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क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम द्वारा अपना काम निपटाने के बाद थानाप्रभारी ने लाश का मुआयना किया तो उस के गले और मुंह पर लगे निशानों से लग रहा था कि उस की हत्या शायद गला घोंट कर की गई होगी.

बेडशीट और तकिया के कवर पर खून के निशान मिले. बेड के ऊपर और नीचे बंदूक के कुछ कारतूस भी पड़े हुए थे. प्रियंका के शरीर पर गोली लगने का कोई निशान नहीं था तो वहां कारतूस कैसे आ गए यह बात थानाप्रभारी नहीं समझ पा रहे थे.

थानाप्रभारी ने गेस्ट हाउस के मैनेजर सुनील से पूछा कि प्रियंका यहां कब और किस के साथ आई थी? इस पर उस ने बताया, ‘‘सर, यह कल शाम करीब 8 बजे मोहित नाम के एक युवक के साथ आई थी. मोहित ने इसे अपनी पत्नी बताया था. रात करीब पौने 11 बजे मोहित किसी काम से गेस्ट हाउस से बाहर गया था. आज 11 बजे गेस्ट हाउस का एक कर्मचारी इस कमरे पर आया तो कमरा बाहर से बंद था. उस कर्मचारी ने यह बात मुझे बताई.

‘‘मैं ने सब से पहले एंट्री रजिस्टर देखा कि कहीं मोहित पत्नी को ले कर यहां से चला तो नहीं गया. रजिस्टर में उस के द्वारा कमरा खाली करने का कोई जिक्र नहीं था. तब मैं यहां आया. दरवाजे का ताला बंद देख कर मैं भी चौंक गया. मैं ने दरवाजा खटखटा कर कई आवाजें दीं. कोई जवाब नहीं मिला तो मैं ने सोचा कि कहीं मोहित के जाने के बाद मौका पा कर उस की पत्नी भी तो यहां से नहीं खिसक गई.

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