घटना 25 सितंबर, 2019 की है. शाम के करीब 4 बजे थे. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ क्षेत्र का रहने वाला मयंक जब रात 10 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो उस के पिता सुभाष खरे ने उसे खोजना शुरू कर दिया. मयंक शाम को कार ले कर घर से निकला था.
मयंक खरे के छोटे भाई प्रियंक खरे ने जब मयंक के मोबाइल पर फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. मयंक अविवाहित और बेरोजगार था. कोई काम करने के बजाए वह अपने पिता की कार ले कर दिन भर इधरउधर घूमता रहता था, जिस से उस के पिता परेशान थे.
मयंक के पिता सुभाष खरे शिक्षा विभाग में क्लर्क थे. उस समय टीकमगढ़ में भारी बारिश हो रही थी. समस्या यह थी कि ऐसे मौसम में उसे खोजने जाएं भी तो कहां जाएं. पिता सुभाष ने यह सोच कर मयंक के खास दोस्त इशाक खान को फोन लगाया कि हो न हो उसे मयंक के बारे में कोई जानकारी हो. लेकिन उस के फोन की घंटी बजती रही, उस ने काल रिसीव नहीं की. इस से सुभाष खरे का माथा ठनका कि इशाक ने फोन क्यों नहीं उठाया.
रात भर परिवार के सभी लोग मयंक की चिंता करते रहे. अगले दिन पिता सुभाष ने टीकमगढ़ थाने में मयंक की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. टीआई अनिल मौर्य ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह जानकारी टीकमगढ़ के एसपी अनुराग सुजनिया को दे दी. साथ ही मयंक का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया.
मयंक का परिवार उस की खोज में लगा हुआ था. परिवार वालों की दूसरी चिंता यह थी कि मयंक के दोस्त इशाक खान ने उन का फोन क्यों रिसीव नहीं किया, उस की दुकान भी बंद थी. इशाक का भी कोई अतापता नहीं था. उस के घर वालों से जब उस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जताई.