की वजह यह थी कि हरिसिंह की छोटी बेटी प्रियंका जो दिल्ली टै्रफिक पुलिस में कांस्टेबल थी, बीते दिन यानी 16 मार्च की शाम से गायब थी. वह शाम को करीब 7 बजे यह कह कर घर से निकली थी कि किसी से मिलने जा रही है और थोड़ी देर में घर लौट आएगी.

प्रियंका कोई दूध पीती बच्ची तो थी नहीं जो घर वालों को उस की तरफ से कोई चिंता होती. वह 22 साल की थी, ऊपर से दिल्ली पुलिस में नौकरी कर रही थी इसलिए उन्हें उस की समझदारी पर कोई शक नहीं था. घर वाले निश्चिंत थे कि वह कहीं किसी काम से गई है तो देरसवेर घर आ जाएगी.

प्रियंका को घर से गए हुए कई घंटे बीत गए. वह घर नहीं लौटी तो उस की बड़ी बहन सुमन ने उसे यह जानने के लिए फोन किया कि वह कहां है और कितनी देर में घर आ रही है. लेकिन प्रियंका का फोन कंप्यूटर द्वारा स्विच्ड औफ या पहुंच से दूर बताया जा रहा था. सुमन ने उस का फोन कई बार मिलाया, हर बाद उन्हें कंप्यूटर का वही जवाब सुनने को मिला.

प्रियंका कभी भी अपना फोन स्विच औफ कर के नहीं रखती थी. और जब कभी उसे घर लौटने में देरी हो जाती तो वह घर पर फोन जरूर कर दिया करती थी. लेकिन आज उस ने कोई फोन नहीं किया था.

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