अजरू मौके की तलाश में था. उसे एक दिन यह मौका मिल गया. जोया ने उस दिन उस से एक होटल में कमरा बुक करने के लिए कहा था. कई दिनों से अजरू महसूस कर रहा था कि जोया उसे संपूर्ण रूप से पा लेने के लिए आतुर है. वह जब भी उस से मिलती थी, उस से कस कर लिपट जाती थी. अपने जिस्म का सारा बोझ वह उस के ऊपर डाल देती थी.
जोया को अपनी सच्चाई बताने का पक्का मन बना कर उस ने अलीगढ़ में एक होटल में कमरा बुक कर लिया. जोया को उस ने कमरा बुक होने की बात बताई तो वह बहुत खुश हो गई. वह शाम को ही धोलाना से अलीगढ़ पहुंच गई.
अजरू होटल के बाहर उस का इंतजार कर रहा था. वह जोया को ले कर होटल के बुक किए कमरे में आ गया. कमरे में आते ही जोया ने उस के गले में अपनी नाजुक बांहों का हार पहना दिया. वह अपनी नाक अजरू की नाक से रगड़ती हुई चहक पड़ी, ”मैं ने तुम्हें अपना सरताज मान लिया है अजरू. मेरे इस पाक जिस्म को तुम्हें छू लेने का मैं पूरा अधिकार दे रही हूं. आज तुम मुझे कली से फूल बना दो.’’
”तुम्हें संपूर्ण पा लेने की लालसा मेरे दिल में भी है जोया, लेकिन…’’
”लेकिन क्या…?’’ जोया उसे आश्चर्य से देखती हुई खोली.
”मैं तुम्हें अपनी एक सच्चाई बता देना चाहता हूं जोया, ताकि अपना पाक जिस्म मुझे सौंपने से पहले तुम ‘हां’ या ‘न’ कहने का फैसला ले सको.’’
”ऐसी क्या बात है अजरू?’’ जोया अलग हो कर उसे हैरानी से देखने लगी.
अजरुद्दीन गंभीर हो गया. उस ने जोया की ओर देखा, वह उसे ही एकटक देख रही थी. अजरू ने मन को पक्का कर लिया और धीरे से बोला, ”मैं पहले से शादीशुदा हूं जोया, मेरे 5 बच्चे भी हैं.’’
जोया उर्फ शहजादी कुछ पलों तक अजरू को ठगी सी खड़ी देखती रही फिर मुसकरा कर बोली, ”तुम शादीशुदा हो, इस से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मैं तुम्हारी बेगम बन कर एक कोने में पड़ी रहूंगी’ मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए और कुछ नहीं.’’
”सोच लो जोया, प्यार के जोश में उठाया गया यह कदम तुम्हारे लिए आगे चल कर परेशानी का सबब न बन जाए? बाद में तुम पछताओ कि तुम ने नादानी में फैसला ले कर अपना सब कुछ खो दिया.’’
”अजरू, मैं ने तुम्हें दिल की गहराइयों से प्यार किया है. तुम यदि यह बात छिपा कर मुझे पाने की चेष्टा करते तो मुझे बहुत दुख पहुंचता, तुम ने एक अच्छे आदमी होने की मिसाल कायम की है.’’
”मैं तुम्हारे लिए अच्छा हूं जोया, लेकिन मैं अपनी पत्नी जीनत को धोखा दे कर उस के साथ नाइंसाफी कर रहा हूं, जानती हो क्यों?’’
”क्यों?’’
”क्योंकि तुम दुनिया की बेहद हसीन चीज हो, तुम मेरे दिल में बस गई हो. मैं अब तुम्हारे बगैर जिंदा नहीं रह पाऊंगा.’’
”ओह! मेरे अच्छे अजरू.’’ जोया ने लरजते स्वर में कहा और अजरू से लिपट गई.
अजरू ने उस के नाजुक जिस्म को अपनी बाहों में समेट लिया और झुक कर अपने तपते होंठ जोया के पतले पतले अधरों पर टिका दिए. कुछ पलों बाद उस कमरे में 2 जिस्मों की महकती सांसों और फुसफुसाते शब्दों से भर गए.
अजरू ने क्यों बेचीं बापदादा की जमीनें
जोया उर्फ शहजादी को संपूर्ण रूप से पा लेने के बाद अजरू प्रेमिका का दीवाना हो गया. जोया पर अब वह दिल खोल कर रुपया खर्च करने लगा. वह उस के लिए महंगे महंगे गिफ्ट देने लगा. जोया को उस ने ऊपर से नीचे तक गहनों से लाद दिया. उन की लव स्टोरी गहराती चली गई.
जोया ने अजरू के इस दीवानगी की कद्र की, वह अपने मादक जिस्म की तपिश से अजरू को गरमाने में जरा भी संकोच नहीं करती थी. जोया की जवानी में अजरू पूरी तरह डूब गया था. अब उसे ख्वाबों में भी जोया ही चाहिए थी.
इस पागलपन का परिणाम यह हुआ कि अजरू अपने बापदादा की जमीनें बेचने लगा. जमीन से मिले रुपयों को वह जोया पर खर्च कर देता. जोया अजरू के इन कीमती तोहफों को पा कर आसमान में उडऩे लगी थी.
जोया का बाप और भाई जोया के बहकते कदमों से अंजान नहीं थे. वह सब देख और समझ रहे थे, लेकिन खामोश थे, क्योंकि जोया के द्वारा घर में हर कीमती सामान आ रहा था. वह लोग अजरू से ही जोया का निकाह कर देना चाहते थे.
अजरू उन के घर आता तो वह उस का गर्मजोशी से आदरसत्कार करते थे. एक प्रकार से जोया का पूरा परिवार अजरू को जोया का भावी शौहर मानने लगे थे.
इधर अजरू की बीवी जीनत बेगम अपने शौहर के बदलते रंग से परेशान थी, वह देख रही थी उस का शौहर बापदादा की जमीनें बेच रहा है, लेकिन वह रुपया घर में खर्च नहीं कर रहा है, कहीं और खर्च कर रहा है. जीनत का अनुमान था अजरू ने कोई बड़ा बिजनैस शुरू कर दिया है.
एक दिन अजरू का जानकार दोस्त उस से मिलने उस के घर आया. अजरू घर पर नहीं था. उस दोस्त ने जीनत का हाल पूछा, ”कैसी हो भाभी?’’
”अच्छी हूं.’’ जीनत ने औपचारिकतावश कहा, ”तुम्हारे भाईजान तो घर पर नहीं हैं.’’
”आजकल अजरू मिलता ही नहीं है.’’ अजरू का दोस्त परेशान हो कर बोला, ”पहले अजरू मेरे से रोज मुलाकात कर लेता था.’’
”उन्होंने कोई बिजनैस शुरू कर दिया है, इसीलिए तुम से नहीं मिल पाते हैं.’’
वह दोस्त मुसकरा दिया, ”कैसा बिजनैस भाभी, वह तो जोया के प्यार में पागल हुआ पड़ा है.’’
यह सुन कर जीनत का दिल धड़क उठा, ”यह जोया कौन है भाईजान?’’
”जोया धौलाना (हापुड़) में रहती है, भाईजान उस के इश्क में पड़ गए हैं. क्या आप यह नहीं जानतीं.’’
”नहीं, मैं उन का घर और बच्चों की देखभाल में उलझी रहती हूं. मुझे क्या खबर कि वह बाहर क्या कर रहे हैं.’’
”आप नादान और भोली हैं, घर में ही रहेंगी तो अजरू आप के हाथ से निकल जाएगा. उस के पैरों में रस्सी बांध कर रखना जरूरी है. मैं अजरू का गहरा दोस्त हूं, उस का अच्छा बुरा सोचना मेरा फर्ज है. मैं ने आप को आगाह कर दिया है. आप यह बात अजरू से मत कहना, नहीं तो हमारी दोस्ती में दरार पड़ जाएगी…’’
”आप का नाम मैं नहीं लूंगी भाईजान. आप ने मुझे उन की प्रेम कहानी की सच्चाई बता कर बहुत बड़ा एहसान किया है.’’ जीनत ने गंभीर स्वर में कहा, ”मैं आज ही उन की खबर लूंगी.’’
अजरू का दोस्त चला गया. जीनत को अपने शौहर की करतूत का पता चल चुका था. बापदादा की जमीनें बेच कर अजरू जोया के ऊपर खर्च कर रहा है, यह बात उसे परेशान और चिंता में डाल देने वाली थी.